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छवि (भाग -1)

देख बेटा कौन है ?छवि की मां ने आवाज लगाते हुए छवि को बुलाया पर छवि तो किसी गहरी सोच में डूबी हुई और होठों पर मुस्कुराहट आंखों में उदासी लिए हुए बैठी थी.
ए लड़की भी ना कहती हुई छवि की मां ने दरवाजा खोला ग्रॉसरी वाला रसोई का सामान लेकर आया था उन्होंने सामान लिया और यह कहते हुए पता नहीं कि किस्स धुन में खोई रहती है लड़की ना जाने इसका क्या होगा कहती हुई रसोई में चली गई.
25 वर्षीय छवि आम लड़कियों सी न थी . सांवली सलोनी सूरत बड़ी-बड़ी बोलती हुई आंखें उसे बहुत ही खास बनाती थी वाह थी भी सबसे अलग हमेशा ही अपनी धुन में खोए रहनेे वाली फैशन से कोसों दूर रहने वाली बड़े-बड़े कजरारी आंखों मे काजल की पतली सी रेखा इतना सा ही होता था छवि का मेकअप .
वाह सभी सजीव निर्जीव चीजों में जिंदगी ढूंढ लेती. दीवारों पर उसे मनुष्य की आकृति दिखाई देती तो कहीं पेड़ आपस में बात करते हुए दिखाई देते , सारे पशु से अजीब नजरों से देखते हैं जैसे उससे कुछ कहना चाह रहे हो .छोटी से छोटी भी घटना उसे दिल पर गहरा प्रभाव डालती. बात में बात में उदासी से भर जाती कभी सोचती वाह बहुत ही निराशावादी है फिर अगले ही क्षण किसी छोटी बात पर खुश हो जाती.
रास्ते चलते किसी चींटी पर पैर पड़ जाए और वह मर जाए तो सोचती शायद उससे बहुत बड़ा पाप हो गया फिर छवि को मिल जाता उदास होने का एक लंबा समय. काटने वाले मच्छर को कभी-कभी फूंक मार के उड़ा देती. अपनी आदतों पर कभी-कभी और खुद भी बहुत आश्चर्यचकित होती वह सबसे से ऐसे अलग क्यों है कभी-कभी तो यह सोचते हुए मुस्कुराती कि कहीं वो एलियन तो नहीं.
उसके माता-पिता भी उसके इस व्यवहार को लेकर चिंतित रहते हैं पर छवि की काबिलियत उसकी सभी आदतों पर पर्दा डाल देते तो क्यों की वाह बहुत ही मेधावी छात्र थी पढ़ाई में हमेशा अव्वल आने वाली कॉलेज में सबकी प्रेरणा ,उसकी सारे शिक्षक उसके व्यवहार से वाकिफ थे उन्हें भी पता था कि सभी छवि अत्यंत संवेदनशील है फिर भी सभी उस पर प्राउड फील करते .
वहां भी सोचती कभी खुश नहीं रह पाएगी है. पर नहीं उसकी जिंदगी में सबकी जिंदगी की तरह कुछ अलग लिखा था विधाता ने ,जो उसकी दुनिया को पूरी तरह से ही बदल देगा की कैसे एक मासूम लड़की बन जाएगी एक दबंग और साहसी युवती जो बुराई के खिलाफ और अपनों के लिए किसी से भी भिड़ जाएगी ,चाहे कितना भी बुरा इंसान हो और यही आदत छवि की सभी अच्छाइयों में थी वह अपने परिवार के लिए और सच्चाई के लिए पूरी तरह से डटकर लड़ती.
तो शुरू करते हैं जी सब छवि के जीवन की अन्य वृतांत.....
आज छवि के कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएशन का लास्ट डे है छवि का बचपन से ही एक लक्ष्य है शिक्षिका बनकर समाज को शिक्षित करें एक तरह से वह सोशल वर्कर बनना चाहती थी उसका सपना था कि उसकी अपनी एक एनजीओ हो जो वहां बेसहारा निस्सहाय औरतों और बच्चों को पढ़ा कर जागरूक करें उन्हें रोजगार के लिए सक्षम बनाए इसलिए उसने इस क्षेत्र को चुना क्योंकि पढ़ाई में मेधावी होने के बावजूद भी व शिक्षक बनना चाहती थी क्योंकि शिक्षा के प्रति लोगों के समाज का नजरिया बदल चुका था .शिक्षक को एक सरकारी कुर्सी पर बैठे रहने वाले आराम दे व्यक्ति समझते थे और प्राइवेट टीचर सभी को उपलब्ध नहीं होते थे इसलिए व सभी की सोच को बदलना चाहती थी पारिवारिक जनों और अन्य लोगों ने भी उसे भविष्य में अलग-अलग तरह क्षेत्र में कदम उठाने के लिए प्रेरित भी किया उसने अपना रास्ता चुन लिया था.
आज उसकी सभी सहेलियां और कॉलेज के बाकी छात्र-छात्राएं सभी फेयरवेल पार्टी की तैयारी में जोरो सोरों से लगी हुई थी सभी अपने बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड को कल के दिन इंप्रेस करने से बाकी रहने नहीं देना चाहते इसलिए इसकी तैयारी खूब अच्छी तरीके से कर रहे हैं पर हमारी छवि किससे क्या, वह तो अपनी ही धुन में मस्त है एक साधारण सा पिंक कलर का लॉन्ग फ्रॉक उसने कल के लिए डिसाइड किया बस और कुछ नहीं.
और इसी कॉलेज में पढ़ता था माधव गर्ग जो गर्ग ऑफ एंड इंडस्ट्रीज के मालिक का बेटा था जो छवि की ही तरह पढ़ने में तेज और हमेशा फर्स्ट आने वाला. पर जहां छवि बेहद ही मिलनसार और सभी से अच्छी तरह से मिलने जुलने वाली लड़की थी वही माधव बेहद गुस्सैल और सभी से कम वास्ता रखने वाला ही था. माधव के गिने-चुने फ्रेंडों में से स सुयश ने पूछा, यार माधव तो कल फेयरवेल पार्टी में क्या करने वाला है और माधव सिर्फ मुस्कुरा कर रह गया .
वह तो जाना भी नहीं चलाता पर पढ़ाई में तेज होने के कारण शिक्षकों ने उसे आने पर विशेष जोर दिया है क्योंकि सभी मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया जाना है. तो उसे जाना पड़ रहा है आज उसका भी कॉलेज में एमकॉम का फाइनल डे है......
क्रमशः
☆ छवि और माधव के जीवन के बारे में जानने के लिए पढ़िए हमारे अगले छवि भाग 2 को जो जल्दी प्रकाशित होगा ☆