Kya yahi pyaar he - 4 (Last part) books and stories free download online pdf in Hindi

क्या यही प्यार है - 4 (अंतिम भाग)

खबरी... ये बतायेगा...
क्या बात हैं मुन्ना भाई बतलाइये ना.... मेरी शाबा के बारे में....?
मैने मुन्ना के हाथों को पकड़ते हुए कहा था.....
सर ये तो बुखार में तप रहा हैं.....ऐसे में इसको जानकारी देना ठीक रहेगा......
मुन्ना ने सुमेर को देखते हुए बोला था.....सुमेर फौरन बेड़ से उठते हुए मुझे अपनी तरफ खीचते हुए बोला....
औ.s.s.s.... बावरे इश्क के मरीज तूतो भौत इ तप रहा हैं...? फिर कैसे सुणेगा ...
अ..आप बेफिक्र रहो मुझे कुछ नही होगा आप मुझें शाबा के बारे में बताओं.....क्या जानकारी हैं...? मैनें सुमेर से गिड़गिडाते हुए पूछा था.... समुेर ने मुन्ना को इशारा करते हुए कहां ....
अब बता दे यार मुन्ना....जो होगा देखेंगे...या तो ये बावरा ठीक हो जाएगा ....या इस दुनियां से निकल जाएगा....
तभी मैने सुमेर से कहा था...भाई आप मुझें कमजोर समझ रहे हैं....जो मैं हूं नहीं मुझमें हालातों से लडने की हिम्मत है....जो भी है मुझे बताओं मैं इस प्यार की सच्चाई जानना चाहता हूं...और उससे एक बार मिलना चाहता हूं....शायद उसने प्यार मुझसे मजाक या टाईम पास के लिए किया हो लेकिन मैनें शाबा से प्यार सच्चा किया है...मै उनमें से नहीं हूं जो जिंदगी खत्म कर लूं और हार मान जाऊं....
तो फिर सुन लों भाई...बात ये है के ....वो लड़की का निकाह हो चुका है....इतना ही नही वो दो बच्चों की मां भी हैं...ये जरूर था के उसके शोहर के साथ अनबन चल रही थी...जिसके चलते वो अपने अब्बा के पास भोपाल चली गई थी...उसका छोटी उम्र में ही निकाह हो गया था...
मैने मुन्ना को चुप होने के लिए कहां...और मैं खुद भी चुप हो गया था.... और वो दोनो मेरी सूरत देख नें लगे थे....
तभी सुमेर ने खामोशी को तेड़ते हुए पूछा....अब के करेगा बावरे....तेरे तो लग गये...
मैं फिर भी चुप रहा.....वो दोनों अपस में एक दूसरे को देखते रहें मैं आंखें बंद करके चुपचाप बैठा रहा .....लग भग 15-20 मिनट हुए थे कि दरबाजे पर हल्की सी दस्तख हुई...
आबाज को सुनते ही मैनें अपनी आंखे खोली थी ....तब तक सुमेर दरबाजे को खोलने के लिए खड़ा हो चुका था...
उसने मेरी तरफ देखा तो मैनें इशारे से दरबाजे खोलने को कहां....
सुमेर ने दरबाजा खोला तो कोई महिला दुपट्टे से अपना मुहं ढके खड़ी थी ...सुमेर ने मेरी तरफ पलट कर देखा तो मैनें कहां....आने दीजिए....वो जल्दी से अंदर आ गयी.....जानिब मैं शाबा....आप से कुछ बात करने आई हूं...
इतना सुन कर सुमेर और मुन्ना के फांक्ते उड़ गये.....
देखिए मैं बहुत छुपते छिपाते आई हूं प्लीज आप लोग....
ओ....ना जी ना आप चिंता तो करो मति....हम लोग बाहर चले जाते है जी...
नहीं नहीं आप लोग यही ठहरिएगा.... लेकिन दरबाजा बंद कर लिजिए.... और उसने अपने चेहरे से दुपट्टा हटा लिया....वो शाबा ही थी....
उसे एक टक निहारता हुआ मैं खड़ा हो गया था... वो मेरे करीब आ चुकी थी...
मैं आपके हाथ जोड़ रही हूं जानिब आप यहां से चले जाओं हमारे और तुम्हारे बीच जो भी रिस्ता रहा उसे भूल जाओं.. शाबा ने अपनी आंखों में आंसू भरते हुए बोला था ...
जानिब मेरे दो बच्चें हैं....उनका भविष्य खराब हो जाएगा....मैं प्यार के चक्कर में भटक गटी थी...मैं तुमसे माफी मांगती हूं.....मुझें..भूल जाओं...
तभी सुमेर अपनी आंखें लाल करते हुए बोला था...
क्या बात कही मेडम जी आपनें....अभी तक मैं ही इस बावरे को गलत समझ रहा था...यहां तो पूरी फिल्म ही उल्टी है...मतलब जब आपका दिल करेगा तब आप लोगों की जिंदगी तबाह करेंगी....
तभी मैंने सुमेर को ऐसा बोलने से रोका...
सुमेर भाई...आप इस बारे में चुप रहें तो अच्छा होगा... इनसे बस इतना कहें कि अब ये यहां से मेहरबानी करके चली जाएं.....मैं वादा करता हूं कभी भी इनकी जिंदगी में दुबारा नहीं आऊंगा...... और हां मैं जिदंगी भर ऐसा ही कुंआरा ही रहूंगा क्योकि मैने सच्चा प्यार किया है किसी के साथ धोखा नहीं किया है....
कमरे में थोड़ी देर शांति छा गई.....
अब सुन लिया ना आपने....अब क्या...? सुमेर ने अपने दांतो को पीसते हुए कहां था...
मैं नीचे नजरे छुकाएं खड़ा था....शाबा मुझें देखे जा रही थी....
सुमेर ने फिर थोड़ा कड़क ललहजे में कहां....अब जाइये भी मोहतरमा....लेकिन एक बात फिर सुन लीजिए किसी की जिंदगी इस तरह मत शराब करिएगां....क्योंकि मोहब्बत मजाक नहीं होती....आप जैसे लोगों ने इसे बदना कर रखा हैं.....और सुमेर ने कमरे का दरबाजा खोल दिया था....
शाबा अपना मुहं दुपट्टे से ढक कर कमरे से बाहर निकल चुकी थी.....
उसके जाते ही सुमेर ने झट से कमरे का दरबाजा बंद कर दिया था और भाग कर मेरे पास आकर मुझें गले से लगा लिया था.....
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इस सच्चे प्यार की दास्तान को मैंने आप लोगों के सामने जानिब के नजरिए से पेश किया हैं....

आप जानते है जब मैने जानिब को अपने गले लगाया था तब वो गले लगते ही इस दुनियां से कूच कर चुका था....मैं उसे दिलासा भी नहीं दे पाया था.....और वो हमेशा-हमेशा के लिए जा चुका था....

मैं सोचता हूं कि कुछ लोग इस दुनियां में किस तरह के होते है...जो किसी की जिंदगी के साथ इस तरह का खिलबाड करते है....और इश्क का मजाक बनाते है....सच्चे प्यार करने बाले जानिब की तरह होते है.....

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