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जीवनधारा - 13

लेकिन यह क्या ? उस घर पर तो ताला लटका था।...

….शंभू पुलिसवालों को बताता है कि बच्ची को लेकर वह आदमी अभी भी इसी गांव में होगा क्योंकि इस गांव से बाहर जाने का केवल एक ही रास्ता है, जिससे होकर हमलोग अभी यहाँ आये हैं ।

हाथ आई नंदिनी को एकबार फिर से खोकर पूजा बहुत परेशान थी । रूपेश उसे हिम्मत बंधाते हुए कहता हैं की जैसे इतने दिन हिम्मत रखी, थोड़ा और सब्र करो, नंदिनी मिल जाएगी ।

घबरायी हुई पूजा आंखों में आँसू लिए रूपेश के हाथों को न जाने कब से कस के पकड़े खड़ी थी । जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ, रूपेश की हाथों से अपनी हाथों को अलग कर लिया । पूजा की भावना को रूपेश भली-भांति समझ रहा था ।

पुलिसवाले आसपास के पूरे इलाके में छानबीन करना शुरू कर देते हैं, तभी पास के एक घर की छत से पूजा को देखकर नंदिनी चिल्लाती है ।

नंदिनी की आवाज सुन पूजा पुलिसवालों को छत की तरफ इशारा करती है और पुलिसवाले उस घर को चारो तरफ से घेर लेते हैं ।

तभी ऊपर से गोली चलने की आवाज आती है, जिससे सभी सतर्क हो जाते हैं । छत पर खड़ा जतिन और उसके गोद में नंदिनी थी ।

"मुझे तो तब ही शक हो गया था, जब नंदिनी के बहाने डिस्पेंसरी वाला घर पर आया था। बहुत होशियार हो गई हो भाभी ! पर, तुम्हे पता ही नही कि मैं तुमसे भी ज्यादा होशियार हूँ।" छत से ही अट्टहास लगाते हुए जतिन ने पूजा से कहा ।

हाथ जोड़ते हुए पूजा, जतिन से नंदिनी को छोड़ देने की गुहार लगाती है ।

"अगर किसी ने भी ज्यादा होशियारी की तो नंदिनी को सीधे नीचे फेंक दूंगा ।" - कहते हुए जतिन पिस्तौल की नली नंदिनी के सिर पर रख देता है और सभी को वहां से चले जाने को कहता है।

पुलिस इंस्पेक्टर जतिन को समझाने की कोशिश करता है कि बच्ची को उनके हवाले कर दें, इसी में उसकी भलाई है।

रोती हुई असहाय पूजा अपनी बेटी को छोड़ देने के लिए जतिन से बार-बार विनती करती है । पर, कोई फायदा नहीं ।

दूसरी तरफ, सबकी नज़र बचाकर रूपेश धीरे-धीरे छत पर बढ़े जा रहा था । दबे कदमों से वह छत पर आता है । दरवाजे की आड़ में खड़ा रूपेश चारो तरफ का मुआयना कर जतिन के उल्टी दिशा में एक बड़ा सा पत्थर फेकता है।

पत्थर की आवाज सुन जतिन जैसे ही पीछे पलटता है, रूपेश उसपर टूट पड़ता है । पिस्तौल जतिन के हाथों से छूट एक ओर जा गिरता है और दूसरी तरफ नंदिनी । इससे पहले कि जतिन अपने आप को संभालता, एक जोरदार घुसा उसके मुंह पर लगता हैं और उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है।

रूपेश लपक कर नंदिनी को अपनी ओर खींच लेता है । जबतक कि जतिन खुद को संभालते हुए खड़ा होता , पुलिसवाले उसे अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं ।

पीछे से पूजा भी भागकर छत पर आ जाती है और नंदिनी को अपने गले लगा लेती है ।

"थैंक यू, मिस्टर रुपेश । आपकी बहादुरी से हम इस बदमाश को पकड़ने में कामयाब हुए।" - जतिन से हाथ मिलकर उसे शाबाशी देते हुए पुलिस इंस्पेक्टर कहता है।...