Risky Love - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

रिस्की लव - 16



(16)

तरुण पंकज से संपर्क करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन उसकी कोई खबर नहीं लग रही थी। उसका माथा ठनक रहा था। एक खौफ उसके मन को परेशान कर रहा था। कहीं अंजन को पंकज और उसके संबंध का पता तो नहीं चल गया। अंजन ने पंकज को मार तो नहीं दिया।
यह बात मन में आते ही वह भय से कांप उठा। वह जानता था कि अगला नंबर उसका होगा। उसने अंजन को ब्लैकमेल करने का प्लान बनाया था। लेकिन अब डर कर उसे स्थगित कर दिया। वह एक ऐसा रास्ता तलाश करने लगा जिससे वह अंजन के राज़ का फायदा उठा सके।

मीरा लंदन वापस चली गई थी। उसके चले जाने से अंजन को बहुत दुख हुआ था। कुछ दिनों तक तो वह अपने दुख में डूबा रहा। लेकिन कठिनाइयों से लड़ने के आदी अंजन ने खुद को उस दुख में डूबने नहीं दिया। धीरे धीरे दुख ने गुस्से का रूप धारण कर लिया। यह गुस्सा मीरा पर नहीं था। गुस्सा उस हमला करने वाले के लिए था। उसकी वजह से ही उस दिन बनती हुई बात बिगड़ गई थी।
अंजन अब हर हाल में उस आदमी का पता लगाना चाहता था जो उस पर हमला करवा सकता था। उसने बहुत सोचा था। उसके मन में नाम तो कई ऐसे आए जो उसे पसंद नहीं करते थे। लेकिन उनमें से कोई भी ऐसा नहीं लग रहा था जो इतनी हिम्मत कर पाता।
उस दिन होश खोने से पहले उसने किसी की झलक देखी थी। वह पंकज को कवर देने के लिए मेन डोर की तरफ बढ़ रहा था। तभी एक नकाबपोश सामने आया। उसने उसके सीने पर गोली चलाई। वह फर्श पर गिर पड़ा। उसकी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा। वह होश खो रहा था। उसी समय उसने किसी की धुंधली सी आकृति देखी थी।
बहुत याद करने पर भी वह पहचान नहीं पा रहा था कि वह कौन था। इससे उसकी छटपटाहट और बढ़ रही थी।


महाराष्ट्र और गुजरात के बार्डर पर स्थित नवापुर में मुकेश अपने परिवार के साथ ठहरा हुआ था। उसकी पत्नी राजेश्वरी बहुत परेशान थी। जो थोड़े बहुत पैसे लेकर वह लोग जान बचाने के लिए भागे थे वह खत्म हो गए थे।‌ अभी कितने दिन और इस तरह छिप कर रहना है बताना कठिन था।
नवापुर में राजेश्वरी का ममेरा भाई ललित रहता था। अपनी जान बचाने के लिए मुकेश अपनी पत्नी राजेश्वरी और बेटी माधवी को लेकर यहाँ आ गया था।
उसका प्लान दिल्ली जाने का था। वहाँ मुकेश का एक रिश्तेदार रहता था। वह वहाँ किसी बिज़नेस मैन का ड्राइवर था। उसकी दिल्ली में जान पहचान भी थी। मुकेश ने सोचा था कि वह अपने रिश्तेदार की मदद से कोई काम तलाश लेगा। लेकिन जब वह दिल्ली की ट्रेन में चढ़ रहा था तब उसके एक साथी ने उसे ट्रेन पर चढ़ते देख लिया था।
मुकेश बहुत घबराया हुआ था। ट्रेन में बैठकर उसने सोचा कि अब दिल्ली में रहना उसके लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए ट्रेन जब जलगांव स्टेशन पर रुकी तो वह राजेश्वरी और माधवी के साथ उतर गया। वहाँ एक दिन एक छोटे से होटल में ठहरने के बाद उन्होंने नवापुर आने का फैसला किया।
राजेश्वरी बेचैनी से बार बार दरवाज़े पर देख रही थी। मुकेश उसके भाई ललित के साथ गया हुआ था। ललित एक ठेकेदार के साथ काम करता था। मुकेश कुछ पढ़ा लिखा था। ललित उसे कोई काम मिल जाए इस उम्मीद से ठेकेदार के पास ले गया था। राजेश्वरी मुकेश को लेकर चिंतित रहती थी। पर मजबूरी थी। पेट पालने के लिए कुछ करना था। इसलिए मुकेश ने उसे समझाया कि उसे जाने दे।

