naina ashk na ho - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

नैना अश्क ना हो... - भाग -2

उस दिन पापा ने बार बार शाश्वत से पूछा बताओगे कि क्या करूं ?
पर वो कुछ भी नहीं कह पाया । किसी को भी कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाए ? जब दोपहर में नव्या से बात हुई तो शाश्वत ने कहा कि तुम अपने पापा को मेरे यहां भेजो पर वो साफ मुकर गई।
ना! बाबा ! ना मेरी हिम्मत नहीं है ,कि मैं पापा या मम्मी से बात कर सकूं ।
शाम को सब ने मिलकर ये फैसला किया कि नव्या के मम्मी- पापा को फोन कर यहां खाने पर बुलाया जाए। फिर उसी समय बात की जाएगी ।
शांतनु जी ने शाश्वत से बोला कि नव्या के पापा को फोन मिला कर दे । शाश्वत ने नंबर मिला कर फोन पापा को पकड़ा दिया ।
उधर से हैलो बोलने पर,
शांतनु जी ने अपना नाम बताया और कहा आपने सुना ही होगा कि शाश्वत अपनी ट्रेनिंग पूरी कर के आ गया है । मैं इसी खुशी में "आप सबको कल दोपहर के खाने पर बुलाना चाहता हूं" । कल रविवार है और आप की भी छुट्टी रहेगी।
" आप सभी कल आइये" । कुछ समय दोनों परिवार साथ में बिताएंगे । नव्या के पापा ने भी हां कर दी । फोन रख कर शांतनु जी बोले भई मैं ने आमंत्रित कर दिया है; और नवल जी ने भी हां कर दी है। अब तुम तैयारी कर लो ।
शाश्वत की मां ने कहा, ठीक है आप परेशान ना होइये "मैं समय से पहले सारी तैयारी कर लूंगी "।
सुबह से ही शाश्वत और साक्षी मां के साथ तैयारी में व्यस्त थे ।

मां ने ढेर सारी चीजें बना डाली थी ।
तय समय पर नवल जी ,नव्या और उसकी मम्मी के साथ आ गए । कुछ देर तक तो हल्की - फुल्की बातें होती रही , फिर शांतनु जी बोले -

अरे !"भाई बात ही करती रहोगी "या इन्हें खाना भी खिलाओगी ।
शाश्वत की मां उठकर खड़ी हो गई हां !हां !अभी परोसती हूं चल साक्षी बेटा मेरे साथ तू , वो साक्षी को लेकर जाने लगीं तो नव्या भी उठ खड़ी हुई आंटी मैं भी चलती हूं । इसपर शांतनु जी ने तुरंत ही कहा नहीं ! नहीं! बेटा तुम रहने दो ।


" नव्या की मम्मी ने भी उसे रोक लिया "क्योंकि , उन्हें पता था शांतनु जी किसी का रसोई में जाना पसंद नहीं करते हैं। शाश्वत की मां ने घूरकर प्रश्न वाचक नज़रों से देखा । जिसे तुरन्त ही, वो समझ गए ।
बोले हां! हां! नव्या तुम भी जाओ खाना लगाने में मदद कर दो । ये सुन कर नवल जी और उनकी पत्नी विस्मित रह गए। भोजन बेहद स्वादिष्ट था। सबने मन से खाया ।
सब आपस में बैठकर बातें कर रहे थे।
नव्या साक्षी और शाश्वत के साथ खूब इन्ज्वाॅय कर रही थी। शांतनु जी ने अब हौसला कर बात करने की सोची और कहा नवल जी मैंने एक खास मकसद से आप सब को बुलाया है । नवल जी बोले हां हां शांतनु जी कहिए । बात ऐसी है कि नव्या और शाश्वत दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं । आप की क्या राय है । नवल जी को शक तो था पर बात यहां तक बढ़ जाएगी इसका उन्हें अनुमान न था । वो अचानक इस बात की चर्चा करने से असहज हो गए, और नव्या को प्रश्न पूर्ण नज़रों से देखने लगे। नव्या ने निगाहें नीचे झुका ली । अपने आप को संयत कर थोड़ी देर बाद वो बोले मुझे इस बात का पता नहीं था । नव्या क्या ये सच है ? नव्या डरते डरते धीरे से बोली जी पापा । नवल जी बोले देखिए शांतनु जी शाश्वत बहुत ही संस्कारित है मुझे उसको अपनाने में कोई परेशानी नहीं है पर हमारे समाज में क्या स्वीकृति मिलेगी । शांतनु जी बोले यही समस्या तो हमारे साथ भी है ।पर जब हमारे बच्चे हीं खुश नहीं रहेंगे तो समाज को लेकर हम क्या करेंगे।
नवल जी बोले ठीक ही कह रहे हैं आप। इसके पश्चात सभी ने मिलकर बात चीत कर शादी का मुहूर्त निकालने का निर्णय किया । सबसे करीब एक महीने बाद का मुहूर्त निकला । नव्या के पापा धूम धाम से शादी करना चाहते थे । परंतु शाश्वत और नव्या की जिद्द थी कि कोई भी दिखावा नहीं करना है ।हम बिल्कुल साधारण से कार्यक्रम मे शादी करना चाहते हैं ।
तय शुभ मुहूर्त पर कुछ बेहद करीबी रिश्तेदारों की उपस्थिति में नव्या और शाश्वत की शादी हो गई । नव्या इकलौती औलाद थी मम्मी पापा को उसे विदा करना बहुत मुश्किल था, परंतु जो जग की परंपरा है उसे तो निभाना ही था ।नव्या बहू बनकर शाश्वत के घर आ गई । पूरे घर में जैसे रौनक आ गई हो ।नव्या जब साड़ी में लिपटी और पायल छनकाती हुई सुबह सुबह शाश्वत के मम्मी पापा के पांव छूती तो वो निहाल हो जाते । आशिर्वाद की झड़ी लगा देते । शांतनु जी के मन में नव्या के ठाकुर होने का खटका बहुत जल्दी ही निकल गया। तीन महीने की छुट्टी के बाद शाश्वत को पोस्टिंग पर जाना था । वो भी चाहता था कि नव्या उसके साथ चले परंतु सीमा पर तैनाती होने की वजह से उसे नहीं ले जा सकता था । समय पंख लगा कर उड़ रहा था । जाने का दिन भी आ गया । भारी मन से शाश्वत ने सबसे विदा
लिया नव्या के मम्मी पापा भी आए थे शाश्वत को मिलने । उनकी इच्छा थी कि शाश्वत तो चला जा रहा है नव्या को अपने घर विदा करा ले । इन कुछ दिनों में ही नव्या ने शाश्वत के मम्मी - पापा के दिल में जगह बना ली थी । उसे भेजने की इच्छा तो शांतनु जी की भी नहीं थी , पर उन्होंने नव्या पर निर्णय छोड़ दिया । नव्या ने ये कहते हुए मना कर दिया कि शाश्वत के ना रहने पर उसकी जिम्मेदारी है कि मम्मी - पापा की देखभाल करना इसलिए वो नहीं जाएगी । उसके इस फैसले से जहां शाश्वत को अपने प्यार पर गर्व हुआ।
वहीं शांतनु जी भी सोच रहे थे कि मैं ने रिश्ते के लिए हां कर के कोई गलती नहीं की है । उन्होंने कितने ही लड़कियों को देखा था जो अपने पति के जाने के बाद फौरन ही मायके का रुख कर लेती थीं ।
शाश्वत के जाने के बाद घर में सन्नाटा सा फ़ैल गया था । नई नवेली दुल्हन नव्या पति के जाने से उदास हो गई थी । साक्षी बिल्कुल परछाई की तरह उसके साथ रहती। पापा और मां भी उसके दिलजोई का प्रयास करते रहते ।
शांतनु जी ने नव्या का अकेलापन दूर करने के उद्देश्य से उसको आगे पढ़ने को प्रेरित किया ।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक कोचिंग सेंटर में नामांकन करवा दिया । अब नव्या का समय आराम से कटने लगा वो सुबह मां के साथ मिलकर नाश्ता बनाने के बाद कोचिंग चली जाती । शाम को जब आती तो आराम करती और कुछ खाने-पीने के बाद रात की तैयारी में मां की मदद में जुट जाती। वो कितना मना करती कि नव्या तू रहने दे बेटा थक गई होगी। पर वो न मानती नहीं मां मुझे आपकी मदद करना अच्छा लगता है ।







..........आगे पढें अगले भाग में...!!🙏🙏