Duri n rahe koi book and story is written by Kishanlal Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Duri n rahe koi is also popular in Adventure Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दूरी न रहे कोई - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Adventure Stories
"क्या लेंगे आप?"तुम कौन हो?" दरमियाने कद की युवती को अपने साामने खड़ा देखकर राजन बोला था।"मैं इस बार मे नौकरी करती हूँ"वह औरत बोली,"वेटर हूँ।"औरत होकर बार मे वेटर?"राजन ने कहा तो दिया लेकिन उसे अपनी कही हुई बात ही अटपटी लगी थी।उसने औरतो को बहुत काम करते हुए देखा था।उसने यह भी सुना था कि औरते बार मे भी काम करने लगी है।उसे यह बात सच नही लगी थी।लेकिन आज अपनी आंखों से शराब सर्व करते देखकरअविश्वास करने की कोई बात ही नहीं थी।"क्या औरत के पेट नही होता?क्या औरत को भूख नही लगती?क्या औरत की ज़रूरते नही
"क्या लेंगे आप?""तुम कौन हो?" दरमियाने कद की युवती को अपने साामने खड़ा देखकर राजन बोला था।"मैं इस बार मे नौकरी करती हूँ"वह औरत बोली,"वेटर हूँ।""औरत होकर बार मे वेटर?"राजन ने कहा तो दिया लेकिन उसे ...Read Moreकही हुई बात ही अटपटी लगी थी।उसने औरतो को बहुत काम करते हुए देखा था।उसने यह भी सुना था कि औरते बार मे भी काम करने लगी है।उसे यह बात सच नही लगी थी।लेकिन आज अपनी आंखों से शराब सर्व करते देखकरअविश्वास करने की कोई बात ही नहीं थी।"क्या औरत के पेट नही होता?क्या औरत को भूख नही लगती?क्या औरत की ज़रूरते नही
"ओ हो"राजन चाबी लेते हुए बोला,"चाबी वहां रह गई थी और मैं जेब मे ढूंढ रहा था।"राजन कार में बैठते हुए बोला,"आप भी आइए।"और इला कार में आ बैठी।इला के बैठते ही राजन ने कार स्टार्ट ...Read Moreदी।"तुम्हारा घर कहाँ है?""इतने बड़े महानगर में मेरी जैसी गरीब औरत की कहाँ औकात है कि घर खरीद सकूं।""फिर रहती कहाँ हो?"राजन ने कार चलाते हुए एक नज़र उस पर डाली थी।"इसी बार मे रात काट लेती हूँ।""मतलब अकेली हो मुम्बई में?""हां।""माता पिता?""मेरी माँ वेश्या थी।एक आदमी के प्रेम के चक्कर मे पड़कर मेरा जन्म हुआ था।उस आदमी ने मेरी मां से शादी
"बोलो।""चाय पी लो।""तुम पी लो"राजन सोते हुए बोला"मैने तुम्हारे लिए भी बनाई है"और राजन को उठाना पड़ा।राजन चाय पीकर फिर सो गया था।इला चाय पीकर कुछ देर बैठी रही।फिर वह बाथरूम में चली गई।कपडे तो वह लाई नही थी।राजन ...Read Moreकहा और वह उसके साथ आ गयी थी।बाथरूम में जाकर उसने अपने शरीर से एक एक करके सारे कपडे उतार दिए।फिर शावर चलाकर उसके नीचे खड़ी हो गई।पानी की नन्ही नन्ही बूंदे उसके सिर पर गिरकर उसके गोरे, चिकने नंगे बदन पर फैलने लगी।काफी देर तक वह नहाती रही।वह तैयार होकर बैडरूम में आयी तब राजन जग रहा था"अरे तुम
"तुमने अपने बारे मे सब कुछ तो बता दीया था।फिर और क्या जानने के लिए रह गया था?"इला की बात सुनकर राजन बोला।"मैने तुम्हे जो बताया वो झूठ भी तो हो सकता था।तुम्हे इसकी जांच करनी चाहिए थी।""क्या यह ...Read Moreहै?""औरत के बारे में ज्यादा जानने की ज़रूरत नही है।अगर----"अगर क्या?रुक क्यो गई।बताओ?"इला को बात अधूरी छोड़ते देखकर राजन ने पूछा था"अगर औरत के साथ एक रात गुज़ारनी हो।अगर उसे सिर्फ हमबिस्तर बनाने का इरादा हो तो उसके बारे में ज्यादा जानने की ज़रूरत नही होती।"इला,राजन की तरफ देखते हुए बोली,"मेरी कहानी सुनकर उस रात तुम मुझे अपने साथ घर