Mamta Ki Chhanv book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mamta Ki Chhanv is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ममता की छाँव. - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Women Focused
नन्हीं अंशिता अभी केवल 4 वर्ष की ही थी कि समय के बेरहम हाथों उसकी माँ आराधना का लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। एक वर्ष पहले आराधना को गले के कैंसर ने अपनी चपेट में ऐसे लिया कि फिर वह उसके चंगुल से बाहर निकल ही ना पाई।
अंतिम समय में आराधना ने अपने पति सौरभ से कहा, “सौरभ मैं तो बच नहीं पाऊंगी, अंशिता अभी बहुत छोटी है। तुम अकेले उसे संभाल नहीं पाओगे। तुम किसी गरीब घर की लड़की से दूसरा विवाह कर लेना ताकि वह यहाँ आकर ख़ुश रहे और हमारी बेटी का भी ख़्याल रखे।”
सौरभ ने आराधना के हाथ को अपने हाथों में लेकर कहा, “आराधना मैं तुम्हारा स्थान किसी और को नहीं दे पाऊंगा, इतना कहते हुए सौरभ की आँखों से आँसू टपक कर आराधना के हाथ पर गिरने लगे।”
किसी भी पत्नी के लिए अपने पति से यह कहना कि वह दूसरा विवाह कर ले, कितना दर्द भरा होता है। लेकिन हालातों से मजबूर होकर आराधना को यह कहना पड़ रहा था। उसका दिल रो रहा था, आँखें आँसुओं को छुपाने में नाकामयाब हो रही थीं। अपने पति और बेटी को इस तरह छोड़ कर जाने के दुःख में उसकी आँखों से आँसू टपक कर सौरभ के उन आँसुओं से जा मिले जो अभी-अभी उसी के हाथ पर सौरभ की आँखों से बह कर टपके थे।
नन्हीं अंशिता अभी केवल 4 वर्ष की ही थी कि समय के बेरहम हाथों उसकी माँ आराधना का लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। एक वर्ष पहले आराधना को गले के कैंसर ने अपनी चपेट में ऐसे लिया ...Read Moreफिर वह उसके चंगुल से बाहर निकल ही ना पाई। अंतिम समय में आराधना ने अपने पति सौरभ से कहा, “सौरभ मैं तो बच नहीं पाऊंगी, अंशिता अभी बहुत छोटी है। तुम अकेले उसे संभाल नहीं पाओगे। तुम किसी गरीब घर की लड़की से दूसरा विवाह कर लेना ताकि वह यहाँ आकर ख़ुश रहे और हमारी बेटी का भी ख़्याल
सौरभ की तरफ़ से जब अंजलि के लिए शादी का रिश्ता गया तब अंजलि के माता-पिता की ख़ुशी का ठिकाना ही ना था। इतना अच्छा लड़का और संपन्न घर; अंजलि के लिए कहाँ कभी उन्होंने ऐसी कल्पना की थी। ...Read Moreरिश्ते के लिए हाँ कह दिया किंतु अंजलि के मन में एक चुभन थी और वह चुभन थी अंशिता। परंतु विवाह और पति की चाह में व्याकुल अंजलि इस रिश्ते के लिए इंकार ना कर पाई। अंजलि की उदासी देखकर उसके माता-पिता ने उसे बहुत समझाया। उसकी माँ ने कहा, “अंजलि बेटा तुम्हारे भाग्य में यही है। मैं समझ सकती
अंजलि के मुँह से बार-बार बड़ी हो रही हो, शब्द सुनकर अंशिता सच में अपने आप को बड़ी समझने लगी। उसकी ज़रूरतों ने छोटी सी अंशिता को अपने ख़ुद के काम करने के लिए मजबूर कर दिया और वह ...Read Moreसीखने भी लगी। वह जामफल धोकर उसे जैसे तैसे काटती और खा लेती। अंशिता अपना स्कूल का होम वर्क, अपनी पढ़ाई, सब कुछ ख़ुद से कर लेती थी। उसे उसकी मम्मा पर बहुत विश्वास था। उसे लगता उसकी मम्मा उसे यह सब कुछ सिखाने के लिए ही तो कहती हैं। एक दिन अंशिता ने सेब को धोकर काटा और आड़ी
अंशिता को यह भी पता था कि अंजलि ने उसे बड़ा करने में अपनी पूरी ज़िंदगी खपा दी। अपनी ख़ुद की माँ के साथ बिताया एक भी पल अंशिता को याद नहीं था; लेकिन अंजलि के साथ बिताया हर ...Read Moreउसके ज़ेहन में अंकित था। बड़ी होकर वह भली-भांति यह समझती थी कि अंजलि ने कितना बड़ा त्याग किया है। वह चाहतीं तो ख़ुद भी माँ बन सकती थीं, अपने ख़ुद के बच्चे की माँ, उनका अपना खून; लेकिन बच्चे को जन्म देने का सुख उसके कारण ही उन्हें नहीं मिल पाया। उसका जीवन तो अंजलि ने एक लहलहाते वृक्ष
हिमांशु के घर पहुँचते ही सौरभ ने कार रोकी और अंशिता उतरकर उस ओर जाने लगी जहाँ से कई लोगों की सिसकियों की आवाज़ें आ रही थीं। सौरभ और अंजलि भी वहाँ आ गए। वहीं दूर लोगों से घिरा ...Read Moreहिमांशु उसे दिखाई दे गया। हिमांशु की आँखें लाल और काफ़ी सूजी हुई दिखाई दे रही थीं। अंशिता को देखते ही उसकी आँखें फिर से बरसने लगीं। अंशिता आँखों में आँसू लिए उसके पास जाकर खड़ी हो गई लेकिन उससे क्या कहे। इस समय उसके पास हिमांशु को सांत्वना देने के लिए कोई शब्द ही नहीं थे। हिमांशु ने रोते