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The Last Murder - 5

The Last Murder

… कुछ लोग किताबें पढ़कर मर्डर करते हैं ।

अभिलेख द्विवेदी

Chapter 5:

"अगले वीकेंड पर । और इस बार कुछ नए गेस्ट्स भी होंगे और इस बार ज़्यादा नए लोगों को जोड़ेंगे । कल से प्रोमोशन शुरू करेंगे ।"

"अच्छा । सही है फिर! वैसे, मैं एक बात कहना चाहती थी ।"

"हाँ, कहो बिंदास!"

"मैं सोच रही थी इस बार बुक लॉन्च में क्यों न ऑडियंस को ही रीडिंग का मौका दिया जाए । उन्हें ही पढ़ने, सुनने और सुनाने का मौका देना चाहिए ।"

"आईडिया अच्छा है लेकिन रिस्की भी है ।"

"मैं ये रिस्क लेना चाहती हूँ ।"

"ठीक है । ये स्ट्रेटेजी रखेंगे लेकिन ये बात, लॉन्च से एक दिन पहले बताया जाएगा जिससे कि अगर कम लोग भी उपस्थित होंगे या हिचकेंगे तो हमारा कुछ नुक्सान नहीं होगा ।"

"ठीक है । ये भी सही है । मैं तो बस रीडर्स को उनकी अहमियत दिखाना चाहती हूँ, उन्हें और आगे लाना चाहती हूँ ।"

"थॉट अच्छा है, इससे तुम्हारी ग्राउंड पर इमेज भी बनेगी और लोग ज़्यादा जुड़ेंगे । ये एक प्रोमोशनल टूल हो सकता है ।"

"अब जो टूल आपको सही लगे, आप उसे उसी तरीके से यूज़ कीजिये । मुझे तो बस आपसे बताना जरूरी लगा इसलिए शेयर किया ।"

बात खत्म कर के संविदा ने यहाँ से विदा ली । उसे पता था कि आगे का सफर और कठिन होगा क्योंकि किसी भी मार्केट में पाँव जमाना आसान इतना आसान नहीं होता ।

संविदा ने सोशल मीडिया पर चेक किया तो देखा कि जान्ह्वी ने उसके खिलाफ कुछ पोस्ट डाल रखे हैं । संविदा को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि जान्ह्वी से उसकी ना तो कभी कोई बातचीत हुई है, ना ही जान-पहचान है, फिर भी उसने उसके खिलाफ इस तरीके से लिख रखा था जैसे कोई पुरानी दुश्मनी हो । संविदा को समझ नहीं आ रहा था कि इसका जवाब वह किस तरह दे । हालांकि रॉबिन ने भी अब कह दिया था कि सोशल मीडिया पर उसे एक्टिव होना होगा । अब उसे समझ में आ रहा था कि सोशल मीडिया से दूर रहना कितना नुकसान दे रहा है । उसने सोचा कि अब वह भी इससे दूर रहने के बजाय, सबको जवाब देगी और अपनी अहमियत दिखायेगी । इससे हुआ यह कि सोशल मीडिया पर दोनों तरफ से पोस्ट-युद्ध शुरू हो गया । कुछ भी डायरेक्ट नहीं होकर भी सब कुछ डायरेक्ट था । भले ही कोई एक लाइन की व्यंग हो या 2000 वर्ड के पूरी पोस्ट, हर जगह कोई न कोई किसी ने किसी के खिलाफ पोस्ट डाल रहा था । हालत यह थी कि जो म्यूच्यूअल फ्रेंड थे, उनको यह नहीं समझ आ रहा था कि किस तरफ खुद को दिखायें जिससे कि उनके ऊपर कोई गाज ना गिरे । मेल फ्रेंड तो ऐसी दूरी बनाए हुए थे जैसे लगता था, पूरा सोशल मीडिया या कहे तो दोनों तरफ की टाइमलाइन पुरुष-विहीन हो चुकी है । जो लड़ाई, फेमिनिज्म ग्राउंड पर नहीं लड़ पा रही थी वह सोशल मीडिया पर एक दूसरे से लड़कर, अनजाने में हासिल कर रही थी । खैर, यह लड़ाई कुछ ही दिन चली क्योंकि जान्ह्वी के तरफ से पोस्ट आना बंद हो गया और संविदा को भी बुक प्रमोशन ने बिजी कर दिया ।

