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हमने दिल दे दिया - अंक २१

    तीनो दोस्त ख़ुशी के घर के पीछे की और पहुचते है जहा से पिछली बार ख़ुशी को लेने अंश और अशोक आए हुए थे | ख़ुशी अपने घर की छत से होकर जैसे पहली बार निचे आई थी वैसे ही निचे आती है |

    आओ जी पधारो जी ख़ुशी बा आपका हार्दिक स्वागत है ह्रदय से ...ख़ुशी की मजाक करते हुए पराग ने कहा |

    आज लगता है इसको किसी ने गुटखा नहीं दी लगती मु खाली लग रहा है ...अंश के पीछे बैठते हुए ख़ुशी ने कहा |

    आज कल कुछ ज्यादा ही बोलने लगा है यह साले की सारी गुटखा पिछवाड़े से मार-मार कर निकालने की जरुरत है ...चिराग ने कहा |

    सारे दोस्त बाते करते हुए वहा से निकलते है और हवेली पहुचते है और जैसे हर बार जाते है वैसे ही इस बार अंदर हवेली में सारे दोस्त घुसते है |

    यार एसा करो ख़ुशी तु अंदर जा हम दरवाजे पर सेंसर लगाकर आते है जिससे हमें आगे चलकर कोई दिक्कत ना आए ...अंश ने ख़ुशी और अपने दोस्तों से कहा |

    हा सामान साथ में ही है चल लगा ही देते है ...अशोक ने अंश से कहा |

    चारो दोस्त मिलकर दरवाजे पर सेंसर लगाने के लिए जाते है जहा बिच में दोनों गार्ड बैठे हुए थे |

    कैसे हो गार्ड भैया ...अंश ने सारे गार्ड से कहा |

    अंश गार्ड के पास बैठता है और अशोक, पराग और चिराग तीनो मिलकर दरवाजे पर सेंसर लगाने के लिए जाते है |

    अरे जिनका वीडियो किसी के पास हो और हर बार जिनके दिल में यह डर रहेता हो की कभी भी हमारा वीडियो मान साहब के पास जा सकता है वो कैसे रहेगा आप ही बताओ ...एक गार्ड ने कहा |

    अरे आप चिंता छोड़ दो और मेरे उपर भरोसा करो की में एसा कुछ नहीं करने वाला और हमारी भी चिंता ना करो हम यहाँ पर हमारी एक दोस्त यहाँ अंदर है उसकी मदद के लिए आते है और हम तो कहते है आप एकदम चिंता मुक्त होकर मजे करिए हम किसी को कभी भी नुकशान नहीं पहुचाएंगे और हा आप कहे तो उस बार वाली आपको मंगवाके दे सकता हु ...चहरे पर हसी के साथ शराब की बात करते हुए अंश ने कहा |

    अगर एसा हो तो उपकार आपका हुजुर और मंगवा दिजिएना वरना इतनी महेंगी हमारे नशीब में कहा ...उसी शराब की बात करते हुए गार्ड ने कहा |

    अबे अशोक वो शराब वाला डिलीवरी करता है ...अंश ने दरवाजे पर सेंसर लगा रहे अशोक से कहा |

    वो इम्पोर्टेन्ट वाली ना ...अशोक ने कहा |                                       

    हा वही वाली ...अंश ने कहा |

    हो जाएगा कब मंगवानी है ...अशोक ने कहा |

    अभी ही चाहिए हमारे लिए तिन मंगवा और दो इन दोनों भाई साहब के लिए मंगवा दे ...अंश ने अशोक से कहा |

    चल बोल देता हु ...अशोक ने अपना फोन निकालते हुए कहा |

    ठीक है अब बढ़िया ...अंश ने वहा से खड़े होते हुए कहा |

    ठीक है जी भैया ...गार्ड ने कहा |

    चिराग दरवाजे के उपर चढ़ता है और सेंसर को एसी जगह पे लगाता है जिससे जब भी दरवाजा खुले तो अंश के फोन की घंटी बजने लगे | सेंसर सीधा अंश के फोन के साथ जुड़ा हुआ था |

