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Mamta Ki Chhanv by Ratna Pandey | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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ममता की छाँव. by Ratna Pandey in Hindi
Novels

ममता की छाँव. - Novels

by Ratna Pandey Matrubharti Verified in Hindi Women Focused

(20)
  • 3.1k

  • 6.3k

नन्हीं अंशिता अभी केवल 4 वर्ष की ही थी कि समय के बेरहम हाथों उसकी माँ आराधना का लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। एक वर्ष पहले आराधना को गले के कैंसर ने अपनी चपेट में ऐसे लिया ...Read Moreफिर वह उसके चंगुल से बाहर निकल ही ना पाई। अंतिम समय में आराधना ने अपने पति सौरभ से कहा, “सौरभ मैं तो बच नहीं पाऊंगी, अंशिता अभी बहुत छोटी है। तुम अकेले उसे संभाल नहीं पाओगे। तुम किसी गरीब घर की लड़की से दूसरा विवाह कर लेना ताकि वह यहाँ आकर ख़ुश रहे और हमारी बेटी का भी ख़्याल रखे।” सौरभ ने आराधना के हाथ को अपने हाथों में लेकर कहा, “आराधना मैं तुम्हारा स्थान किसी और को नहीं दे पाऊंगा, इतना कहते हुए सौरभ की आँखों से आँसू टपक कर आराधना के हाथ पर गिरने लगे।” किसी भी पत्नी के लिए अपने पति से यह कहना कि वह दूसरा विवाह कर ले, कितना दर्द भरा होता है। लेकिन हालातों से मजबूर होकर आराधना को यह कहना पड़ रहा था। उसका दिल रो रहा था, आँखें आँसुओं को छुपाने में नाकामयाब हो रही थीं। अपने पति और बेटी को इस तरह छोड़ कर जाने के दुःख में उसकी आँखों से आँसू टपक कर सौरभ के उन आँसुओं से जा मिले जो अभी-अभी उसी के हाथ पर सौरभ की आँखों से बह कर टपके थे।

