Tum door chale jana book and story is written by Sharovan in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tum door chale jana is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तुम दूर चले जाना - Novels
by Sharovan
in
Hindi Love Stories
आवश्यक सूचना-
इस उपन्यास में स्थानों के नाम तो वास्तविक हैं पर इसकी कहानी और पात्र नितांत काल्पनिक हैं.
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प्रथम परिच्छेद
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'भीख माँगनेवाले की झोली में कोई दया और सहानुभूति के साथ दो पैसे डालता है, तो कोई उसमें छेद भी कर देता है- आपकी खुशियां यदि मेरे मिट जाने में ही सुरक्षित रह सकती हैं, तो फिर अब वही होगा, जो आपने चाहा है- मगर इतना अवश्य ही कहूँगा की चोट मारने के पश्चात तड़पनेवाले का दर्द नहीं पूछा जाता है किरण जी ! केवल उसके झुलसे और तबाह हुए अरमानों की लाश देखकर स्वयं को झूठी तसल्ली देने की एक कोशिश-भर ही की जाती है। उसका अन्तिम अंजाम देखा जाता है। गुजरे हुए दिनों में जब आपकी लालसा होगी, तब आपको इस सूरज के प्यार की बिखरी और उड़ती हुई राख में ना कोई चिंगारी मिलेगी और ना ही कोई शोला ! उस वक्त तक सब कुछ समाप्त हो चुका होगा। मेरा प्यार ! आपकी ताड़नायें … और शायद आपके जीने की ख्वाइश भी… '
आवश्यक सूचना- इस उपन्यास में स्थानों के नाम तो वास्तविक हैं पर इसकी कहानी और पात्र नितांत काल्पनिक हैं. ____________________________________ प्रथम परिच्छेद *** 'भीख माँगनेवाले की झोली में कोई दया और सहानुभूति के साथ दो पैसे डालता है, तो ...Read Moreउसमें छेद भी कर देता है- आपकी खुशियां यदि मेरे मिट जाने में ही सुरक्षित रह सकती हैं, तो फिर अब वही होगा, जो आपने चाहा है- मगर इतना अवश्य ही कहूँगा की चोट मारने के पश्चात तड़पनेवाले का दर्द नहीं पूछा जाता है किरण जी ! केवल उसके झुलसे और तबाह हुए अरमानों की लाश देखकर स्वयं को झूठी
जब वह मथुरा के गर्ल्स कॉलेज में एक अध्यापिका थी। अंग्रेजी विषय में उसने ‘मास्टर ऑफ आर्ट’ की उपाधि प्रपट की थी, सो कॉलेज में भी वह अँग्रेजी ही की अध्यापिका थी। इंटर कक्षाओं की युवा लड़कियों को वह ...Read Moreकरती थी। आज से लगभग ढाई वर्ष पूर्व कौन जनता था कि इतने अरसे पूर्व की कोई स्मृति उसके वर्तमान का विष बन जाएगी। कल की भूली-बिसरी बातों का महत्व उसके आनेवाली भावी जीवन की हर खुशियों पर अपना प्रभाव भी डालेगा?कॉलेज समाप्त करके तब किरण को बस पकड़ने के लिए थोड़ी दूर पैदल ही चलना पड़ता था। उसके कॉलेज
प्लूटो!कितना अच्छा था- कितना अधिक! उसके जीवन का पहला-पहला प्यार। प्यार का प्रथम अनछुआ सा अनुभव- उसका दुखदर्दों का साथी- प्लूटो। प्लूटो एक वास्तविकता। एक कठोर, कभी भी न भूलनेवाला सच, जिसके साथ वह बचपन से खेली थी। एक ...Read Moreपढ़ी भी थी। बचपन के कितने ढेरों-ढेर वर्ष उसने प्लूटो के साथ गुजार दिये थे। तब जबकि वह भरतपुर में रहती थी। आज से लगभग छ: वर्ष पूर्व। प्लूटो तब उसके घर के सामने ही रहता था। एक ही महल्ले में। प्लूटो और उसके पिता में एक अच्छी मित्रता थी। वह दोस्ती जो आज तक अचल और अटल है।किरण तब
प्लूटो के जाने के पश्चात किरण उदास हो गयी, गम्भीर भी- स्वाभाविक ही था। दिल का प्यार ही जब दिल के आँगन से दूर हो। मिलन की आस और उम्मीद में जब वियोग से वास्ता आ पड़ा हो, तो ...Read Moreका उदास होना बहुत निश्चित ही था। प्लूटो की अनुपस्थिति के कारण किरण का तो सारा संसार ही व्यर्थ प्रतीत होने लगा। दुनिया नष्ट हो गयी। स्वत: ही उसके चेहरे की सारी रंगत फीकी पड़ गयी। आशा मलिन हो गयी। आँखों में कभी भी न बोलनेवाली एक खामोशी ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। दृष्टि मानो थक सी गयी थी।
प्लूटो की दी हुई वह पीतल की चेन, क्या कुएँ के जल ने निगल ली थी कि उसके पश्चात् ही किरण के प्यार में जैसे घुन लगना आरम्भ हो गया। प्लूटो के पत्र अचानक ही आना बन्द हो गये। ...Read Moreअपनी ओर से लिख-लिखकर परेशान हो गयी, परन्तु प्लूटो ने एक भी पत्र का उत्तर नहीं दिया- नहीं दिया तो उसे अपना प्यार ही दुखी करने लगा। प्लूटो और उसके विश्वास में उसे खोट नजर आने लगी। उसके विश्वास पर वह शंकित हो गयी। सन्देह होना स्वाभाविक ही था। जो युवक उसको सप्ताह में चार-चार पत्र लिखता हो? हर पत्र