शिवनाथ रत्न पुरस्कार 2022 से सम्मानित इस लघु उपन्यास में है प्रेम की तरंगें...सच्चे प्रेम को किसी बंधन में नहीं बांधा जा सकता है और यह सांसारिक संबंधों से अलग उच्चस्तर का,अनुभूतियों से परिपूर्ण और ईश्वर के श्री चरणों ...Read Moreले जाने वाला होता है।जब वतन पर कोई संकट होता है तो एक सैनिक अपने वैयक्तिक प्रेम,घर,परिवार और संसार को छोड़कर तुरंत मातृभूमि की रक्षा के लिए चल पड़ता है।इस उपन्यास में एक तरफ वैयक्तिक प्रेम के गहरे एहसास हैं तो दूसरी तरफ है देश प्रेम की पराकाष्ठा....त्याग.....जय हिंद...
प्रेम है दुनिया का सबसे खूबसूरत नाजुक अहसास....क्या मेजर विक्रम अपनी प्रिया को अपने दिल की बात बता पाए? जानने के लिए पढ़िए यह दूसरा अध्याय...
बंधन प्रेम के: अध्याय 3 पिछली भाग में आपने पढ़ा कि मेजर विक्रम ने शांभवी के समक्ष अपने संदेशों के माध्यम से अपना हृदय उड़ेल कर रख दिया। शांभवी इस संदेश पर आगे क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है और ...Read Moreइन दोनों को देश के इस अशांत राज्य की घटनाओं में कहां तक पहुंचाते हैं, यह जानने के लिए पढ़िएगा, इस लघु उपन्यास का यह तीसरा अध्याय:- (4) शांभवी के पिता कर्नल राजवीर को सेना से रिटायर हुए लगभग 2 साल हो गए हैं। वे सैनिकों के कल्याण के लिए गठित की गई एक राष्ट्रीय स्तर की समिति में महत्वपूर्ण
· बंधन प्रेम के भाग 4 (मेजर विक्रम और शांभवी की प्रेम कहानी आगे बढ़ती है।वे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले देश के इस खूबसूरत राज्य की राजधानी की यात्रा पर हैं।…..शांभवी के माता-पिता दिल्ली से लौट रहे ...Read Moreऔर वे दोनों एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने पहुंच रहे हैं….. आज के इस भाग में पढ़िएगा कि आगे क्या होता है…….) (6) मेजर विक्रम और मेजर विक्रम और शांभवी की कार ठीक समय पर शहर में प्रवेश कर गई। एयरपोर्ट शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर था।ये लोग शहर के बीच से होते हुए एयरपोर्ट की ओर
(एक लंबी यात्रा के यादगार पलों को जीने के बाद मेजर विक्रम और शांभवी वापस लौटे……क्या आज की रात मेजर विक्रम अपना प्रेम प्राप्त कर सकेंगे? क्या शांभवी उन्हें अपने मन की बात बता पाएगी जो कहीं न कहीं ...Read Moreअतीत की स्मृतियों से जुड़ी है….. यह सब जानने के लिए पढ़िए इस उपन्यास का आज का यह भाग……… (9) एयरपोर्ट से घर पहुंचते रात हो गई। शांभवी के मम्मी-पापा ने जिद करके विक्रम को घर में ही रोक लिया।विक्रम ने कहा- मैं आप लोगों की बात टालूँगा नहीं,लेकिन एक बार मम्मी-पापा को फोन करके बता देता हूं।अपने मम्मी और
...............रात धीरे-धीरे बीत रही है लेकिन शांभवी और मेजर विक्रम के लिए जैसे वक्त ठहर गया है । शांभवी मेजर विक्रम को अपने अतीत की कथा सुनाने लगी.................. ............आज कॉलेज का पहला दिन है। कॉलेज के मुख्य द्वार पर ...Read Moreहै और बहुत से लड़के लड़कियां चहलकदमी कर रहे हैं। कुछ लड़के और लड़कियां छोटे-छोटे झुंड में हैं और बातों में मशगूल हैं। कॉलेज के सायकल स्टैंड में अपनी दुपहिया खड़ी कर एक लड़का सकुचाया हुआ सा नोटिस बोर्ड की ओर बढ़ता है।एक-दो और विद्यार्थी जो फर्स्ट ईयर के ही होंगे, पहले से टाइम टेबल नोट कर रहे हैं।नोटिस बोर्ड
बंधन प्रेम के भाग 7 शांभवी उठकर भीतर गई और फिर कॉफी बनाकर ले आई। मेजर विक्रम ने कहा, "यह तुम्हारे हाथों में क्या है शांभवी?" शांभवी ने कहा,"विक्रम जी, मेजर शौर्य भी तुम्हारी तरह डायरी लिखा करते थे। ...Read Moreआगे की कहानी इसी डायरी के आधार पर होगी, क्योंकि मुझे भी उनके जाने के बाद का पूरा घटनाक्रम इसी डायरी से पता लगा।" (15) चांद आकाश में धीरे-धीरे मुस्कुरा रहा था। डायरी के पन्ने पलटते हुए शांभवी ने मेजर शौर्य के अतीत को पढ़ना शुरू किया:- ............मैं मेजर शौर्य,अपनी मातृभूमि के इस जन्नत कहे जाने वाले हिस्से में तैनात