    हो गया की नहीं ...अंश ने अपने दोस्तों के पास आते हुए कहा |

    लग तो रहा है लेकिन चिराग का कुछ कहे नहीं सकते भाई ...पराग ने चिराग की और बोलते हुए कहा |

    अशोक मुझे ना एक और एसा सेंसर चाहिए जिसे में इसके मु में लगा दूंगा की जैसे यह गुटखा अपने मु में डालने जाएगा तो इसका मु बंद हो जाए ...सेंसर को ठीक से लगाते हुए पराग की खिचाई का उत्तर देते हुए चिराग ने कहा |

    ठीक है लगा देंगे पहले इसके बारे में बता की यह हुआ की नहीं ...अंश ने चिराग से पूछते हुए कहा |

    हा हो गया चलो अभी एक बार इस दरवाजे को खोलकर देख लेते है ...चिराग ने उपर से निचे उतरते हुए कहा |

    चिराग निचे उतरता है और दरवाजे को खोलकर एक बार चेक करता है और जैसे ही चिराग दरवाजा खोलता है तुरंत अंश के फोन की घंटी बजने लगती है | अंश अपना फोन अपनी जेब से निकालता है और उसमे बज रही आवाज यानी घंटी को बंद करता है और अपने दोस्त चिराग की तरफ देखकर कहता है |

    यारो हो गया ...अंश ने कहा |

    चलो कुछ तो हुआ इस नालायक से वरना इससे तो अपने खुद के संडास में हगा तक नहीं जाता... पराग ने फिर से चिराग की खिचाई करते हुए कहा |

    अबे साले आज तुझे हो क्या गया है तु मेरे पीछे ही पड़ा हुआ है ...चिराग ने कहा |

    बेटा तुन्हें गुटखा वाली धमकी देकर बहुत गलत किया है में तुझे छोडूंगा नहीं समझा ...पराग ने कहा |

    अबे एसा है तो चल देखते है साले ...चिराग ने पराग से कहा |

    अबे यह सब बचपना छोडो और चलो उपर तुम लोगो को कुछ तडकता भड़कता नास्ता बनाना है ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

     अबे ए हम क्यों बनाए नास्ता वहा पर दो नारिया है और तुझे नास्ता हम से बनवाना है ...चिराग ने कहा |

     अबे साले तेरे जैसा मंचुरियम वो दो नारी से नहीं बनने वाला तो शांति से बिना कोई बात किए बना दे ठीक है ...अंश ने हवेली के अंदर की और जाते हुए कहा |

     साला कोई अगर औरत के चक्कर में पड़ता है तो खुद हलवाई या नौकर बनता है और यहाँ पर चक्कर में यह है और हलवाई अपने दोस्तों को बना रहा है ...चिराग ने भी साथ में अंदर जाते हुए धीमे से कहा |

     सारे दोस्त हवेली के अंदर से होते हुए दिव्या के रूम पर पहुचते है जहा पर दिव्या और ख़ुशी बैठकर दिव्या की तबियत के बारे में बात-चित कर रहे थे |

     क्या गुफ्तगू चल रही है दोनों मैडमो में ...अंश ने दोनों के पास आकर बैठते हुए कहा |

     कुछ नहीं भाभी से उनकी तबियत के बारे में पूछ रही थी की क्या कहा डोक्टर ने ...दिव्या ने कहा |

     अरे हा उसी की तो मन में हर दम चिंता चल रही है और ख़ुशी उसमे तुम्हारी बड़ी मदद लगेगी हमें ...अंश ने दिव्या से कहा |

     तीनो दोस्त भी साथ में आकर बैठ जाते है |

     अबे यार यहाँ पर तो बहुत गर्मी लग रही है चलो ना सबकुछ लेकर उपर छत पर चले जाते है ...पराग ने कहा |

     सारा सामान तु उपर चढ़ाएगा ...चिराग ने कहा |

     अबे में क्यों लेकर जाऊ ...पराग ने चिराग से कहा |

     दोनों बार बार एक दुसरे को चिढाये जा रहे थे |

     अरे यार यह दोनों फिर से शुरू हो गए इनका में क्या करू अशोक यार तु समझा ना इन लोगो को ...अंश ने कहा |

     इन दोनों को समझाना मतलब मरने जैसा है पर कोई नहीं में तो बचपन से इन लोगो को समझाता आया हु मेरे लिए तो बाये हाथ का खेल है ...अशोक ने कहा |

     प्लीज ...अंश ने कहा |

     देखो अगर तुम लोगो ने आगे से यह लवारी ( बकवास ) बंद ना की तो तुम लोगो के जो उपनाम है वो में इन दोनों महिलाओ को अवश्य बता दूंगा ...अशोक ने दोनों की दुखती नस को पकड़ते हुए कहा |

     दोनों अशोक की यह बात सुनने के बाद चुप हो जाते है और फिर दोनों के बिच आखो से लड़ाई की शुरुआत होती है |

     अरे एसा क्या है इन दोनों के उपनाम में की दोनों वो नाम बहार ना आए इस वजह से किसी की भी सुन रहे है ...ख़ुशी ने कहा |

     हां यार गजब हो गया यह तो ...दिव्या ने कहा |

     वो सब बाते हम लोग बाद में करेंगे पहले तो हमारे सामने एक सवाल है उसका जवाब हमें ढूढना है ...अंश ने कहा |

     कैसा सवाल मतलब थोडा विस्तार में बताओ ना अंश ...ख़ुशी ने कहा |

     सवाल यह है की डोक्टर ने दिव्या को ५-६ दिन तक कुछ ट्रीटमेंट के लिए अस्पताल आने के लिए कहा है और तु तो जानती है यहाँ से बहार जाना मतलब कितना बड़ा खतरा ...अंश ने दिव्या, ख़ुशी और अपने दोस्तों से कहा |

     अरे यार यह तो सच में बड़ी चिंता की बात है ...ख़ुशी ने कहा |

     चिंता की तो बात है पर करना है यह भी तो तय है बस कैसे करना है वो देखना है... अंश ने कहा |

     एक काम हो सकता है अंश में अपनी कार लेकर आऊंगा या तो तु ले जाना उनके शीशे भी काले है तो अंदर कौन बैठा है उसका पता ही नहीं चलेगा तो तुम लोग बिच गाव से आसानी से जा सकते हो और आ सकते हो ...अशोक ने कहा |

     दिलीप काका मान जाएंगे उनको कार की जरुरत नहीं होगी ...अंश ने अशोक को सवाल करते हुए कहा |

     अरे उसकी चिंता तुम मत करो वो में देख लुंगा बाकी का सोचो ...अशोक ने कहा |

     बाकी के प्लान के लिए तुम तीनो की और ख़ुशी की जरुरत होगी मुझे ...अंश ने कहा |

     हा बोलो क्या जरुरत है हम से जो होगा हम करेंगे ...ख़ुशी ने कहा |

     हा हमने तो कसम खाई है तेरे संग मरने की तु खाली पिली आवाज कर भाई ...चिराग ने भी अपने साथ के लिए हामी भरते हुए कहा |

     थोडा तेरा गुटखा का खर्चा होगा पर हा में भी साथ हु भाई ...पराग ने भी हामी भरते हुए कहा |

     तो ठीक है मेरी बात सुनो ख़ुशी तुम अपने घर के सारे लोगो पे नझर रखोगी वो लोग जैसे ही यहाँ पर आने का आयोजन बनाए तो तु सीधा मुझे फोन करेगी ठीक है ...अंश ने ख़ुशी से कहा |

     हा बिलकुल ...ख़ुशी ने अंश से कहा |

     अशोक, चिराग और पराग आप तीनो में से अशोक तुम यही पर रहोगे हवेली पे और नझर रखोगे की यहाँ पर कोई आ रहा है या नहीं और तुम दोनों जादवा सदन से लेकर यहाँ के रास्तो पर अलग अलग बैठकर यह ध्यान रखोगे की कोई हवेली की और तो नहीं आ रहा क्योकी हो सकता है जादवा सदन में प्लान ना बनकर बहार आकर हवेली पर आने का प्लान बने तो कुछ बोल नहीं सकते इसलिए जब तक हम वापस ना आए तुम लोग अपनी जगह नहीं छोडोगे ...अंश ने अपने तीनो दोस्तों को समझाते हुए कहा |

     ठीक है done ...तीनो दोस्तों ने कहा |

     thank god कई दिनों के बाद में बहार जाने वाली हु यार जीवन में पहली बार मुझे कोई बीमारी अपने लिए अच्छी लगी है ...दिव्या ने खुश होकर कहा |

     आजादी किसको पसंद नहीं होती है ...अंश ने दिव्या से कहा |

     ओह भाई अब बहुत हो गया उपर छत पर चलते है ना यार यहाँ पर बहुत गर्मी है यारा ...पराग ने फिर से कहा |

     ठीक है चलो चलते है और साथ में नास्ता बनाने का सामान भी लेकर जाते है ... अंश ने कहा |

     सब लोग गर्मी के कारण वहा से उठकर छत पर नास्ता बनाने का सारा सामान लेकर चले जाते है | एक तरफ दिव्या, ख़ुशी, अशोक और अंश बैठे हुए थे और दुसरी तरफ चिराग और पराग मंचुरियम बना रहे थे |

     अच्छा यार उन लोगो के वो उपनाम तो बताओ हमें जिससे वो इतना डरते है ...ख़ुशी ने जानने की उत्सुकता दिखाते हुए कहा |

     अरे कुछ नहीं और बताओ ...अशोक ने कहा |

     कमोन अशोक बताओ ना हम उन लोगो से नहीं कहेंगे यार ...ख़ुशी ने कहा |

     अंश बता दु ...अशोक ने अंश से पूछते हुए कहा |

     बता दे उसमे क्या अब से यह दोनों भी हमारे ग्रुप के ही है ...अंश ने कहा |

     तो ठीक है सुनो लेकिन हा उन दोनों के सामने देखकर हसना मत हा ...अशोक ने कहा |

     ख़ुशी और दिव्या अभी से उन दोनों के सामने देखकर हसने लगी थी जो पराग देख लेता है और चिराग से कहेता है |

     भाई वहा पर हमारे नाम की ही खिचड़ी पक रही है ... पराग ने मंचुरियम बना रहे अशोक से कहा |

     जब मंचुरियम बना रहे है तो वो खिचड़ी क्यों बनायेंगे भाई ...चिराग का ध्यान अपने काम में ही था |

     हे भगवान क्या करू में इसका इससे गरीब आदमी मैंने नहीं देखा बुध्धि का अबे वहा पर हमारी ही बाते चल रही हो एसा लग रहा है दिव्या और ख़ुशी दोनों हमारी तरफ देखकर हस रही है ...पराग ने कहा |

     क्या बात कर रहा है ...चिराग ने भी दिव्या और ख़ुशी की तरफ देखते हुए कहा |

     पराग है उसका एक नाम तो आपको पता ही है गुटखा क्योकी २४ घंटे में शायद ATM बंद हो सकता है पर उसके मु में गुटखा ना हो एसा नहीं हो सकता और उसका दुसरा नाम है रानी रूपमती ...अशोक ने पराग का उपनाम बताते हुए कहा |

     क्या रानी रूपमती ...हसते हुए दिव्या ने कहा |

     एसा नाम कैसे हो सकता है किसी लड़के का जरुर इसके पीछे कोई कहानी होगी ...ख़ुशी ने भी हसते हुए कहा |

     कहानी है पर वो बाद में पहले तुम नाम तो सुन लो ...अंश ने कहा |

     दिव्या और ख़ुशी पराग और चिराग की तरफ देखकर मंद मंद हसे जा रहे थे |

     देख में बता रहा हु वो लोग हमारी ही बात कर रहे है ...पराग ने कहा |

     देखते है ...चिराग ने कहा |

     और चिराग का नाम है बासमती ... अशोक ने कहा |

     बासमती यह तो बड़ा ही अजीब नाम है ...दिव्या और ख़ुशी ने कहा |

     इसके पीछे की कहानी हमारे स्कूल के समय के साथ जुडी हुई है जब में पढने में होशियार था और यह तीनो एवरेज ...अशोक ने कहा |

     ओह भाई मुझे एवरेज ना बोला कर स्कूल की सारी लडकिया मेरे पीछे फ़िदा थी उस वक्त समझा और अभी की बात कर अभी में टॉप लेवल का students हु ओर तुम लोग फुद्दू ...अंश ने कहा |

     हा भाई तु तो राँझा था तेरी प्रेम कथा तो सारे जग में प्रख्यात थी लेकिन वो सब बाद में पहले हम इन दोनों की कहानी पर ध्यान देते है जब हम स्कूल में थे तो इन दोनों ने क्लास में से बंक मारने की कोशिश की और सर ने दोनों को पकड़ लिया और दोनों को सजा के तौर पर लडकियो के कपडे पहेनाए और सारे क्लास के सामने एक को रूपमती और दुसरे को बासमती बनाकर Ramp Walk करवाया तभी से दोनों को हम यही उपनाम से बुलाते है और चिढाते है ...अशोक ने चिराग और पराग का राझ खोलते हुए कहा |

     अशोक जब यह सारी बाते कर रहा था तब चिराग उसके पीछे आ चूका था और सारी बाते सुन रहा था जिसका अशोक को कोई अंदाजा नहीं था और ना ही अंश को | अशोक के पीछे से चिराग बोलता है |

     अशोक भाई आप मेरे हाथ का मंचुरियम खाएंगे या फिर मेरा हाथ का मार खाना ही पसंद करेंगे ...अशोक ने अचानक से पीछे से कहा |

     अरे बासमती ...ख़ुशी ने चिराग के अचानक से आने पर कहा |

     ख़ुशी क्या कर रही हो ...अंश ने एक दम से कहा |

     सालो अब तुम्हे नहीं छोडूंगा गुटखे इधर आ उस लकड़ी के डंडे को लेकर इन दोनों ने गद्दारी वाला काम किया है ...चिराग ने पराग से कहा |

     हवेली की छत पर चारो दोस्तों की भागा दोडी की शुरुआत हो जाती है अशोक और अंश आगे और पराग चिराग पीछे दोड रहे थे | आज हवेली पे मजाक का अनोखा ही माहोल बना हुआ था मानो जैसे दिव्या को अकेला होने पर काटने दोड़ने वाली हवेली आज एक जिंदगी का माहोल बनकर उभर रही थी | चारो दोस्तों के बिच ढेर सारी मजाक मस्ती होती है जिसका आनंद ख़ुशी और दिव्या ले रहे थे दोनों की नजरे अंश के उपर थी | दोनों के लिए अंश अब उनके जीवन का सबसे पसंदीदा इंसान बनता जा रहा था और दोनों ही अब धीरे धीरे अंश के प्रेम में पागल होते जा रहे थे जो अंश के लिए आगे जाकर बहुत बड़ी मुसीबत बनने वाली थी |

     सब के बिच मजाक मस्ती और नास्ता वगेरा होता है जिसके बाद सभी अपने अपने घर जाने के लिए निकलते है और दिव्या उपर छत पर ही सोना पसंद करती है | सभी दोस्त सुबह के ४ बजे तक हवेली पर थे और इस तरफ जादवा सदन में हर रोज की तरह आज भी ख़ुशी की भाभी मधु जाग चुकी थी और वो ख़ुशी के रूम की और से गुजर रही थी | जाते जाते उनकी नझर ख़ुशी के कक्ष की खिड़की की और पड़ती है और देखती है तो ख़ुशी अपने कक्ष में नहीं थी | यह देखकर उसके मन में कई सारे सवाल होने लगते है और वो सबसे पहले पुरे रूम में नझर करती है और बाद में उन्हें लगता है की ख़ुशी शायद उपर छत पर उस बार की तरह अंश से बात करने के लिए गई होगी इसलिए मधु भी छत के उपर जाती है और देखती है तो ख़ुशी वहा पर भी नहीं थी |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...  

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY