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हमने दिल दे दिया - अंक ३८

अंक ३८ बिच बारिश प्यार का इजहार 

   बाप रे मर गए अब क्या करेंगे ...अंश ने आगे की और देखते हुए कहा |

   क्या हुआ अंश इतना ट्रैफिक क्यों है ...दिव्या ने अंश से कहा |

   मर गए दिव्या आगे पुलिस का चेकिंग चल रहा है और साला चेकिंग कर कौन रहा है ...अंश ने आगे भवानी सिंह की और देखते हुए कहा |

   कौन और चेकिंग क्यों चल रहा है ... दिव्या ने अंश से कहा |

   भवानी सिंह यहाँ का PI और मानकाका का सबसे बड़ा चेला जो २४ घंटे पैसा ऐठने की तलाश में रहेता है पर कोई बात नहीं देख लेंगे और एक दिक्कत तो यह भी है की इस कार के शीशे काले कलर के है तो हमको पकड़ना तो तय ही है क्या करू क्या करू ...अंश ने चिंता करते हुए कहा |

   अभी क्या करे अंश उसने कही हमें देख लिया तो हमारी तो खेर नहीं यार हमको तो यह लोग जिंदा जला देंगे अंश कुछ करो महेरबानी करके ...दिव्या ने गभराहट के साथ कहा |

    गभराही हुई दिव्या अंश का हाथ पकड़ लेती है |

    धीरे धीरे गाडियों का काफिला आगे की और बढ़ रहा था और भवानी सिंह और उनके हवालदार गाडियों का चेकिंग कडक से भी ज्यादा कड़क तरीको से कर रहे थे | भले ही अंश की कार में कुछ भी नहीं था पर अंश गभरा इस वजह से रहा था क्योकी उसके साथ दिव्या थी और अगर दिव्या का पता भवानी सिंह को लग जाए तो भवानी सिंह अंश और दिव्या के लिए सबसे बड़ी आफत बन सकता है और इसी बाबत का डर अंश और दिव्या को था |

     अबे चलो चलो आगे बढ़ते जाओ और गाडी चेक करवाके ही जाना है कोई चालाकी नहीं चलेगी ...हवालदार मनसुख भाई ने जोर से गाडियों के काफिलो की तरफ देखते हुए कहा |

   अंश कुछ करो अब हमारी ही बारी है अंश ...दिव्या ने अंश से कहा |

   एक मिनट मुझे कुछ सोचने दो में कुछ करता हु और सबसे पहले यह करो की गाड़ी के चारो के चारो खिड़की के काले काच उतार दो ताकी उनको ना दिखे ...अंश ने दिव्या से कहा |

   दिव्या और अंश हड़बड़ी में कार की खिड़की के चारो काच उतार देते है |

   अभी आगे क्या करना है अंश ...दिव्या ने अंश से कहा |             

   एसा करो तुम चलके आगे चली जाओ गाडी में लेकर आता हु और हा मास्क लगा लो कुछ भी हो जाए मास्क कोई बोले नहीं तब तक मत उतारना ठीक है ...अंश ने दिव्या से कहा |

   हा ठीक है यह सही है में आगे जाकर खड़ी रहेती हु ...दिव्या ने कहा |

   दिव्या कार का दरवाजा खोलती है और जैसे ही कार से उतरती है वैसे ही भवानी सिंह की नजर उस तरफ मुडती है और भवानी सिंह को थोडा सा उन पर शक होता है इस वजह से भवानी सिंह सीधा अंश की कार के पास पहुचता है और दिव्या को आवाज लगाता है |

   एक मिनट रुकिए आप कहा जा रही है ...भवानी सिंह ने दिव्या को आवाज लगाते हुए कहा |

   दिव्या और अंश दोनों का ध्यान भवानी सिंह की तरफ जाता है और दोनों की धडकनों की आवाज की रफ़्तार भवानी सिंह की एक आवाज से और तेज हो जाती है |