अध्याय 8जिस रहस्य को शांभवी मेजर विक्रम को सुनाना चाहती थी, वे उसे ध्यान से सुन रहे हैं।आगे उत्सुकता व्यक्त करते हुए मेजर विक्रम ने पूछा- तो शौर्य जी के पिता कैप्टन विजय का आगे क्या हुआ शांभवी?बाद के ...Read Moreमें हम उनके बारे में बहुत कम सुन पाते हैं....शांभवी -आगे की कहानी अद्भुत साहस और विजय की कहानी है मेजर साहब.... अपना सब कुछ खोकर भी कोई जंग कैसे जीतता है.... मेजर विक्रम ध्यान से सुनने लगे..... (19) कैप्टन विजय दो दिनों बाद घर लौटे।उन्होंने अपने आने की सूचना पहले ही दे दी थी।आर्मी की गाड़ी क्वार्टर तक छोड़ने
अध्याय 9 शांभवी मेजर विक्रम को अपने प्रेम मेजर शौर्य की कहानी आगे सुना रही है... मेजर विक्रम की आंखों में नींद कहां? वे दम साधे पूरी बात सुन रहे हैं..... (22) शांभवी ने आगे बताया...... कैप्टन विजय की ...Read Moreके बाद जैसे दीप्ति और शौर्य सिंह की दुनिया ही बदल जाने वाली थी। यह दोनों के जीवन पर एक बड़ा आघात था।विजय के पार्थिव शरीर को देखकर दीप्ति गश खाकर गिर पड़ी थी और घंटों बेसुध रही। रो-रो कर उसका बुरा हाल था।यह भी विधि की एक विडंबना थी कि सात साल के छोटे से बालक ने अपनी रोती
अध्याय 10 (27) मेजर विक्रम ने कहा - मेजर शौर्य की डायरी तो अपने आप में समकालीन घटनाओं का सीधा सच्चा इतिहास भी है शांभवी.... शांभवी -जी मेजर साहब....मेजर शौर्य ने राज्य के अस्थिर हो रहे हालात का वर्णन ...Read Moreहुए लिखा था...... राज्य में हालात तेजी से बदले हैं। अलग-अलग धर्मों के लोग यहां हजारों वर्षों से मिलजुल कर रहा करते हैं, लेकिन पिछली सदी के अंत के अस्सी-नब्बे के दशक से स्थितियां तेजी से बदली हैं। कुछ लोगों के हिंसक हमलों ,हत्या, आगजनी और लूटपाट के दौर के बाद बड़ी संख्या में लोग मुख्य घाटी छोड़कर चले गए
भाग 11 (31) ...... मुझे लग रहा है अब कहानी का सबसे भावुक पक्ष शुरू होगा शांभवी.... मेजर विक्रम ने शंभवी का चेहरा भांपते हुए कहा..... शांभवी ने अपने जज्बातों पर नियंत्रण पाते हुए आगे बताना शुरू किया.... .......दीप्ति ...Read Moreअनमने ढंग से ही सही लेकिन शौर्य सिंह की तीव्र इच्छा जानकर उसे आर्मी की इस बड़ी परीक्षा में एप्लाई करने की अनुमति दे दी।आर्मी की प्रतिष्ठित परीक्षा पास करने के बाद शौर्य सिंह और विपिन दोनों को इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में कड़ी ट्रेनिंग के बाद लेफ्टिनेंट के रूप में तैनाती एक ही रेजिमेंट में एक साथ मिली।यह देश
अध्याय 12 डायरी के इन पृष्ठों की हालत बुरी थी।एक दो पृष्ठ कहीं-कहीं से फटे हुए थे.... मेजर विक्रम ध्यान से देख रहे थे और शांभवी ने डायरी को अपने सीने से लगा कर रखा था.... लेकिन मजबूत ह्रदय ...Read Moreउसने इसके पन्ने पलटते हुए आगे की कहानी बताना शुरू किया। इसके कुछ पृष्ठ अधूरे ही रह गए थे... शायद आगे मेजर शौर्य ने जो किया वह डायरी के इन पन्नों में दर्ज नहीं हो पाया.... बाद में मिलने वाली सूचनाओं और मेजर विपिन द्वारा बताई जानकारी के आधार पर शांभवी ने कहना शुरू किया..... (36) ........ मेजर शौर्य बड़ी
अध्याय 13 (39) अभी सूर्योदय होने में थोड़ा समय था.....पर.....रात लगभग बीत चुकी थी। रात में अंबर के एक कोने से दूसरे कोने तक खेलने कूदने और धमाचौकड़ी मचाने वाले तारे अब थक कर सो गए हैं और इक्का-दुक्का ...Read Moreतारा ही कहीं दिखाई देता है।इन तारों को जैसे सूर्य ने अपने उजाले के धुंधले प्रकाश की पतली चादर ओढ़ा दी हो और ये तारे सूर्य भवन में अब दिन भर आराम करने के बाद रात को पुनः अंबर में दिखेंगे और खिलखिला कर हंसने लगेंगे। जैसा प्रकृति का नियम है।रात्रि विश्राम के बाद लोग फिर एक नई सुबह का
अध्याय 14 (43) मेजर विक्रम ने शांभवी का हाथ पकड़ा और तेजी से वे दोनों एक पेड़ की ओट में हो गए। मेजर विक्रम ने कहा- वो दूर एक गाड़ी खड़ी है न शांभवी? उसमें साधू संन्यासियों के वेश ...Read Moreजो कुछ लोग दिखाई दे रहे हैं न, उनकी गतिविधियां मुझे सही नहीं लग रही हैं। लगता है ये छद्म वेश में आतंकवादी हैं क्योंकि ये अजीब सी नज़रों से न सिर्फ मंदिर को देख रहे हैं बल्कि आने-जाने वाले लोगों को भी। मुझे लग रहा है दोपहर की आरती के समय जब अधिक लोग मंदिर के अंदर इकट्ठा होंगे
शिवनाथ रत्न पुरस्कार 2022 से सम्मानित एक देशभक्तिपूर्ण प्रेम गाथा