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Peacock - 6

आरव, अरुणा, ऋषभ और अनु सभी कमलानगर मार्किट में शॉपिंग कर रहे थें । सभी दुकानदार से कपड़े खरीदने का भाव-मोल कर शोर मचा रहे थें । आरव से रहा नहीं गया और वो बाहर आ गया। उसने मार्किट का नज़ारा देखा, लड़कियाँ फेरीवाले से कपड़े ले रही थीं सब एक झुण्ड में खड़ी हो तितलियो से कम नहीं लग रही थीं । वही जोड़े गोलगप्पे-चाट पकौड़ी एक दूसरे के मुँह में डाल रहे थें और खुश हो रहे थे। तभी उसकी नज़र सामने से आती बाइक पर पड़ी जिस पर से पीहू संभलकर उतर रही थी, उसका हाथ सोनू के काँधे पर था, वह अपने टेढ़े-मेढ़े पैरो को समेटकर बाइक से उतरी । और सोनू ने उसे उसका डंडा थमाया जिसके सहारे से वो खड़ी होती थीं, सड़क पर खड़ी हो, इधर-उधर के फेरीवालों को देखने लग गई। सफ़ेद सूट और गुलाबी दुप्पट्टा और कमर तक बाल खोले वे बड़ी सुन्दर दिखाई दे रही थी उसने एक हाथ बालो में लगाया और झुमके खरीदने फेरीवाले की दुकान पर रुक गई। झुमकी को देखकर ज़ोर से हँसी और सोनू को भी दिखाने लग गई । ये सब आरव बड़े गौर से देख रहा था । उसने पीहू के चेहरे को देखा गेहुँआ रंग मगर गज़ब का आकर्षण फिर गोल-गोल आँखें और छोटी सी नाक और माथे पर काली सी गोलाकार की बिंदी बड़ी ही मनोरम लग रहीं थीं । “सच में ये झुमकी तो इस पर बड़ी अच्छी लगेगी”आरव ने मन ही मन सोचा। फ़िर जब नज़र उसके पैरो पर गई तो उसे हद से ज़्यादा बुरा लगा । पैर टेढ़े-मेढ़े थें उँगलियाँ टेढ़ी लग तो रही थी पर पूरी तरह नहीं थीं । लग रहा था कि होंसले चलने के, इन पैरों की कमज़ोरी से ज़्यादा थें। पूरे तन्मय और विश्वास के साथ चले रहीं थीं।

“पहले किताबें ले ले यार ! देर हो जाएँगी, तेरे पापा अभी कर फ़ोन देंगे । ये झुमकियाँ बाद में ले लियो।“ सोनू ने बाइक की ग्रेस देकर कहा । “मगर पीहू अब चूड़ियाँ लेने बैठ गई। बहुत कहने के बाद उसने किताबें ख़रीदी । जैसे ही वह सड़क पार करने के लिए मुड़ी और थोड़ी सी आगे बड़ी दो मनचले स्टाइल मारने के चक्कर में ज़ोर से बाइक लाये और डर के मारे पीहू की क़िताबें गिर गयी और सोनू ज़ोर से चिल्लाया पीकॉक! और भागते हुए उसके पास पहुँच ही रहा था कि आरव पहुंच गया । और उसने फ़टाफ़ट पीहू की किताबें उठाई एक मिनट के लिए दोनों की नज़रें मिली तभी सोनू ने आरव से किताबें लेते हुए उसे घूरते हुए देखा और एकदम पुलिस आ गयी, शोर मच गया था । "चलो ट्रैफिक जाम कर रखा है", डंडे बरसाने शुरू किये । और वह पीहू को पकड़ बाइक पर बिठा देता है, “पीकॉक कबसे कह रहा था तुझे, जल्दी ले लें किताबें ।“ यह कहते हुए उसने बाइक चला दी और एक किताब आरव के हाथ में रह गयी और वह जाती हुई पीहू को देखता रह गया, फिर उसने किताब को देखा और उसके मुँह से निकला “पीकॉक पीकॉक” और चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ गयी ।

आरव ने किताब को गौर से देखा डांस ही डांस से सम्बंधित किताब। “लगता है, इन्हें भी डांस करना है।“ “आरव कहाँ थे तुम? हमने सारी ड्रेसेस खरीद ली और तुम यहाँ खड़े हों ? “ अरुणा ने आरव को खींचते हुए कहा । सब के सब वहीं के रेस्टॉरंट में खाना खाने बैठ गए । सभी बातें कर कर रहे थें “अरे ! यहाँ भी डांस तुम भी न” अनु ने कहा । बस ऐसे ही अच्छी लगी आरव ने कॉफ़ी पीते हुए कहा, सोनू और पीहू भी कहीं रुककर चाट-पकौड़ी खा रहे थें। “वो लड़का कौन था, जो किताबें पकड़कर खड़ा था, बड़ी प्यार भरी नज़रों से तुझे देख रहा था। तेरी एक किताब भी उसके पास रह गई “ सोनू ने छेड़ते हुए पूछा । “मुझे क्या पता ! पता नहीं कहाँ से आ गया था, शायद मुझ पर तरस आ गया हों । पीहू ने चाट खाते हुए कहा। “मुझे नहीं लगता, वैसे भी आज तू हीरोइन लग रही है । हो सकता है, वो भी कोई हीरो हों ।“सोनू ने पीहू की झुमकी को हिलाते हुए कहा । “हीरो! क्यों नहीं , अब मेरी किताब वो पड़ेगा । पीहू की आवाज़ में खनक थीं । सोनू पीहू को बाइक पर बैठा उसके घर के पास पहुँच गया ।

“नमस्ते नानी ! ,सोनू ने हाथ जोड़कर कहा ।“ “अरे ! बड़ा संस्कारी बना फिर रहा है, अंग्रेजी भूल गया है क्या ? हैल्लो-हाई बोलाकर सोनूवीर ।“ नानी ने चप्पल मारते हुए कहा । “नानी !!!!!” सोनू चिल्लाने लगा। “चल छुछन्दर अंदर चल कुछ खा पी ले ।“ कहकर नानी अंदर चली गई । पीहू लगातार हँसी जा रही थीं । “तुझे बड़ी हँसी आ रही है, पीकॉक। आज तो वैसा भी तेरे सपनों का राजकुमार मिल गया है । ग्रीन शर्ट और ब्लैक जीन्स में अच्छा था प्यार हो गया होगा है तुझसे पहली नज़र में” सोनू ने एक बार फ़िर छेड़ते हुए कहा । “मैं ऐसे फालतू के सपने नहीं देखती मेरे लिए तो कोई सरकारी नौकरी का लालची या कोई मेरे जैसे हीं आएगा ।“ पीहू ने थोड़ा खीजते हुए कहा । “बी पॉजिटिव यार ! सोनू ने पीहू के बाल छेड़ते हुए कहा । क्यों तू इतने सालों से मेरे साथ है तुझे हुआ मुझसे प्यार ?”तू भी तो किसी परी पर ही लट्टू हो गया ।“ पीहू सोनू की आँखों में देखते हुए कहा ।

पीहू तू न! क्या लेकर बैठ गई । सोनू ने बाइक घुमाई और एक नज़र उसके चेहरे को देखाबाय ! पीकॉक ।।।।। और फिर उसकी गली से निकल गया । “ज़वाब नहीं दिया गधा कहीं का, मुझे पता है, नहीं हुआ होगा । पीहू ने धीरे से खुद को ही सुनाते हुए कहा ।