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सपना - 4

थोड़ी देर बाद सपना के मम्मी-पापा मदनलाल और शांति देवी घर आ गए. रोती हुई सपना को देख कर उनकी आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई "बेटा कहां चली गई थी तुम, हम कितना परेशान हो गए थे....अपने आंसू पोछते हुए मदनलाल फिर बोले "हम तो पुलिस में जाने वाले थे. हर जगह फोन कर लिया पर कहीं भी तुम्हारी कोई खबर नही." सपना की मां शांति देवी सपना से लिपट कर रोने लगी. सपना कुछ भी नहीं बोली. बस चुपचाप लाल आंखों से जमीन को देखती रही. तभी मोहित भी कमरे में आ गया.... शायद मोहित को अपनी गलती का एहसास हो गया था. वह रोती हुई सपना के आगे हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा. सब लोग हैरान नज़रों से मोहित को देखने लगे. तब मोहित ने माँ-पापा को सपना के आत्महत्या करने की बात बताई और साथ ही अपनी पत्नी कंचन के बेहूदे सलूक की भी. सपना के जान देने की खबर सुनकर शांति देवी मूर्छित होते-होते बची. सपना की मम्मी-पापा भी अपनी बहू की हरकतों से परेशान थे पर उनकी यह मजबूरी थी कि बुढ़ापे में उनका बेटा ही उनका सहारा था इसलिए चुपचाप सब सब्र कर लेते. सपना अब ज्यादा किसी से भी बात ना करती है घर में जो भी काम होता करती वरना चुपचाप अपने कमरे में चली जाती. धीरे-धीरे उसने कागज-कलम का सहारा लेकर अपने ख्यालों को पन्नों पर उतारना शुरू कर दिया. जो भी बात उसके मन में आती वह अपनी डायरी में लिख लेती. अपने लिए मम्मी-पापा का ये हाल देखकर सपना भी अपने किये पर शर्मिंदा होने लगी और सोच लिया कि इस तरह वो मयंक से डरेगी नही बल्कि मजबूती से उसका सामना करेगी. मोहित ने भी सपना को समझाया कि अब वो दुबारा ऐसी कोई हरकत नही करेगी. सबलोग उसके साथ हैं.

सत्यम और पारुल के बारे में जानने के बाद मदनलाल और शांति देवी ने उनसे मिलने की इच्छा जताई. पर कुछ ऐसा हुआ कि दो दिन बाद सत्यम और पारुल स्वयं ही सपना से मिलने उसके घर आ गए. सपना के मम्मी-पापा सत्यम के आगे नमस्तक हो गए. अपनी बेटी को बचाने के लिए उनका आभार व्यक्त करने लगे. सत्यम और पारुल भी ये देखकर खुश हुए की सपना के घर का माहौल पहले से कहीं बेहतर था और उसकी भाभी भी थोड़ा शांत ही दिख रही थी. आज उन्हें मोहित का व्यवहार भी बदला-बदला लगा. मोहित ने उस दिन के गलत व्यवहार के लिए सत्यम से माफी मांगी और साथ ही सपना को मौत के मुंह से बचाने के लिए आभार प्रकट किया.

घर वालो का साथ पाकर अब सपना ने भी चुप रहने के बजाय मयंक की हरकतों के बारे में सबको बताने का फैसला किया. सपना ने मोहित से बताया कि कैसे मयंक पेशी पर उसे बराबर धमकी देता रहता है और फोन पर भी धमकी देता. किस तरह से उसने भाभी को फोन करके मेरे खिलाफ भड़काता था, जिससे भाभी उस पर ही शक करती.

मोहित को भी समझ में आ गया कि इस वक्त सपना को सहारे की जरूरत है और यह सहारा उसे और मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा जिससे वह अपने फैसले पर अटल बनी रहेगी. इसलिए उसने सोचा कि अगर सपना पूरा दिन घर पर रहेगी तो घर के तानों और पुरानी बातों से उसका दुख और बढ़ेगा अतः उसने सपना को आगे पढ़ने या उसकी जो भी इच्छा हो सीखने के लिए प्रोत्साहित किया. दूसरी तरफ कोर्ट में भी मामला तब तक चलेगा इसका भी कोई अंदाजा नहीं था. जब कई दिनों तक सपना ने आगे कुछ करने के विषय में घर पर कोई बात नही की तब एक दिन स्वयं मोहित ने ही सपना से पूछ लिया..... "सपना मैंने तुमसे कहा था कि अगर तुम कुछ करना चाहती हो या कुछ सीखना चाहती हो तो मुझे बताओ, मैं बात करता हूं. इस तरह घर पर खाली बैठना ठीक नहीं है......पुरानी बातों को भूल कर तुम्हें आगे बढ़ना ही होगा. मोहित की बातों का समर्थन उनकी मां ने भी किया. तभी सपना को सत्यम के कंप्यूटर क्लास की बात याद आई और थोड़ा बहुत ढूंढने के बाद उसे अपने पुराने बैग में सत्यम का कार्ड मिल गया. भाई को कार्ड देते हुए सपना बोली...."भैया जिस लड़के ने मुझे मौत के मुंह से बचाया, मुझे एक नई जिंदगी दी साथ ही जीने का हौसला भी दिया वह सत्यम ही है. यह कार्ड उनका ही है उन्होंने मुझे दिया था कि अगर कभी मैं कुछ सीखना चाहूं तो मैं उनसे संपर्क कर सकती हूं." कहते भी सपना ने कंप्यूटर सीखने की इच्छा जाहिर की. सपना को लगने लगा कि शायद अब जल्द ही उसकी पतझड़ जैसी ज़िन्दगी में भी फूल खिलेंगे.

सपना की भाभी कमरे के बाहर खड़ी सब सुन रही थी जैसे ही मोहित अपने कमरे में आया वह उस पर बरस पड़ी..... "अब मैडम जी कंप्यूटर सीखने जाएंगी अभी तक हमारी बदनामी कम करायी है जो अब बाहर जाकर उसी लड़के के साथ गुलछर्रे उड़ाएंगी. बस, तुम सब ने बहुत सर पर चढ़ा रखा है. अब घर में ही रहे पता नहीं बाहर जाकर किस-किस के साथ मुंह काला करेगी.

"तड़ाक-तड़ाक" तमाचे की आवाज पूरा कमरा गूंज उठा चुप... एकदम चुप कर लो, वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा. उसको संभालने के बजाय उस पर कीचड़ उछाल रही हो. अगर मयंक की हरकतों तुम पहले ही बता देती तो आज शायद ये दिन न देखना पड़ता. एक औरत होकर भी उसकी तकलीफ ना समझ कर उल्टा उसके चरित्र पर दाग लगा रही हो. आगे से तुम्हारे मुंह से उसके खिलाफ एक भी शब्द सुना तो तुम अपने घर जाने की तैयारी कर लेना. धमकी देता हुआ मोहित तेजी से दरवाजा बंद करके बाहर निकल गया.

आज बहुत दिन बाद सपना को इत्मीनान हुआ कि उस पर लगाए गए आरोप उसके चरित्र पर जो कीचड़ की छींटे पड़ी हैं उसको कम से कम उसके मम्मी-पापा और भाई गलत तो नहीं समझ रहे. उसने अपने अंदर एक इच्छा जगाई आगे बढ़ने की और जो गलत बोलते हैं उनको अनसुना करने की.

क्रमशः.....

शिवानी वर्मा