   बाप रे मर गए ...दिव्या ने भवानी सिंह की और मुड़ते हुए मन ही मन कहा |

  अरे यार यह यहाँ पर कैसे आ गया अब क्या करू ...अंश ने मन ही मन सोचते हुए कहा |

  आप कहा जा रही है जी ...भवानी सिंह ने दिव्या से कहा |

  जी वो बाथरूम ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

  अबे साले मैंने तुम से पुछा क्या ...भवानी सिंह ने झुककर कार में बैठे अंश की और अपना मु ले जाते हुए थोड़े से गुस्से के साथ कहा |

  भवानी सिंह के एसे बर्ताव से अंश भी थोडा गुस्सा हो जाता है लेकिन वो अपना गुस्सा बाजु में रखकर भवानी सिंह को उसी की जुबान में उत्तर देता है |

  वो गुंगी है और उसके साथ सिर्फ और सिर्फ मै ही हु तो उत्तर कौन देगा साहेब ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

   भवानी सिंह को अंश की उत्तर देने की रित ज्यादा पसंद नहीं आई थी जिस वजह से वो थोडा और गुस्सा हो जाता है |

  अच्छा एसा है चलो ठीक है लेकिन तु ठीक से उत्तर देना सिख ले एसे मेरे साथ आगे से बात मत करना ...भवानी सिंह ने कहा |

  देखो साहेब आप भले ही पुलिस वाले हो लेकिन किसी भी निर्दोष से आप को भी तमीज के साथ बात करनी होती है लेकिन आपने की क्या आपने जिस जुबान से मुझ से बाते की उसी जुबान से मैंने आपको उत्तर दिया | दिव्या अंदर बैठ जा ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

  भवानी सिंह अंश को पहेले से ही पसंद नहीं था और आज उसी बात का सारा गुस्सा अंश उतार रहा था |

  भवानी सिंह और गुस्सा होता है और सीधा अंश का कोलर पकड लेता है |

  अबे पिल्ले तु किस के साथ बाते कर रहा है उसका तुझे कुछ अंदाजा है या नहीं साले रोड पे मार मार कर दोडाउंगा कोई पानी देने को भी नहीं आएगा समझा क्या ...भवानी सिंह ने अंश से कहा |

  देख भवानी सिंह सीधा सीधा अपना काम कर और जो यहाँ रोड पे कर रहा है ना वो कर ठीक है में तेरी इन लुखी धमकियो से डरता नहीं हु और कोलर छोड़ वरना यहाँ पर जितनी गाडिया है ना उतनी और गाड़िया मेरे लिए खड़ी हो जायेगी ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

  साले तु है कौन | इस पुरे जनमावत तालुके में मेरे से कोई उची आवाज में बात नहीं करता और तु मुझ से उलझ रहा है ...भवानी सिंह ने अंश से कहा |

  नहीं नहीं यह आप गलत बोले है कुछ लोग जो आप से किसी भी तरीको से आपके साथ बात कर सकते है में उन्ही का बेटा हु ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

  अबे जो भी है सीधा सीधा बोल कौन है तु ...भवानी सिंह ने अंश से कहा |

  अबे यह क्या हो रहा है यह अंश इससे लड़ क्यों रहा है | कही यह फसवा देगा और तो और मुझे भी गुंगी बना दिया है वरना में भी बिनती करती...दिव्या ने मन ही मन सोचते हुए कहा |

   में मानसिंह जादवा के परम मित्र श्री विश्वराम केशवा का बेटा हु भवानी सिंह और हमारे यहाँ का रिवाज है की हम से अगर कोई गलत तरीको से बर्ताव करता है तो हम भी उन से वैसे ही बर्ताव करते है ...अंश ने मानसिंह जादवा का और अपने पिता का नाम देते हुए कहा |

   तभी सोचु की यह पिल्ला आज मुझ से भीड़ क्यों रहा है | देख में उन से डरता नहीं हु बस वो अपने को माल देते है इस वजह से में उन्हें सम्मान देता हु बाकी जिस दिन भिड़ा ना उस दिन तु देखना ...भवानी सिंह ने अंश से कहा |

   अभी का क्या करना है आप यह बोलो साहेब ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

   ओय मनसुख भाई इस गाडी का पुरी तरह से चेकिंग करो तब तक तु मानसिंह साहब को फोन लगा क्योकी तुम्हारे जैसे बहुत मिलते है गलत पहेचान वाले ...भवानी सिंह ने अंश से कहा |

