Yaarbaaz book and story is written by Vikram Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Yaarbaaz is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
यारबाज़ - Novels
by Vikram Singh
in
Hindi Moral Stories
यारबाज़ विक्रम सिंह (1) उन तमाम बेरोजगार वह कलाकार साथियों को जो अपनी मंजिल ना पा सके जिसके वे हकदार थे युवा कथाकार विक्रम सिंह ने हाल के वर्षों में हिंदी कहानी लेखन में अपनी एक सशक्त पहचान कायम की है। यह बहुत खुशी की बात है कि वे मुंजाल शोवा कंपनी से जुड़े हुए हैं अौर कंपनी में अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाह करते हुए साहित्य रचना के माध्यम से भी समाज को दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। वे कथा लेखन के माध्यम से हमेशा नये सामाजिक अनुभवों अौर समाज तथा जीवन से जुड़े ऐसे प्रश्नों को लेकर सामने आते हैं,
यारबाज़ विक्रम सिंह (1) उन तमाम बेरोजगार वह कलाकार साथियों को जो अपनी मंजिल ना पा सके जिसके वे हकदार थे युवा कथाकार विक्रम सिंह ने हाल के वर्षों में हिंदी कहानी लेखन में अपनी एक सशक्त पहचान कायम ...Read Moreहै। यह बहुत खुशी की बात है कि वे मुंजाल शोवा कंपनी से जुड़े हुए हैं अौर कंपनी में अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाह करते हुए साहित्य रचना के माध्यम से भी समाज को दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। वे कथा लेखन के माध्यम से हमेशा नये सामाजिक अनुभवों अौर समाज तथा जीवन से जुड़े ऐसे प्रश्नों को लेकर सामने आते हैं,
यारबाज़ विक्रम सिंह (2) फिर एक कमांडर जीप आकर वहां रुकी। कमांडर जीप के रुकते ही लोग बची-खुची सीट पर बैठने लगे। कमांडर का खलासी और ड्राईवर दोनों भी कमांडर से उतर कर बाहर यात्रियों को ठूस ठूस कर ...Read Moreमें बैठाने की कोशिश करने लगे। श्यामलाल ने भी मुझे पीछे वाली सीट पर बैठा दिया और खुद बाहर खड़ा रहा। मेरे बैग को ऊपर कमांडर जीप पर रख दिया। जब मैंने श्यामलाल से कहा कि "तुम भी बैठ जाओ ।" तो श्यामलाल ने कहा,"बैठ जाता हूं" पर जैसे ही कमांडर स्टार्ट होकर आगे बढ़ी तो श्यामलाल लोहे की रॉड पकड़कर
यारबाज़ विक्रम सिंह (3) फिर राकेश ने श्याम से कहना शुरू किया," श्याम! नेता राहुल आया था। कह रहा था कि कुछ राजपूत लड़कों ने हमारे पार्टी के मोहन यादव भाई को घेर कर मारा है। उन्होंने हम सब ...Read Moreबुलाया है। हमें भी इसका बदला लेना है।" श्याम दबंगई से बोला, "हां ,तो ठीक है मार का बदला मार होगा।" राकेश भी बोला, "ठीक कहे तुम यार!" फिर श्याम एकदम से बात को पलटते हुए बोला था,"दौरी के लिए मजदूर मिले कि नहीं। मां मजदूर के लिए चिल्ला रही थी।" "उसी के लिए जा रहा हूं। अच्छा मित्र!अब मैं जाता
यारबाज़ विक्रम सिंह (4) श्याम बोलते जा रहा था, चाचा सब सोचते हैं। पापा ने जो जमीन खरीदी है उन सब में उनका भी हिस्सा बनता है, क्योंकि उन सब ने इतने दिन जमीन की देखभाल की है ...Read Moreवह यह नहीं सोचते हैं कि उल्टा उन लोगों को पापा का एहसान मानना चाहिए जो अपने खेत में खेती करने दिया और उसके बदले कभी कुछ नहीं मांगा। बात इतनी आगे बढ़ गई कि पापा ने एक अलग घर बना लिया। उसमें भी प्लास्टर का काम बाकी है। देख रहे हो। वैसे तो गांव में दादाजी के घर पर पापा का
यारबाज़ विक्रम सिंह (5) खुराक एक छोटा सा बाजार था। बाजार में बहुत ज्यादा दुकानें तो नहीं थी बस एक आध फर्नीचर की दुकान ,खाद की दुकान , किराना की दुकान, होलसेल कपड़े की दुकान थी। बाजार में ज्यादातर ...Read Moreको ही भीड़ होती थी। दोपहर के वक्त तो नाम मात्र के लोग ही होते थे। खुरहट बाजार के आसपास के कई गांव थे। थोड़ा हटके के पास ही केसारी गांव की पढ़ता था। केसारी गांव में ही अमरनाथ नाम का लड़का भी रहता था। अमरनाथ के पिता दुबई में नौकरी करते थे। वह साल भर में एक बार ही आते