खाना खाने के बाद मुकेश और राजेश्वरी लेटे हुए थे। उन दोनों के बीच माधवी लेटी थी। मुकेश ने सोती हुई माधवी के सर पर हाथ फेरा। वह बार बार उससे पूँछती थी कि हम लोग घर कब जाएंगे। वह अपने स्कूल जाना चाहती थी। चॉल के दोस्तों के साथ खेलना चाहती थी। राजेश्वरी ने मुकेश से कहा,
"क्या अब हम मुंबई वापस नहीं जाएंगे‌ ?"
मुकेश ने कहा,
"तुम भी माधवी की तरह बात कर रही हो। मैं क्या बताऊँ तुम्हें ?'"
"मैं माधवी की तरह नहीं माधवी के लिए बात कर रही हूँ। क्या माधवी की पढ़ाई छुड़वा दोगे। हम लोग तो कहीं के नहीं रहे। कब तक ऐसे चलेगा ?"
"राजेश्वरी तुमको क्या लगता है कि मुझे माधवी की चिंता नहीं है। पर क्या करूँ। अभी कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। लेकिन मैं कोई ना कोई व्यवस्था करूँगा। कहीं ऐसी जगह चलकर बस जाएंगे जहाँ चैन से रह सकें। फिलहाल तो यहाँ ठेकेदार की गाड़ी चलाने का काम मिल गया है।"
राजेश्वरी ने कहा,
"यहीं क्यों नहीं बस जाते हैं ? माधवी का कहीं एडमीशन करवा देते हैं।"
"राजेश्वरी मैं खुद बहुत परेशान हूँ। मुझे कुछ समय दो। सब ठीक कर दूँगा।"
राजेश्वरी ने करवट बदल ली। मुकेश उसके गुस्से को समझ रहा था। वह अपनी तकलीफों की वजह से गुस्से में नहीं थी। वह परेशान थी माधवी के भाविष्य को लेकर। उसे मुकेश की चिंता थी। उन लोगों ने मेहनत करके मुंबई में जो कुछ भी बनाया था सब छूट गया था। अब एक नई जगह पर दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। ‌
राजेश्वरी कई बार उससे कह चुकी थी कि तुमने अपने मालिक की मदद करके अपने लिए मुसीबत मोल ले ली। लेकिन उस दिन वह उस शख्स को मरते हुए नहीं छोड़ सकता था जिसके कारण इतने सालों से उसकी रोज़ी रोटी चल रही थी।
वह बीच हाउस की उस रात को याद करने लगा।

अंजन और मीरा को लेकर वह बीच हाउस पहुँचा।‌ अंदर जाते हुए अंजन ने उससे कहा कि मीरा को यहीं से एयरपोर्ट जाना है। तड़के सुबह फ्लाइट है। निकलने से पहले वह फोन करेगा तब वह चलने के लिए तैयार हो जाए। तब तक जाकर आराम करे।‌
अंजन और मीरा अंदर चले गए। वह बीच पर टहलने के लिए चला गया। बहुत देर तक वह चट्टान पर बैठ कर समुद्र की लहरों को देखता रहा।‌ वहाँ बैठे हुए वह राजेश्वरी को याद कर रहा था। बहुत दिनों से वह उससे कह रही थी कि उसे और माधवी को कहीं घुमाने ले चले। उसने सोचा था कि मीरा को एयरपोर्ट छोड़कर लौटते हुए वह अंजन से कुछ दिनों की छुट्टी के लिए बात करेगा।
कुछ वक्त बीच पर बिताने के बाद वह आराम करने के इरादे से लौटकर आ गया। पंकज अपने दोनों साथियों के साथ बाहर महफिल जमाए बैठा था। मुकेश बीच हाउस के पिछले हिस्से में चला गया। वहाँ दोनों कार खड़ी थीं। यहीं पर केयर टेकर का क्वार्टर था। वह अक्सर अंजन के साथ यहाँ आता था। बीच हाउस के केयर टेकर से उसकी अच्छी दोस्ती थी। वह उसके क्वार्टर में चला गया। केयर टेकर तब अंजन और मीरा की सेवा के लिए उनके पास जा रहा था। उसने कहा कि मुकेश उसके क्वार्टर में आराम से सो जाए। केयर टेकर के जाने के बाद मुकेश लेट गया। उसे नींद आ गई।
गोलियां चलने की आवाज़ सुनकर उसकी नींद टूटी। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था कि अचानक गोलियां क्यों चलने लगीं ? किसने बीच हाउस पर हमला कर दिया है ?