रॉबिन ने प्रोमोशनल सेटिंग कर दी थी, बुक रीडिंग का सेशन भी शुरू होना था । इस बार किताब भी नयी थी और ऑडियंस भी नए थे लेकिन संविदा को नहीं पता था कि यहाँ और भी कुछ होने वाला है । जैसा उसने सोचा था कि इस बार की बुक रीडिंग ऑडियंस से करवाएंगे वह होता नजर नहीं आ रहा था क्योंकि इस बार ऑडियंस भी कम थे और किसी में भी कोई जोश नहीं था । इशारों में उसने रॉबिन और शोरूम-मैनेजर से जानना चाहा तो दोनों ने टेंशन नहीं लेने का इशारा किया । संविदा ने बुक पढ़ना शुरू किया और एक फॉर्मल तरीके से बुक रीडिंग सेशन खत्म हुआ । शायद उसे भी इस बार मन नहीं लग रहा था या वाकई किताब में दम नहीं था । अच्छा यह हुआ की रीडिंग जब खत्म हुई तो ऑडियंस के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और सब थोड़े रिलैक्स्ड लग रहे थे । शायद उन्हें बुक पसंद आयी थी या फिर उनको संविदा से आज़ाद होने का मौका दिख रहा था । अब बारी थी बुक साइनिंग की ।

कतार में इस बार एक नयी लड़की थी जो संविदा को जानी-पहचानी सी लगी । संविदा ने जब उससे पूछा की वह फर्स्ट बुक रीडिंग में आयी थी क्या तो उसने बताया कि नहीं उस वक़्त वो खुद नहीं थी, उसकी जुड़वा बहन थी जिसका नाम शहनाज़ है । उसने अपना नाम पिनाज़ बताया । संविदा के चेहरे पर मुस्कान थी । उसने बुक साइन किया और उस पर लिखा 'शहनाज़ और पिनाज़ के लिए, मेरी तरफ से सप्रेम' । लेकिन पिनाज़ को शायद यह पसंद नहीं आया क्योंकि वह सिर्फ अपना नाम चाहती थी । उससे रहा नहीं गया और उसने कह दिया,

"शहनाज़ आपकी फैन नहीं है, फैन तो मैं हूँ । मैं ही हूँ जिसने उसे पहली बार आपके पास भेजा था । आपकी किताबों को मैंने ही पहले पढ़ा और उसे दिया था । यह बात सही है कि वह भी इंप्रेस्ड है लेकिन मैं आपको ज्यादा फॉलो करती हूँ । मुझे खुशी होती अगर आप उसका नाम लिखने से पहले मुझसे पूछ लेती, लेकिन जाने दीजिए कोई बात नहीं । पढ़ना तो हम दोनों को है और पढ़ना भी मुझे पहले है, तो ठीक है कोई बात नहीं । मैं आपकी स्टोरी को अच्छे से फॉलो करती हूँ और इसे कम्पलीट करने के बाद मुझे उम्मीद है कि आप तीसरी किताब भी लायेंगी ।"

जवाब में संविदा सिर्फ मुस्कुरा रही थी । अब कतार में बाकी खड़े लोगों की बारी थी । इस बार तनवीर था फिर से और अपने फिर उसी स्माइल और रिक्वेस्ट के साथ । संविदा ने भी मुस्कुराते हुए किताब पर उसका नाम लिखा और नाम के नीचे हार्ट बना दिया । इस बार संविदा ने तनवीर से पूछ लिया कि वह करता क्या है । तनवीर ने स्माइल के साथ और थोड़ा प्राइड लेते हुए कहा,

"मैं हैकर हूँ । मेरे नाम के साथ जब आप दिल बना देती हैं तो मुझे लगता है मैं हार्ट हैकर हो गया हूँ" । कहते हुए उसने एक फ्लर्टी स्माइल बिखेरी और किताब लेकर चल दिया । इसके बाद कतार में जितने चेहरे थे, सब नए थे । शायद सब रॉबिन के नेटवर्क से आये होंगे या फिर प्रमोशनल कैंपेन की वजह से । नहीं, वो आये थे किसी और वजह से ।

