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कर्मवीर - Novels
by vinayak sharma
in
Hindi Fiction Stories
आज की सुबह महावीर सिंह के लिए सबकुछ बदलने वाली सुबह थी। सबकुछ पहले जैसा ही था। सूरज भी पूरब से ही निकला था, मुर्गे ने भी बांग दिया था। चिड़िया भी उसी तरह चाह्चाती हुई अपने घोंसलों से बाहर निकली थी। महवीर सिंह के बैल भी उसी तरह खेत में जाने वाले थे, गायों ने भी उतना ही दूध दिया था जितना वो रोज देती थीं। अपनी दिनचर्या में रमे महावीर सिंह को भी नहीं पता था कि ये सुबह उनके लिए विलक्षण है। कुछ अद्भुत, कुछ नया और कुछ बहुप्रतीक्षित चीज होने वाली है आज के दिन उसकी जिंदगी में। वो अपनी गायों को चारा देने के बाद अपने बैलों को लेकर अपने खेत जा चुके थे।
आज की सुबह महावीर सिंह के लिए सबकुछ बदलने वाली सुबह थी। सबकुछ पहले जैसा ही था। सूरज भी पूरब से ही निकला था, मुर्गे ने भी बांग दिया था। चिड़िया भी उसी तरह चाह्चाती हुई अपने घोंसलों से ...Read Moreनिकली थी। महवीर सिंह के बैल भी उसी तरह खेत में जाने वाले थे, गायों ने भी उतना ही दूध दिया था जितना वो रोज देती थीं। अपनी दिनचर्या में रमे महावीर सिंह को भी नहीं पता था कि ये सुबह उनके लिए विलक्षण है। कुछ अद्भुत, कुछ नया और कुछ बहुप्रतीक्षित चीज होने वाली है आज के दिन उसकी जिंदगी में। वो अपनी गायों को चारा देने के बाद अपने बैलों को लेकर अपने खेत जा चुके थे।
अगले दिन सारे गाँव वाले महावीर सिंह को बधाई देने के लिए उनके घर आये। उन्होंने भी सभी की मुबारकबाद स्वीकार की। सभी लोग उनके बेटे को यही आशीर्वाद दे रहे थे कि ये भी उन्हीं की तरह बने। ...Read Moreकी तरह ये भी लोगों की सेवा पूरे मनोयोग से करे और लोगों के साथ ऐसा ही सामंजस्य बना के रखे। उसका नामकरण करने की जब बारी आई तो गाँव के एक बुजुर्ग ने ये सुझाव दिया कि महावीर तो अपने स्वभाव से महान और वीर दोनों हो गया लेकन अब ज़माना बहुत तेज़ी से बदल रहा रही इस जमाने में खैर इस जमाने क्या किसी भी जमाने में कर्म ही प्रधान होता है। इसलिए ये अपने कर्मों में वीर हो ऐसा महावीर भी चाहता है इसलिए इसका नाम कर्मवीर रखा जाए।
कर्मवीर के विद्यालय का आज पहला दिन था। महावीर सिंह उसे अपने साथ लेकर आये थे। महावीर सिंह ने मास्टर साहब से जाकर खुद बात की और ये बताया कि इसे किताबी शिक्षा के साथ साथ दुनियादारी का ज्ञान ...Read Moreदिया जाना चाहिए। उसे बताया जाना चाहिए कि किस व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार किया जाता है। बड़ों के साथ कैसे मिलना और छोटों से कैसे बात करनी है। ये सब अगर विद्यालय में भी बताया जायेगा तो उसके चरित्र का निर्माण बेहतर ढंग से होगा। मास्टर जी ने भी महावीर सिंह को ये आश्वस्त कर दिया कि अब कर्मवीर के शिक्षा के पूरी जिम्मेदारी उनपर है, वो बहुत ही अच्छे से उसका ख्याल भी रखेंगे और पढाई भी करवाएंगे। किसी भी शिकायत का कोई भी मौका नहीं आएगा।
एक हिंदी कहावत है न कि ‘होनहार वीरवान के होत हैं चीकने पात’। कर्मवीर भी जब बच्चा था तभी से दिख गया था कि वो बड़ा होकर डॉक्टर इंजिनियर बने न बने लेकिन एक अच्छा इंसान जरूर बन जाएगा। ...Read Moreकर्मवीर अब दूसरी कक्षा में चला गया था और उसकी पढ़ाई भी ठीक ठाक ही चल रही थी। उसकी गिनती मेधावी छात्रों में होती थी। कक्षा में उसका स्थान पहला या दूसरा होता था। पढाई में जो भी उससे मदद माँगने आता वो उसकी मदद जरूर करता था। वो पूरी तल्लीनता से उसे सबकुछ समझाता था। विद्यार्थी भी उसके पास पानी समस्या लेकर आते थे क्योंकि वो किसी भी प्रश्न को मास्टर जी से ज्यादा अच्छे से हल कर देता था। सभी छात्र उसके बहुत अच्छे मित्र हो गए थे।
वक़्त का पहिया ना तो कभी थमा था और न ही कभी थमेगा। जिस तरह इस धरा पर नदियाँ सतत प्रवाहमान है। जिस तरह झरने लगातार बह रहे हैं उसी तरह समय भी निरंतर अपने वेग से बढ़ा जा ...Read Moreहै। समय जिस तरह बदल रहा होता है उसी तरह समय के साथ साथ चीजें भी उसी तेज़ी से बदल रही होती हैं। जैसे एक बालक समय के साथ किशोर होता है फिर एक युवक का आकर लेता है और फिर बढ़ते समय के साथ वो वृद्ध भी हो जाता है और फिर वो समय के साथ दौड़ से कहीं आगे निकल जाता है। वो इस धरा के परम सत्य को प्राप्त कर लेता है। मृत्युलोक में चला जाता है।कोई वहाँ जाने से नहीं बच पाता।