Mega 325 book and story is written by Harish Kumar Amit in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mega 325 is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेगा 325 - Novels
by Harish Kumar Amit
in
Hindi Moral Stories
मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (1) ''वैरी-वैरी हैप्पी बर्थडे, बड़े दादू।'' कहते हुए शशांक ने दादा जी को जगाया. शशांक की आवाज़ सुनते ही बड़े दादा जी एकदम से उठ गए. ''वैरी-वैरी हैप्पी बर्थडे, बड़े दादू।'' शशांक ने अपनी बात दोहराई. बड़े दादा जी ने उठकर शशांक को गले से लगा लिया ओर कहने लगे, ''थैंक यू, वेरी मच, बेटा!'' ''बड़े दादू, वैसे तो हर सुबह आप मुझे जगाते हो, मगर आज मैंने पूरा प्रबन्ध किया हुआ था कि मैं सुबह पाँच बजे अपनेआप उठ जाऊँ. अपने दिमाग़ की प्रोग्रामिंग में सुबह पाँच बजे उठने की बात फीड कर दी
मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (1) ''वैरी-वैरी हैप्पी बर्थडे, बड़े दादू।'' कहते हुए शशांक ने दादा जी को जगाया. शशांक की आवाज़ सुनते ही बड़े दादा जी एकदम से उठ गए. ''वैरी-वैरी हैप्पी बर्थडे, बड़े दादू।'' शशांक ने अपनी ...Read Moreदोहराई. बड़े दादा जी ने उठकर शशांक को गले से लगा लिया ओर कहने लगे, ''थैंक यू, वेरी मच, बेटा!'' ''बड़े दादू, वैसे तो हर सुबह आप मुझे जगाते हो, मगर आज मैंने पूरा प्रबन्ध किया हुआ था कि मैं सुबह पाँच बजे अपनेआप उठ जाऊँ. अपने दिमाग़ की प्रोग्रामिंग में सुबह पाँच बजे उठने की बात फीड कर दी
मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (2) कुछ देर बाद शशांक और बड़े दादा जी वापिस घर पहुँचे. उनके पहुँचते ही घर का दरवाज़ा अपनेआप खुल गया. वे लोग घर के अन्दर पहुँचे तो उन्होंने देखा कि मेगा 325 दीवार ...Read Moreसहारे खड़ा है और उसके दोनों हाथ ऊपर छत की तरफ उठे हुए हैं. मेगा 325 उनके रोबोट का नाम था, जो घर के सारे काम-काज किया करता था. दोनों हाथ ऊपर की तरफ़ उठे होने का मतलब था कि उसकी बैटरी डाउन हो गई है. बड़े दादा जी ने आगे बढ़कर जल्दी से चार्ज़र का पिन मेगा के कान
मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (3) अपने कमरे में जाकर शशांक कम्प्यूटर पर स्कूल का होमवर्क करने लगा. बीच-बीच में छत पर लगे कैमरे की बत्ती जल जाती. शशांक जानता था कि यह सब मेगा 325 की वजह से ...Read Moreहो रहा है. घर के किसी और कमरे में बैठे-बैठे वह उस पर नज़र रख रहा है कि वह पढ़ाई कर रहा है या नहीं. होमवर्क करते-करते शशांक को गुस्सा आने लगता कि एक रोबोट मानो उसकी जासूसी कर रहा है. इतनी नज़र तो उस पर उसके मम्मी-पापा भी नहीं रखते, जो इतनी दूर मंगल ग्रह पर रहते हैं. फिर
मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (4) अगले सप्ताह रविवार की सुबह मम्मी-पापा को आना था. शशांक बड़ी अधीरता से उन दोनों के आने की प्रतीक्षा कर रहा था. बड़े दादा जी को भी उन लोगों का बहुत इन्तज़ार था. ...Read Moreने अपने यान से आना था. उनके यान ने उसी गगनचुम्बी इमारत की छत पर उतरना था जिसमें शशांक और बड़े दादा जी रहते थे. पापा ने फोन पर बताया था कि वे लोग शनिवार की रात को मंगलग्रह से चलेंगे और रविवार की सुबह ठीक नौ बजे उस गगनचुम्बी इमारत पर उतर जाएँगे. बड़े दादा जी और शशांक ने
मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (5) मंगल ग्रह पर वापिस जाने से पहले मम्मी-पापा बड़े दादा जी के साथ उनके कमरे में चले गए थे - कुछ बातचीत करने के लिए. मेगा 325 भी कहीं इधर-उधर था. अब शशांक ...Read Moreकमरे में अकेला था जहाँ पर उसके पापा का बैग रखा हुआ था. अचानक शशांक के दिमाग़ में आया कि अगर उस नए आविष्कार वाली शीशी से वह एकाध गोली निकाल ले तो कैसा रहेगा. शीशी में काफी सारी गोलियाँ थीं - यह बात तो उसे तब ही पता चल गई थी जब पापा ने कुछ देर पहले वह शीशी