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हमने दिल दे दिया - अंक १८

अंक १८ - ब्लड प्रेसर

    अंश हवेली के अंदर जाता है और दरवाजा खटखटाता है पर दिव्या दरवाजा नहीं खोल रही थी अंश के कही सारे प्रयासों के बाद भी जिस कारण से अंश खिड़की से जाके देखता है तो उसे दीखता है की दिव्या कक्ष के बीचो बिच बेहोश अवस्था में पड़ी हुई है | वो इस दृश्य को देखकर गभरा सा जाता है और मन ही मन सोचने लगता है की अब वह क्या करे क्योकी वो किसी को फोन करके बता नहीं सकता अगर किसी को बताएगा तो सब को सबसे पहले यह सवाल नहीं होगा की दिव्या को क्या हुआ सबको सवाल यही होगा की अंश वहा पर क्या कर रहा है | कुछ देर अंश बहार खड़े खड़े सोचता है फिर वो सबसे पहले दरवाजा तोड़कर अंदर घुसता है और दिव्या का शिर अपनी गोद में लेकर उसे जगाने की कोशिश करता है लेकिन दिव्या फिर भी नहीं जग रही थी इसलिए वो कक्ष में पानी ढूढ़ता है और दिव्या के मु पर पानी के कुछ छीटे मारता है लेकिन दिव्या फिर भी अपनी आखे नहीं खोल रही थी | दिव्या का शरीर अंश छूकर देखता है |

    इसका शरीर तो बिलकुल ठंडा पड़ चूका है अब क्या किया जाए ...अंश ने कुछ ना कुछ सोचते हुए कहा |

    थोडा सोचने के बाद अंश अपना फोन निकालता है और अपने दोस्त यानी चिराग को फोन लगाता है जो अपनी कॉलेज के काम से जनमावत गया हुआ था | इस तरफ कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ खड़े चिराग के फोन की घंटी बजती है और चिराग फोन उठाता है |

    हा अंश बोल ...चिराग ने कहा |

    देख ध्यान से सुन जो कहू उसे सवाल जवाब करे बिना पुरा कर क्योकी टाइम नहीं है दिव्या बेहोश हो गई है उसका शरीर पुरा ठंडा पड़ चूका है जल्द से जल्द अस्पताल जा और कुछ भी करके यहाँ पर डोक्टर लेकर आ...अंश ने चिराग से कहा |

    ठीक है हम लोग पहुचते है तु वहा पर दिव्या का ध्यान रख बस हम जल्द से जल्द आते है ...फोन रखते हुए चिराग ने कहा |

    अशोक, पराग चलो जल्दी से इससे भी तत्काल काम आया है जल्दी सवाल जवाब बाद में ...चिराग ने अपनी मोटर-साईकल निकालते हुए कहा |

    तीनो दोस्त फटाफट से अस्पताल पहुचते है | तीनो के पास दो मोटर-साईकल थी एक अशोक की और एक चिराग की | तीनो अस्पताल में जाते है और डोक्टर को दिव्या के बारे में सबकुछ जल्द से जल्द समझाते है ताकि डोक्टर वहा आने के लिए तैयार हो जाए | डोक्टर बहुत अच्छा आदमी था इसलिए वो इन लोगो की परिस्थित समझकर अपना सारा सामान लेकर वहा आने के लिए तैयार हो जाता है | एक मोटर-साईकल में सब सामान रख लेते है जिसमे चिराग और पराग बैठे थे और अशोक डोक्टर को अपने मोटर-साईकल में बिठा लेता है और चारो जल्द से जल्द हवेली पहुचते है | चारो हवेली के आगे की और से ही अंदर प्रवेश करते है क्योकी अभी वो गार्ड मानसिंह जादवा के कम अंश के ज्यादा बन चुके थे |

    डोक्टर जल्द से जल्द दिव्या के कक्ष में पहुचता है और दिव्या की हालत देखता है | दिव्या जमीन पर ही सोई हुई थी |

