Horror Marathon - 39 - Last Part books and stories free download online pdf in Hindi

हॉरर मैराथन - 39 - अंतिम भाग

भाग 39

सभी की बात सुनने के बाद आकाश ने कहा- तुम सभी लोग बिल्कुल सही कह रहे हो, परंतु कई बार ऐसा होता है कि अत्याचार को सहने वाले या किसी परेशानी का सामना करने वाले इंसान के पास कोई रास्ता नहीं होता है। वैसे ये मेरी राय है और मैं इसे और आगे बढ़ाकर इसे बहस का रूप नहीं देना चाहता हूं। वैसे अब तक तुम लोग एक-दूसरे को डराने के लिए हॉरर कहानियां सुना रहे थे, पर क्या तुमने कभी सच में डर को महसूस किया है ?

क्या तुम लोगों ने कभी मौत को महसूस किया है ? क्या तुम्हें पता है कि भूत कैसे होते हैं और वो क्या कर सकते हैं ?

सभी ने एक स्वर में कहा- नहीं हमने कभी इस तरह के डर को महसूस नहीं किया है। मौत से भी हमारा कभी आमना-सामना नहीं हुआ है।

क्या तुम लोग उस डर को महसूस करना चाहते हो ? आकाश ने पूछा।

शीतल ने कहा- नहीं मुझे ऐसा कोई शौक नहीं है।

हां मुझे भी मौत से मिलने की फिलहाल कोई इच्छा नहीं है। मीनू ने कहा।

मुझे लगता है कि अब यहां तक आए हो तो एक बार उस डर को, मौत को अपने सामने देखो। इतना कहने के साथ ही आकाश ने अपना हाथ उठाया और अशोक की ओर कर दिया। फिर आकाश ने एक हल्के से झटके के साथ अपने हाथ को दाई ओर घुमाया और अशोक बैठे-बैठे गिर गया। अशोक को इस तरह से गिरता देख शीतल, मीनू और मानसी की चीख निकल गई। वहीं राघव और साहिल उठकर अशोक के पास आ गए। अशोक की गर्दन टूट गई थी और उसकी मौत हो गई। राघव और साहिल चिल्लाते हुए आकाश की और दौड़े व चिल्ला रहे थे, ये... ये... क्या किया तुमने। वे आकाश के पास पहुंच पाते उससे पहले ही आकाश ने अपने दोनों हाथ हवा में उठाए और हाथों को धक्का दिया, जिससे राघव और साहिल दूर जा गिरे। फिर आकाश ने अपने दोनों हाथों को फैलाया और फिर कुछ फेंकने जैसा हाथों को झटका और आकाश के पीछे से कुछ पेड़ों की शाख निकलकर आई और राघव और साहिल के शरीर में जाकर धंस गई। यह देखकर शीतल बेहोश हो गई थी और मीनू और मानसी ने वहां से भागने की कोशिश की।

आकाश अपनी जगह से उठा उसने देखा शीतल बेहोश है और वो मीनू और मानसी के पीछे भागने लगा। जल्द ही उसने मीनू और मानसी को घेर लिया। तुम दोनों तो डर गई। कुछ देर पहले तक तो तुम्हें कहानियों में मजा आ रहा था, पर अब तुम डर क्यों रही हो ?

मीनू ने कहा- देखों प्लीज हमें जाने दो... हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा हैं ?

मानसी ने कहा- हां, प्लीज हमें जाने दो। किसी से कुछ नहीं कहेंगे।

आकाश कह भी दोगी तो कोई तुम पर यकीन नहीं करेगा। पर हां तुम्हें एक बात पर यकीन करना होगा कि भूत होते हैं और उनका डर भी होता है। भूतों की कहानियां सिर्फ टाइमपास के लिए नहीं होती है। तुम्हें पता है कि तुम जितनी इनकी बातें करोगी ये उतने शक्तिशाली होते जाते हैं। देखों तुमने मुझे कितना शक्तिशाली बना दिया है। इतना कहने के साथ आकाश ने फिर हाथों को फैलाया और मीनू और मानसी परे पत्थर गिरने लगे। कुछ ही देर में वे दोनों भी मौत के आगोश में जा चुकी थी।

फिर आकाश पलटकर शीतल के पास आ गया। वो अब तक होश में आ चुकी थी। उसने आकाश को देखा और उसके मुंह से चीख निकल गई। आकाश ने शीतल को देखकर कहा- तुम्होर चेहरे पर डर देखकर अच्छा लग रहा है और वो जोर से हंसने लगा और हंसते हुए आगे बढ़ गया। शीतल उसे देख रही थी कि तभी एक बड़ा सा पेड़ शीतल पर आकर गिरा और उसकी भी मौत हो गई। आकाश जो अब तक सीधा जा रहा था उसने कहा- डर सबको लगता है, डरते हो तो मान लो, नहीं तो डर जब डराएगा तो बहुत ज्यादा डराएगा।

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