"थैंक्स! वैसे मैं कहूँगा आप लिखने पर फोकस करिये और फालतू के सोशल मीडिया के वॉर में मत पड़िये ।" ये रंजीत नेगी था । ये भी एक राइटर ही था, देखने में हम-उम्र और रोमांस लिखने का शौकीन । लेकिन संविदा को इसके बारे में ज़्यादा क्या कुछ भी नहीं पता था ।

"जी, मैं समझती हूँ लेकिन कोई जब चुप नहीं होता तो एक हद के बाद जवाब देना ज़रूरी होता है ।" संविदा ने सफाई दी ।

"ऐसा भी क्या जवाब देना कि हमेशा के लिए खामोश कर दें ।" रंजीत ने एक सर्कऑस्टिक स्माइल के साथ ये बात कही । साइंड किताब उसने उठायी और लेकर आगे बढ़ गया । संविदा को कुछ समझ नहीं आया ।

"मैडम, आपको लगता होगा कि आप ऐसा लिखती हैं कि सबकी बोलती बंद कर दें, तो गलतफहमी में जी रहीं हैं ।" कतार में अगली खड़ी लड़की ने कहा ।

संविदा को अब भी कुछ समझ नहीं आ रहा था । उसने कुछ कहने के बजाय चेहरे पर बनावटी मुस्कान को बने रहने दिया और चुपचाप अपना टास्क कम्पलीट किया । लेकिन उसे आज का दिन बेचैन कर रहा था । उसने सोशल मीडिया चेक किया था तो देखा उसकी टाइमलाइन और लास्ट पोस्ट पर कई लोगों ने अपशब्द डाल रखे थे । उसने तुरंत रॉबिन को दिखाने के लिए सोचा लेकिन रॉबिन को शायद ये सब पता था । उसने उसे शांत रहने के लिए इशारा किया । साइनिंग का काम खत्म हुआ और संविदा सीधे रॉबिन के केबिन में गयी मिलने । रॉबिन ने उसे बैठने और पानी पीने का इशारा किया और फिर अपनी बात शुरू की ।

"तुम्हारी टाइमलाइन गालियों से इसलिए भरी पड़ी है क्योंकि जान्ह्वी अब इस दुनिया में नहीं है । परसों उसकी डेथ हो गयी है । किसी ने उसका बुरी तरह से कत्ल कर दिया है ।"

"व्हाट?" संविदा को ऐसा लगा जैसे उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसकी हो । लेकिन रॉबिन के चेहरे पर कोई खास रिएक्शन नहीं था । वो अभी भी उसी एक्सप्रेशन के साथ था ।

"इस मौत का थोड़ा फायदा मांडवी उठा रही है । उसी ने तुम्हारे खिलाफ एक पोस्ट डाला और फिर लोग तुम्हारी टाइमलाइन की तरफ दौड़ पड़े ।" रॉबिन ने कहा ।

"लेकिन ये तो ग़लत है । मैं तो खुद जान्ह्वी से मिली थी 4 दिन पहले और…" संविदा की बात को रॉबिन ने बीच में ही काट दिया ।

"क्या बकवास है? तुम जान्ह्वी से मिली और मुझे बताया भी नहीं? किसने बोला था मिलने को? क्या बात हुई थी तुम्हारी?" रॉबिन के चेहरे पर शिकन थे और शायद सवालों का सिलसिला भी शुरू करना चाहता था ।

"अरे क्यों नहीं मिल सकती? मिलने से क्या हो जाता है? वैसे मैं इसलिए मिलने गयी थी क्योंकि ये डिजिटल लड़ाई मुझे नहीं पसंद, मैं तंग आ गयी थी इन सब से । मैंने मिलकर सोचा बात खत्म की जाए । इस बुक की लॉन्चिंग डेट नज़दीक थी, मैं डिस्टर्ब नहीं रहना चाहती थी ।"

"तुमसे पहले ही बोला था कि अपने मन से एक भी स्टेप मत लेना ।" रॉबिन का गुस्सा बढ़े जा रहा था ।

"हाँ, लेकिन मेरी अपनी भी तो कोई मर्ज़ी हो सकती है । और मैने मिलकर थोड़ी कुछ कर दिया ऐसा कि बात बिगड़े ।"

"तुमने क्या किया वो मायने नहीं रखता, क्या रिस्पांस जेनेरेट होगा, ये मायने रखता है ।"

"मतलब?"