Vedas- Puranas-Upanishads Chamatkaar ya Bhram book and story is written by Arun Singla in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Vedas- Puranas-Upanishads Chamatkaar ya Bhram is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - Novels
by Arun Singla
in
Hindi Spiritual Stories
हम बचपन से ही ये सुनते आये हैं, की हमारे वेद पुराण अंग्रेज चुरा कर ले गये और उन्होंने हमारे वेद पुराण पड कर, नये- नये आविष्कार किए, अब कुछ लोग पूछते हैं, भाई उन्होंने किये तो हमने क्यों नहीं किये,उसका जवाब यह है, हमने भी किये तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, परन्तु बाद में हजारों वर्षों की गुलामी में हमे ये अवसर नहीं मिला, फिर ये सवाल अक्सर उठता है, कि वेद पुराण वास्तव में चमत्कारी हैं, या ये केवल कल्पना है ?
मेरा मत है, वैद पुराण ना केवल चमत्कारी व् विज्ञानिक दृष्टिकोण से एकदम प्रमाणित हैं, बल्कि ये मानवता की शुरुआत व् विकास की कहानी है, जिसकी मैंने जन साधारण और सरल भाषा में आप तक पहुचाने की कौशिश की है.
तो आइये पहले ये तो जान लें की आखिर वेद, पुराण श्रुति, शास्त्र, मन्त्र, उपनिषद हैं क्यां. ये जानकारी आप पहुंचाने के लिए गुरु शिष्य परम्परा का सहारा लिया गया है, जहां शिष्य यानी जिज्ञासु जो अज्ञात को जानना चाहता है,सवाल करता है व् गुरु जिज्ञासा शांत करता है, तो शुरू करते हैं:
हम बचपन से ही ये सुनते आये हैं, की हमारे वेद पुराण अंग्रेज चुरा कर ले गये और उन्होंने हमारे वेद पुराण पड कर, नये- नये आविष्कार किए, अब कुछ लोग पूछते हैं, भाई उन्होंने किये तो हमने क्यों ...Read Moreकिये,उसका जवाब यह है, हमने भी किये तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, परन्तु बाद में हजारों वर्षों की गुलामी में हमे ये अवसर नहीं मिला, फिर ये सवाल अक्सर उठता है, कि वेद पुराण वास्तव में चमत्कारी हैं, या ये केवल कल्पना है ? मेरा मत है, वैद पुराण ना केवल चमत्कारी व् विज्ञानिक दृष्टिकोण से एकदम
वेद-पुराण-उपनिषद चमत्कार या भ्रम भाग 2 गुरु : श्रुति का शाब्दिक अर्थ है, सुना हुआ. वेदों को पहले लिखा नहीं जाता था, क्योंकि तब तक कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था. इनको गुरु अपने शिष्यों को सुनाकर याद ...Read Moreदेते थे, और इसी तरह यह परम्परा आगे चलती रहती थी. तत्कालीन समाज में किसी भी नियम को पुर्ण प्रमाणिक बनाने या लागू करवाने के लिए उसे भगवान् से जोड़ देते थे. श्रुति वचन को बताया गया है कि, यह परमात्मा की वाणी है, इसे सबसे पहले परमात्मा ने ध्यानमग्न ऋषियों को उनके अन्तर्मन में सुनाया था. इस तरह
प्रश्न : ऋग वेद क्या है ? गुरु : ऋग वेद विश्व की,सभी भाषाओं में, सबसे प्राचीनतम लिखित पुस्तक है, इसलिए इसका महत्व सबसे ज्यादा है. ऋग वेद का मूल विषय ज्ञान है, इसी के आधार पर बाद में ...Read Moreशास्त्र की रचना की गई थी. ऋग वेद ने उस समय के समाज का विस्तार से वर्णन किया है, इसमें लिखे या प्रचलित शब्दों से तत्कालीन उन्नत व् समृद्ध समाज का पता चलता है. परन्तु ऐसा भी नहीं है, तब सब कुछ अच्छा ही अच्छा था, समाज में कोई बुराई नाम की चीज नहीं थी. तब भी प्रकाश के साथ
शिष्य : पध्य क्या है ? गुरु : पद्य (verse) क्या है, थोड़ा सा इस बारे में भी : पद्य में लिखने का अर्थ है, ऐसी सीधी सादी बोली या भाषा में लिखना जिसमें किसी प्रकार की बनावट ...Read Moreहो, परन्तु अक्षर, मात्रा, वर्ण की संख्या के अनुसार, लय से संबंधित विशिष्ट नियमों, का पालन करके लिखी गई रचना से है. अब आप यह कह सकते हैं, कि एक तरफ तो मै बता रहा हूँ, की ऋग वेद ऐसी सीधी सादी बोली या भाषा में लिखा गया है, जिसमें किसी प्रकार की बनावट नही है, व् दुसरी तरफ
प्रश्न: मन्त्र का क्या अर्थ है ? गुरु : मंत्र का शाब्दिक अर्थ है, मनन, चिंतन करना. किसी भी समस्या के समाधान के लिए, काफी चिंतन, मनन करने के बाद जो उपाय, विधि, युक्ति निकलती है, उसे एक सूत्र ...Read Moreपिरो देने को आमतोर पर मन्त्र कहते हैं. वेदों में किसी भी यज्ञ, स्तुति, या अन्य कोई कार्य, करने की नियमपूर्वक व विस्तारपूर्वक विधि को, संक्षिप्त करके संस्कृत में मन्त्र रूप लिख दिया जाता था, यानी कोड भाषा में लिख दिया जाता था, (किसी भी वाक्य को नियमबद्ध करके संक्षित रूप से लिखने की विधि को कोड कहते हैं) ताकि