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ममता की छाँव. - Novels

ममता की छाँव - भाग 1
नन्हीं अंशिता अभी केवल 4 वर्ष की ही थी कि समय के बेरहम हाथों उसकी माँ आराधना का लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। एक वर्ष पहले आराधना को गले के कैंसर ने अपनी चपेट में ऐसे लिया ...Read Moreफिर वह उसके चंगुल से बाहर निकल ही ना पाई। अंतिम समय में आराधना ने अपने पति सौरभ से कहा, “सौरभ मैं तो बच नहीं पाऊंगी, अंशिता अभी बहुत छोटी है। तुम अकेले उसे संभाल नहीं पाओगे। तुम किसी गरीब घर की लड़की से दूसरा विवाह कर लेना ताकि वह यहाँ आकर ख़ुश रहे और हमारी बेटी का भी ख़्याल
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ममता की छाँव - भाग 2
सौरभ की तरफ़ से जब अंजलि के लिए शादी का रिश्ता गया तब अंजलि के माता-पिता की ख़ुशी का ठिकाना ही ना था। इतना अच्छा लड़का और संपन्न घर; अंजलि के लिए कहाँ कभी उन्होंने ऐसी कल्पना की थी। ...Read Moreरिश्ते के लिए हाँ कह दिया किंतु अंजलि के मन में एक चुभन थी और वह चुभन थी अंशिता। परंतु विवाह और पति की चाह में व्याकुल अंजलि इस रिश्ते के लिए इंकार ना कर पाई। अंजलि की उदासी देखकर उसके माता-पिता ने उसे बहुत समझाया। उसकी माँ ने कहा, “अंजलि बेटा तुम्हारे भाग्य में यही है। मैं समझ सकती
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ममता की छाँव - भाग 3
अंजलि के मुँह से बार-बार बड़ी हो रही हो, शब्द सुनकर अंशिता सच में अपने आप को बड़ी समझने लगी। उसकी ज़रूरतों ने छोटी सी अंशिता को अपने ख़ुद के काम करने के लिए मजबूर कर दिया और वह ...Read Moreसीखने भी लगी। वह जामफल धोकर उसे जैसे तैसे काटती और खा लेती। अंशिता अपना स्कूल का होम वर्क, अपनी पढ़ाई, सब कुछ ख़ुद से कर लेती थी। उसे उसकी मम्मा पर बहुत विश्वास था। उसे लगता उसकी मम्मा उसे यह सब कुछ सिखाने के लिए ही तो कहती हैं। एक दिन अंशिता ने सेब को धोकर काटा और आड़ी
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ममता की छाँव - भाग 4
अंशिता को यह भी पता था कि अंजलि ने उसे बड़ा करने में अपनी पूरी ज़िंदगी खपा दी। अपनी ख़ुद की माँ के साथ बिताया एक भी पल अंशिता को याद नहीं था; लेकिन अंजलि के साथ बिताया हर ...Read Moreउसके ज़ेहन में अंकित था। बड़ी होकर वह भली-भांति यह समझती थी कि अंजलि ने कितना बड़ा त्याग किया है। वह चाहतीं तो ख़ुद भी माँ बन सकती थीं, अपने ख़ुद के बच्चे की माँ, उनका अपना खून; लेकिन बच्चे को जन्म देने का सुख उसके कारण ही उन्हें नहीं मिल पाया। उसका जीवन तो अंजलि ने एक लहलहाते वृक्ष
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ममता की छाँव - भाग 5
हिमांशु के घर पहुँचते ही सौरभ ने कार रोकी और अंशिता उतरकर उस ओर जाने लगी जहाँ से कई लोगों की सिसकियों की आवाज़ें आ रही थीं। सौरभ और अंजलि भी वहाँ आ गए। वहीं दूर लोगों से घिरा ...Read Moreहिमांशु उसे दिखाई दे गया। हिमांशु की आँखें लाल और काफ़ी सूजी हुई दिखाई दे रही थीं। अंशिता को देखते ही उसकी आँखें फिर से बरसने लगीं। अंशिता आँखों में आँसू लिए उसके पास जाकर खड़ी हो गई लेकिन उससे क्या कहे। इस समय उसके पास हिमांशु को सांत्वना देने के लिए कोई शब्द ही नहीं थे। हिमांशु ने रोते
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ममता की छाँव - भाग 6  
अंशिता बहुत खूबसूरत थी पढ़ी लिखी थी और बैंक में कार्यरत भी थी। उसके लिए तो रिश्तों की कोई कमी नहीं थी। इसी बीच उसके लिए कई अच्छे रिश्ते आने लगे लेकिन जब भी कोई रिश्ता आता वह मना ...Read Moreदेती। एक दिन अंजलि और सौरभ ने अंशिता को पास बुलाया और फिर सौरभ ने पूछा, “अंशिता बेटा तुम हर रिश्ते के लिए बार-बार मना क्यों कर देती हो? इतने अच्छे-अच्छे रिश्ते आ रहे हैं। मना करने की कोई वज़ह मुझे तो नज़र नहीं आती।” अंजलि ने कहा, “अंशिता बेटा यदि तुम्हारे जीवन में कोई हो तो निःसंकोच बता दो।
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ममता की छाँव - भाग 7
अंशिता पहले की तरह रोज़ ही हिमांशु के घर जाती रही। उन दोनों बच्चियों को गोद में उठाती उन्हें प्यार करती। धीरे-धीरे समय व्यतीत होता गया, ये तीन माह तीन वर्ष की तरह बीते थे। अब तक सपना की ...Read Moreबच्चियों को संभाल लेती थीं लेकिन उन्हें भी अपने घर वापस लौटना पड़ा और आज घर सूना था। घर पर हिमांशु और उसके पिता के अलावा केवल काम वाली बाई विमला ही थी। हिमांशु और उसके पिता चिंतित थे कि अब क्या करें? कैसे करें? शाम का समय था तभी अंशिता उनके घर आई। हिमांशु अपने दुःखों के साथ अकेला
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ममता की छाँव - भाग 8
अंशिता का हिमांशु के सामने विवाह का प्रस्ताव रखने वाली पूरी बातचीत की भनक हिमांशु के पिता के कानों में पड़ गई। उन्होंने एक गहरी शांति से भरी साँस ली। उन्होंने बिल्कुल भी देर नहीं लगाई और ड्राइंग रूम ...Read Moreआ गए। उन्हें देखते ही अंशिता उठकर खड़ी हो गई। तब उन्होंने बैठी रहो बेटा, कहते हुए अंशिता के सर पर हाथ फिराया और फिर कहा, “यक़ीन नहीं होता बेटा भगवान दुनिया में ऐसे फरिश्ते भी भेजता है। तुम्हारी बातों को सुनकर तो यही एहसास हो रहा है। इस वक़्त हिमांशु यह निर्णय लेने में असमर्थ लग रहा है। मैं
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