चाहत

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में हर सुबह उसकी खिड़की पर एक नया आसमां टांग देना चाहती हूं और हर शाम सिर टिकाने को एक जाना पहचाना कंधा हजारों खुशियां हे जो मांगी जा सकती हैं दुआ ओ में पर मेने हर दुआ में उसकी नींद मांगी अपनी कल्पनाओं में उसे सुकून से सोते देखा और उसकी बंद पलकों चूम ते हे उसकी बाहों के बीच उनके सल्वटो के बीच सपाट होते महसूस किया में उसकी उम्मीदी रातों को अपने मन्नतो के धागों में लपेट दूर किसी बरगद में बांध आना चाहती हूं चाहने और कर पाने के बीच में आसमताओ के गहरे दलदल में