Mannu ki vah ek raat - 24 books and stories free download online pdf in Hindi

मन्नू की वह एक रात - 24

मन्नू की वह एक रात

प्रदीप श्रीवास्तव

भाग - 24

मेरी यह दलील सुन कर चीनू एक बार फिर भड़क गया। बोला,

'‘शादी-शादी-शादी, दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा। तुम असल में मेरी शादी नहीं बल्कि अब मुझ से भी जी भर जाने के कारण पीछा छुड़ाने में लगी हो। अब तुम्हारा मतलब निकल गया है तो मुझ से बचना चाहती हो।'’

उसकी जी भर जाने वाली बात से मुझे भी गुस्सा आ गया। हां .... एक बात बताना भूल गई। उस दिन से पहले उसने मुझे कभी तुम कह कर नहीं संबोधित किया था। मगर उस दिन ऐसे बड़े अधिकार से तुम-तुम कर रहा था मानो मैं उसकी रखैल या बीवी हूं। तो उसकी बातों से गुस्से में आकर मैं भी तेज आवाज़़ में बोल पड़ी ‘पागल हो गए हो तुम! इतनी देर से समझा रही हूं मगर तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा है, जो संभव नहीं है वह करने के लिए कह रहे हो ?’

इसके पहले मैं कभी उससे इतने गुस्से में इतनी तेज आवाज़ में नहीं बोली थी। तो एक बार वह भी सकपका गया। मगर मैंने कहा न अब तक वह भी एक शातिर आदमी बन चुका था। सो कुछ ही क्षण में संभल कर बोला,

‘अगर चाची-भतीजे के बीच बरसों से शारीरिक संबंध हो सकते हैं। अगर तुम बेटे के उम्र के लड़के से मस्त हो कर संभोग कर सकती हो। अगर तुम बेटे के उम्र के लड़के से पागलपन की हद तक खेल सकती हो। एक जवान लड़के की मज़बूत बाहों में जी भर कर अपने को खेलती हो। अपने पति की आँखों में धूल झोंक कर उसी के बिस्तर पर सारे कपड़े उतार कर घंटों सेक्स का नंगा नाच नाच सकती हो तो फिर कहीं और मेरे साथ चल कर शादी क्यों संभव नहीं है। और हां फिर कौन से हम दोनों सगे चाची-भतीजे हैं, मात्र एक दोस्त के अलावा तो कुछ भी नहीं हैं। यहाँ तक कि हमारी जाति भी एक नहीं। तो फिर गलत क्या है। सिवाय इसके कि तुम मुझसे उम्र में बड़ी हो। फिर ऐसी न जाने कितनी खबरें आए दिन छपती हैं कि सगी चाची-भतीजे, मौसी-भांजे, और न जाने कौन-कौन से रिश्ते के लोग शादी कर लेते हैं तो हम क्यों नहीं ?’'

‘मगर ये बताओगे कि उन में से कितने रिश्ते सफ़ल हुए हैं। समाज में वह कहां खड़े हुए हैं। सेक्स का बुखार उतरते ही ये सब टूट कर बिखर गए हैं। ऐसा कोई रिश्ता स्थाई रहा हो मुझे तो एक भी नहीं पता। तुम्हें पता हो तो बताओ।’

'‘लेकिन हम लोगों का रिश्ता नहीं टूटेगा।'’

‘क्यों .... क्या हम दोनों इस दुनिया से अलग हैं।’

'‘शायद इसी लिए तो हम दोनों के रिश्ते इतने बरसों से चले आ रहे हैं।'’

‘रिश्ते अभी हुए ही कहां हैं ? अभी तक तो बस कुछ समय मिलते हैं अलग हो जाते हैं यह कोई रिश्ता नहीं है।’

'‘तो आखिर तुम कहना क्या चाहती हो। क्या तुम शादी नहीं करोगी।'’

चीनू का यह धमकी भरा लहजा देख कर मैं अंदर ही अंदर थोड़ा डरी लेकिन ऊपर से पूरी सख्ती दिखाती हुई बोली,

‘देखो आज तक तुम्हारे मन का सब करती रही।’

‘'मेरे मन का ? मेरे मन का तुमने क्या किया। अरे! आपको मेरे साथ मजे लेने थे तो सब अपने मन का अपने लिए किया।'’

‘चलो अच्छा अपने मन का किया मैंने। लेकिन साथ में हुआ तो तुम्हारे मन का भी न। तुम भी मेरे साथ सब कुछ करना चाहते थे। और नजरें बचा-बचा कर मेरे शरीर पर नजरें गड़ाए रहते थे। और जब मेरा शरीर मिल गया तो तुमने कौन सी कोर कसर छोड़ रखी थी, मैंने एक बार गलती की और तुमने उसका बार-बार फायदा उठाया। जब मन हुआ आकर टूट पड़े। मना करने पर मानते नहीं, एक तरह से ब्लैकमेल तक किया।’

‘'ओह! तुमने गलती सिर्फ़ एक बार की और मैं तुम्हें ब्लैकमेल करता रहा। यह झूठ है। न जाने कितनी बार तुमने खुद फ़ोन करके बुलाया। जब पहली बार मैं यहां से गुस्सा हो कर चला गया था तो तुम्हीं ने घर फ़ोन करके हालचाल लेने के बहाने संकेत दिए कि आ जाओ। कई बार मैं आया ज़रूर लेकिन मेरा मन कुछ करने का नहीं था, मगर तब पहल तुम्हीं करती रही। फिर मर्द तो मर्द ठहरा, कोई औरत उसके सामने बदन दिखाए, उसे उत्तेजित करने की कोशिश करे इस पर यदि वह उसके साथ सेक्स करता है तो इसमें मर्द की कोई गलती नहीं।

क्योंकि वह आदमी है कोई भगवान नहीं कि उस पर कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। वास्तव में तुमने सही कहा कि मैं तुम्हारे शरीर का आदी हो गया हूं और यह भी सच है कि तुमने मुझे अपने शरीर का आदी बनाया। अपने शरीर की आदत डाल दी है मुझ में। और जब आदत बना दिया और तुम्हारा जी भर गया मेरे साथ सेक्स करते-करते तो अब मुझ से छुटकारे के लिए तड़प रही हो। लेकिन मैं भी बहुत जिद्दी इंसान हूं, जो मन में आता है उसे करके ही दम लेता हूं। अगर तुम मेरे साथ चल नहीं सकती तो न सही, मैं भी कहीं छोड़ कर जाने वाला नहीं। जैसा अब तक चलता रहा है ऐसे ही चलेगा। अब मैं जब चाहूंगा तब तुम्हारे पास आकर तुम्हें रौंदुंगा। तुम कुछ नहीं कर पाओगी। शादी-वादी गई भाड़ में। अब मुझ से इस बारे में कोई बात नहीं करना।'’

इतना कह कर चीनू जाने के लिए ताव में उठ खड़ा हुआ। मुझे हर तरफ अंधेरा-अंधेरा सा दिखने लगा कि यह पागलपन में सब कुछ खोल कर रख देगा। शादी के लिए इंकार करने पर जब हर तरफ से इस पर दबाव पड़ेगा तो यह अपना पागलपन जाहिर कर देगा। मैं कांप गई अंदर तक। मैंने जल्दी से खुद को संभाला। और उठ कर बड़े अपनत्व, बड़े अधिकार से उसे दोनों हाथों से पकड़ लिया। फिर उसे करीब-करीब पूरी ताकत लगा कर बैठाया।

हां उसने प्रतिरोध भी कुछ खास नहीं किया, इससे मैं तुरंत समझ गई कि यह भी बात करने और समस्या के हल के लिए तैयार है। उसे बैठा कर मैंने कहा,

’पहले तुम शांति से कुछ देर बैठो। दिमाग को ठंडा करो। तब तक मैं चाय बना कर लाती हूं। उसके बाद बात करती हूं। मेरी इन बातों पर वह बोला कुछ नहीं बस मुंह फुलाए बैठा रहा। मैं चाय बना कर ले आई। साथ बैठ कर जब-तक चाय पी तब-तक हम दोनों में कुछ बात नहीं हुई। चाय के बाद मैंने कहा ‘सुनो चीनू एक रास्ता निकालते हैं जिससे सब ठीक हो जाए।’

'‘क्या ?’'