    यहाँ पे बेड वगेरा नहीं है क्या ...डोक्टर ने कहा |

    नहीं डोक्टर मैंने वही तो आपको बताया की अंध विश्वाश में डूबा यह गाव इसे बिना बात की सजा दे रहा है अगर इस बात का पता हमारे पहले उनको लगा होता तो वो इसे मरने के लिए छोड़ देते और वजह नियती को बताते की इसकी जो नियती होगी उस प्रकार से जो होना होगा वो हो जाएगा ...चिराग ने डोक्टर से कहा |

     ठीक है वो सब में बाद में पूछ लुंगा सबसे पहले हम इनका इलाज करते है ...डोक्टर सबसे पहले दिव्या का ब्लड प्रेसर चेक करते है |

     इनका ब्लड प्रेसर काफी बढ़ गया है इन्हें जल्द से जल्द मुझे इनजेक्सन लगाने होंगे ...डोक्टर ने दिव्या को कुछ इनजेक्सन लगाते हुए कहा |

     दिव्या की इस हालत को देखकर वहा खड़े हर किसी के अंदर गभराहट थी | सब को बिना गर्मी के पसीना छुटा जा रहा था क्योकी आज चारो ने गाव के कायदे कानून की हद पार कर दी थी |

     कुछ देर की सारवार के बाद दिव्या को होश आता है और दिव्या अपनी आखे खोलती है और वहा खड़े हर किसी को देखकर चौक जाती है |

     अरे क्या हुआ है मुझे और आप सब यहाँ पर यह डोक्टर ...दिव्या ने अपनी हालत और वहा खड़े डोक्टर को देखते हुए कहा |

     देखिए आराम से गभराने की बात बिलकुल नहीं है आप ठीक है | आपका ब्लड प्रेसर बढ़ गया था जिस वजह से आपको इनजेक्सन देना पड़ गया और अभी आपको मुझे दवाई की पुरी बोटल भी चढ़ानी होगी इसलिए आपको जहा कही भी सोना हो सो जाईये फिर मै आपको बोटल चढ़ा दु ...डोक्टर ने कहा |

     दिव्या अपने आप खड़े होने की कोशिश करती है लेकिन शरीर में कमजोरी होने की वजह से वो खड़ी नहीं हो पाती लेकिन अंश उसे दोनों बाजुओ से पकड़ता है और उसका सहारा बनता है | दिव्या अभी दिल और दिमाग दोनों से कमजोर थी वो खुद से चल भी नहीं पा रही थी | अंश दिव्या को कक्ष में वो जहा खिड़की पास सोती है वहा ले जाता है |

     चिराग यहाँ पर गद्दा बिछा देना ...अंश ने चिराग से कहा |

     चिराग खिड़की के बिलकुल पास एक गद्दा बिछा देता है जिसमे अंश दिव्या को सुला देता है | दिव्या का ध्यान अंश की तरफ ही था | दिव्या के लिए अंश बहुत कुछ कर रहा था जिसे दिव्या आज अपनी आखो से देख रही थी | डोक्टर दिव्या को दवाई की बोटल लगा देते है जिससे ब्लड प्रेसर भी सही रहे और कमजोरी भी दुर हो सके |

     आभार डोक्टर साहब ...दिव्या ने डोक्टर से कहा |

    आभार मुझे नहीं अपने इन दोस्तों का करो अगर यह समय पर नहीं बुलाते तो कुछ भी होने की संभावना थी ...डोक्टर ने कहा |

    दिव्या अंश, अशोक और पराग के सामने देखती है | दिव्या सब उसके लिए बहुत कुछ कर रहे थे यह समर्पण देखकर खुश हो जाती है और भावुकता भरे आशु भी उसकी आखो में आ जाते है |

    आप सबकी में ऋणी रहूंगी जीवनभर आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है ...दिव्या ने कहा |

    अरे दिव्या जी एसा मत कहिए हम तो हमारा फर्ज निभा रहे है ...चिराग ने दिव्या से कहा |

    thank you अंश आज तुमने मेरी जान बचा ली ...दिव्या ने अंश का हाथ पकड़कर कहा |

    अरे इस में thank you क्यों हम दोस्त है तो दोस्त का तो काम होता है दुसरे दोस्त की मदद करना ...अंश ने कहा |

    चलिए अब मै चलता हु कोई एक मेरे साथ बहार आए तो इनकी दवाई वगेरा क्या लानी है मै समझा दु ...डोक्टर ने कहा |

    जी में आता हु चलिए ...अंश ने कहा |

    अंश और डोक्टर दोनों बहार जाते है | दिव्या के साथ जो भी हुआ वो सब डोक्टर बताने की शुरुआत करते है |

    आपका शुभ नाम क्या है ...डोक्टर ने कहा |

    जी अंश केशवा आप विश्वाराम केशवा को तो जानते ही होंगे आपके अस्पताल के ट्रस्टी है में उनका ही बेटा हु ...अंश ने अपनी पहचान देते हुए कहा |

    अरे आप उनके बेटे हो तो फिर आपके दोस्त ने खाली आपके पिता का नाम दे दिया होता तो भी चलता इतना सबकुछ बताने की जरुरत ही नहीं थी ...डोक्टर ने कहा |

    कोई बात नहीं आप दिव्या के बारे में कुछ बताने वाले थे डोक्टर ...अंश ने कहा |

    अरे हा उनके सामने तो मैंने नहीं बोला लेकिन उनका ब्लड प्रेसर बहुत बढ़ गया था एसे मै उनको पेरालिसिस की असर भी हो सकती है वैसे तो एसे दर्दी को हर हालत में अस्पताल में भर्ती होना चाहिए लिकिन आपके दोस्तों ने जो बताया उस वजह से मै आपको अस्पताल में भर्ती होने के लिए तो नहीं कहूँगा लेकिन उनको ५ से सात दिन तक कुछ बोतले चढ़ानी होगी और कुछ टेस्ट भी तो आपको इन्हें अस्पताल लेकर तो आना पड़ेगा वरना इन्हें पेरालिसिस भी हो सकता है ...डोक्टर ने कहा |

    यह तो मुश्किल है लेकिन हमारे पास कोई और रास्ता भी तो नहीं है ना । ठीक है मै कुछ करूँगा ...अंश ने डोक्टर से कहा |

    यहाँ पे सबकुछ नहीं हो सकता वरना में आपको इन्हें वहा लाने के लिए ना बोलता ...डोक्टर ने सबकी हालत समझते हुए कहा |

    में उन्हें वहा लेकर आऊंगा लेकिन आप बस इतना ध्यान रखना डोक्टर की इस कॅश की जानकारी किसी को ना मिले वरना बात मेरी जान तक भी आ सकती है ...अंश ने कहा |

    बिलकुल निश्चितं रहिए आप एसा कुछ नहीं होगा में आपको कुछ दवाई लिखकर दे रहा हु आप इन्हें वो दवाई जल्द से जल्द लाकर देना शुरू कर दीजिए ठीक है ...डोक्टर ने कागज में कुछ दवाई लिखते हुए कहा |

    डोक्टर दवाई लिखकर अंश को देते है |

    ठीक है डोक्टर thank you आपको मेरा दोस्त छोड़ देगा अस्पताल तक ...अंश ने कहा |

    जी कोई बात नहीं ...डोक्टर ने कहा |

    अभी तक सिर्फ दिव्या का ब्लड प्रेसर बढ़ा था लेकिन अब सबका बढ़ने वाला था क्योकी आगे जो भी होने वाला था वो सबकी सोच से परे और सबके लिए काफी घातक होने वाला है |

    अंश के दिमाग में अभी कई सारे सवाल दोड रहे थे जैसे की दिव्या को यहाँ से अस्पताल ले जाना मतलब आत्म हत्या करने जैसी बात थी ? सवाल कई थे जैसे की अगर यहाँ से दिव्या को अस्पताल लेकर गए और उसी वक्त कोई जादवा परिवार का सदस्य हवेली आ पंहुचा तो एसे कई सवाल अंश के दिमाग में दोड रहे थे पर उत्तर एक ही था की सारे सवालों के उत्तर जानने के लिए पढ़ते रहिए Hum Ne Dil De Diya के आने वाले सारे अंको को और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...   

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY