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नैना अश्क ना हो... - Novels
by Neerja Pandey
in
Hindi Love Stories
नैना अश्क ना हो.…...…........नैनों में समन्दर आंसू काहृदय में हाहाकार हैक्या कोई समझेगा मेरी पीड़ा कोउनके लिए तो व्यापार हैंसर्वस्व न्यौछावर किया देश पेइसका मुझको अभिमान हैकरके दफन अपनी जख्मों कोपूरे अपने फर्ज करूकष्ट ऊठाऊं चाहे जितनाहर जनम तुम्हरा वरण करूंहर जनम तुम्हरा वरण करू। ये कहते हुए नव्या की आंखें से आंसुओं का वेग रोके नहीं रुक रहा था । जब ये शब्द नव्या ने वीरता पुरस्कार ले कर सभी के कुछ कहने के अनुरोध पर ये लाइनें कहीं। वहां कोई ऐसा नहीं बचा था जिसकी आंखों में आंसू ना हो। शब्दों में अपने मैं
नैना अश्क ना हो.…...…........नैनों में समन्दर आंसू काहृदय में हाहाकार हैक्या कोई समझेगा मेरी पीड़ा कोउनके लिए तो व्यापार हैंसर्वस्व न्यौछावर किया देश पेइसका मुझको अभिमान हैकरके दफन अपनी जख्मों कोपूरे अपने फर्ज करूकष्ट ऊठाऊं चाहे जितनाहर जनम तुम्हरा ...Read Moreकरूंहर जनम तुम्हरा वरण करू। ये कहते हुए नव्या की आंखें से आंसुओं का वेग रोके नहीं रुक रहा था । जब ये शब्द नव्या ने वीरता पुरस्कार ले कर सभी के कुछ कहने के अनुरोध पर ये लाइनें कहीं। वहां कोई ऐसा नहीं बचा था जिसकी आंखों में आंसू ना हो। शब्दों में अपने मैं
Part -2 शाश्वत ने अपने पिता को एक अजीब सी दुविधा में डाल दिया था। अगर वो बेटे की इच्छा का मान रखते हैं, तो समाज में क्या प्रतिष्ठा रह जाएगी? ...Read Moreकैसे सामना करेंगे समाज से मिलने वाले तानों का ? अभी कुछ समय पहले ही उनके साथ काम करने वाले सिन्हा जी के बेटे ने साथ पढ़ने वाली यादव जी की पुत्री से विवाह कर लिया था। बेशक दोनों खुश थे परन्तु, उस समय बहुत चर्चाएं हुई थी। हर किसी की जुबान पर उन्हीं की बातें रहती थी। पूरा घटनाक्रम उन्हें याद आ गया। फिर उन्होंने सोचा
उस दिन पापा ने बार बार शाश्वत से पूछा बताओगे कि क्या करूं ? पर वो कुछ भी नहीं कह पाया । किसी को भी कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाए ? जब दोपहर में नव्या ...Read Moreबात हुई तो शाश्वत ने कहा कि तुम अपने पापा को मेरे यहां भेजो पर वो साफ मुकर गई। ना! बाबा ! ना मेरी हिम्मत नहीं है ,कि मैं पापा या मम्मी से बात कर सकूं । शाम को सब ने मिलकर ये फैसला किया कि नव्या के मम्मी- पापा को फोन कर यहां खाने पर बुलाया जाए। फिर उसी समय बात की
उधर शाश्वत की पोस्टिंग उधमपुर केआर्मी बेस के किश्तवाड़ में थी"। घर से आने के बाद उसे कुछ समय लगा यहां के परिवेश में ढलने में , पहाड़ों के बीच का अनुभव अब काम आ रहा था । बाॅर्डर ...Read Moreहोने के कारण सेना की एक टुकड़ी हमेशा अलर्ट मोड में रहती थी। लगातार गश्त पर जाना होता था । यहां मोबाइल नेटवर्क भी नहीं आता था। कभी कभी ही ऐसा होता जब नेटवर्क आता और तभी घर पे बात हो पाती थी । इधर नव्या भी हमेशा मोबाइल अपने हाथ
आर्मी हेडक्वार्टर से तड़के सुबह करीब चार बजे रहे होंगे कि आया । सारे लोग सो रहे थे । नव्या ने काफी देर रात तक पढ़ाई की थी इसलिए वो गहरी नींद में सो रही थी। फिर फोन ...Read Moreचीखती हुई आवाज उसके कानों में पड़ी" वो अनमनी सी हो गई की सुबह-सुबह ही किसका फोन आ गया" पर रात में गश्त पर जाने से पहले शाश्वत की काॅल आई थी किन्तु कुछ ही देर में डिस्कनेक्ट हो गया था । इस वजह से उसे लगा कि शाश्वत अब गश्त से वापस लौट आए होंगे और उन्होंने हीं फोन किया होगा । वो