Charles Darwin ki Aatmkatha by Suraj Prakash | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - Novels Novels चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - Novels by Suraj Prakash in Hindi Biography 3.1k 10.9k 6 महान प्रकृतिविज्ञानी चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (12 फरवरी 1809- 19 अप्रैल 1882) को प्रजातियों के विकास की नयी अवधारणाओं के जनक के रूप में जाना जाता है। वे आधुनिक विज्ञान के भी जनक हैं। सबसे पहले उन्होंने ही ये सिद्धांत ...Read Moreथा कि प्रजातियों का उद्भव विकासात्मक परिवर्तनों के कारण हुआ और यह वैज्ञानिक थ्योरी भी सबसे पहले उन्होंने ही दी थी कि प्राकृतिक चयन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से इस तरह के परिवर्तन होते हैं। उन्होंने चिकित्सा शास्त्र, भूविज्ञान, जीव विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान, आदि विषयों का गहरा अध्ययन किया और कई नयी अवधारणाएं दीं। उन्होंने अपनी खोजों के लिए लम्बी लम्बी यात्राएं कीं और शोध किये। बीगल जहाज पर उन्होंने पांच वर्ष की लम्बी यात्राएं कीं और इन यात्राओं के अनुभवों को विभिन्न खोजों और प्रयोगों के रूप में वे सामने लाते रहे। Read Full Story Download on Mobile Full Novel चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 1 1.1k 1.8k चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी अनुवादक की बात महान प्रकृतिविज्ञानी चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (12 फरवरी 1809- 19 अप्रैल 1882) को प्रजातियों के विकास की नयी अवधारणाओं के जनक के रूप में ...Read Moreजाता है। वे आधुनिक विज्ञान के भी जनक हैं। सबसे पहले उन्होंने ही ये सिद्धांत दिया था कि प्रजातियों का उद्भव विकासात्मक परिवर्तनों के कारण हुआ और यह वैज्ञानिक थ्योरी भी सबसे पहले उन्होंने ही दी थी कि प्राकृतिक चयन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से इस तरह के परिवर्तन होते हैं। उन्होंने चिकित्सा शास्त्र, भूविज्ञान, जीव विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान, Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 2 360 834 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (2) स्कूली जीवन के शुरुआती दौर की ही बात है, एक लड़के के पास `वन्डर्स ऑफ दि वर्ल्ड' नामक किताब थी। मैं अक्सर वह किताब पढ़ता ...Read Moreऔर उसमें लिखी हुई कई बातों की सच्चाई के बारे में दूसरे लड़कों के साथ बहस भी करता था। मैं यह मानता हूँ कि यही किताब पढ़ कर मेरे मन में दूर दराज के देशों की यात्रा करने का विचार आया, और यह विचार तब पूरा हुआ जब मैंने बीगल से समुद्री यात्रा की। स्कूली जीवन के बाद के दौर Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 3 219 765 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (3) इन दोनों ही वर्षों में गर्मी की छुट्टियों में मैंने खूब मज़े मारे। हाँ, इतना ज़रूर था कि कोई न कोई पुस्तक मैं हमेशा पढ़ता ...Read Moreथा। सन 1826 की गर्मियों में मैंने अपने दो दोस्तों को साथ लिया, अपने-अपने पिट्ठू थैले लादे और नॉर्थ वेल्स की सैर को पैदल ही निकल गए। एक दिन में हम तीस मील तो चले ही जाते थे। एक दिन हमने स्नोडान में पड़ाव भी डाला। एक बार मैं अपनी बहन के साथ घुड़सवारी करता हुआ नॉर्थ वेल्स की सैर Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 4 123 513 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (4) मुझे इस बात की हैरानगी है कि कैम्ब्रिज में मैंने जितने भृंगी-कीट पकड़े, उनमें से कई ने मेरे दिमाग पर अमिट छाप छोड़ दी थी। ...Read Moreमुझे अच्छा संग्रह करने का मौका लगा उन सभी खम्भों, पुराने वृक्षों और नदी के किनारों को मैं आज भी याद कर सकता हूं। उन दिनों पेनागियस क्रुक्स मेजर नामक प्यारा भृंगी कीट एक खजाने की तरह से था, और डॉन में घूमते हुए मैंने एक भृंगी कीट देखा जो कि सड़क पर दौड़ता हुआ जा रहा था। मैंने भाग Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 5 102 555 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (5) कई बातों में वे बहुत महान चरित्र के इंसान थे। उनमें कुछ ऐसा भी था जो मुझे पहले पता नहीं था। बीगेल पर यह समुद्री ...Read Moreमेरे जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना रही, और इसी ने