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एक दुआ - 12

12

अब मम्मी को इंतजार था कि भैया जल्दी से आ जायेँ !

आज तो विशी भी चाह रही थी कि भैया जल्दी से आ जाएँ तो वो भी मजे लेकर मम्मी का बनाया खाना खाये ! अब भैया पहले जैसे नहीं लग रहे वे बदल गए हैं और उनका व्यवहार भी तो कितना अच्छा हो गया है ! अब भैया बिल्कुल अपने जैसे लगने लगे हैं ! हे ईश्वर मेरे भैया को हमेशा ही इतना अच्छा बनाए रखना ! दो तीन दिनों से मुझे डांटा भी नहीं और न ही ज़ोर से कुछ कहा ! दीदी आती हैं तो अच्छा करके ही जाती हैं ।

मौसम बहुत ही सुहावना होने लगा जून का महीना होने पर हल्की हल्की बारिश हो रही थी । साथ में सुखद हवाएँ भी बह रही थी ! घर के पास में ही जो नीम का पेड़ था उस पर न जाने कहाँ से एक गौरैया आकर बैठी थी मम्मी ने चिड़ियों के लिए जो दाना पानी रखा था वो गौरैया आकर दाना चुँगती पानी पीते फिर फुर्र से डाली पर बैठ जाती ! उस गौरैया का यूं मस्ती करना मन को मोह रहा था ! वही पर गुलाब का भी पौधा था ! लाल सुर्ख गुलाब खिले हुए थे उस पर एक तितली अपने पंख फैला कर बैठती और जरा सी आहट पर उड जाती ! कितनी प्यारी होती हैं यह गौरैया ! भोली भाली, सिर्फ दाना चुगती हैं और अपने भोलेपन से जाल में फंस जाती है और प्यारी तितली अपने सुंदर रंगों से सबका मन मोहती है ! मम्मी जरा देखो उस तितली को और गौरैया को भी ।

“तू ही देख मैं काम कर रही हूँ बहुत दिनों बाद घर के काम में मन लगा है वरना हमेशा उदास और परेशान रहता था ! आज यह सब तू ही देख ले !” मम्मी पानी का जग मेज पर रखते हुए बोली !

“ठीक है माँ ! मैं भी आपकी हेल्प करती हूँ !”

“नहीं आज तू रहने दे वैसे तो हमेशा ही करती रहती है !”

मम्मी को अकेले काम करते देखकर उनका हाथ बटाने के लिहाज से घर का दरवाजा बंद किया और अंदर आ गयी ! उसी समय दीदी का फोन आया, “मम्मी भाई घर पहुँच गया ?”

“नहीं अभी तो नहीं आया !”

“अरे वो तो उसी समय चला गया था मेरे घर पर रुका ही नहीं ! मैं फिर आऊँगा अभी घर जल्दी जाना है, यह कह कर।“

“कहाँ गया होगा ?” मम्मी परेशान हो गयी थी !

“मैं फोन करती हूँ !” विशी ने कहा !

“ठीक है बेटा !”

“दीदी आप परेशान मत हो भैया जल्दी ही घर आ जाएँगे।” विशी ने मम्मी के हाथ से फोन लेकर दीदी को समझाया ।

“विशी तू फोन करके मुझे बता नहीं तो मैं खुद फोन करती हूँ उसे !”

“मैं अभी बता रही हूँ ! आ जायेंगे भैया चिंता न करो ! हो सकता है गाड़ी में कोई प्रॉबलम आ गयी हो और वे उसे सही करने में लग गए हो !”

“हाँ तेरी बात सही हो ! ऐसा ही हुआ हो !”

“ओके दीदी मैं अभी फोन रख रही हूँ !”

“ओके !” दीदी ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया !

विशी ने भैया को फोन मिलाया लेकिन फोन बराबर स्विच ऑफ जाता रहा फिर से मिलाया लेकिन फिर भी स्विच ऑफ ! विशी का मन घबरा उठा ! क्या हुआ होगा ? कहाँ होंगे मेरे भैया ?

“क्या हुआ विशी ? क्या कहा तेरे भैया ने कि कब तक आ रहा है ?” मम्मी जो अभी तक खुशी से घर के कामों में लगी हुई थी अब बेजान सी बिस्तर पर लेट गयी थी !

मम्मी को क्या कहे ? क्या झूठ बोल दे ? नहीं झूठ बोलना सही नहीं है एक झूठ को सच बनाने में सौ झूठ बोलने पड़ते हैं ! क्या कहूँ मैं ? इसी कशमकश में थी तभी दीदी का फोन आ गया ! “विशी तेरी भाई से बात हुए ?”

“नहीं दीदी, अभी तो नहीं !”

“तू चिंता न कर ! वो अभी आ रहा है ! मम्मी को भी बोल दे मेरी अभी उनसे बात हुई है !”

“क्या सच में ?” विशी खुशी के कारण ज़ोर से बोल पड़ी ।

“हाँ भला मैं झूठ क्यों बोलूँगी ?”

“विशी क्या हुआ बोल न ?” मम्मी ने फिर विशी से कहा !

“भैया आ रहे हैं अभी ! विशी ने मम्मी को बताया !”

“दीदी भैया अभी कहाँ हैं और इतनी देर कैसे हो गयी ?” विशी ने फोन पर पूछा तब तक फोन कट गया था।

आठ बजने वाले थे और भैया अभी तक नहीं आये थे ! मम्मी और विशी परेशान हो कर कमरे में ही चुपचाप बैठी थी तभी डोर वेल बजी ! मम्मी लगता है भैया आ गए ? विशी भाग कर दरवाजा खोलने गयी ! सामने जीजू खड़े थे ! “अरे जीजू आप ? भैया कहाँ हैं ?”

“वे कार में हैं उनकी कार पेड़ से टकरा गयी थी सिर में थोड़ी चोट है बस !” फिर जीजू भैया को सहारा देकर अंदर ले आए थे ।

“मैंने डॉक्टर को दिखा कर सब चेक करा दिया है आप परेशान न हो इनको सिर्फ आराम की जरूरत है !” जीजू ने मम्मी को समझाया ।

“क्या एक्सीडेंट हुआ था कार का ?”

“नहीं भाई अपना संतुलन खो बैठे थे शायद किसी मानसिक तनाव की वजह से ?” जीजू मम्मी से बोले ।

मम्मी समझ गयी थी ! वे अपने बेटे को बहुत अच्छे से जानती थी कि शादी का तनाव ही इस दुर्घटना का कारण बना होगा इसलिए कुछ नहीं बोली बस चुप ही रही ! “बेटा आप यही रुको क्योंकि रात में जाना सही भी नहीं है और इसको भी देख लोगे !” मम्मी के स्वर में परेशानी झलक रही थी ।

“हाँ मम्मी जी मैं अभी कहीं नहीं जा रहा हूँ। सुबह निकल जाऊंगा क्योंकि ऑफिस देखना है !” पूरी रात को मम्मी ने जागते हुए ही गुजार दिया था । जीजू भी लगभग जागते ही रहे ! पूरा खाना यूं ही पड़ा रहा किसी ने खाने को हाथ तक नहीं लगाया ! कितने मन से मम्मी ने इतना सारा खाना बनाया था लेकिन किसी के मुँह में खाने का एक कौर तक नहीं गया ! न जाने किसकी नजर लगी कि सुबह को सब अच्छा था, सुख था लेकिन रात कैसा अपशगुन ले आई थी ! मम्मी समझ गयी थी ! भाई कभी शादी नहीं करेंगे ! न वो खुद खुश और सुखी होंगे न ही वो किसी को होने देंगे ! मम्मी को वैसे कितना प्यार करते हैं लेकिन जब बात शादी की आती है तो माँ का ख्याल तक नहीं आता है । खैर जो होना है उसे कौन टाल सकता है ? सच में होनी को नहीं टाला जा सकता ।

सुबह होते ही भाई को मम्मी ने चाय दी तो वे बोले, “मम्मी पहले मुझे एक गिलास गुनगुना पानी दे दो ।“ उनकी आवाज एकदम नार्मल थी और चेहरे पर भी कोई तनाव नहीं था ! वे एकदम सही लग रहे थे ! जीजू जो रात भर परेशान थे अब वे भी भैया को देख कर आश्वस्त हो गए थे।

“क्या हुआ कल ? बताओ मुझे ? रात तुम नींद और बेहोशी में थे कुछ कह भी नहीं पाये ! हाँ तुम्हारा फोन किधर है ?” जीजू ने कई सवाल एक साथ कर दिये।

“अरे जीजू आप भी दीदी की तरह हो गए ? कोई परेशान होने की बात ही नहीं थी मैं घर आ जाता !”

