हमने दिल दे दिया - Novels
by VARUN S. PATEL
in
Hindi Women Focused
हमारी कहानी में वर्णित किए गए सभी पत्रों, जाती एवं जगह के नाम काल्पनिक है इसका किसी जगह या नाम से मेल होना संजोग मात्र है | हमारी कहानी मनोरंजक तौर पे लिखी गई है जो किसी भी धर्म या जाती का अपमान नहीं करती | हमारी कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि एक सोच है जो पुरे समाज को बदलने की ताकत रखती है जिसे आज में आपके बिच रख रहा हु अगर आपको यह सोच सही लगती है तो इसे समाज के हर एक लोगो के पास पहुचाने में सहयोग करे |
शुरुआत |
में दिव्या, में कहानी का वो किरदार हु या यु कहो की यह जो ऐतिहासिक घटना गुजरात के जनमावत तालुके के नवलगढ़ गाव में घटित हो रही है उसकी जड़ हु में | मुझे भी अभी आप ही की तरह कुछ समझ नहीं आ रहा की हो क्या रहा है | मुझे जो दिख रहा है और महसुस हो रहा है वो कुछ इस तरह का है |
सोच के गुलाम अंक १ हमारी कहानी में वर्णित किए गए सभी पत्रों, जाती एवं जगह के नाम काल्पनिक है इसका किसी जगह या नाम से मेल होना संजोग मात्र है | हमारी कहानी मनोरंजक ...Read Moreपे लिखी गई है जो किसी भी धर्म या जाती का अपमान नहीं करती | हमारी कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि एक सोच है जो पुरे समाज को बदलने की ताकत रखती है जिसे आज में आपके बिच रख रहा हु अगर आपको यह सोच सही लगती है तो इसे समाज के हर एक लोगो के पास पहुचाने
सुबह होते ही उन लडको की लाशो को अपने अपने घर आत्म हत्या का बहाना कर के पंहुचा दी जाती है | जिले का हर एक आदमी जानता था की उन लडको ने आत्म हत्या नहीं की है उनको ...Read Moreजादवा ने मार डाला है पर किसी में इतनी हिम्मत कहा की वो आकर मानसिंह जादवा के खिलाफ खड़ा हो सके क्योकी की यहाँ का कानुन भी मानसिंह जादवा की गुलामी करता था और तलवे चाटता था | वो बरगद का पेड जिसने एसे कई सारे किस्से और घटनाये देखी है जहा दानव ने सच्चाई को परेशान किया
अंश के साथ झगडे की बात लेकर मानसिंह जादवा का कार्यकर्ता जादवा सदन पहुचता है जहा पर मानसिंह जादवा और विश्वराम केशवा हाजिर थे और दोनों मिलकर कुछ फाइल्स देख रहे थे | कार्यकर्ता जादवा सदन में आकर वहा ...Read Moreमें जो भी हुआ वो सबकुछ मानसिंह जादवा को बताता है | हम ठीक जो भी हुआ सही नहीं हुआ है वो जो कोई भी है उसे ढूढो और हमारे सामने हाजिर करो हम उसको दंडित करेंगे ... मानसिंह जादवा ने उस कार्यकर्ता से कहा | कार्यकर्ता अंश को पहचानता नहीं था और विश्वराम और
रोड से लगभग ६० मीटर बहार वीर की कुचली हुई कार पड़ी थी जिसमे वीर की लाश थी और आसपास कई लोगो की भीड़ खड़ी हुई थी | बहुत से लोग इस दृश्य को देखकर सोच रहे थे और ...Read Moreअनुमान लगा रहे थे की यह अकस्मात कैसे हुआ होगा और बहुत से लोग इस अकस्मात का वीडियो अपने मोबाइल में बना रहे थे सोसीअल मिडिया पे किसी दुसरे लोगो को भेज रहे थे | आज की यही हकीक़त है की लोग अपने आप-पास हो रही सारी घटनाओ को एक दुसरे से बाटना चाहते है पर कोई
अंक ५श्रध्धांजली एक औरत पे हो रही अत्याचारों की मार आज अंश ने पहली बार देखी थी और यह देख कर उसके अंदर उदासीनता का वातावरण फेल चूका था जिसे समेटकर अपनी आखो में आशु लिए अंश ...Read Moreरात को अकेला अपने घर आता है और अपने आप को एक कमरे में केद कर लेता है और जाकर उस कमरे के कोने में बेठ जाता है | बारिश अभी भी तेज बिजली के कडाको के साथ चल रही थी और पुरे गाव में तेज बारिश के कारण बिजली जा चुकी थी | अंश कमरे के कोने में डरा
अंक ६ तहकीकात भवानी सिंह और अपने दो हवालदारो के साथ मिलकर उस जगह तहकीकात करने पंहुचा था जहा पर वीर का अकस्मात हुआ था | रोड से थोड़ी दुर जहा वीर की गाडी ...Read Moreहुई आ पहुची थी अकस्मात के बाद जो पुरी तरह से तुट चुकी थी और उसके आस-पास कार का तुटा-फूटा सामान पड़ा हुआ था साथ ही वीर का ख़ून भी | भवानी सिंह और उसके हवालदार हर एक चीज को अच्छी तरह से देख रहे थे और और तलाश रहे थे और यह जानने की कोशिश कर रहे थे की
अंक ७ मदद छत पर एक दुसरे की तकलीफे एक दुसरे के साथ बाट रहे अंश और ख़ुशी की बाते छत पर जाने वाले दरवाजे के पास खड़ी सुरवीर भाई की पत्नी सुन लेती ...Read More| सुरवीर की पत्नी का नाम है मधु | कही इन दोनों के बिच मित्रता से कुछ ज्यादा तो नहीं है ना | देखना पड़ेगा अगर कुछ चल रहा है तो इसका कुछ निर्णय लेना होगा एसे कैसे चलेगा ... सुरवीर की पत्नी मधुने मन ही मन बडबडाते हुए कहा | १४ दिन का
अंक - ८ - जीवन तेरे दिमाग में घुसा भरा हुआ है | इतना कम था की हम मानसिंह जादवा की बहु को मिलने गए एक अपराध करके की अब तु भरी दुपहर में उसकी लड़की ...Read Moreलेकर उस हवेली में घुसेगा और उनकी बहु से मिलन करवाएगा जो मानसिंह जादवा की नजरो में बहुत बड़ा गुनाह है | साले तेरे जैसा इंसान नहीं देखा तु एक बार में सैतान की बेटी और बहु दोनों को छेड़ रहा है और तो और छेड़ रहा है उसकी तो बात छोडो उसमे हमें भी सामिल करना चाहता है |
अगर आपने आगे के ८ अंको को अभी तक नहीं पढ़ा है तो सबसे पहले उन अंको को पढ़ ले ताकी आपको यह अंक अच्छे से समझ आए | भाई मुझे बहार जाना ही होगा मुझे जोर ...Read Moreपेशाब आई है भाई ... पराग ने खरे मौके पर कहा | अबे बहार बा पहुचती ही होगी अगर तु गया तो दुसरी बार कभी पेशाब नहीं लगेगी ... अंश ने पराग से कहा | जो भी हो में जा रहा हु मुझसे नहीं रहा जाएगा ... अपनी जगह से खड़े होकर पराग ने
अंक १०गुस्ताखी भवानी सिंह ने आखिरकार वह ट्रक ढूढ़ ही लिया था जिसकी टक्कर वीर की कार से हुई थी और उस वजह से वीर की मौत हुई थी पर अभी तक भवानी सिंह यह तय ...Read Moreकर सकते थे की ट्रक ने ही सबसे पहले टक्कर मारी है क्योकी वीर भी शराब के नशे में कार चला रहा था तो इस बात की भी शक्यता है की टक्कर वीर से लगी हो पर भवानी सिंह को उस ट्रक वाले पर शक किस वजह से हुआ होगा यह जानना बहुत ही रसप्रद है | भवानी सिंह
अंक ११जीवन तेरे दिमाग में घुसा भरा हुआ है | इतना कम था की हम मानसिंह जादवा की बहु को मिलने गए एक अपराध करके की अब तु भरी दुपहर में उसकी लड़की को लेकर उस ...Read Moreमें घुसेगा और उनकी बहु से मिलन करवाएगा जो मानसिंह जादवा की नजरो में बहुत बड़ा गुनाह है | साले तेरे जैसा इंसान नहीं देखा तु एक बार में सैतान की बेटी और बहु दोनों को छेड़ रहा है और तो और छेड़ रहा है उसकी तो बात छोडो उसमे हमें भी सामिल करना चाहता है | नहीं भाई नहीं
अंक १२अकेलापन ख़ुशी, अंश और दिव्या तीनो साथ मिलकर खाना खा रहे थे और साथ ही में संवाद के भी मजे ले रहे थे | तीनो अब एक दुसरे से घुल-मिल चुके थे और इस वजह से ...Read Moreऔर दिव्या के बिच एक एसी तो पहचान बन चुकी थी जिससे अब दोनों अकेले मिले तो बात जरुर कर सकते है और दिव्या के अंदर अंश को लेकर वह भरोसा भी आ चूका था | वाह ख़ुशी कितना बढ़िया खाना है मतलब बात मत पूछो यह तुम ने बनाया है ... अंश ने खाना खाते हुए कहा |
अंक १३हलचल मुझे आप से कुछ कहना है पर आप पहले वचन दो की मै जो भी कहूँगी वो आप ध्यान से सुनोगे और उस पर सोच विचार करके ही निर्णय लोगे और मै ...Read Moreभी कहूँगी वह आप बापूजी को नहीं बताएँगे ... मधुने गभराहट के साथ अपने पति सुरवीर से कहा | सुरवीर मधु के बोले वचन को सुनने के बाद कुछ देर तक चुप रहता है और फिर प्रत्युतर करता है | चलो ठीक है बताओ ... सुरवीर ने कहा | एसे नहीं
जन्मदिन रात का समय था | समय रात के लगभग लगभग ११ बजकर ३० मिनिट हुए थे और सारे दोस्त दिव्या के जन्मदिन को मनाने के लिए तैयार थे लेकिन सबकी चिंता थी ख़ुशी क्योकी ख़ुशी को ...Read Moreके ११:३० बजे उसके घर से निकालकर जादवा परिवार की उस हवेली में ले जाना जहा जाने के लिए जादवा परिवार ने मना किया हुआ है | सबसे बड़ा रिश्क तो यही था की जादवा परिवार की लड़की को रात में कही बहार अपने साथ ले जाना अगर इसका पता या भनक एक बार भी मानसिंह जादवा को लग जाये
अंक १५ -दोस्ती और प्यार की शुरुआत हम राक्षसों के बिच है अंश हम से कुछ नहीं हो सकता अब तो बस जैसे तैसे यह जीवन कट जाए ...दिव्या ने कहा आप एसा मत ...Read More...अंश ने कहा एसा ना बोलु तो क्या बोलु में एक बार मेरे जैसा जीवन जीके देखो तब आपको पता चलेगा एसा जीवन जीने के बाद तो मौत भी आसान लगने लगती है अंश तुम कुछ करो मै एसा जीवन नहीं जी सकती पहले लग रहा था की एसे ही जिंदगी कट जायेगी पर नहीं मुझसे
अंक १६ -रुतबा और ताकत अंश के जाने के बाद ख़ुशी वापस जैसे आई थी वैसे ही उपर अपने घर की छत पर पहुच जाती है और जैसे ही निचे उतरने के लिए छत का दरवाजा खोलती ...Read Moreतो सामने अपनी मधु भाभी को पाती है जिनके मनमे ख़ुशी के लिए शायद कोई सवाल था | भाभी को देखकर ख़ुशी गभरा जाती है | अरे भाभी आप यहाँ पर ...ख़ुशी ने अपने भाभी को देखते हुए कहा | यही सवाल में आपको पुछना चाहती हु की ख़ुशी बहन आप यहाँ पर क्या कर रही
अंक १७ -बढती उलझने कहानी अब हर तरफ से करवटे लेने लगी थी जिसकी वजह से अब बहुत जल्दी अंश, ख़ुशी और दिव्या के जीवन में भूचाल आने वाला था | इस तरफ भवानी सिंह जो वीर ...Read Moreकॅश में जरासा भी इच्छुक नहीं था उसके बजाय अब उस ट्रक के तालाब में से मिलने के कारण अब वह इस कॅश में बहुत ध्यान देने लगा है क्योकी उसे अब लगने लगा है की वीर का कोई अकस्मात नही हुआ था उसका जरुर मर्डर हुआ है तो अब सवाल यह है की यह मर्डर किया किसने है ?
अंक १८ - ब्लड प्रेसर अंश हवेली के अंदर जाता है और दरवाजा खटखटाता है पर दिव्या दरवाजा नहीं खोल रही थी अंश के कही सारे प्रयासों के बाद भी जिस कारण से अंश खिड़की से जाके ...Read Moreहै तो उसे दीखता है की दिव्या कक्ष के बीचो बिच बेहोश अवस्था में पड़ी हुई है | वो इस दृश्य को देखकर गभरा सा जाता है और मन ही मन सोचने लगता है की अब वह क्या करे क्योकी वो किसी को फोन करके बता नहीं सकता अगर किसी को बताएगा तो सब को सबसे पहले यह सवाल नहीं
अंक १९ - दिव्यांश दिव्या की हालत आराम करने लायक हो गई थी लेकिन अंश की हालत आराम हराम जैसी हो गई थी | डोक्टर ने दिव्या को ६ से ७ दिन तक अस्पताल ले जाने को ...Read Moreथा और वहा पर दिव्या को इतने दिन तक लेके जाना मतलब खुद शेर के मु में अपना मु रखकर ५ मिनिट देखना की हम बचेंगे की नहीं यहाँ पर वो शेर मानसिंह जादवा थे और उनके मु में शिर अंश का था जिसे मानसिंह जादवा कभी भी ख़त्म कर सकते थे | सारे दोस्त अंदर थे और अंश
अंक २० -सच या गलत कोनसे रास्ता सही ? यार अंश पता नहीं क्यों पर अब तुम्हारे बगेर रहा नहीं जाता | मेरा चेन मेरी नींद सबकुछ जैसे खो सा गया है क्योकी हमें लगता है की तुम ...Read Moreमिल से गए हो जिस वजह से सबकुछ खो सा गया है | जब तुम नहीं होते तो ना तो खाना अच्छा लगता और ना ही सोना अब यही तो प्यार है की जब साथ ना हो तो चेन नहीं पड़ता और प्यार की भाषा क्या हो सकती है ...अपने झरुखे में बैठी ख़ुशी मन ही मन सोच रही थी
तीनो दोस्त ख़ुशी के घर के पीछे की और पहुचते है जहा से पिछली बार ख़ुशी को लेने अंश और अशोक आए हुए थे | ख़ुशी अपने घर की छत से होकर जैसे पहली बार निचे आई थी वैसे ...Read Moreनिचे आती है | आओ जी पधारो जी ख़ुशी बा आपका हार्दिक स्वागत है ह्रदय से ...ख़ुशी की मजाक करते हुए पराग ने कहा | आज लगता है इसको किसी ने गुटखा नहीं दी लगती मु खाली लग रहा है ...अंश के पीछे बैठते हुए ख़ुशी ने कहा | आज कल कुछ ज्यादा ही बोलने
अंक २२. ख़ुशी और अंश सारे दोस्त और ख़ुशी देर रात तक दिव्या के साथ बैठने के बाद वहा से घर जाने के लिए निकलते है | सुबह के लगभग लगभग ४ बज चुके थे और इस ...Read Moreजादवा सदन में मधु भाभी हर बार की तरह इस बार भी सुबह के ४ बजने के कारण जग चुके थे और ख़ुशी के कक्ष की और से गुजर रहे थे जहा उनकी नझर ख़ुशी के कक्ष की खिड़की पे पड़ती है जहा उन्हें ख़ुशी अपने बेड पर नहीं दिखती जिस वजह से उनके मन में कई सारे सवाल उठते
अंक २३. अस्पताल जाने की तैयारी सुबह के करीब १० बज चुके थे और अंश और उसके दोस्त दिव्या को अस्पताल ले जाने के लिए तैयार थे | अंश अभी तक अपने घर पर ही ...Read More| अंश अपने फ़ोन से अशोक को फोन लगाता है | अशोक के फोन की घंटी बजते ही अशोक फोन उठाता है | हा अंश बोल ...अशोक ने फोन उठाते ही कहा | कितनी देर अशोक तुम्हे पता तो है जितना हो सके उतना जल्दी आना था ...अंश ने घर में इधर उधर चक्कर लगाते हुए कहा
अंक २४.आजादी की पहेली सास विधवा होकर जब पहेली बार दिव्या हवेली में आई उसके बाद आज पहेली बार दिव्या इस हवेली से बहार निकल रही है जो समाज के लिए और जादवा परिवार के लिए किसी ...Read Moreसे कम नहीं था पर नियती जब अपना खेल शुरू करती है तो कुछ एसा ही होता है जो शायद पहेली किसी ने भी ना सोचा हो | अंश और दिव्या दोनों पिछले रास्ते से होते हुए बहार आते है जिनकी दीवार पर चढ़ने में और उतरने में अंश के दोस्त मदद करते है | अंश के दोस्त
अंक २५.किस्सा सही है पर एसा नहीं था क्योकी कॉलेज में एक लड़के के साथ उसने सबके बिच जो किया उसके बाद मैंने उसके साथ जो किया वो होने के बाद पुरी दुनिया को पता लग गया ...Read Moreहरमन से सुहानी सिर्फ और सिर्फ पैसो के लिए ही प्यार करती थी और कुछ नहीं था सुहानी की तरफ से ...दिव्या ने अंश से कहा | एसा क्या किया था तुम ने उसके साथ ...अंश ने सवाल करते हुए कहा | तुम सोचो एसा क्या किया होगा मैंने सोचो सोचो लगाओ अपना दिमाग चलो ...दिव्या ने अंश
अंक २६ सारवार अंश और दिव्या दोनों दुनिया की सारी झंझाल छोड़कर अपनी अलग ही मोज में खोए हुए थे और अपनी कहनिया और किस्से एक दुसरे को बता रहे थे | मेरा छोडो ...Read Moreजब से मिले हो तब से मेरे बारे में ही पुछे जा रहे हो कुछ अपना भी बताओ जरा ...दिव्या ने अंश से कहा | अभी मेरे बारे में क्या बताऊ मुझे तो तुम अच्छी तरह से जानती ही हो ...अंश ने दिव्या से कहा | अरे कोई तो तुम्हारा भी प्रेम प्रकरण रहा होगा ना जैसे तुम्हारा
अंक २७. डायरी आगे आपने देखा की शांतिलाल झा सबसे पहले डोक्टर से मिलते है और उनसे बात करने के बाद अपने लोगो के साथ अस्पताल के सारे दर्दी लोगो को फल का अनावरण करने की शुरुआत करते ...Read Moreऔर साथ में एक अख़बार वाला भी था जो उनका फलो का अनावरण करते हुए फोटो खीच रहा था | दिव्या शांतिलाल झा को देख लेती है लेकिन उसे शांतिलाल झा से कोई डर नहीं था क्योकी ना तो दिव्या शांतिलाल झा को जानती थी और ना ही शांतिलाल झा दिव्या को पर दिक्कत यह थी की अगर शांतिलाल झा
अंक २८. आसमान से गिरे अंगुर में जा अटके अंश सोचो कुछ सोचो अगर इसने हमारी ही तस्वीर को कल अखबार में छापा तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी और सबको हमारे बारे में पता चल जाएगा ...Read Moreतो कहेती हु इस दवाई को अधुरा छोड़कर चले जाते है ...दिव्या ने गभराहट के साथ कहा | अरे नहीं एसे नहीं निकल सकते एसा करेंगे तो जिसको हमारे उपर शंका नहीं हो रही होगी उसे भी होने लगेगी | तुम शांति से बैठो में कुछ करता हु | शांतिलाल झा फलो का अनावरण करते हुए दिव्या और
अंक २९.गरमाहट ठीक है कोई बात नही ऐसा करते हैं एक मेहरबानी हम आपके उपर करते हैं और एक आप हम पर कर दीजिए और इसके लिए आप मना नहीं करोगे यह वादा करो... शांतिलाल झाने ...Read Moreदाव खेलते हुए कहा । बाप रे यह आदमी तो उपर ही चढ़ता जा रहा है... अंश ने मन ही मन कहा। ठीक है बोलिए ... अंश ने कहा । इनका मास्क नही निकालते है ऐसे ही फोटो खींच लेते है और आप इतनी समाज सेवा कर रहें हो तो हमारा फर्ज बनता
अंक ३०.दोस्ती में दरार ? सारे दोस्तों के बिच बात चल ही रही थी उतने में सही में दरवाजे का आलाम बजना मोबाइल में शुरू होता है और सभी वो आवाज सुनकर गभरा से जाते है ...Read Moreइस वक्त कौन आया होगा और अगर कोई आया होगा तो इस खाने को कैसे छुपाया जा सके क्योकी खाने की सुगंध पुरे कक्ष में फ़ैल चुकी थी | बाप रे बाप मर गए सच में आज अगर पकडे गए तो गुटखा कभी भी नहीं खा पाउँगा ...पराग ने रोतलु सा मु करते हुए कहा | एक
अंक ३१तेज होती हुई राजनीती सारे दोस्त हवेली से बहार निकलकर अपने अपने रास्ते निकल जाते है और आज पहेली बार चिराग और अंश की लड़ाई की वजह से सारे दोस्तों के बिच दरार पड़ गई थी ...Read Moreआज दोनों अपनी अपनी जगह पर सही थे | ना तो चिराग गलत था और ना ही अंश दोनों की बात सही थी लेकिन दोनों का बात करने का तरीका गलत था जिस वजह से आज दोस्ती में थोड़ी सी दरार आ चुकी थी | आपकी बात कभी कभी भले ही सही हो लेकिन आपका बात करने का तरीका अगर
अंक ३२. दाव-पेच दुसरे दिन सुबह | सुबह के लगभग लगभग ११ बज रहे थे और मानसिंह जादवा आज अपने घर पर ही थे और अपने बैठक रूम में बैठकर टेलीवीजन का लुप्त उठा रहे थे तभी ...Read Moreउनके घर वनराज सिंह आते है और सीधा बैठक रूम में पहुचते है | जादवा साहब आ सकता हु ...वनराज सिंह ने कहा | अरे आओ आओ वनराज सिंह बैठो बैठो भाई ...मानसिंह जादवा ने वनराज सिंह को बैठने के लिए कहा | जी धन्यवाद और जय माताजी ...वनराज सिंह ने कहा | जय माताजी ...अरे
अंक ३३ कई सारे सवाल ? एक दिन डोक्टर के काम के कारण सारवार टालने के बाद आज फिर से अंश और दिव्या अस्पताल जाने के लिए निकल पड़े थे | दोनों के बिच जाते वक्त कुछ ...Read Moreचल रही थी | अंश अभी कृपा करके अपनी वो अधूरी दास्तान सुनाओगे की नहीं ...दिव्या ने अंश से कहा | अरे यार तुम भी ना उसके बारे में जानकार क्या करोगी | मुझे फिर से वही दिन नहीं याद करने है यार ...अंश ने कार चलाते हुए दिव्या से कहा | अबे अंश बताओ ना अब
अंक ३४.डायरी का रहस्य ? क्या बात कर रहा है अंश इसमें मानसिंह जादवा यानी मेरे ससुर कहा से बिच में आ गए में कुछ समझ नहीं पा रही हु ...दिव्या ने अपनी उलझन की बात करते ...Read Moreअंश से कहा | में तुम्हारी सारी उलझन का उत्तर दूंगा लेकिन सबसे पहले तुम मेरी पुरी दास्तान जान लो ताकि तुम्हे सबकुछ समझने में आसानी हो ...अंश ने दिव्या से कहा | ठीक है अंश अब में बिच में नहीं बोलूंगी तुम मुझे सारी कहानी जहा से हम अटके थे वहा से सुनाओ ...दिव्या ने अंश से
अंक ३५ अंश और गोपी की प्रेमकथा अच्छा अच्छा सॉरी बाबा सॉरी मुझे माफ़ कर देना तुम को कोई ग़लतफहमी हो गई है यह डायरी और इस डायरी में लिखी हुई सारी बाते मेरी नहीं है किसी और ...Read Moreहै जैसे यह तुमको मिली थी वैसे ही तुम्हारे पहले मुझे | पढ़ा मैंने सब इस डायरी में जो लिखा है वो बहुत प्यार करती है तुम से और जैसा तुम्हारे बारे में लिखा है अगर तुम वैसे ही हो तो मुझे भी तुम से प्यार हो जाएगा यार सच में तुम एसे इंसान हो ...गोपी ने डायरी का सच
अंक ३६.प्रेमकथा का अंत हम को एक दुसरे से बहुत लगाव हो गया था | हम एक दुसरे से जान से भी ज्याद प्यार करने लगे थे और यह मेरे दोस्त पराग, चिराग और अशोक को अच्छे ...Read Moreपता था और इसलिए उन्होंने हमें भाग कर शादी करने की सलाह भी दी पर हम उतने भी बड़े नहीं हुए थे की हम भागकर शादी कर सके इस वजह से हमने तय किया की जब हमारी उम्र १८ साल हो जाएगी तो तब हम भागकर शादी कर लेंगे लेकिन उससे पहले ही मानसिंह जादवा ने कुछ एसा कदम लिया
अंक ३७अधुरी बात अगर अभी तक आपने इस प्रेमकथा के आगे के अंको को नहीं पढ़ा है तो सबसे पहेले उन अंको को पढले ताकि आप को आगे की कहानी पढने में सही आनंद आ सके | ...Read More पता नहीं पर वो कभी मिली नहीं मुझे ...अंश ने दिव्या से कहा | कैसे मिलती उसने भी कुछ एसा देखा था जिस वजह से उसने तुम से ना मिलने का प्रण ले लिया था ...दिव्या ने कहा | दिव्या ने कुछ एसी बात बोली जिसे सुनकर अंश के चौक गया होगा शायद की दिव्या एसा क्यों
अंक ३८बिच बारिश प्यार का इजहार बाप रे मर गए अब क्या करेंगे ...अंश ने आगे की और देखते हुए कहा | क्या हुआ अंश इतना ट्रैफिक क्यों है ...दिव्या ने अंश से कहा | मर ...Read Moreदिव्या आगे पुलिस का चेकिंग चल रहा है और साला चेकिंग कर कौन रहा है ...अंश ने आगे भवानी सिंह की और देखते हुए कहा | कौन और चेकिंग क्यों चल रहा है ... दिव्या ने अंश से कहा | भवानी सिंह यहाँ का PI और मानकाका का सबसे बड़ा चेला जो २४ घंटे पैसा ऐठने की तलाश
अंक ३९.मौसम अंश आज से तुम्हारा दिल मेरा और मेरा तुम्हारा | ना में विधवा और ना ही तुम कुवारे अब से हम एक है और हमारा सबकुछ एक अगर तैयार हो तुम तो में ना बिजली में ...Read Moreजमीन जिससे मिलती है बारिश अगर हो तैयार तो आओ मिल जाए जन्मो जन्म तक ...दिव्या ने भी अपने अलग ढंग में प्यार का इजहार करते हुए कहा | दोनों ने आज मन से एक दुसरे से विवाह कर लिया था और मानो एसा लग रहा था की जैसे बारिश ब्राह्मण बनकर दोनों की शादी के मंत्र जप रही
अंक ४०. सुहानी सुबह ? दुसरे दिन सुबह | सुबह के लगभग लगभग ७ बज रहे थे | अंश हमेशा की तरह अपने घर की छत पर सोता है लेकिन आज वो घर ही नहीं आया हुआ था ...Read Moreवो हवेली पे दिव्या के साथ ही रुक गया था और दिव्या और अंश दोनों हवेली की छत पर सोए हुए थे | दोनों एक दुसरे की बाहोमे बड़े प्यार से सोए हुए थे | आसमान शिर चढ़ चूका था फिर भी दोनों गहेरी नींद में थे और शायद बड़े दिनों बाद आज दिव्या को चेन की नींद आई होगी