मेरे पूरे कैरियर का खाका तैयार किया। लेकिन ये सब कुछ एक छोटी-सी घटना पर आधारित था। घटना कुछ यूं थी कि जिस दिन मेरे अंकल तीस मील सवारी चलाकर मुझे श्रूजबेरी लाए थे, संसार में बहुत कम नातेदारों ने ऐसा किया होगा, और तो और मेरी नाक भी इसमें Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 6 105 483 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (6) मेरे विवाह, (जनवरी 29, 1839), और अपर गॉवर स्ट्रीट में रहने से लेकर 14 सितम्बर 1842 को लन्दन छोड़कर डॉउन में बसने तक : [अपने ...Read Moreवैवाहिक जीवन और अपनी संतानों के बारे में लिखने के बाद, वे लिखते हैं।] लन्दन में तीन साल और आठ महीने रहने के दौरान मैंने वैज्ञानिक कार्य बहुत कम किया, हालांकि जितनी मेहनत मैंने इस दौरान की थी वह अपने जीवन में इतनी ही समयावधि में फिर कभी नहीं की। इसका कारण बार-बार की बीमारी और लम्बी तथा गम्भीर बीमारी Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 7 96 492 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (7) डाउन में घर - 14सितम्बर1842 से लेकर वर्तमान1876 तक सर्रे और दूसरे स्थानों पर काफी खोजबीन के बाद हमें यह घर मिला और हमने खरीद ...Read Moreलिया। चाक मिट्टी की बहुतायत वाले इलाके में पायी जाने वाली हरियाली चारों ओर थी, और मिडलैन्ड इलाके में जिस वातावरण का मैं आदी था, उससे अलग माहौल था, तो भी उस स्थान की अत्यधिक शान्ति और नैसर्गिकता से मैं अभिभूत था। जर्मन पत्रिकाओं ने मेरे घर के लिए लिखा था कि वहाँ केवल टट्टू ही पहुंच सकते थे, लेकिन Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 8 105 462 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (8) मैं यहाँ यह भी कहना चाहूँगा कि मेरे समीक्षकों ने मेरे कार्य को ईमानदारी से से जांचा परखा। इनमें वे पाठक शामिल नहीं हैं जिन्हें ...Read Moreज्ञान नहीं था। मेरे विचारों को बहुधा पूरी तरह से गलत तरीके से पेश किया गया। बड़े ही तीव्र विरोध हुए और मज़ाक तक उड़ाया गया, लेकिन मैं समझता हूँ कि यह सामान्यतया सद्भावना से किया गया। कुल मिलाकर मुझे इसमें सन्देह नहीं कि मेरे कार्यों की तो कई बार ज़रूरत से ज्यादा तारीफ हुई। मुझे इस बात की बहुत Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 9 90 594 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (9) मुझे ऐसा भी लगता है कि मेरे दिमाग में कुछ खराबी भी थी, जिसके कारण मैं पहले तो किसी कथन या तर्क वाक्य को गलत ...Read Moreसे या बेतरतीब ढंग से प्रस्तुत करता था। शुरुआत में तो मैं अपने वाक्य लिखने से पहले सोचता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मैंने पाया कि पूरा पृष्ठ बहुत ही तेजी से और शब्दों को अर्धरूप में लिखते जाने में काफी समय बचता है, और बाद में इनका संशोधन करना आसान रहता है। इस तरीके से लिखे गए वाक्य Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 10 117 579 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (10) मेरे पिता के दैनिक जीवन के संस्मरण फ्रांसिस डार्विन इस लेखन के पीछे मेरा उद्देश्य यही है कि मैं अपने पिता के दैनिक जीवन के ...Read Moreमें कुछ विचार प्रस्तुत करूं। मुझे यही लगा कि मैं इसका एक सामान्य-सा रेखाचित्र डाउन के दैनिक जीवन से शुरू करूं और मेरे जेहन में और इधर-उधर उनके बारे में जो कुछ जानकारियां बिखरी पड़ी हैं, उनका उल्लेख करूं। यादगार बातों में से कुछ ऐसी भी हैं जो मेरे पिता के परिचितों के लिए अर्थपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन अपरिचितों Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 11 66 477 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (11) वैसे तो वे बगीचे को सजाने संवारने में कोई हाथ नहीं बंटाते थे, लेकिन फूल उन्हें बहुत पसन्द थे। ड्रॉइंगरूम में एजालेस का गुच्छा वे ...Read Moreही लगाते थे। मुझे लगता है कि फूल की बनावट और उसकी अप्रतिम सुन्दरता, दोनों को वे कई बार गुम्फित कर देते थे। डाइक्लीट्रा के गुलाबी और सफेद रंग के बड़े लटकते फूलों के बारे में तो यही अक्सर होता था। इसी प्रकार नीले रंग के छोटे छोटे फूलों के प्रति भी उन्हें कुछ कलापूर्ण और कुछ वनस्पतिशास्त्रीय लगाव था। Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 12 90 411 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (12) उनकी साहित्यिक रुचि और अभिमत उस स्तर के नहीं थे, जितना तेज़ उनका दिमाग़ था। वे खुद भी सोचते थे कि जिस बात को वे ...Read Moreसमझते थे उसके बारे में पूरी तरह स्पष्ट थे। वे मानते थे कि साहित्यिक रुचि के मामले में वे किसी दूसरी दुनिया के थे, और इसमें से अपनी पसन्द और नापसन्द के बादे में भी बताते थे, साहित्यिक लोगों के बारे में तो वे कहते थे कि इस सम्प्रदाय से उनका कोई नाता नहीं है। कला के सभी मामलों पर Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 13 72 423 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (13) उसकी इन किलकारियों के अलावा भी उसका व्यवहार बहुत ही प्रेमपूर्ण, निश्छल, सहज, सरल था। उसमें जरा भी दुराव छिपाव नहीं था। उसका मन अबोध ...Read Moreनिर्लिप्त था। उसे देखते ही कोई भी उस पर भरोसा कर सकता था। मैं हमेशा यही सोचता था कि इस बुढ़ापे में भी हमारी आत्मा उसी तरह बनी रहती जिस पर इस संसार चक्र का कोई असर किसी भी दशा में न पड़ता। उसके सभी काम ऊर्जा से भरे, सक्रिय और सलीकेदार होते थे। मैं सैन्डवाक पर काफी तेज़ चलता Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 14 93 453 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (14) जब बातचीत करते हुए वे अपने शब्दों में ही फंस जाते तो उनकी एक खास आदत सामने आती थी। वे वाक्य के पहले शब्द पर ...Read Moreलगते। और मुझे याद आता है कि इस तरह का हकलाना सिर्फ एक ही अक्षर डब्ल्यू के साथ होता था। ऐसा लगता है कि इस अक्षर के साथ उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। इसके पीछे उन्होंने ये कारण बताया था कि बचपन में वे डब्ल्यू का उच्चारण नहीं कर पाते थे और एक बार तो उन्हें छ: पेंस के Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 15 66 432 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (15) संकरण के इन प्रयोगों में यह साफ प्रकट होता था कि प्रत्येक प्रयोग विशेष के प्रति उन्हें कितना लगाव था, और उससे भी ज्यादा उनका ...Read Moreकि प्रयोग से प्राप्त फल को भी नष्ट न होने दिया जाए - वे इतने सावधान रहते थे कि कोई भी कैप्सूल कभी किसी गलत ट्रे में न चला जाए, तथा ऐसी ही बहुत सी बातें। मुझे उनकी वह मुखमुद्रा कभी नहीं भूलती कि साधारण माइक्रोस्कोप के नीचे वे कितनी एकाग्रता से बीजों को गिनते थे - गिनती जैसा साधारण Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 16 96 552 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (16) अपने पाठक के प्रति उनका रवैया काफी शालीन और समाधान परक रहता था, और शायद यह आंशिक रूप से उनका गुण था जो उनके व्यक्तिगत ...Read Moreचरित्र को उन लोगों के सामने भी प्रस्तुत कर देता था, जिन्होंने उन्हें कभी देखा नहीं। मैं भी इसे एक उत्सुकता भरा तथ्य मानता हूँ कि जिसने जीव विज्ञान का रूप ही बदल दिया, और इन अर्थों में जो आधुनिकतावादियों का मुखिया बन गया, उसने इतने गैर आधुनिक तरीके और भावना से एकदम दकियानूसी बातें लिखी होंगी। उनकी किताबों को Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 17 111 453 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (17) III चार्ल्स डार्विन का धर्म मेरे पिता ने अपने प्रकाशित लेखों में धर्म के बारे में एक मौन ही साधे रखा। धर्म के बारे में ...Read Moreजो थोड़ा-बहुत लिखा भी तो वह प्रकाशन के प्रयोजन से कभी नहीं। मुझे लगता है कि कई कारणों से उन्होंने यह चुप्पी साधी थी। उनका मानना था कि इन्सान के लिए उसका धर्म निहायत ही व्यक्तिगत मसला होता है और इसकी चिन्ता भी उसके अपने लिए ही होती है। सन 1879 में लिखे एक खत में उन्होंने इसी बात की Read चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 18 - अंतिम भाग 87 552 चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (18) अब आते हैं अनश्वरता की बात पर। मुझे कोई भी बात (इतनी) स्पष्ट नहीं लगती जो कि इस विश्वास और लगभग भीतरी भाव जैसी बात ...Read Moreहै कि ज्यादातर भौतिकशास्त्री यह मानते हैं कि समय बीतने के साथ ही सूर्य और इसके साथ के सभी ग्रह इतने ठंडे हो जाएंगे कि जीवन का नामो-निशान मिट जाएगा। हाँ, इतना ज़रूर हो सकता है कि कोई बड़ा पिंड आकर सूर्य से टकरा जाए और सूर्य फिर से ऊर्जावान हो उठे तो जीवन बचा रहेगा। मैं यह मानता हूँ Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Suraj Prakash Follow