“हाँ घर आ जाते न खुद का होश था न ही गाड़ी और मोबाइल का ? हुआ क्या था ? बताओ मुझे ? और हाँ दीदी का नाम खराब मत करो, कल उसका दिमाग ही काम कर गया नहीं तो रात भर उसी पेड़ के नीचे पड़े सोते रहते !” जीजू ने हँसते हुए कहा ! रात भर का भारी भारी माहौल सुबह होते ही थोड़ा हल्का हो गया था ! भाई भी मुस्कुराए थे ।

“जीजू कल आते समय एक पति पत्नी को लिफ्ट दे दी थी ! वे थोड़े उम्र दार थे और उनको इधर ही आना था तो मैंने बैठा लिया था ! मुझे नहीं लगा कि यह लोग फ़्राड होंगे ! आधे रास्ते पहुंचे थे तभी उन लोगों ने चिप्स और कोल्ड ड्रिंक आफ़र की ! वे लोग भी खा पी रहे थे ! मैं मना नहीं कर पाया और थोड़ी कोल्ड ड्रिंक पी ली फिर नहीं पता क्या हुआ ? शायद उन लोगों ने इसे दुर्घटना का नाम देना चाहा होगा तभी कार को पेड़ से ठोकर मारी और मुझे जख्मी किया ! मेरा मोबाइल और पर्स लेकर चले गए ।”

“यह कहो तुमने ज्यादा कोल्ड ड्रिंक नहीं पी, नहीं तो ना जाने क्या होता ? जान है तो जहान है ! तुम सही हो गए हम लोगों के लिए यही काफी है, जाने दो मोबाइल और पर्स ! वो तो तेरी दीदी का आइडिया काम आ गया ! उसने कहा आप घर जाने वाले रोड पर कार लेकर देखते हुए जाओ और मैंने बस वही किया ।“

मम्मी के मन का वहम निकल गया था ! भैया अब पहले से नहीं रहे उनको जिंदगी का मतलब समझ आ गया था ! वे समझ गए थे कि मरने वाले के साथ मरा नहीं जाता है, जीवन चलता रहता है अपनी रफ्तार से ।

हमारे मन भी ना जाने क्या क्या सोच लेते हैं और जैसा सोचते हैं वैसा ही होने भी लगता है न जाने ऐसा क्यों होता है ! जब सुबह से मम्मी घर के कामों में लगी हुई थी तब कैसे उसका मन परेशान हो रहा था कि कहीं कुछ गलत न हो जाये, भैया इतने खुश थे, मम्मी भी बड़े मन से लगी हुई हैं कहीं इन खुशियों को किसी की नजर न लग जाये ! भैया सही से समय पर घर आ जाएँगे ? या भैया के साथ सब अच्छा हो जाएगा ? या भैया के जीवन में सच में खुशियाँ लौट आयेगी ? कितने ही इन अनसुलझे बेतुके सवालों से वो घिरी हुई थी !

फिर शाम को मम्मी ही खुद को कोसने लगी थी जब भैया ठीक समय पर घर नहीं आए थे ! कहीं भैया को कुछ हुआ न हो ? कहीं वे शादी की वजह से कुछ गलत न कर लें ? या सब कुछ मेरी वजह से ही हुआ है अगर मैं पहले ही उसकी बात मान लेती तो आज वो कई बच्चो का बाप तक होता ! उनकी खुशी दुख में बादल गयी थी ! अब वो कभी खुश नहीं होगा आदि आदि और सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा और वैसा ही होने लगा लेकिन भगवान सबको खुशियाँ देता है अच्छा वक्त देता है ! सब सही था लेकिन सोच गलत होने लगी थी !

भाई को खुश और एकदम नार्मल देख कर सबके मन की शंकाएँ खत्म हो गयी थी ! नाश्ता करने के बाद जीजू चले गए और भैया अपने काम पर चले गए थे ! विशी अपने कमरे में बैठी थी और मम्मी पूजाघर में थी उसी समय मिलन का फोन आ गया ।

 

क्रमशः