Circus book and story is written by Madhavi Marathe in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Circus is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सर्कस - Novels
by Madhavi Marathe
in
Hindi Moral Stories
हम लोग हमेशा सर्कस से जुडे हुए लोगों के जीवन के बारे में, जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते है। उनका खानाबदोशजीवन, मंच पर अभिनय, साहसिक खेल, जानवरों की दुनिया, रोज की तालियाँ, लेकिन जिंदगी उतनी ही खतरों और कठिनाइयों से भरी। वैसे देखा जाए तो दुनिया के हर आदमी के उपर किताब बन सकती है। लेकिन सर्कस का अनोखा जीवन सबको लुभाता है। सर्कस के बारे में जो कुछ लिखा है वह जानकारी इंटरनेट से संकलित की है। इस किताब के सभी पात्र और घटनाएँ काल्पनिक है। सिर्फ भोपाल वायु दुर्घटना हादसे का सबके उपर क्या असर हुआ होगा इसका थोडा जिक्र किया है।
मन की बात हम लोग हमेशा सर्कस से जुडे हुए लोगों के जीवन के बारे में, जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते है। उनका खानाबदोशजीवन, मंच पर अभिनय, साहसिक खेल, जानवरों की दुनिया, रोज की तालियाँ, लेकिन जिंदगी ...Read Moreही खतरों और कठिनाइयों से भरी। वैसे देखा जाए तो दुनिया
सर्कस : २ शाम का वक्त था। सभी काम से घर लौट आ गए। घर में बच्चों का शोर, पुरुष वर्गों की आपस में बातचित, दादा-दादी के भजन कीर्तन, रसोई से महिलाओं की आवाज, बर्तनों के आवाज, ...Read Moreमें फैली भोजन की खुशबू, यह देखते देखते मुझे मजा आने लगा।
सर्कस: ३ सुबह हो गई। एक अलग, अपरिचित उर्जा की लहरें वातावरण को पुलकित कर रही थी। कोलाहल भरे मन को, एक नये लक्ष्य की ओर प्रेरित करने वाले विचारों से अब मैं उत्साहित अनुभव कर रहा ...Read Moreआज चाचाजी के साथ अरुण वर्माजी से मिलने जाना है, यह
सर्कस : ४ सप्ताह का समापन धमाकेदार रहा। दिल्ली दर्शन, खरिदारी, हॉटेलिंग ऐसी मौज-मस्ती हम भाई-बहन मिलकर एन्जॉय कर रहे थे। फिर अल्मोडा जाने से पहले मैं ओैर चाचाजी अरुण चाचाजी से मिलकर आ गए। इस बार ...Read Moreभी हमारे साथ थे। उन्होंने अरुणचाचाजी से अपने अनुभवों के आधार पर काफी चर्चा
सर्कस : ५ सुबह उठा, तब दिशाएँ हल्के-हल्के खुल रही थी। पंद्रह दिन का शारीरिक ओैर मानसिक तनाव अब खत्म हो गया। अब जो था वह आगे एक स्पष्ट खुला क्षितिज। उसके तरफ जाने का रास्ता, कितना ...Read Moreउबड-खाबड क्यों ना हो मंजिल का पता मालुम होना चाहिए। फिर रास्तें