डर कर वह अपने बेड के नीचे छिप गया। कुछ देर बाद गोलीबारी की आवाज़ आना बंद हो गई। तब वह धीरे से बेड के नीचे से निकला। क्वार्टर के बाहर आया। पंकज की गाड़ी गायब थी। वह सावधानी से पाम के पेड़ों के पीछे छिपता हुआ आगे आया। उसने देखा कि पंकज के दोनों आदमी मरे पड़े थे। वह भागकर बीच पर पहुँचा तो देखा कि दो लोग एक मोटरबोट की तरफ भाग रहे हैं। उनमें से एक ने मुड़कर उसकी तरफ देखा। उसके चेहरे पर मास्क था। मुकेश डर कर रुक गया। उस आदमी ने अपनी उंगली उसकी तरफ उठाई। उसके बाद भागकर मोटरबोट पर चढ़ गया। मोटरबोट दोनों लोगों को लेकर चली गई।
वह वापस बीच हाउस आया। भागकर अंदर गया। अंजन फर्श पर पड़ा था। उसके सीने में गोली लगी थी। मीरा वहाँ नहीं थी। वह डर गया। उसने भागने के लिए कदम बढ़ाए पर उसके मन से आवाज़ आई कि अंजन को ऐसे छोड़कर ना जाए। वह फौरन कार बीच हाउस के अगले हिस्से में लेकर आया। खून से लथपथ अंजन को बड़ी मुश्किल से उठाकर कार तक लाया। उसे पिछली सीट पर लिटाया और कावेरी हॉस्पिटल की तरफ चल दिया।
एक बार माधवी जब बीमार पड़ी थी तब उसका इलाज कावेरी हॉस्पिटल में हुआ था। मुकेश के पास डॉक्टर मेहरा का नंबर था। उसने रास्ते से ही फोन करके उन्हें सारी बात बता दी। जब वह अंजन को लेकर अस्पताल पहुंँचा तो डॉक्टर मेहरा सारी तैयारी कर चुके थे। उसके पहुँचते ही अंजन को ऑपरेशन के लिए ले जाया गया।
ऑपरेशन के लिए ले जाते हुए डॉक्टर मेहरा ने बताया कि वह अंजन का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन अभी वह कुछ कह नहीं सकते हैं। उसने अंजन को हॉस्पिटल लाकर अच्छा काम किया है। अगर वह उसे सही समय पर लेकर ना आया होता तो अंजन का बचना नामुमकिन था।
डॉक्टर ऑपरेशन कर रहे थे। मुकेश को हॉस्पिटल में रुकने का कोई मतलब समझ नहीं आया।‌ रात के डेढ़ बज रहे थे। वह अपने घर चला गया।
घर पहुँच कर उसने राजेश्वरी को सारी बात बताई। सब सुनकर राजेश्वरी चिंतित हो गई। उसने आशंका जताई कि कहीं हमला करने वाले उसकी जान के पीछे ना पड़ जाएं। उसे खुद भी इस बात का डर था। पर उसने राजेश्वरी को समझाया कि वह बेकार की चिंता कर रही है। हमला करने वालों को क्या पता चलेगा कि अंजन को किसने हॉस्पिटल पहुँचाया।
राजेश्वरी को तसल्ली देकर वह आराम करने के लिए लेटा था। राजेश्वरी की चिंता उसे परेशान कर रही थी। उस आदमी ने भागते हुए रुक कर उसे देखा था। उसकी तरफ उंगली उठाकर इशारा भी किया था। उसका मतलब यह भी हो सकता था कि वह उसे पहचान गया है।
वह हॉस्पिटल से इसी लिए चला आया था। अब वह सोच रहा था कि क्या करे। उसने तय किया कि सुबह पुलिस स्टेशन जाकर सारी बात की जानकारी दे देगा।
वह आँखें बंद करके सोने की कोशिश कर रहा था कि उसे एक फोन आया। कॉल अंजान नंबर से था। उसने फोन उठा लिया। दूसरी तरफ से एक आदमी ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि उसने अंजन को हॉस्पिटल पहुँचा कर ठीक नहीं किया है। अब उसकी खैर नहीं है।
मुकेश घबरा गया।