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Jeevandhara by Shwet Kumar Sinha | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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जीवनधारा by Shwet Kumar Sinha in Hindi
Novels

जीवनधारा - Novels

by Shwet Kumar Sinha Matrubharti Verified in Hindi Novel Episodes

(23)
  • 12.1k

  • 25.8k

  • 1

रूपेश ट्रेन में अपने बर्थ पर आकर बैठा ही था, तभी जीन्स और टी-शर्ट पहने 25–26 साल की एक लड़की सामने आकर खड़ी हो गयी और सीट छोडने का इशारा करती हुई अपना भारी-भरकम बैग रूपेश के बर्थ पर ...Read Moreदी । “हैलो मैडम । आप गलत सीट पर आ गयी हो । यह मेरी सीट है और टिकट भी है मेरे पास !” – रूपेश बोला । “मैं कुछ नहीं जानती । यह मेरी सीट है, हटो यहाँ से । ज्यादा परेशानी है तो जाकर टीटीई से मिलो । ” - उस लड़की ने जवाब दिया । उन दोनों की तू-तू, मैं-मैं देख टीटीई उनके पास आता है । टिकट चेक कर बताता है कि रूपेश सही सीट पर बैठा है और यह उसी के नाम से बूक है एवं वह लड़की, जिसका नाम पूजा था, उसकी बूकिंग ऊपर वाले बर्थ के लिए थी । अपनी गलती पर वह लड़की झेंप जाती है और सॉरी बोलकर अपने ऊपर वाले बर्थ की ओर बढ़ती है । रूपेश ने ध्यान दिया कि उस लड़की को ऊपर के बर्थ पर चढ़ने में परेशानी हो रही है तो वह उठा और उनसे कहा कि आप चाहे तो मेरे सीट पर आकर बैठ सकती हैं । मैं आपके सीट पर चला जाऊंगा और मुझे कोई दिक्कत नही है । फिर रूपेश ने टीटीई को बोलकर दोनों सीटों का अदला-बदली करा लिया ।

