गुलाबो - Novels
by Neerja Pandey
in
Hindi Women Focused
दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही ...Read Moreकी आवाज कान में गई। बोली अच्छा बहन अब हम जाती है अम्मा आ गई है । अगर उन्हें भनक भी लग गई कि हम दोनो छतपर गए थे तुमसे बात कर रहे थे तो आज पिट जाएगी हम दोनों हीं।ये कहते हुए दोनों दौड़ते हुए नीचे आई और जल्दी जल्दी काम निपटाने का दिखावा करने लगी।
दूर से आती लाठी की ठक ठक की आवाज सुनकर रज्जो और गुलाबो चौकन्नी हो गई। दोनों ऊपर छत पर से पड़ोसी की बहू के संग अपना अपना दुखड़ा एक दूसरे से साझा कर रही थी। जैसे ही ...Read Moreकी आवाज कान में गई। बोली अच्छा बहन अब हम जाती है अम्मा आ गई है । अगर उन्हें भनक भी लग गई कि हम दोनो छतपर गए थे तुमसे बात कर रहे थे तो आज पिट जाएगी हम दोनों हीं।ये कहते हुए दोनों दौड़ते हुए नीचे आई और जल्दी जल्दी काम निपटाने का दिखावा करने लगी।
गुलाबो -२उस दिन गुड़ और सत्तू कांड को लेकर अम्मा ने गुलाबो और रज्जो की खूब पिटाई की थी। साथ में ताकीद भी कर दी थी कि अब अगर ...Read Moreकांड किया तो सीधा मायके भिजवा देंगी।छड़ी की मार से गुलाबो की उज्ज्वल पीठ पर नीले निशान पड़ गए थे। उसके आँसू रज्जो से ना देखे जा रहे थे...।जैसे ही अम्मा बाहर गई। बड़ी होने के नाते रज्जो अपना दर्द भूल कर गुलाबो की पीठ पर बने गुलाबी-गुलाबी निशान देखने लगी। हल्दी वाला दूध तो
गर्मियों में जय और विजय के साथ-साथ उनके पिता विश्वनाथ भी घर आए थे। इस बार अच्छी बचत हो गई थी, इसलिए सोचा गया कि पक्का दालान बनवा लिया जाए। जिससे मेहमानों के आने पर घर की बहुओं को ...Read Moreपरेशानी ना हो। सारा इंतजाम किया गया। रेत सीमेंट ईट सब इकट्ठा किया गया । फिर मजदूर लगा कर काम शुरू हो गया । दालान बनने में तय समय से ज्यादा वक्त लगने लगा । सभी की छुट्टियां खत्म होने लगी। विश्वनाथ जी ने फैसला किया कि वो और जय चले जाते है; विजय रुक कर काम करवाएगा। फिर जब
गुलाबो के परदेश चले जाने से रज्जो बिलकुल अकेली हो गई। पहले हर वक्त गुलाबो साथ रहती। उसकी चपलता से सास की डांट भी ज्यादा देर तक याद नही रहती थी। गुलाबो जैसे रज्जो की आदत हो गई थी। ...Read Moreबचपना, उसकी अल्हड़ हंसी से रज्जो की सारी चिंता पर विराम लग जाता था। काम तो सारे वो खुद ही करती पर गुलाबो साथ साथ लगी रहती, हाथ बंटा देती, तो जी लगा रहता। गुलाबो की चांद चपड़ चपड़ उसे से उसे काम करने की ऊर्जा मिलती। वो गुलाबो को बहुत याद करती। घर का सारा काम काज निपटाते ही
जब गुलाबो से जगत रानी ने सभी को पेड़े लाकर देने के लिए और खुद के लिए पानी लाने को बोला तो ना चाहते हुए भी उसे वहां से जाना पड़ा। उसे अपनी उस खास चीज की चिंता थी ...Read Moreकही अम्मा न देख ले। पर थोड़ी तसल्ली थी की उसने उसे अखबार के नीचे छुपा कर रक्खा है। अपनी आदत अनुसार वो चिढ़ती हुई वहां से पानी और पेड़े लाने चली गई।इधर जगत रानी को अंदाजा हो ही गया था की बक्से की सतह और अखबार के बीच में अंतर है। गुलाबो के जाते ही झट से अखबार थोड़ा
गुलाबो रज्जो से बोली, "अच्छा दीदी चलती हूं अम्मा के हुक्म के मुताबिक अपने कमरे में आराम करना है वरना मैं तो यही तुम्हारे साथ ही लेट जाती। और जी भर के गप्पे लड़ाती । पर…" इतना कह गुलाबो ...Read Moreबनाते हुए अपनी मजबूरी जाहिर कर रज्जो के कमरे से बाहर जाने लगी।"ठीक है छोटी जा….।" रज्जो बोली।इधर जगत रानी इसी इंतजार में बैठी ये देख रही थी की कब गुलाबो अपने कमरे में जाए। जैसे ही गुलाबो को जाते देखा, उससे पीछे ही उसके कमरे में जगत रानी भी चल दी।गुलाबो के कमरे में जाते ही कुछ देर बाद
भाग 7आपने पिछले भाग में पढ़ा की गुलाबो परिवार वालों के साथ गांव आती है। उसके मां बनने की जानकारी होने पर जगत रानी बहुत खुश होती है। अब वो इस हालत में गुलाबो को शहर नही भेजना चाहती ...Read Moreइधर गुलाबो ने अपना सारा सामान सहेज कर बक्से में रख लिया है। पर जगत रानी उसकी बजाय इस बार बड़ी बहू रज्जो को साथ भेजने का विचार व्यक्त करती है। अब आगे पढ़े।गुलाबो भोली भाली थी पर उसे गुस्सा भी बहुत आता था। रसोई में सास की बातें उसे तीखी मिर्च से भी तीखी लग रही थी। अब उसे
भाग 8रज्जो पति,देवर और ससुर के साथ शहर पहुंची। गंभीर रज्जो को बाहर के माहौल से कोई लेना देना नही था। वो वहां पहुंच कर जल्दी ही अपनी छोटी सी गृहस्ती में रम गई। खाना पीना और घर का ...Read Moreकाम तो गुलाबो भी करती थी। पर रज्जो की बात ही अलग थी। वो बेहद कुशलता से झट पट सारे काम निपटा देती। उन्हें साथ ले जाने टिफिन भी देती। जबकि गुलाबो सिर्फ सुबह ही उन्हें कुछ बना कर खिला पाती थी। रज्जो ज्यादा बातूनी नही थी तो पास पड़ोस की महिलाओं से भी कोई खास लगाव नहीं रक्खा था।