   भवानी अंश पे आज बहुत गुस्सा था पर मानसिंह जादवा का आदमी होने की वजह से उसने अपने गुस्से को अपने अंदर ही छुपा लिया था लेकिन यह गुस्सा कब बहार निकले उसका कोई अंदाजा नहीं था क्योकी भवानी सिंह अपने अपमान का बदला लेना जरुर चाहेगा वो तो तय था |

   अंश अपना फोन निकालता है और मानसिंह जादवा को फोन लगाता है | पहेली बार में मानसिंह जादवा अंश का फोन नहीं उठाते है |

   काका फोन नहीं उठा रहे ...अंश दिव्या की और देखते हुए कहा |

   अरे बाप रे कोन सी मुसीबत में फस गए है ...दिव्या ने मन ही मन अंश की और देखते हुए कहा |

   अंश एक और बार मानसिंह जादवा को फोन लगाता है और उस बार में मानसिंह जादवा अंश का फोन उठा लेते है |

   हा बोल अंश बेटा ...मानसिंह जादवा ने फोन उठाते हुए कहा |

   जय माताजी काका ...अंश ने मानसिंह जादवा से कहा |

   हा जय माताजी बोल कुछ काम था ...मानसिंह जादवा ने कहा |

   हा काम यह था की में जनमावत आया था वो मैंने आपको नहीं बताया था अपने दोस्त की कैंसर वाली बहन के बारे में उसके चेक-अप के लिए आया हुआ था दिलीप काका की कार लेकर तो यहाँ पर बिच रास्ते में चेकिंग चल रहा है और भवानी सिंह उनके इंचार्ज है तो उन्होंने हमें रोककर रखा है तो आप उनसे बात कीजिएना की हमें जाने दे ...अंश ने मानसिंह जादवा से बात करते हुए कहा |

   हा दे उसे फोन दे ...मानसिंह जादवा ने कहा |

   अंश भवानी सिंह की तरफ अपना फ़ोन आगे करता है |

   यह लो बात करो ...अंश ने भवानी सिंह को फोन देते हुए कहा |

   अंश के हाथ से फोन लेते हुए भवानी सिंह अंश की और बड़े गुस्से के साथ देख रहा था |

   जय माताजी जादवा साहब बोलिए ...भवानी सिंह ने कहा |

   हा वो मेरा लड़का है उसे जाने दो और हा चेकिंग मत करना उसमे कुछ गलत नहीं है ...मानसिंह जादवा ने भवानी सिंह से कहा |

   जी जादवा साहब जैसा आप बोले ...इतना बोलकर भवानी सिंह फोन काट देता है |

   भवानी सिंह फोन अंश को वापस लौटाता है |

   यह लो तुम लोग जब बारी आए तब बिना चेकिंग के जा सकते हो तब तक यही पे रुकोगे ... भवानी सिंह से गुस्से से कहा |

   भवानी सिंह बहुत ही गुस्से में था क्योकी की आज उसका स्वाभिमान को आंच आई थी पर क्या करे मानसिंह जादवा भवानी सिंह का वो पेड था जहा से भवानी सिंह अपने मीठे आम तोड़ता था | अगर वो उस आम के पेड से उलझेगा तो उसको पता ही है की नुकशान उसी का होने वाला है | इतनी बात करके भवानी सिंह अपने गुस्से के साथ अपनी जिप की और जाने के लिए आगे बढ़ता है |

   रुकिए साहेब ...अंश ने पीछे से कहा |

   भवानी सिंह रुकता है और पीछे मुड़कर अंश की और देखता है |

   देखिये मुझे आपके साथ कोई तकलीफ नहीं है लेकिन आपने मेरे साथ ख़राब व्यवहार से बात की वो मुझे थोडा नापसंद आया इस वजह से ...अंश ने भवानी सिंह से कहा |

   भवानी सिंह कुछ भी बोले बिना वहा से चला जाता है | 

    हाश भगवान बाल बाल बचे | अंश तुम्हे क्या जरुरत थी उस भवानी सिंह से पंगा लेने की ...दिव्या ने अंश के कंधे पर धीरे से थप्पड़ मारते हुए कहा |

