wo ladki book and story is written by Ankit Maharshi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. wo ladki is also popular in Horror Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
वो लडक़ी - Novels
by Ankit Maharshi
in
Hindi Horror Stories
मैं नई नौकरी के चक्कर में इस शहर में नया-नया ही शिफ्ट हुआ हूं। स्वाद के चक्कर में आज रात कुछ ज्यादा ही खा लिया,,, कल सुबह कहीं पेट खराब ना हो जाए इसलिए दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर चल पड़ा क्योंकि एडवांस में ही काम कर लेने की आदत है मुझे।अजीब गली में मकान है मेरा, दिन में यहां जितनी चहल पहल और चकाचोंध रहती है तो रात को उतना ही घना सन्नाटा..... बस रह जाती है झपक झपक कर बंद हो जाने वाली ट्यूब लाइटें।" भाई यहां कोई मेडिकल स्टोर आसपास है...??" मैंने जल्दी में दुकान बंद
मैं नई नौकरी के चक्कर में इस शहर में नया-नया ही शिफ्ट हुआ हूं। स्वाद के चक्कर में आज रात कुछ ज्यादा ही खा लिया,,, कल सुबह कहीं पेट खराब ना हो जाए इसलिए दवा लेने के लिए मेडिकल ...Read Moreचल पड़ा क्योंकि एडवांस में ही काम कर लेने की आदत है मुझे।अजीब गली में मकान
उस रात के बाद मेरी जिंदगी खौफ और दर्द की कहानी बन चुकी थी।मैं शुरु से बताता हूं।कमरे पर छोड़े जाने के बाद में रात के 12:30 बज गए थे पर मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी। तो ...Read Moreपहले मैंने उस रात की दास्तान को अपनी डायरी में लिखा और अपने बिस्तर में दुबक गया था। पर नींद तो मानो आंखों से रूठ चुकी थी। हर आहट पर,, यहां तक कि झींगुर की आवाज से भी बदन में सिरहन दौड़ जाती थी ऊपर से पंखे की हवा से हिल रहा खिड़की का 'पर्दा ' मेरे दिल को दहला
अब हर आहट पर डरने लगा हूं। कीचड़ की गंध भी मुझ में सिरहन पैदा कर देती है। तन्हा पन का एहसास तो कोसों दूर है। अब तो लगता है हर कोई मुझे टकटकी लगाकर घूर रहा है। इंसानों ...Read Moreन तो ज्यादा करीबी और न ही ज्यादा दूरी बर्दाश्त होती है। पता नहीं कौन आकर कह दे तुम भी भुगतोगे।विकास के रूम से आने के बाद जैसे तैसे खुद को समेट कर तैयार होकर कॉलेज गया। अब डायरी पीछे बैग में ही रखता हूं पता नहीं कौन सा लम्हा मेरा आखिरी लम्हा हो। मैं पढ़ाने की हालत में नहीं
मेरा डर के मारे दम उखड़ने लगा था ।मैं तो ढंग से बोल भी नहीं पा रहा था। तभी झर-झर की आवाज करते हुए बल्ब जला, और चरमराती आवाज के साथ पंखा भी चल पड़ा था। बिजली आ गई ...Read Moreराकेश मेरी बांह पकड़ कर रो रहा था। मैं मरना नहीं चाहता.... मैं मरना नहीं चाहता.. बचा लो मुझे। तभी अचानक से पंखा घूमते हुए उसके कंधे पे जा गिरा और राकेश वही बेहोश हो गया।मैं रोने चीखने के अलावा कुछ नहीं कर पाया। मेरे और राकेश दोनों के फोन बैटरी फुल होने के बाद भी बंद हो चुके थे।
पिछले भागों में आपने पढ़ा कि कैसे उस रात मेरी जिंदगी के आत्माओं की दुनिया से पर्दा हटा , फिर बेपर्दा हो गया ख़ौफ़ का राजइस भाग में सैर करें आत्माओं की दुनिया में।पिछले भाग में महंत जी ओर ...Read Moreमध्य आत्माओ के अस्तित्व के संदर्भ में संवाद हुआ उसके ठीक आगे। इसके बाद पहाड़ियों के उबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए हम मंदिर के ठीक पीछे पहुंचे जहां पर पहाड़ के कटने से एक अर्धचंद्राकार मैदानी आकृति बनी हुई थी जिस के विपरीत तरफ मंदिर की ऊंची दीवार थी वहां से