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हमने दिल दे दिया - अंक २६

अंक २६ सारवार     

    अंश और दिव्या दोनों दुनिया की सारी झंझाल छोड़कर अपनी अलग ही मोज में खोए हुए थे और अपनी कहनिया और किस्से एक दुसरे को बता रहे थे |

    मेरा छोडो तुम जब से मिले हो तब से मेरे बारे में ही पुछे जा रहे हो कुछ अपना भी बताओ जरा ...दिव्या ने अंश से कहा |

    अभी मेरे बारे में क्या बताऊ मुझे तो तुम अच्छी तरह से जानती ही हो ...अंश ने दिव्या से कहा |

    अरे कोई तो तुम्हारा भी प्रेम प्रकरण रहा होगा ना जैसे तुम्हारा और ख़ुशी का ? ... दिव्या ने अंश से कहा |

    अरे नहीं मेरे और ख़ुशी के बिच दोस्ती के अलावा कुछ नहीं है और ना कभी होगा क्योकी मैंने कभी भी उसे उस नजर से देखा ही नहीं है ...अंश ने दिव्या से कहा |

    ठीक है पर तुम्हारा कोई प्रेम प्रकरण था ही नहीं एसा तो में हरगिज ना मानु ...दिव्या ने अंश की मजाक करते हुए कहा |

    हा मतलब था एक ही था जिसे ज़माने ने छीन लिया | साला आज तक अपने साथ कोई भी कार्य सामान्य हुआ ही नहीं है | अपने साथ हमेशा जो भी हुआ है वो असामान्य ही हुआ है तो मेरा प्रेम प्रकरण भी कुछ एसा ही है ...अंश ने दिव्या से कहा |

    अरे यह तो सबसे अच्छा है असामान्य वाली बात सुनने में तो और मजा आता है बताइए जरा आपका प्रेम प्रकरण जनाब ...दिव्या ने अंश से कहा |

    बताता मगर आपका ध्यान शायद बहार की दुनिया में नहीं है क्योकी हम अस्पताल पहुच चुके है तो अपना मास्क कृपया करके पहन लीजिए और उपर अपना दुपट्टा लगा लीजिए ताकि यहाँ पर अपने आस-पास वाला कोई हो तो हमें पहेचान ना सके ...अंश ने कार को अस्पताल के पार्किंग जोन में लगाते हुए कहा |

    हा सही है ...दिव्या ने अपना मास्क पहनते हुए कहा |

    दिव्या और अंश कोई अपना यहाँ पर देख ना ले उसकी पुरी सावधानी बरत रहे थे | दोनों अपने चहरे पर मास्क लगा लेते है और दिव्या अपने शिर पर दुपट्टा लगा लेती है ताकि शिर गंजा होने की वजह से किसी का ध्यान उसकी तरफ ना जाए और कोई उसे पहेचान ना ले |

    रेडी ...अंश ने कहा |

    एक दम ...दिव्या ने कहा |

    चलो फिर अंदर जाते है ...अंश ने दिव्या से कहा |

    दिव्या और अंश दोनों अंदर जाते है और उस डोक्टर के दफ्तर तक पहुचते है जिसने दिव्या का इलाज किया था | दोनों दरवाजे के पास जाकर खड़े रहेते है | अंश दरवाजे को खटखटाता है | अंदर से डोक्टर आवाज देता है |

    आ जाईये ...डोक्टर ने अंदर से आवाज देते हुए कहा |

    अंश और दिव्या डोक्टर की परवानगी मिलने के बाद दफ्तर के अंदर आते है और डोक्टर के सामने जाकर खड़े रहे जाते है |

    हेल्लो डोक्टर साहब ...अंश ने डोक्टर से कहा |

    अरे आप लोग आईए आईए बैठिये ...डोक्टर ने अंश और दिव्या को देखते हुए कहा |

    डोक्टर साहब आपको पुरी परिस्थिति पता ही है तो हमारा यहाँ देर तक रुकना बहुत ही मुश्किल है तो आप जल्द से जो भी सारवार करनी है वो कर दीजिए ना प्लीज ... अंश ने डोक्टर से कहा |

    अरे हा वो तो मेरे दिमाग से निकल ही गया | ठीक है आप लोग वोर्ड में आईए इन्हें एक दवाई बोटल चढ़ा कर देनी है तो वो दे देते है फिर आप लोग निकल सकते है ...डोक्टर ने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा |

    जी चलिए डोक्टर ...अंश ने कहा |

    डोक्टर अंश और दिव्या तीनो डोक्टर के दफ्टर से निकलकर दर्दी को जहा सारवार के लिए रखा जाता है उस वोर्ड की तरफ जाते है |

    दिव्या जी आईए और इस पलंग पर लेट जाईये में अपनी नर्स को भेजता हु वो आपको बोटल चढ़ा देगी ठीक है ...डोक्टर ने कहा |

    ठीक है डोक्टर लेकिन थोडा जल्दी ...अंश ने डोक्टर से कहा |

    आप चिंता ना करे जितनी जल्दी होगा में अपनी और से उतना जल्दी सारवार करके दूंगा ...डोक्टर ने जाते हुए कहा |

    तुम मास्क लगाये रखना और कोई भी आए और नाम वगेरा पुछे तो अपनी गलत ही पहेचान बताना ...अंश ने दिव्या से कहा |

    हा तुम चिंता ना करो ...दिव्या ने अंश से कहा |

    अंश कौन है यहाँ पर ...नर्स ने आते हुए कहा |

    जी मेम आईए इधर में अंश और यह मरीज है इनकी सारवार करनी है आईए ...अंश ने उस नर्स की तरफ देखते हुए कहा |

    नर्स दिव्या और अंश के पास आती है और दिव्या की जो भी सारवार करनी थी वो सारवार करती है और फिर वहा से कुछ निर्देश देकर चली जाती है |

    आधा घंटा लगेगा तब तक आप अपने जिस हाथ पर बोटल की नली लगी हुई है उसे हिलाना मत ...नर्स ने दिव्या से कहा |

    जी ठीक है ...दिव्या ने कहा |

    नर्स अपना काम करके वहा से चली जाती है |

    यार अंश मुझे तेज प्यास लगी है और यहाँ का पानी मुझे पीना पसंद नहीं है तो प्लीज तुम मुझे बहार से पानी लाकर दोगे ...दिव्या ने अंश से कहा |

    हा बिलकुल क्यों नहीं ...दिव्या ने अंश से कहा |

    अंश दिव्या के लिए पानी लेने जाता है और उसी वक्त शांतिलाल झा अपने कुछ साथियों के साथ अस्पताल में सारे दर्दी को कुछ फल का अनावरण करने आए हुए थे | जैसे अंश के कदम अस्पताल के बहार पड़े वैसे ही शांतिलाल झा का प्रवेश अस्पताल के अंदर होता है जो अंश और दिव्या के लिए घातक साबित हो सकता है |

    शांतिलाल झा सबसे पहले डोक्टर से मिलते है और उनसे बात करने के बाद अपने लोगो के साथ अस्पताल के सारे दर्दी लोगो को फल का अनावरण करने की शुरुआत करते है और साथ में एक अख़बार वाला भी था जो उनकी फलो का अनावरण करते हुए फोटो खीच रहा था | दिव्या शांतिलाल झा को देख लेती है लेकिन उसे शांतिलाल झा से कोई डर नहीं था क्योकी ना तो दिव्या शांतिलाल झा को जानती थी और ना ही शांतिलाल झा दिव्या को पर दिक्कत यह थी की अगर शांतिलाल झा ने दिव्या को अपना मास्क उतारकर फोटो खिचाने की बात की और वही फोटो अगर अखबार में आया तो उससे जो दिक्कत पैदा होगी वो अंश और दिव्या के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है जिसका बहार गए हुए अंश को शायद कोई अंदाजा भी नहीं था |

    कई सारे सवाल है जैसे की एसी क्या है अंश की प्रेम गाथा जो दिव्या से जुडी हुई है और कैसे ? क्या शांतिलाल झा अंश और दिव्या के लिए परेशानी पैदा कर सकता है ? क्या दिव्या और अंश सही सलामत हवेली पहुच जायेंगे या फिर कोई उन्हें रास्ते में ही देख लेगा ? सवाल कई सारे है पर हर सवाल का उत्तर एक ही है की पढ़ते रहिये Hum Ne Dil De Diya के सारे अंको को |

TO BE CONTINUED NEXT PART

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY