No one stays away (Part 2) in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | दूरी न रहे कोई ( पार्ट 2 )

दूरी न रहे कोई ( पार्ट 2 )

"ओ हो"राजन चाबी लेते हुए बोला,"चाबी वहां रह गई थी और मैं जेब मे ढूंढ रहा था।"
राजन कार में बैठते हुए बोला,"आप भी आइए।"
और इला कार में आ बैठी।इला के बैठते ही राजन ने कार स्टार्ट कर दी।
"तुम्हारा घर कहाँ है?"
"इतने बड़े महानगर में मेरी जैसी गरीब औरत की कहाँ औकात है कि घर खरीद सकूं।"
"फिर रहती कहाँ हो?"राजन ने कार चलाते हुए एक नज़र उस पर डाली थी।
"इसी बार मे रात काट लेती हूँ।"
"मतलब अकेली हो मुम्बई में?"
"हां।"
"माता पिता?"
"मेरी माँ वेश्या थी।एक आदमी के प्रेम के चक्कर मे पड़कर मेरा जन्म हुआ था।उस आदमी ने मेरी मां से शादी का वादा किया था।पर बाद में वह अपने वादे से मुकर गया।एक वेश्या के जिस्म से आदमी खेल तो सकता है लेकिन पत्नी बनाना मलक नही चाहता।और मेरा जन्म वेश्या पुत्री के रूप में हुआ था।माँ अपने पेशे कज छाप मुझ पर नही पड़ने देना चाहती थी।इसलिए उसने मुझे अपने स दूर रखा।"इला अपनी कहानी सुनाते हुए रुकी।उसने राजन की तरफ देखा।राजन कार चलाते हुए ऊसकी कहानी ध्यान से सुन रहा था
"दिल्ली में होस्टल में रहकर मैं पढ़ी।माँ मुझसे मिलने आती रहती थी।जवान होने पर माँ ने मेरी शादी कर देना चाहा।एक लडक़ी जिसके बाप का नाम न हो।जो एक वेश्या की बेटी हो।उसे कौन अपने घर कज लक्ष्मी बनाता।कौन उससे शादी करता?मेरी मां मेरी शादी कक चिंता में बीमार पड़ गई. ।उसकी ज्यादा तबियत बिगड़ने पर मैने डॉक्टरों को दिखाया।डाक्टर ने केंसर बता दिया।मैं मा को इलाज के लिए मुम्बई ले आयी।इतनी जमा पूंजी थी नही।केंसर के इलाज के लिए लाखों रुपये चाहिए थे।"
"फिर क्या हुआ?"राजन उसकी तरफ देखते हुए बोला।
"नौकरी के लिए मैने प्रयास किये लेकिन मा बाप के बारे में जानकर कोई रखने के लिये तैयार नहीं हुआ।पैसे थे नहीं।मा के इलाज के लिय पैसा भी बहुत चाहिए था।मजबूरी मे जो मा नही चाहती थी वो ही काम मुझे करना पड़ा।बार मे नौकरी के साथ मैं अपना शरीर भी बेचने लगी।"
"अब कैसी है तम्हारी माँ?"
"अपना जिस्म बेचकर माँ का खूब इलाज कराने के बाद भी माँ नहीं बची।"माँ का जिक्र आने पर इला की आंखे नम हो गई और गला भर आया
"ओ हो,"सांत्वना देने के लिए राजन ने अपना हाथ इला की पीठ पर रखा था।
और कार एक कोठी के सामने आकर रुकी थी।राजन कार से उतरते हुए बोला"आओ।,
राजन, इला को अपने घर के अंदर ले आया।
"इतने बडे घर मे तुम अकेले रहते हो?"घर को देखते हुए इला बोली थी।
"फिलहाल तो अकेला ही हूँ।"राजन उसे बैडरूम मे ले आया।बेड पर लेटते हुए बोला,"म्हझे नींद आ रही है।वैसे भी काफी रात हो गई है तुम भी सो जाओ।"
इला डबल बेड पर एक तरफ लेट गईं थी।राजन लेटते ही सो गया था।लेकिन इला की आंखों में नींद नही थी।ऐसा पहली बार हो रहा था।उसे अपने साथ लाने वाला उसे बिना भोगे ही सो गया था।इला न जाने कब तक जगती रही।
सबब आंख खुलने पर वह बाथरूम में घुस गई।फ्रेश होने के बाद उसे चाय की तलब महसूस होने लगी।।वह किचेन में चली आयी।उसने चाय बनाई थी।दो कपो में चाय लेकर वह बैडरूम में आयी
"राजन उठो"
(आगे कक कथा अगले भाग मे)


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