Horror Marathon book and story is written by Vaidehi Vaishnav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Horror Marathon is also popular in Horror Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हॉरर मैराथन - Novels
by Vaidehi Vaishnav
in
Hindi Horror Stories
मॉम... मॉम... मैं जा रही हूं। मेरे सभी दोस्त मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मीनू ने अपने बैग में अपना सामान रखते हुए तनुजा से कहा।
अरे बेटा पर ये नाश्ता तो करते जाओ। पता नहीं तुम लोग कब पहुंचोगे और कब कुछ खा पाओगे। तनुजा ने किचिन से निकलते हुए मीनू से कहा।
नहीं मॉम मैं वैसे भी बहुत लेट हो गई हूं। नाश्ता करने के चक्कर में और देर हो जाएगी और फिर मानसी मुझे इतना सुनाएगी कि मेरा मूड ही ऑफ हो जाएगा। मीनू ने एक सेंडविच उठाते हुए कहा।
वैसे कौन जा रहा है तुम्हारे साथ ? तनुजा ने पूछा।
मैं हूं, मानसी है, साहिल, अशोक, राघव और शीतल। मीनू न सेंडविच खाते हुए नाम गिनाए और बाहर को दौड़ लगा दी।
ठीक है पर कब तक आओगे ये तो बता दो ? तनुजा ने भागती मीनू के पीछे जाते हुए कहा।
दो या तीन दिन का ट्रिप है मॉम। जल्दी ही आ जाएंगे, आप चिंता मत करना। मीनू घर के मुख्य दरवाजे से बाहर निकलते हुए तनुजा की आंखों से ओझल हो गई।
हे भगवान ये लड़की भी ना किसी तूफान मेल से कम नहीं है। जब जाना था तो थोड़ा जल्दी उठ जाती। जाना भी है और नींद भी पूरी करना है। फिर मेरे लिए हाय तौबा मचा गई। तनुजा धीरे-धीरे बुदबुदाते हुए फिर किचिन में पहुंच गई थी।
भाग 1 मॉम... मॉम... मैं जा रही हूं। मेरे सभी दोस्त मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मीनू ने अपने बैग में अपना सामान रखते हुए तनुजा से कहा। अरे बेटा पर ये नाश्ता तो करते जाओ। पता नहीं तुम ...Read Moreकब पहुंचोगे और कब कुछ खा पाओगे। तनुजा ने किचिन से निकलते हुए मीनू से कहा। नहीं मॉम मैं वैसे भी बहुत लेट हो गई हूं। नाश्ता करने के चक्कर में और देर हो जाएगी और फिर मानसी मुझे इतना सुनाएगी कि मेरा मूड ही ऑफ हो जाएगा। मीनू ने एक सेंडविच उठाते हुए कहा। वैसे कौन जा रहा है
भाग 2 माधव और खुशी की हाल ही में शादी हुई हैं। दोनों एक ही संस्थान में कार्यरत थे और काम के सिलसिले में हुई एक मीटिंग में दोनों की मुलाकात हुई, जो दोस्ती से शुरू हुई और बाद ...Read Moreजीवन के सफर में हमसफर बन जाने तक मुकम्मल हुई। खुशी के माता-पिता माधव को पसन्द नहीं करते थे इसलिए दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर कोर्ट में शादी कर ली। अब दोनों का एक ही सपना हैं खुद का घर। खुशी परियों की कहानियां सुनकर बढ़ी हुई, इसलिए आज भी उसकी दुनिया उसके सपने लड़कपन की तरह ही थे।
भाग 3 खुशी मैं तुम्हारी पड़ोसन हूं। दरवाजा खुला था इसलिए सीधे तुम्हारे पास चली आई। तुम भी मेरी तरह अकेली रहती हो, इसलिए सोचा तुम्हें कंपनी दे दूँ। वैसे भी ऐसे समय तुम्हें यूं उदास नहीं रहना चाहिए। ...Read Moreकी सेहत पर असर पड़ता हैं। खुशी को उनका चेहरा जाना पहचाना सा लगा। पर याद नहीं आ रहा था कि उन्हें कहां देखा है। अब तो रोज माधव के जाते ही खुशी की पड़ोसन आ जाती और माधव के घर आने के थोड़ी देर पहले ही चली जाती। खुशी भी अब पहले की तरह दिखने लगी वह खुश रहती
भाग 4 मधुमिता की बचपन से ही इतिहास और पुरातत्व विषय में रुचि रहीं। रुचि की वजह मधुमिता के दादाजी थे। मधुमिता के दादा विष्णुधर दुबे पुरातत्व विभाग में कार्यरत थे और हमेशा मधुमिता को ऐतिहासिक कहानियों, महलों या ...Read Moreसे मिली चीजों के बारे में किस्से सुनाया करते। मधुमिता भी बहुत चाव से उनको सुनती। दादा और पोती दोनों की ही पसन्द एक जैसी थी। जब तक दादा जी जीवित थे तब तक घर में यूनिक और एन्टीक चीजों का संग्रह हुआ करता था। बाद में यह कार्य मधुमिता करने लगीं। दोनों के इस शौक ने घर को किसी
भाग 5 तो क्या उस शीशे में सच में कोई भूत है या कृष्णकांत का कोई वहम था ? मीनू ने अशोक से प्रश्न किया। मुझे तो लगता है कि इस परिवार पर कोई बड़ी मुसीबत आने वाली है। ...Read Moreका भूत इन सभी को बहुत परेशान करने वाला है। साहिल ने कहा। यार मुझे तो डर लग रहा है, तुम ऐसी भूत की कहानी का किस्सा लेकर बैठ गए हो, मुझे भी जबरदस्ती उसमें शामिल कर लिया है। देखो रात भी हो रही है, हम जंगल में हैं और फिर ऐसी भूतों की कहानी। शीतल ने डरते हुए कहा।