नि:शब्द के शब्द - Novels
by Sharovan
in
Hindi Adventure Stories
अगर आप विश्वास करते हैं कि, आत्माएं होती हैं और वे भटकती हैं तो यह कहानी आपको बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करेगी. यदि आप भटकी हुई आत्माओं और बे-बस, मजबूर और अपने प्यार की तलाश में परेशान आत्माओं ...Read Moreविश्वास नहीं करते हैं तो लेखक के पास आपके लिए किसी भी प्रकार का कोई भी संतुष्ट उत्तर नहीं है.
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जाड़े की दांत किटकिटाती हुई ठंड. बर्फ के समान ओस के कारण सर्द और भीगी रात. चारो तरफ जैसे जमी हुई ओस की धुंध छाई हुई थी. इस समय ठंड से कहीं अधिक पाला पड़ रहा था. इस कारण पाले की बूँदें कट-कट कर वृक्षों की पत्तियों और टहनियों से अपने बदन को छीलती हुईं नीचे धरती के गर्भ में टप-टप करके समाती जा रही थीं. शहर से काफी दूर इस सन्नाटों से भरे कब्रिस्थान में मोहित सारे दुनियां-जहांन की परवा किये बगैर, इस आधी रात में अपने कंधे पर फावड़ा रखे हुए उस सदियों पुरानी कब्र की तरफ बढ़ता जा रहा था, जिसके बारे में मोहिनी ने उसे बताया था. ठंड के कारण उसने अपना सारा चेहरा, कान आदि, गर्म मफलर से बाँध रखे थे. हाथों में उसके काले गर्म दस्ताने थे और इसके साथ ही उसने काली पेंट और शर्ट के साथ ही काले जूते भी पहन रखे थे. उसे देखते ही ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे कोई काली भयावह छाया किसी को इस दुनियां से ज़ह्न्नम रसीद कर देने का एक बुरा विचार बनाये हुए अपने मन्तव्य की ओर बढ़ी चली जा रही है.
नि:शब्द के शब्द- धारावाहिक - पहला भाग कहानी शरोवन अगर आप विश्वास करते हैं कि, आत्माएं होती हैं और वे भटकती हैं तो यह कहानी आपको बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करेगी. यदि आप भटकी ...Read Moreआत्माओं और बे-बस, मजबूर और अपने प्यार की तलाश में परेशान आत्माओं पर विश्वास नहीं करते हैं तो लेखक के पास आपके लिए किसी भी प्रकार का कोई भी संतुष्ट उत्तर नहीं है. जाड़े की दांत किटकिटाती हुई ठंड. बर्फ के समान ओस के कारण सर्द और भीगी रात. चारो तरफ जैसे जमी हुई ओस की धुंध छाई हुई थी. इस समय ठंड से
नि:शब्द के शब्द - धारावाहिक- दूसरा भाग कहानी/शरोवन अब तक आपने पढ़ा है कि, मोहिनी को को झांसा देकर, मोहित के परिवार वालों ने निर्ममता से मार कर, अंग्रेजों के पुरातन कब्रिस्थान में वर्षों से पुरानी एक अंग्रेज स्त्री ...Read Moreकब्र में दबा दिया था और पुलिस में उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट लिखा कर सारे मामले को दबाने की कोशिश कि जा रही थी. मगर, अपने गम में मारे मोहित को यह सब कुछ नहीं मालुम था. वह तो अपनी मंगेतर मोहिनी के अचानक गायब हो जाने के दुःख में परेशान था. तब उसकी दशा पर परेशान होकर मोहिनी की भटकती
निशब्द के शब्द -धारावाहिक- तीसरा भाग तीसरा भाग लोटे में खून काफी देर के उपचार के बाद मोहित के चाचा को जब होश आया तो उन्होंने अपने चारों तरफ मोहित के पिता, अपने दोनों लड़कों और अन्य साथियों को ...Read Moreहुए विचारमग्न देखा. काफी देर के पश्चात जब वे कुछ सामान्य से हुए तब भी नहीं समझ पाए थे कि उन्हें अचानक से हुआ क्या था? शरीर पर भी किसी चोट और हथियार के निशान तक नहीं थे. सारे बदन पर किसी तिनके तक की कोई भी खरौंच नहीं थी. फिर उनके भाई और मोहित के पिता ने डाक्टर को
नि:शब्द के शब्द - धारावाहिक - चतुर्थ भागअभी तक आपने पढ़ा है कि, मोहिनी की आत्मा भटकते हुए अपने मंगेतर मोहित से न केवल मिलती ही है बल्कि उसे सब कुछ बता देती है। मोहित के चाचा के लोग ...Read Moreमारने की साजिश करते हैं, पर मोहिनी उसकी रक्षा करती है। आत्माएं कहां रहती हैं? कौन उनकी हिफाजत करता है? मरने के बाद उनका कैसा संसार और आत्मिक जीवन होता है? इन समस्त बातों की जानकारी केवल सुनी हुई कहानियों के आधार पर लिखी गई हैं, किसी भी धर्म विशेष से इसका कोई भी संबंध नहीं है और ना ही
नि:शब्द के शब्द धारावाहिक - पांचवा भाग भटकती हुई आत्माओं की आकाशीय दुनियां मोहिनी अपने ही ख्यालों और सोचों में गुम और खोई हुई थी. सोच रही थी कि, पता नहीं कब उसके लिए दूसरा शरीर मिलेगा और कब ...Read Moreमोहित से फिर से मिल सकेगी? यह तो बिलकुल वही बात हुई थी कि, जैसे किसी मरीज़ के गुर्दों ने अपना काम करना बंद कर दिया हो और वे फेल हो चुके हों; तब वह मरीज कोई दूसरे गुर्दे के प्रत्यारोपण के लिए, इन्तजार कर रहा हो. किसी की आकस्मिक मृत्यु हो और उसका गुर्दा अथवा शरीर, मोहिनी के लिए
नि:शब्द के शब्द - 6 *** इकरा बनाम मोहिनी मोहिनी और रागनी की मित्रता बनी रही. अब अधिकाँश समय वे दोनों, एक साथ ही रहतीं. कहीं भी जाती तो साथ ही जातीं. अपनी बातें आपस में एक-दूसरे से साझा ...Read Moreअपना-अपना दुःख आपस में बांटती. उनकी मित्रता इसी तरह से चलती रही. चलती रही. मगर ऐसा कब तक चलता, दोनों में से कोई भी नहीं जानता था. नीचे दुनियां का हरेक रिवाज़, हरेक कार्य बदल चुका था. लोग अपने स्वार्थ के लिए आपस में ही एक-दूसरे को खाए जाते थे. इंसान की जान की कोई भी कीमत नहीं रही थी.
नि:शब्द के शब्द - धारावाहिक- सातवां भाग दुष्ट भुतही आत्मा का प्रकोप 'अरे ! तू क्या बोल रही है? तुझे कुछ मालुम भी या नहीं?' 'मुझे तो खूब पता है कि, मैं मोहिनी हूँ, लेकिन तू नहीं जानता है ...Read Moreतू क्या बोल रहा है?' इकरा बोली तो, उसका पति अवाक-सा उसका चेहरा देखने लगा. फिर काफी देर के बाद वह जैसे बहुत कुछ सोचकर आगे बोला, 'देख इकरा ! ये इतनी सारी भीड़ हमारे मुहल्ले की है. तू मर गई थी, मगर शुक्र हो अल्लाह का कि, उसने तुझे फिर से ज़िन्दगी देकर मेरे पास भेज दिया है. ये
नि:शब्द के शब्द धारावाहिक/ आठवां भाग भूत और जिन्न का बसेरा दूसरे दिन हामिद जब सुबह घर आया तो वह अकेला नहीं था. उसके साथ एक निहायत ही अजीब-सा दिखनेवाला कोई दुबला-सूखा-सा, बीमार जैसा आदमी साथ में था. उसके ...Read Moreपर सूफी तरीके की सफेद गोल टोपी थी और उसकी किनारी काले रंग की थी. वह काला चोगा पहने हुए था. मुंह पर सफेद काली लम्बी दाढ़ी लहरा रही थी. उसके कंधे से एक लम्बा, गंदा - सा थैला लटक रहा था. इसके साथ ही उसके दोनों हाथों की आठों अंगुलियों में आठ अंगूठियां, न जाने कौन-कौन-से सफेद, नीले, काले
नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक / नौंवा भाग इकरा बनाम मोहिनी सुबह ग्यारह बजे से लेकर शाम के पांच बजे तक हामिद मानो अपने घोड़े-खच्चर सब बेचकर गहरी नींद सोता रहा. इस मध्य सारे घर में सन्नाटा किसी मातम ...Read Moreघर के समान पसरा रहा. मोहिनी अभी तक अपने स्थान पर बैठी हुई थी. जब से वह बैठी थी, तब से एक ही बात के बारे में वह लगातार सोच रही थी. जिस बात के लिए वह सोच रही थी वह यही थी कि, जब से वह इस संसार में आई थी, तब से उसे अपने आपको मोहिनी साबित करने
नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक /दसवां भाग *** 'नि:शब्द के शब्द'- 10 इस रोमांचित, अपराधिक और भटकती हुई रूहों या आत्माओं की कहानी में अब तक आपने पढ़ा है कि; मोहिनी का विवाह जब उसके प्रेमी मोहित से, जातिय ...Read Moreके विरोध के बावजूद भी मोहित के परिवार वालों ने करना मंजूर कर लिया तो मोहिनी के साथ-साथ उसके सारे परिवार में खुशियों की लहर दौड़ने लगी. मगर वास्तव में मोहित के परिवार वालों ने मोहिनी और उसके परिवार को धोखा दिया था. वे किसी भी कीमत पर मोहित का विवाह एक छोटी जाति की लड़की से नहीं करना चाहते
मेरे बदन से तू बलात्कार करेगा? अभी बताती हूँ? अभी शाम का सूरज पूरी तरह से डूब भी नहीं पाया था कि, 'मदार गेट' की इस तवायफों की जुर्म और पाप से सनी गन्दी बस्ती में आकाश में उड़ते ...Read Moreतमाम भूखे गिद्धों के समान, गर्म गोश्त के सौदागर आकर टहलने लगे थे. कोठों की खिड़कियों, चकलाघरों के छज्जों और बालकनियों में सज-धज कर बैठने वाली सुंदर-से-सुंदर अपने बदन की नुमाईश लगाने वाली, बहुत-सी मजबूर और काफी कुछ अपनी मर्जी से, अपने जवान बदन को बेचकर पेट की भूख शांत करने वाली वेश्याओं ने घूमना और इठला-इठलाकर नीचे खड़े लोलुप
नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक / बारहवां भाग रोनित, मोहित और मोहिनी अस्पताल का वातावरण. कलवरी मेडीकल होस्पीटल के एक प्राइवेट कमरे में मोहिनी, घायल अवस्था में लेटी हुई छत को जैसे बे-मकसद ही निहार रही थी. अस्पताल के ...Read Moreखामोश और शांत कमरे में मोहिनी के अतिरिक्त यदि कोई था तो वह थी स्वास्थ्य मशीनों की विभिन्न प्रकार की आवाजों के साथ उन पर नीले रंग के चमचमाते हुए डिजीटल नंबर और अजीब-सी ध्वनियाँ. उसके बदन की पीठ, सीधे हाथ और दोनों पैरों में जो चोटें आई थीं उसके हिसाब से उन्हें ठीक होने में कम-से-कम पन्द्रह से बीस
नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक तेरहवां भाग *** मैं मोहित हूँ, लेकिन . . .? '?'- मोहित बड़ी देर तक मोहिनी की सिसकियों को सुनता रहा. मोहिनी भी उसके बदन से लिपट कर रोटी रही. फिर काफी देर की ...Read Moreके पश्चात मोहित ने अपने हाथ से मोहिनी का सिर धीरे-से ऊपर उठाया. उसके चेहरे, आंसुओं में डूबी उसकी गहरी-गहरी आँखों को ध्यान-से, बहुत गम्भीरता से देखा, फिर उससे कहा कि, 'मैं आपके दुःख, आपके दर्द को बहुत अच्छी तरह समझ ही नहीं रहा हूँ बल्कि हृदय की गहराई से महसूस भी कर रहा हूँ, मगर बड़े अफ़सोस के साथ
नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक / चौदहवां भाग 'हाय मर गया अम्मा' अचानक चलती हुई वायु का एक झोंका आया और चुपचाप बैठी हुई मोहिनी की बड़ी-बड़ी आँखों में धूल के महीन कण भर कर चलता बना. इस प्रकार ...Read Moreमोहिनी को अपनी साड़ी के पल्लू से आँखें साफ़ करनी पड़ गईं. उसने आँखें साफ कीं तो वे तुरंत ही लाल भी हो गईं. बड़ी देर से किसी खेत की मुंडेर पर बैठी हुई मोहिनी काफी देर से पैदल चलते हुए थक गई थी और फिर यहां आकर सुस्ताने के लिए बैठ गई थी। अपने कार्यालय से दो दिन का