धर्म और राजनीति

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सांझ का झुटपुटा हो चला था।सत्संग चल रहा था। शिष्यों और श्रद्धालुओं की उस छोटी सी भीड़ के बीच ऊंचे आसन से, धर्मगुरु जीवन की शिक्षा दे रहे थे।प्रश्नोत्तरी का दौर चल ही रहा था कि धरती हिलने लगी। लोगो को महसूस हुआ कि भूकम्प आया है। जो जहां था, जैसा था उठकर एक तरफ भाग चला। अफरातफरी मच कई। हर कोई उस पुराने जर्जर भवन से भागकर कहीं दूर सुरक्षित हो लेना चाहता था। गुरु अविचल थे। आंखें मूंद ली और ध्यानस्थ हो गए। ●●कुछ देर तक भूकम्प का रेला चला, और फिर सब थम गया। लोगों ने चैन