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जीवनधारा - Novels

जीवनधारा - 1
रूपेश ट्रेन में अपने बर्थ पर आकर बैठा ही था, तभी जीन्स और टी-शर्ट पहने 25–26 साल की एक लड़की सामने आकर खड़ी हो गयी और सीट छोडने का इशारा करती हुई अपना भारी-भरकम बैग रूपेश के बर्थ पर ...Read Moreदी । “हैलो मैडम । आप गलत सीट पर आ गयी हो । यह मेरी सीट है और टिकट भी है मेरे पास !” – रूपेश बोला । “मैं कुछ नहीं जानती । यह मेरी सीट है, हटो यहाँ से । ज्यादा परेशानी है तो जाकर टीटीई से मिलो । ” - उस लड़की ने जवाब दिया । उन दोनों की तू-तू, मैं-मैं
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जीवनधारा - 2
“शांत, शांत ! मैडम जी, शांत हो जाइए..... । पानी ले रहा था तो सोचा कि आपको भूख भी लगी होगी । इसलिए, कुछ खाना भी पैक करा लूँ ।” – पूजा को शांत करता हुआ रूपेश बोला । ...Read Moreचुपचाप रूपेश की बातें सुन रही थी, कुछ भी न कहा उसने । फिर, एक दूसरे को देखते हुए दोनों खिलखिला कर हंस दिए ।"मैं समझ सकता हूँ । खाली पेट गुस्सा आता है, सभी को । यह मुझे पता है ।" थोड़ी खिंचाई करते हुए रूपेश ने पूजा से कहा । “जी नहीं, ऐसी कोई बात नही हैं। चुप हो जाइए,
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जीवनधारा - 3
घर पहुँचकर पूजा नहाधोकर कपड़े बदली और बैग से कुछ निकालने के लिए आगे बढ़ी तो ये क्या ! उसके और रूपेश के बैग की अदला-बदली हो गयी थी । .... ...तभी, पूजा के मोबाइल की घंटी बजी । ...Read Moreतो रूपेश का ही फोन था । “आपका बैग गलती से मेरे पास आ गया है ।” – पूजा के फोन रिसिव करते ही रूपेश बोला । इस तरफ से पूजा ने भी यही बात दुहरायी और दोनों खिलखिलाकर हंस पड़ें । “अच्छा, ठीक है ! आप चिंता न करें । अपने घर का पता बताइये । मैं बैग लेकर
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जीवनधारा - 4
...अगले दिन, शाम चार बजे । छूट्टी होने पर अन्य महिला सहकर्मियों के साथ, पूजा ऑफिस से बाहर निकल रही थी। तभी, रूपेश सामने से रूपेश अपनी कार से आता दिखा । “कॉफी हो जाये ।” – अपनी कार ...Read Moreनिकलते हुए रूपेश ने पूजा से पूछा । मुस्कुराते हुए पूजा रूपेश के साथ कार में आकर बैठ गयी और दोनों पास के ही एक कॉफी हाउस पहुँच गएँ । रूपेश ने दो कॉफी लाने का ऑर्डर दिया । “आपको कैसे पता चला कि मैं ऑफिस से अभी निकलती हूँ ?” – पूजा ने सवाल दागा । “आपके ऑफिस के
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जीवनधारा - 5
...अपनी आंखों के सामने अपने माता-पिता की बेइज्जती देख रूपेश आग बबूला हो गया था । मन तो कर रहा था कि पूजा के पापा को उनके कहे हरेक बात का जवाब दे । पर , मां-पापा के सामने ...Read Moreकरना ठीक नहीं समझा और फिर पूजा पर भी क्या गुजरती – यह सब सोचकर वापस लौट जाना ही बेहतर समझा । बस, अपने मां-पापा के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगा कि उसके कारण ही उन्हे इतना कुछ सुनना पड़ा । रूपेश के मां पापा समझ रहे थें कि उनका बेटा अभी अंदर से टूटा हुआ है इसलिए उन्होंने रूपेश
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जीवनधारा - 6
...सौरभ घर में सबसे बड़ा था ।जतिन, सौरभ का छोटा भाई । उम्र में सौरभ से एक साल छोटा, पर कोई कामधाम न करता । दिनभर दोस्तों के साथ मटरगस्ती करता फिरता । सौरभ के मां-बाप सीधी-साधे एवम सरल ...Read Moreके थें । अगले दिन सुबह, पूजा जल्दी तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ गयी । सास-ससुर का पैर छूकर आशीर्वाद ले रसोई में सबके लिए सुबह का नाश्ता बनाने में लग गयी । थोड़ी देर बाद, सौरभ बाहर आया तो पूजा को काम करते देख उससे कहा कि तुम काम क्यूँ करने लगी । नौकरानी को कह देती तो वह नाश्ता तैयार
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जीवनधारा - 7
“मैडम, आपके पति-मिस्टर सौरभ की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गयी है।” – सिटी हॉस्पिटल पहुँचते ही पुलिसवाले ने पूजा को बताया ।... ...सौरभ के मृत्यु की खबर सुन पूजा के पैरों तले जमीन खिसक गयी । मूर्दाघर में ...Read Moreहुई सौरभ की क्षत-विक्षत लाश देख वह दहाड़ मार कर रोने लगी । बड़ी मुश्किल से पुलिस इंस्पेक्टर और नर्स ने उसे उसे संभाला । घर पर अकेले बूढ़े सास-ससुर को यूं फोन पर बताना पूजा ने ठीक न समझा । जतिन को फोन लगा सारी जानकारी दी और जल्दी से अस्पताल पहुँचने को कहा । फिर, जतिन और पूजा
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जीवनधारा - 8