   तो क्या करू अगर मैंने उससे उची आवाज में बात नहीं की होती ना तो यह मेरे और तुम्हारे पीछे पड़ जाता पैसो के लिए | पैसे का एक नंबर का लालची आदमी है यह। कोई नहीं जब तक हम मानकाका की छत्र छाया मै है तब तक कोई चिंता है नहीं ...अंश ने दिव्या से कहा |

   उसके बाद ...दिव्या ने अंश से कहा |

   दिव्या ने अपने दिमाग से दो ही लब्ज निकाले थे लेकिन वो दो लब्ज ने अंश को गहेरी सोच में डाल दिया था क्योकी अंश के दिमाग में उन दो लब्जो को सुनने के बाद कही सारे ख्याल आने शुरू हो गए थे जैसे की जब वो दिव्या को हवेली से और इस गाव से भगाएगा तब उसकी सीधी सीधी लड़ाई मानसिंह जादवा के साथ होने वाली है तब वो किसका सहारा लेगा |

   उसके बाद उपर वाला मालिक और क्या चलो अब रास्ता धीरे धीरे खुल रहा है ...अंश ने दिव्या से कहा |

   रास्ता समय होने पर खुल गया था जिस वजह से अंश और दिव्या की गाडी चल पड़ी थी लेकिन उनकी प्रेम वाली गाड़ी अभी भी वही पर अटकी हुई थी जहा पहेले अटकी थी और बिच में भवानी सिंह वाली जो घटना हुई उसके बाद दोनों के दिमाग से वो ख्याल तो निकल ही गया था अब दोनों का उस मुड़ में वापस आना कैसे संभव था वो भी एक सवाल बना हुआ था लेकिन कहेते है ना की जब उपर वाला दो लोगो को जोड़ने की ठानकर बैठा हुआ होता है तब वो कुछ भी करके दोनों को मिला ही देता है और यहाँ पर भी एसा ही होने वाला था |

   दोनों थोडा आगे बढ़ते है जहा उन्हें बिच रास्ते में दो किन्नर मिलते है जो अंश और दिव्या को रोकते है |

   रुको रुको बेटा भगवान माताजी तुम्हारा भला करे आपकी जो इच्छा हो वो दे बाबा...एक किन्नर ने अपने दोनों हाथो से ताली बजाते हुए और अंश को खिड़की का शीशा निचा करने के लिए बोलते हुए कहा |

   अंश अपनी कार का शीशा निचे उतारता है और अपने पर्स से पैसे निकालता है और उन किन्नर को देता है |

   यह लो और में आपको माँ बुला सकता हु क्या ...अंश ने किन्नर से कहा |

   अंश ने पैसे देते हुए कहा | किन्नर अंश के हाथो से पैसे लेते है फिर अंश और दिव्या को आशीर्वाद देते है |

   सच में बेटा तुमको मुझ में माँ दिखती है ...किन्नर ने माँ शब्द सुनते ही और भावुक होते हुए कहा |

   माँ दिखती नहीं है आप लोग सच में माँ के अवतार स्वरूप ही हों ना क्यों आपके आशीर्वाद में और दुसरे आशीर्वाद में फर्क होता है माँ आप बस मुझे अपना बेटा समझकर आशीर्वाद दे दो क्योकी आने वाले समय में मुझे बहुत कुछ करना है और उसमे मुझे आपके आशीर्वाद की बहुत जरुरत है माँ ...अंश नी किन्नर से कहा |

   बेटा माँ जगदंबा तुम्हारा भला करे फलो फूलो और हर कार्य में सफल बनो ...अंश के शिर पे अपने हाथ रखते हुए दोनों किन्नरों ने कहा |

   देखिये मेरी हेसियत तो आपके सामने बहुत छोटी है लेकिन फिर भी अगर कभी भी में आपकी मदद कर सकू तो जरुर कहेना में यहाँ नवलगढ़ गाव के विश्वराम केशवा का ही बेटा हु ...अंश ने उन किन्नरों से कहा |

   अरे हा हम उनको जानते है बिटिया की शादी में बुलाया था और बहुत अच्छा सद्कार किया था हम लोगो का ...अपने ढंग से बोलते हुए एक किन्नर ने कहा |

