Pariyo Ka ped book and story is written by Arvind Kumar Sahu in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pariyo Ka ped is also popular in Children Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
परियों का पेड़ - Novels
by Arvind Kumar Sahu
in
Hindi Children Stories
परियों का पेड़ (1) राजू एक लकड़हारे का बेटा था | उसके पिताजी जंगल से पेड़ काटकर लकड़ियाँ लाते | फिर उन्हें बाजार में बेच देते | उसकी माँ लकड़ियों से ही कुछ खिलौने भी बना लेती थी, जिसे बेचकर कुछ अतिरिक्त आमदनी हो जाती | इसी व्यवसाय से उसके परिवार का खर्च चलता था | राजू भी कभी – कभार अपने पिता के साथ जंगल में घूमने जाता | हरा – भरा जंगल उसे बहुत अच्छा लगता था | पहाड़ियों पर फैले जंगल में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी पड़ी थी | विभिन्न प्रजातियों के रंग बिरंगे फूल, अनेक
परियों का पेड़ (1) राजू एक लकड़हारे का बेटा था | उसके पिताजी जंगल से पेड़ काटकर लकड़ियाँ लाते | फिर उन्हें बाजार में बेच देते | उसकी माँ लकड़ियों से ही कुछ खिलौने भी बना लेती थी, जिसे ...Read Moreकुछ अतिरिक्त आमदनी हो जाती | इसी व्यवसाय से उसके परिवार का खर्च चलता था | राजू भी कभी – कभार अपने पिता के साथ जंगल में घूमने जाता | हरा – भरा जंगल उसे बहुत अच्छा लगता था | पहाड़ियों पर फैले जंगल में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी पड़ी थी | विभिन्न प्रजातियों के रंग बिरंगे फूल, अनेक
परियों का पेड़ (2) माँ ! तुम कहाँ गयी ? घर के पास राजू की गुहार सुनते ही कुछ पड़ोसी दौड़ते हुए आए | पूछने लगे – “अरे बेटे ! क्या हुआ ? क्या हुआ ?? इस तरह रो ...Read Moreरहे हो ?” लेकिन राजू तो सिर्फ रो रहा था, रोये ही जा रहा था | घबराहट में रोने के अलावा और कुछ बता ही नहीं पा रहा था | संयोगवश अब तक राजू के पिता भी जंगल से लौटकर आ गए थे | गाँव वालों की भीड़ और उनके बीच घिरे राजू को इस तरह रोता देखकर उन्हें भी
परियों का पेड़ (3) कहानी फूलपरी की “बहुत पहले की बात है | हिमालय पर्वत की घाटियों में फूलपुर नामक एक राज्य था | उस राज्य में फूलों जैसी सुंदर और कोमल एक राजकुमारी भी थी | वह बहुत ...Read Moreपरोपकारी और दयालु थी | उसे रंग - बिरंगे फूलों और बच्चों से बहुत प्यार था | उसका मानना था कि बच्चे भी फूलों की तरह ही कोमल और सुन्दर होते हैं | वह प्रतिदिन अपने राज्य के अनेक गांवों में घूमने जाती | वहाँ खाली पड़ी जमीन पर रंग – बिरंगे, सुन्दर और सुगन्धित फूलों के बीज बिखराती |
परियों का पेड़ (4) परी की खोज में .........और जानते हो राजू ! हजारों वर्ष बाद भी हिमालय के ऊँचे पहाड़ों के बीच स्थित वह घाटी आज भी वैसे ही रंग –बिरंगे फूलों से सारी दुनिया को आकर्षित कर ...Read Moreहै | वहाँ के लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि उस विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में वह फूलपरी किसी न किसी अच्छे बच्चे को आज भी दिख जाती है | उसी सुन्दर स्वरूप में, जिसका चेहरा सुन्दर राजकुमारी जैसा और विशाल पंख रंगीन तितली के जैसे दिखते हैं |” “क्या .......???” – राजू आश्चर्य से मानो चीख पड़ा
परियों का पेड़ (5) ममता की चाह लेकिन उसके पिताजी आगे कहते जा रहे थे – “फिर यह भी तो है कि तुम उस भयानक जंगल में कैसे जा सकते हो ? तुम सचमुच में वहाँ जाने की कभी ...Read Moreभी मत करना | अकेले तो एक सीमा से आगे जाने की मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ती, जबकि मेरी बड़ी सी कुल्हाड़ी मेरी सुरक्षा के लिए हमेशा मेरे साथ होती है | तुम तो अभी छोटे से बच्चे ही हो |” - “ओह बापू ! तब तो मैं उस पेड़ तक कभी नहीं जा पाऊँगा ?” “हाँ, तुम ऐसा करने