...पूजा ने अपने पापा को फोन लगाया । थोड़ी ही देर में, वह वहाँ पहुँच गयें । पूजा ने उन्हे सारी बातें बतायी ।दोनों नजदीक के थाने पहुंचे । पुलिस वाले ने पहले तो पूजा को समझाया कि सब ...Read Moreकिसी जरूरी काम से चले गयें होंगे, आप थोड़ा इंतजार कर लीजिये । जब पूजा न मानी, तो पुलिस ने खोजबीन का आश्वासन देकर पूजा और उसके पिता को वापस भेजा । पूजा को उसके पिता ने अपने साथ घर चलने को कहा । लेकिन, पूजा ने उनके साथ जाने से साफ इंकार कर दिया और घर के बंद दरवाजे को
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जीवनधारा - 9
...अगले ही दिन, सबके एक संबंधी के यहाँ होने की बात कह पूजा ने उनके गुमशुदा हो जाने का अपना आवेदन वापस ले लिया । फिर, अपने पापा की सहायता से तीन करोड़ रुपये जतिन के बैंक अकाउंट में ...Read Moreकरा दिए । बैंक वालों ने बताया कि पैसे जतिन के अकाउंट में पहुँच गए हैं । तब, पूजा ने उसी नंबर पर कॉल लगाया, जिससे जतिन ने फोन किया था । लेकिन, नंबर बंद आ रहा था । पागलों की तरह वह लगातार उस नंबर पर डायल करती रही । लेकिन, वह नंबर चालू न हुआ । पूजा को
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जीवनधारा - 10
...अपने घर की ओर पैदल ही आगे बढ़ती पूजा को रोकने की हिम्मत रूपेश को न हुई और वहीं खड़ा उसे दूर तक जाता देखता रहा । पूजा के आंखो से ओझल होने के बाद रूपेश भी वापस ...Read Moreघर की तरफ मुड़ गया। घर पहुँचकर पूजा बिना किसी से कुछ बोले अपने कमरे में आकर फूट-फूट कर रोती रही । बाहर से माँ के आवाज़ लगाने पर खुद को संभाली और आंसुओं को पोछती हुई कमरे से बाहर निकली । बहुत देर तक सोफे पर बैठ कुछ सोचती रही। फिर, किसी को फोन मिलायी और कुछ जरूरी बातें बताने
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जीवनधारा - 11
...ढाबेवाले की बातें सुन रूपेश चाय पीना छोड़ उस लड़की के बारे में उससे विस्तार से पूछताछ करने लगा । “करीब दो-तीन दिन पहले, तकरीबन पैंतीस वर्ष की उम्र का एक आदमी ऐसी ही बच्ची को लेकर आया था ...Read Moreउस बच्ची की उम्र रही होगी- यही कोई चार-पांच साल के आसपास । आपके पास इसकी कोई और दूसरी तस्वीर है तो मुझे दिखाओ । तब शायद मैं उसे अच्छे से पहचान जाऊं, क्योंकि इसमें केवल बच्ची का चेहरा ही दिख रहा है। इसलिए मैं कंफ्यूज हो रहा हूँ।" उस ढाबेवाले ने रूपेश को बताया । आगे बढ़ने के बजाए
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जीवनधारा - 12
...शहर से बाहर थोड़ी दूर चलने के पश्चात रूपेश अपनी कार सड़क के एक किनारे रोकता है और ढाबेवाले के पास पहुंच जाता है । वहाँ, नंदिनी की तस्वीर उसकी तरफ बढ़ाते हुए रूपेश कुछ कहता, इससे पहले ही ...Read Moreढाबेवाला नंदिनी को पहचान लेता है और बताता है कि इसी बच्ची को तो उसने उस दिन देखा था । रूपेश ने पूछा कि वो किस तरफ गए तो ढाबेवाले ने बताया- “जिसके साथ नंदिनी आयी थी, वह पास के ही एक गांव में रहता है और अक्सर इस ढाबे पर चाय पीने आता है । एकदिन, फोन पर किसी से
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जीवनधारा - 13
लेकिन यह क्या ? उस घर पर तो ताला लटका था।...….शंभू पुलिसवालों को बताता है कि बच्ची को लेकर वह आदमी अभी भी इसी गांव में होगा क्योंकि इस गांव से बाहर जाने का केवल एक ही रास्ता है, ...Read Moreहोकर हमलोग अभी यहाँ आये हैं । हाथ आई नंदिनी को एकबार फिर से खोकर पूजा बहुत परेशान थी । रूपेश उसे हिम्मत बंधाते हुए कहता हैं की जैसे इतने दिन हिम्मत रखी, थोड़ा और सब्र करो, नंदिनी मिल जाएगी । घबरायी हुई पूजा आंखों में आँसू लिए रूपेश के हाथों को न जाने कब से कस के पकड़े खड़ी
  • Read Free
जीवनधारा - 14
...तभी, जतिन के पास आकार पूजा उससे अपने सास-ससुर के बारे में पूछती है । पर, बिना कुछ कहे वह सिर झुकाए खड़ा रहता है । "दादा-दादी मर गए, मम्मा ।" पूजा की गोद से ही नंदिनी बोलती है ...Read Moreपुलिस इंस्पेक्टर के द्वारा थोड़ी सख्ती से पूछने पर जतिन बताता है कि वे दोनो मेरे चंगुल से निकलकर भाग रहें थें और एक ट्रक के नीचे आ जाने से दोनो की मृत्यु हो गई।अपने सास-ससुर के देहांत की खबर सुन पूजा दुखी हो जाती है और वह पुलिस इंस्पेक्टर से जतिन को सख्त से सख्त सजा दिलवाने का अनुरोध करती
  • Read Free
जीवनधारा - अन्तिम भाग
...रूपेश की माँ, पूजा के माता-पिता को अंदर आने को कहती है । भीतर से, रूपेश के पापा भी बाहर कमरे में आ जाते हैं । अचानक से उनलोगों को अपने घर पर देख वह उनके आने का कारण ...Read Moreहैं । तब, पूजा के पिता उन्हे सारी बातें बताते हैं और अपने किए पर शर्मिंदगी जाहिर करते हुए क्षमा मांगते हैं । "आपसब और रुपेश के साथ मैंने अपने घर पर जो बदसलूकी किया था, उसके लिए मुझे माफ कर दें । ऊंच-नीच, जात-पात जैसी दकियानूसी विचारों से ग्रस्त होकर रूपेश जैसे हीरे को मैं पहचान न पाया और उसके
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