   हा वही माँ ...अंश ने किन्नर से कहा |

   बेटा हमें जहा तक पता है वहा तक तुम्हारी माता नहीं है ...किन्नर ने कहा |

   जी इसलिए तो आप को माँ कहा ...अंश ने कहा |

   ओय होय कितना सोणा लड़का है कितना समझदार है मेरा बच्चा इस माँ का और उस माँ का दोनों का हाथ तेरे उपर है जब तकलीफ हो याद कर लेना तेरी यह माँ हाजिर हो जायेगी हां ...एक किन्नर ने ताली बजाते हुए कहा |

    जरुर जरुर माँ ...अंश ने उनके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा |

    फलो फूलो और साथ में माता आप दोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रखे और तुम दोनों हमेशा एल दुसरे को प्रेम करते रहो | हम चलते है ...किन्नर ने अपने आशीर्वाद देते हुए कहा |

    किन्नर माँ ने अंजाने में अंश और दिव्या को साथ रहेने के आशीर्वाद दे दिए थे जो हमारे लिए अंजामे थे लेकिन यह बात बहुत ही जल्द सही होने वाली थी |

     अरे माँ हम दोनों ...अंश इतना बोलकर चुप हो जाता है क्योकी अंश उन किन्नरों को कुछ समझाता उससे पहेले वो लोग वहा से चले जाते है |

     ठीक है ना कोई बात नहीं अंश जाने दो कुछ समझाने की जरुरत नहीं है चलो आगे बढ़ो ...दिव्या ने अंश को रोकते हुए कहा |

     दोनों फिर से नवलगढ़ की और आगे बढ़ने के लिए रवाना होते है | दोनों के मन में किन्नर के आने के बाद फिर से वही मुड़ बन रहा था जो अस्पताल से निकलते हुए बना था |

     यार मुझे तो अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है की मेरा बचपन का वो प्यार जो मुझे जान से भी प्यार था उसे भगवान ने फिर से मेरे पास लाकर रख दिया है और आज वो मेरे साथ है और मेरा सबसे अच्छा दोस्त है | गजब है भगवान की लीला | मै हर रोज सवाल करती की मुझे बिधवा क्यों बनाया मैंने आपका क्या बिगाड़ा है मुझे विधवा क्यों बनाया पर मै आज तक कभी भी यह नहीं समझ पाई की यह तो अंश को मेरे जीवन में वापस लाने की तेरी लीला थी भगवान | तु गजब है में आज मान गई मालिक ...दिव्या ने मन ही मन सोचते हुए कहा |

    वाह भगवान क्या तेरी माया है जिसे में प्यार करने लगा था में उसी का बचपन का प्यार निकला क्या बात है अब तो मेरा और दिव्या का मिलना पक्का है अब बस एसा कुछ करो की प्यार का इजहार हो जाए बस ...अंश ने कार चलाते हुए मन ही मन कहा |

    में भी कितनी पागल हु भगवान ने मुझे आज दुसरा मौका दिया है अंश को पाने का और में यह सोचकर जाने दे रही हु की छोडो ना अंश तो मुझे प्रेम नहीं करता | है भगवान एक बार कोई एसा संकेत दिला दो जिससे मुझे पता चल जाए की अंश भी मुझ से प्यार करता है बस में उसे कभी भी नहीं छोड़ना चाहती ...मन ही मन दिव्या ने अंश के बारे में सोचते हुए कहा |

    दिव्या को अपना बरसो बिछड़ा प्रेम आज मिला था जिस वजह से वो इतनी पागल और खुश हो गई थी वो की उसे उसके और अंश के मिलने के बाद के अंजाम का जरा सा भी अंदाजा नहीं रहा था उसे बस अंश, वो खुद और दोनों के बिच का प्यार ही दिख रहा था |

    हो ना हो भगवान तु मेरी प्रेम कहानी को इतिहास बनाने की फिराक मै है क्योकी की मुझे साला उसी लड़की से प्यार क्यों हुआ जिसको छूना और देखना भी पाप है और जिसका अंजाम... नहीं नहीं जाने दे अंश क्या कहा था पापा ने जब कोई रास्ता सच्चा लगे तो उस रास्ते पर आने वाली मुसीबतों के बारे में नहीं सोचते ...अंश ने मन ही मन सोचते हुए कहा |

    दोनों सोचते सोचते ही हवेली पहुच गए थे और उपर काले बादल छा गए थे जैसे बरसने के लिए तैयार ही हो | अंश आज कार को सीधा आगे के दरवाजे से अंदर ही ले जाता है किसी की परवा किए बिना और आम तौर पर हवेली का रास्ता सुमसान ही रहेता है वहा कोई आता जाता नहीं है |

    दोनों कार से जैसे ही उतरते है बारिश शुरू हो जाती है और दोनों दोड़ते हुए हवेली के अंदर जाते है ताकि बिना भीगे दिव्या के कक्ष तक पहुच सके | दोनों बिच बारिश दौड़ते हुए दिव्या के कक्ष में पहुंच जाते है ।

    एसे मत दोडो दिव्या कही अगर गिर जाती तो ...हाफते हुए अंश ने कहा |

    अरे कुछ नहीं होता वैसे मुझे बारिश बहुत पसंद है अंश अच्छा तुम रुको में तुम्हे एक बढ़िया चीज दिखाती हु ...दिव्या ने अपने पिटारे को खोलते हुए कहा |

    दिव्या अपने कपडे और अन्य चीजे वहा पड़े एक पिटारे में रखती थी वो उसी पिटारे में अभी कुछ खोज रही थी |

    दिव्या क्या ढूढ़ रही हो इतनी क्या जल्दी है बाद में बताना अभी चलना बारिश जोर से होने लगी है नहाते है चल ना यार ...अंश ने दिव्या के मन की बात सुनाते हुए कहा |

    हा चलती हु तुम रुको एक मिनट | यल लो मिल गई मेरी सबसे किमती चीज ...दिव्या ने अंश से कहा |

    दिव्या उस पिटारे से वो निकालती है जिसे देखकर अंश भी चौक जाता है और थोडा सा पुँरानी यादो में भी खो जाता है | दिव्या उस पिटारे से वो डायरी निकालती है जो अंश और दिव्या के प्यार की जड़ थी और गोपी और अंश के प्यार की शुरुआत थी जिसकी वजह से |

    अरे सही में तुमने यह डायरी चुरा ली थी क्या बात इस डायरी की वजह से में और गोपी जुड़े थे ...अंश ने उस डायरी की और देखते हुए कहा |

    अगर में अंश से नहीं कहूँगी तो जरुर एक बार फिर में अंश को खो दुंगी ...दिव्या ने डायरी के साथ आगे बढ़ते हुए मन ही मन कहा |

    हा और हमको भी यही जोड़ेगी अंश यह लो देखो और पढो जहा से बाकी थी वहा से ...दिव्या ने अंश को डायरी देते हुए कहा |

    अंश उस डायरी को अपने हाथ में लेता है और फिर उसे बड़े प्यार से देखता है और पुरानी यादो को याद करता है और साथ ही वो पुरी डायरी तो अभी नहीं पढ़ सकता पर कुछ एसे पन्ने पढता है जहा पर अंश को दिव्या ने क्यों छोड़ा और फिर आखरी के कुछ पन्ने भी पढता है जहा उसे पता चलता है की दिव्या आज तक उस अंश को तो प्यार करती ही थी लेकिन अब वो इस अंश से भी प्यार करने लगी थी | अंश इस डायरी को पढ़कर और भी खुश हो जाता है और डायरी को दिव्या को वापस दे देता है | बारिश और बिजली जोरो से कड़क ने लगी थी जैसे मानो अंश और दिव्या के एक होने पर खुश होकर नाच रही हो |

     चलो नहाते है अंश ...अंश का हाथ अपने हाथो में पकड़कर दिव्या दोड़कर हवेली के चौक में ले जाती है |

     दिव्या और अंश दोनों की धड़कने तेज चल रही थी | दिव्या अंश कुछ भी बोले उसके इंतजार में जरुर थी लेकिन उसके अंदर एक गभराहट भी थी जिस वजह से उसे थोडा समय मिले इसलिए वो अंश को बारिश में ले जाती है |

     दोनों हवेली के बीचो बिच एक बड़ा सा चौक था वहा पर खड़े थे और बारिश के पानी से भीग रहे थे दुनिया के लिए क्योकी अभी दोनों एक दुसरे के प्यार से भीग रहे थे बस एक दुसरे को भीगाना बाकी था जिस काम की शुरुआत अंश करता है |

     दिव्या सुनो ...अंश ने जोर से कहा |

     बारिश इतनी तेज हो रही थी की चारो तरफ हवेली पर बारिश की बूंदों के टकराव की ही आवाज आ रही थी |

     क्या मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है ...दिव्या ने अंश से कहा |

     थोडा नजदीक आओ कान में कहेता हु ...अंश ने बातो और इशारो दोनों से बोलते हुए कहा |

     दिव्या अंश के पास आती है | दिव्या के कानो के पास अंश अपना मु ले जाता है और सबसे पहेले अपनी बात दिव्या के कानो में कहेता है |

     मुझे तुम से इस बारिश से भी ज्यादा प्यार हो गया है तुम चाहो तो बिजली बनके मेरे साथ निचे गिर सकती हो ...अपने प्यार का इजहार करने के बाद अंश दिव्या के गालो पर चुंबन कर देता है |

     आखिरकार अंश ने अपने प्यार का इजहार कर ही दिया | दोनों बिच बारिश में अब एक दुसरे के प्यार से भीग रहे थे और भीगा रहे थे | दिव्या को आज अपने बचपन का प्यार मिल रहा था और इस हवेली में आज पहेली बार किसी के लिए कुछ अच्छा हो रहा था | बारिश जोरो से गिर रही थी हवेली की छत से चारो और से पानी जैसे झरने की तरह बहे रहा था और बिच मे अंश और दिव्या खड़े थे | अंश के इजहार करने के बाद दिव्या की धड़कने कुछ देर के लिए मानो जैसे रुक सी गई हो एसा दिव्या को लग रहा था | दिव्या के रौंगटे अंश के पहेली बार छूने के कारण खड़े हो गए थे |

    दिव्या उत्तर में कुछ कहेना है की नहीं कहेना है ...अंश ने चिल्लाते हुए दिव्या से कहा |

    अंश के इजहार करने के बाद दिव्या मानो किसी और दुनिया में चली गई थी जिसे अंश की आवाज ने अभी वापस ला दिया था |

    दिव्या अंश के पास आती है और अंश की आखो में आखे डालकर कुछ देर देखती रहेती है और फिर अंश की छाती के पास अपना मु ले जाती है और अंश के ह्रदय वाले हिस्से पर एक प्यार भरा चुंबन देती है और बड़े प्यार से उसके कानो में जैसे अंश ने अलग ढंग से अपने प्यार का इजहार किया था वैसे दिव्या भी अलग ढंग से अपने प्यार का इजहार करती है |

    अंश आज से तुम्हारा दिल मेरा और मेरा तुम्हारा | ना में विधवा और ना ही तुम कुवारे अब से हम एक है और हमारा सबकुछ एक अगर तैयार हो तुम तो में ना बिजली में वो जमीन जिससे मिलती है बारिश अगर हो तैयार तो आओ मिल जाए जन्मो जन्म तक ...दिव्या ने भी अपने अलग ढंग में प्यार का इजहार करते हुए कहा |

   दोनों ने आज मन से एक दुसरे से विवाह कर लिया था और मानो एसा लग रहा था की जैसे बारिश ब्राह्मण बनकर दोनों की शादी के मंत्र जप रही हो | आज बाराती भी बारिश बनकर आई थी और दुल्हन वालो की जगह भी बारिश ने ही ले रखी थी | बिच बारिश आज दोनों पानी की बूंदों से ज्यादा एक दुसरे के प्यार से भीग रहे थे |

   आखिरकार आज दोनों ने एक दुसरे से प्यार का इजहार कर ही दिया था लेकिन आगे दोनों के लिए प्यार का यह पंथ आसान नहीं था | अब आगे जो होने वाला था वो एसा होने वाला था की आपको यही लगने लगेगा की यह प्यार नहीं आसान यह आग का दरिया है इसमें डुबकर जाना है यह मुहावरा अंश और दिव्या के लिए ही बना हुआ हो |

TO BE CONTINUED NEXT PART...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन देव ||

A VARUN S PATEL STORY