‘देखो बात ये है कि अभी तक तुमने केवल मुझ जैसी प्रौढ़ औरत या यूनिवर्सिटी की कुछ स्वच्छंद आचरणवाली लड़कियों के साथ केवल शारीरिक संबंध ही बनाए हैं। इन संबंधों के बीच कहीं भावनात्मक रिश्ते नहीं थे। इसलिए संबंधों में जो गहराई, जो मधुरता चाहिए वह गायब है। इसीलिए मैं कह रही हूं कि अब तुम उससे आगे का भी अनुभव लो। पति-पत्नी के रिश्ते का मजा क्या होता है। अपने परिवार, अपनी गृहस्थी क्या होती है उसको भी ज़ियो। क्योंकि जीवन का यह एक ऐसा हिस्सा है जिसे जिए बिना यह पूरा जीवन ही अधूरा है। यदि जीवन का यह हिस्सा नहीं जीया तो असली जीवन तो जीया ही नहीं, इसलिए पहले तुम जीवन को जीयो। अगर तुम्हें वह जीवन अच्छा लगे तो उसी में आगे बढ़ना। और न लगे तो छोड़ कर आ जाना मेरे पास। तब जैसा कहोगे वैसा करूंगी। मेरी बात पर ध्यान दो और अब तुम्हें बिना किसी हील-हुज़्ज़त के तुरंत शादी कर लेनी चाहिए ?’

'‘वाह! क्या फार्मूला निकाला है। ले दे कर फिर वही बात। वाकई तुम न सिर्फ़ बेहद चालाक हो बल्कि बहुत बड़ी स्वार्थी भी हो। अपने मन का करने के लिए किसी की भी बलि ले सकती हो।'’

‘अब इसमें बलि की बात कहां से आ गई।’

'‘इतनी मासूम भी नहीं हो तुम कि जो कह रही हो उसका मतलब उसका परिणाम नहीं जानती। बड़ी चालाकी से मुझे अलग करने का रास्ता बनाया। मैं शादी कर लूं और फंस जाऊं। शादी के बाद पत्नी बच्चे के चक्कर में उलझ कर रह जाऊं। और तुम इतने बरसों मुझ से ऐश करने के बाद ऊब गई तो आराम से छुटकारा पा जाओ। तुमने अपने स्वार्थ के लिए यह जो रास्ता बनाया उसके लिए जरा भी तुम्हारा जमीर नहीं जागा कि इससे एक अनजान, मासूम लड़की की ज़िंदगी बरबाद होगी। ये जानते हुए भी कि शादी के बाद जब मेरा मन उसके साथ नहीं लगेगा। मैं तुम्हारे पास लौटूंगा तो उस लड़की पर क्या गुजरेगी। उसके मां बाप भाई-बहन मेरे परिवार वाले कितने कष्ट में पड़ जाएंगे एक झटके में कितने लोगों की ज़िंदगी बरबाद होगी। अपने मन की करने के लिए अपना स्वार्थ साधने के लिए तुम एक मासूम लड़की की ज़िंदगी में आग लगाने को कितनी आसानी से तैयार हो गई।'’

‘इसीलिए कहती हूं कि तुम अभी बच्चे हो। तुम्हें ज़िंदगी की हकी़क़त का कोई अंदाजा नहीं है। इसीलिए तुमको मैं स्वार्थी और न जाने क्या-क्या लग रही हूं। मगर मैं जो कह रही हूं अपने अनुभवों अपनी जानकारी के आधार पर कह रही हूं, इस विश्वास के साथ कि इससे तुम्हारा जीवन बरबाद होने से बचेगा। तुम्हारा भविष्य बहुत अच्छा हो जाएगा।’

