गाँधीप्रेमी हैं, गांधीवादी नही

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माइकल एंजलो संगमरमर की एक दुकान से अक्सर गुजरते थे। एक दिन उन्होंने दुकानदार से पूछा- तुमने दुकान के उस तरफ रास्ते के किनारे एक बड़ा संगमरमर का पत्थर डाल रखा है। कई बरस से देखता हूं। उसे बेचते क्यो नहीं?दुकानदार ने कहा- वह बिकता नहीं। पत्थर बेकार है। मैंने तो आशा ही छोड़ दी। कोई चाहे तो मुफ्त में तो ले जाए। ढोने का खर्च भी मैं दे दूंगा। तुम पूछने आये हो, तुम्ही ले जाओ। झंझट मिटे और जगह खाली हो!माइकलएंजलो पत्थर ले गया। ●●कोई, साल बीतने के बाद एक दिन माइकलएंजलो ने दुकानदार से आकर पूछा- मेरे