‘'अच्छा जरा मैं भी तो जानूं कि तुम्हारा अनुभव कैसे हमारा भविष्य बढ़िया बना रहा है।'’

‘मेरा अनुभव! मैंने दुनिया जितनी देखी जानी समझी है उसके आधार पर कह रही हूं। एक रास्ता है, जिस पर तुम चलोगे तो तीन ज़िन्दिगियाँ बरबाद होंगी। आग लग जाएगी। सब जलकर भस्म हो जाएगा। पहली तुम्हारी, दूसरी मेरी, तीसरी मेरे पति की। हां, तुम्हारा परिवार भी नहीं बचेगा। जब दुनिया को यह पता चलेगा कि तुम और मैं ऐसा कर चुके हैं तो तुम्हारे भाई-बहनों से कोई रिश्ता नहीं करेगा।

मां-बाप इन सारे अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। और तुम जो भी यह कह रहे हो कि मेरे बदन का नशा तुम पर इतना है कि तुम कुछ भी कर सकते हो, तो सुनो जब एक छत के नीचे रहोगे तो यह बेमेल संबंध बिच्छू की तरह तुम्हें डंक मारने लगेगा। तब तुम्हारे लिए कुछ न बचेगा। तब न तुम इधर आ सकोगे न उधर। दुनिया का हर कोना तुम्हें बरबाद, उखड़ा विरान लगेगा। जबकि दूसरे रास्ते पर यदि तुम चलोगे तो न सिर्फ़ तुम्हारी बल्कि बाकी सबकी ज़िन्दिगियाँ भी बढ़िया बनी रहेंगी । अभी तुम यह नहीं जानते की बीवी-बच्चे का सुख क्या होता है। जब बीवी का मधुर स्पर्श, बच्चे की किलकारी तनमन में रस घोलेगी तो तुम्हें यह रिश्ता, मेरा बदन, यह सब याद करके ही घिन आएगी। तुम तड़प उठोगे कि यह सब क्या हो गया था मुझ से।’

'‘हुंअ ..... अ .... । ये सब फालतू बकवास है चाची। वो जमाने लद गए जब लड़कियों के स्पर्श में पवित्रता की ऐसी गर्मी होती थी कि बिगड़ा से बिगड़ा पति भी उसके आगे नजरें झुका लेता था। मैंने खुद अपने ताऊजी को देखा है। घर ही नहीं आस-पास के गांव के लोग भी उनसे थर्राते थे। सबसे दबंग प्रधानों में उनकी गिनती होती थी। लेकिन वही ताऊजी ताईजी के सामने आते ही न जाने क्या होता कि एकदम सीधे रहते । ताई बोल दें कि यह काम होना है तो हिम्मत थी कि वह न कर दें। लेकिन ताईजी भी ताऊ को जुखाम भी हो जाए तो समझो दुनिया एक कर देती थीं। तब उनके स्पर्श के सामने ताऊजी नहीं बोल पाते थे।

मगर आज की लड़कियों में इतनी गर्मी, समर्पण, पवित्रता कुछ भी नहीं है। शादी के पहले ही दस खसम करके आती हैं। यूनिवर्सिटी में जब मैं था तो खुद कितनी लड़कियों के बारे बता चुका हूं तुम्हें। कोई चार दिन इस लड़के के साथ मौज-मस्ती करती है तो चार दिन उसके साथ। जिसको मैं एक बार यहां लेकर आया था। वह मेरे से पहले और बाद भी न जाने कितने लड़कों के साथ मस्ती करती रही। कुछ तो ऐसी भी रहीं जो एक साथ कई-कई लड़कों के साथ मस्ती करतीं। मैंने खुद ऐसा कई बार किया। और आज भी उस लड़की की बात भूलता नहीं। जब एक लड़के ने उसकी ठुकाई करने के बाद कहा,

‘अबे बड़ा दम है तुममें। पांच-पांच को निचोड़ लिया और चेहरे पर शिकन तक नहीं।’

तो वह बोली थी।

‘जस्ट फ़न यार, अभी तो तेरे जैसे पांच और फुग्गों को निचोड़ सकती हूं।’

तो ऐसी लड़कियों से उम्मीद करती हो कि वो काया पलट देंगी।'’

‘तुम सही कह रहे हो, ऐसी लड़कियां कुछ नहीं कर सकती। लेकिन सच तो यह है कि सब ऐसी नहीं होतीं । बीस-पचीस परसेंट ही होती हैं ऐसी। इसलिए ये बात अपने दिमाग से निकाल दो। नहीं तो फिर देहात की कोई लड़की हो उससे शादी करो। पढ़ी-लिखी काम भर की तो वहां भी मिल जाएंगी।’

'‘हं .... अ .... देहात में कौन सी पाक-साफ हैं सब। फ़िल्म, टीवी देखदेख कर वहां तो और भी पगलाई हैं सब।

ताऊजी का लड़का ही न जाने कितनी लड़कियों के साथ ऐश करता रहता है। जब मैं जाता हूं गांव तो कई बार उसने कई लड़कियों से मौज मस्ती करवाई। वो भी ट्यूबवेल पर। एक बार तो नदी में, जिसमें केवल बारिश में ही पानी रहता है। जब जगह नहीं मिली तो उसके पुल के नीचे ही सब कुछ किया। गांव के लेखपाल की लड़की थी। जिसका काफी समय से वह मजा ले रहा था। उस दिन मुझे सामने देख कर उसने पहले नखरे दिखाए, पर कुछ ही देर में मान गई। फिर ऐसे सब कुछ किया उसी पुल के नीचे कि क्या बताऊं।'’

‘भइया तुम्हारी मानें तो दुनियां में सारी लडकियां एक सी हैं। तब तो कोई लड़का-लड़की शादी ही नहीं कर सकता। क्योंकि यदि सारी लड़कियां ऐसी हैं तो सारे लड़के भी तो ऐसे ही हैं।’

‘तो गलत क्या कहा मैंने?जो दुनिया मैं देख रहा हूं वही बता रहा हूं। कोई फेंक नहीं रहा हूं।'‘

‘ठीक है तुम जो बता रहे हो वह सच है। लेकिन कुल सच का वह एक पक्ष मात्र है। कुल का कुछ प्रतिशत है बस’

'‘अच्छा .... ।'’

‘हां सच का संपूर्ण पक्ष यह है कि यदि पचीस प्रतिशत लड़कियां गलत हैं तो उतने ही लड़के भी। क्योंकि जब लड़के साथ होते हैं तो तभी लड़कियां गलत करती हैं। तुम ये बात दिमाग से निकाल दो कि सब एक सी होती हैं। और फिर तुम्हें तो इस बात पर ज़्यादा ध्यान देना ही नहीं चाहिए। जिस लड़की के साथ इमोशनली जुड़ोगे फिर उसके बाद दिमाग में ये बातें आएंगी नहीं, और फिर मेरे साथ जब संबंध बनाते हो तब तो यह सब नहीं कहते। आखिर तुमसे पहले इनके साथ मेरे संबंध बराबर बने हुए हैं। अब तुम मेरे साथ जीवन भर साथ रहने की बात करते हो। तुम अपने मन का भ्रम दूर करो। किसी की बात में या किसी संकोच में न आओ। अपनी मनपसंद लड़की से शादी कर लो पहले दिन से ही सब ठीक हो जाएगा।’

'‘मनपसंद-मनपसंद बात कर रही हैं। मैं कह रहा हूँ कि मेरे मन की कोई लड़की नहीं है।'’

‘अरे! कैसी बात कर रहे हो। ऐसी कैसी लड़की चाहते हो कि इतनी बड़ी दुनिया में तुम्हारे मन की कोई लड़की ही नहीं है।’

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