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चाहत - 9

पार्ट -9

मैंने सबका मन रखने के लिए हाँ तो बोल दिया है पर मेरा अतीत ? सच ही कहा है किसी ने इंसान कितनी भी कोशिस कर ले अपने अतीत से भाग नहीं सकता। मेरा अतीत भी हर पल मेरे साथ साये की तरह चिपका हुआ है। मैं अपने अतीत से चाहकर भी बाहर नहीं आ सकती। लगता है भैया और भाभी समय के साथ उन पुरानी बातों को भूल गए हैं। लेकिन पुरानी बातें याद आते ही मेरे हर जख्म को ताजा कर देती है। (फ़ोन की आवाज़ आती है। ) मैं फ़ोन देखती हूँ तो उसी नंबर से कॉल था जिससे सलिल ने कल मैसेज किया था। मेरा बिलकुल भी फ़ोन उठाने का मन नहीं है तो मैंने कॉल कट कर दिया। लेकिन ये सलिल भी बड़ा ज़िद्दी है बार -बार फ़ोन किये जा रहा है। तंग आकर मैंने फ़ोन उठा ही लिया।

मैं -हेलो ! आप क्यों बार -बार फ़ोन कर रहे हो ?

सलिल -अब तुम एक बार में फ़ोन नहीं उठाओगी तो बार -बार करना ही पड़ेगा।

मैं -फ़ोन करने की कोई वजह ?

सलिल -हाँ। वजह तो है। मैं आज नामकरण में तुमसे बात नहीं कर पाया था तो सोचा फ़ोन कर लूँ।

मैं -क्या बात करनी है आपको ?

सलिल -आई एम प्राउड ऑफ़ यू चाहत !

मैं -किसलिए ?

सलिल -मुझे तुम्हारे संकल्प के बारे में जान कर बेहद ख़ुशी हुई। आज मेरे मन में तुम्हारे लिए चाहत और बढ़ गयी है।

मैं -मैं आप को बता चुकी हूँ कि मेरे मन में आप के लिए कुछ भी नहीं है।

सलिल -कोई ना। बहुत जल्दी तुम भी मुझे चाहोगी। ये मेरा दावा है।

मैं -ऐसा कुछ नहीं होगा।

सलिल -(हँसते हुए ) खैर ,मुझे खेद है पहली बार तुम मेरे घर आयी और मैं घर पर नहीं था।

मैं -अच्छा ही हुआ जो आप नहीं थे घर पर।

सलिल -वैसे तुम कल कुछ मेरा कीमती सामान अपने साथ ले गयी चोरी करके।

मैं -अपनी फोटो लेना भला चोरी कैसे हुई। ये तो वही बात हुई "उल्टा चोर कोतवाल को डाटें। "

सलिल -मैडम चोर मैं नहीं तुम हो। मेरा नींद ,चैन ,दिल सब तुमने ही तो चुराया है। अगर मैं चोर होता आपकी नींद और चैन का तो अपने आप को खुसनसीब समझता।

मैं -बहुत हुई आपकी बातें। फ़ोन रखिये मुझे पड़ना है।

सलिल -मैडम। आप भी तो फ़ोन रख सकती हैं।

मैं -रख रही हूँ। दोबारा मुझे कॉल कर तंग मत करना। (इतना कहते ही मैंने तुरंत फ़ोन काट दिया बगैर सलिल का जवाब सुने। )

वक़्त अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ता ही रहता है। अब चार महीनें और बीत गए हैं। सावी अब छह महीने की हो गयी है। अब वह सबको पहचानने लगी है। मैं अपना खाली समय सावी के साथ बीताती हूँ।

घर में खूब रौनक लगी रहती है। सब आते हैं सावी के साथ खेलने।

दूसरी ओर हमारे फाइनल एग्जाम हो चुके हैं। रिजल्ट भी आ चुका है। मैंने अपने कॉलेज में टॉप किया है। नेहा थर्ड पोजीशन लेकर आयी है। सुमन और प्राची डिस्टिंक्शन के साथ पास हुए हैं। हम सब ने अपनी आने वाली लाइफ के बारे में भी decision ले लिया है। मैंने और नेहा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए एंट्रेंस दिया है। प्राची अब अपना फॅमिली बिज़नेस ज्वाइन करेगी। सुमन अपनी फॅमिली की आर्थिक मदद के लिए टीचिंग की कोई जॉब ढूंढ रही है। वही अमन और सुमन इसी साल शादी करने वाले हैं। शिव भैया और प्राची की शादी का मुहूर्त एक साल बाद का निकला है। सलिल ने भी एक ही साल में बिज़नेस में काफी अचीवमेंट्स हासिल कर ली हैं। उनकी कंपनी का नाम अब हर दिन न्यूज़ में छाया रहता है। इन् चार महीनो में ना जाने कितनी बार सलिल ने मुझे फ़ोन और मैसेज किये पर मैंने एक बार भी रिप्लाई नहीं किया। एक -दो बार हमारा आमना -सामना हुआ। पर मैंने हर बार की तरह जैसे -तैसे उससे दूरी बना कर रखी। कई बार प्राची ने मुझे अपने घर बुलाया पर मैं कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल देती। इसकी वजह सलिल था मैं उसके सामने नहीं जाना चाहती थी। ।

नेहा आज ही अपने घर से लौटी है । तब तक उसे हॉस्टल नहीं मिल जाता रहने के लिए हमने उसे अपने घर पर ही रख लिया है। आज हमारा पीएचडी एंट्रेंस का रिजल्ट आने वाला है। दोनों को ही थोड़ी टेंशन है। हालांकि हमारा पेपर अच्छा गया था।

नेहा -यार चाहत ,बड़ी धक् -धक् हो रही है। रिजल्ट के नाम से।

मैं -नेहा ,नर्वस तो मैं भी हूँ। दिल्ली यूनिवर्सिटी में वैसे ही कितनी कम सीट होती हैं।

नेहा -पता नहीं यार ,अब क्या होगा ?

भाभी -चिंता मत करो तुम दोनों। जो होगा अच्छा ही होगा।

राघव भैया -मैं देखता हूँ तुम दोनों का रिजल्ट। 2 बज गए हैं अब तक तो आ गया होगा।

(भैया हमारा रिजल्ट देखने के लिए लैपटॉप ऑन करते हैं। हम दोनों अपना रोल नंबर देते हैं। )

मैं और नेहा एक -दूसरे का हाथ पकडे हुए हैं। एक -दूसरे को हिम्मत देने की कोशिस कर रहे हैं।

भैया -(हमे देखते हुए)-पार्टी कहाँ दे रही हो तुम दोनों ?

भाभी -जी क्या ? आप पार्टी की बात कर रहे हो। वो रिजल्ट की टेंशन में हैं।

भैया -रिया ,अब सिलेक्शन के बाद पार्टी तो बनती है।

मैं -क्या कहा भैया आपने ?

भैया -तुम दोनों का एंट्रेंस हो गया है। वो भी अच्छे नम्बरों से।

मैं और नेहा तो मानों सातवें आसमान पर हैं। भाभी सबको मिठाई खिलाती है।

भैया -सच गुड़िया ,तूने आज अपने सपने की तरफ कदम बड़ा लिया है। हम बहुत खुश हैं।

नेहा -(हँसते हुए ) भैया ,मेरी भी तो तारीफ कीजिये।

भैया -हाँ भाई ,तुम्हे कोई कैसे भूल सकता है।

भाभी -चलो अब अपने दोस्तों को भी ये न्यूज़ दो। मैं और राघव तब तक शिव के यहाँ बता कर आते हैं।

(भाभी और भैया सावी के साथ शिव भैया के यहाँ चले गए। मैंने और नेहा ने प्राची और सुमन को वीडियो कॉल किया। )

प्राची -हेलो !(हाथ हिलाते हुए )

सुमन -हेलो !

मैं और नेहा -हेलो !

नेहा -हमें तुम दोनों को कुछ बताना है।

सुमन -क्या ?

नेहा -हम दोनों का पीएचडी एंट्रेंस क्लियर हो गया है।

प्राची -वाह !congo !

सुमन -congrats ! अब तो ट्रीट बनती है।

नेहा -हे भुक्खड़ ! दे देंगे ट्रीट। तू बस अमन को ये न्यूज़ दे देना। और प्राची तू सलिल को।

मैं -(टॉपिक बदलते हुए ) अपनी convocation कब है। डिग्री की तो जरूरत होगी एडमिशन के लिए।

नेहा -हाँ यार।

सुमन -हाँ। मुझे भी जरूरत है डिग्री की। टीचिंग इंटरव्यू में मस्ट है ना ओरिजिनल डिग्री।

प्राची -यार। पता करना पड़ेगा कब होगा कनवोकेशन।

नेहा -चलो पहले फ़ोन रखो। मैं कॉलेज में फ़ोन करके पता करती हूँ। (ये कहकर सबने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। )

नेहा ने कुछ ही मिनटों में पता लगा लिया।

नेहा -हे चाहत। इसी वीकेंड कनवोकेशन है। कोई बिजनेसमैन आ रहा है डिग्री देने।

मैं -चल सही है। इसी बहाने आखिरी बार कॉलेज की यादें फिर ताजा हो जाएँगी।

नेहा -हाँ यार। ये दो साल कितने जल्दी बीत गए। हम सब अच्छे दोस्त बने और हर समय एक -दूसरे के लिए खड़े रहे।

मैं -यही तो दोस्ती है। तू याद से प्राची और सुमन को भी कनवोकेशन के बारे में बता देना।

नेहा -ओके !

आज कनवोकेशन है कॉलेज में। हर कोई अपनी फॅमिली को लेकर आया है। आये भी क्यों ना हर फॅमिली का सपना होता है अपने बच्चो को डिग्री लेते देखना। मेरे साथ भी भैया -भाभी और सावी आये हैं। शिव भैया की फॅमिली भी आयी है उसकी दो वजह हैं एक मैं उनकी बेटी तो दूसरी होने वाली उनकी बहु प्राची। प्राची भी अपनी फॅमिली के साथ आयी है। सब आये हैं प्राची के घर से सिर्फ सलिल को छोड़कर। मुझे बड़ी राहत महसूस हुई सलिल के ना आने से। नेहा की फॅमिली किसी कारण से नहीं आ पायी। सुमन के माँ -पापा आये हैं। साथ में सुमन का अमन भी आया है।

ऑडिटोरियम में एक तरफ फैमिली के लिए सीट्स हैं तो दूसरी तरफ हम स्टूडेंट्स के लिए। हम भी अपना कनवोकेशन गाउन पहनकर अपनी सीट्स पर बैठे हैं। सबसे कोने वाली सीट पर सुमन ,फिर प्राची ,फिर नेहा ,और उसके बगल में मैं।

नेहा -क्या चाहत ?हम बीच में क्यों बैठे हैं ?आगे आराम से बैठते।

मैं -छोड़ ना नेहा एक -दो घंटे की बात है। यहाँ भी अच्छा लग रहा है।

प्राची -सच में नेहा। यहाँ से भी सब दिख तो रहा है।

सुमन -चाहत ,तुझे जब गोल्ड मैडल मिले स्माइल करना अच्छी सी पिक क्लिक करेंगे हम तेरी।

नेहा -ये तो चीफ गेस्ट पर डिपेंड करता है कि उसकी शक्ल देख कर स्माइल आये या ना आये।

प्राची -स्माइल जरूर आएगी।

मैं -तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुझे पता हो चीफ गेस्ट कौन है।

प्राची -वो .......वो (तभी डीन सर बोलना शुरू कर देते हैं। )

डीन सर -प्यारे बच्चो ! हर साल नए स्टूडेंट्स आते हैं जबकि पुराने स्टूडेंट्स हमारा ये आँगन छोड़ कर अपनी मंज़िल की तलाश में चले जाते हैं। फिर भी हम टीचर्स को सभी स्टूडेंट्स से लगाव हो जाता है। हम सब टीचर्स हमेशा अपने स्टूडेंट्स के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। बहुत सारे स्टूडेंट्स ने तो हमारे कॉलेज का नाम विभिन्न क्षेत्रों में रोशन किया है। आज के हमारे चीफ गेस्ट ऐसे ही हमारे एक एक्स स्टूडेंट हैं जिसने थोड़े से समय में अपना नाम और मुकाम दोनों बनाए हैं। सो स्टूडेंट्स प्लीज वेलकम मिस्टर सलिल जैसवाल।

(नाम के अन्नाउंस होते ही सलिल स्टेज पर आता है। डीन सर उसका वेलकम करते हैं। फिर दोनों अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाते हैं। )

मेरी हालत का तो मैं खुद अंदाज़ा नहीं लगा सकती। कहाँ मैं खुश थी कि सलिल नहीं आया और कहाँ ये चीफ गेस्ट बनकर आया है।

मैं -(नेहा की ओर देखते हुए ) नेहा ,ये यहाँ ...........?

नेहा -यार ,मैं खुद शॉकड़ हूँ। (प्राची की ओर देखते हुए ) प्राची ,तूने बताया तक नहीं हमें कि चीफ गेस्ट तेरा भाई है।

प्राची -वो भाई ने मना कर दिया था बताने के लिए।

मैं -क्यों ?

प्राची -भाई ने कहा कि सबको सरप्राइज देंगे। सही सरप्राइज दिया ना हमने ?

नेहा -यार ये शॉक था सरप्राइज नहीं।

मैं -(मन ही मन , सच में ऐसा शॉक आज तक किसी ने नहीं दिया। )

सुमन -यार बस करो ,देख फॉर्मल कपड़ों में भी कितना हैंडसम लग रहा है सलिल।

प्राची -भाई किसका है।

नेहा -ओह सुमन ,अपने अमन पर ध्यान दे तू अब। (फिर मेरी और देखते हुए ) यार चाहत ,वैसे बंदा सच में डैशिंग लग रहा है।

मैं -तो मैं क्या करूं ?

नेहा -चिढ़ मत ,बस ऐसे ही बता रही हूँ।

(अब माइक हमारी मार्केटिंग टीचर ने संभाला है। वो लगातार सलिल के अकादमिक और बिज़नेस की अचीवमेंट गिनाए जा रही हैं। प्राची अपने भाई के लिए तालियॉँ बजाय जा रही है। अब मैडम सलिल को कुछ शब्द कहने के लिए आमंत्रित करती हैं। )

सलिल -(माइक ठीक करते हुए ) हेलो एवरीवन ! सबसे पहले आप सब को badahi हो आप सब ने अपना मास्टर्स कम्पलीट कर लिया है। मुझे उम्मीद है आप सब जल्द ही अपनी मंजिल पा लेंगे। मैं आप सब को बिज़नेस और करियर की बातें करके बोर नहीं करूँगा। मैं भी आप सब की तरह लगभग डेढ़ साल पहले इसी कॉलेज से passout हुआ था। हम अपने जीवन में आज से बीस साल बाद भी पीछे मुड़ कर देखेंगे तो कॉलेज की यादें हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आएगी। कॉलेज में हमें अच्छे दोस्त मिलते हैं , टीचर्स मिलते हैं ,किसी को तो अपना सच्चा प्यार भी मिल जाता है। (यह सुन पूरी ऑडियंस हंसती है। ) खैर ,मैं अब और कुछ नहीं कहूंगा बस आप सब के भविष्य के लिए शुभकामनाएं !(ये कहकर सलिल माइक से पीछे हट जाता है। और ऑडियंस तालियां बजाती है। प्राची अपने भाई को इशारा करती है। )

मैं सोच रही हूँ यार इस प्राची को क्या पड़ी है इशारा करने की। अब ये सलिल इस ओर देखेगा मर गए। मैं जान -बुझ कर अपनी गर्दन निचे की ओर करके सीट के पीछे छुपने की कोशिस कर रही ही थी की नेहा ने मुझे ऊपर की ओर खींच लिया। मेरी कोशिस बेकार हो गयी सलिल की नजरों से मैं बच नहीं पायी। वो हमें देखकर हल्का सा मुस्कुराया। मुझे इस नेहा पर गुस्सा आ रहा था पर करूं क्या इसे थोड़ी पता है मैं छिप क्यों रही हूँ ?

नेहा -क्या हुआ चाहत ? तू निचे क्या ढूंढ रही थी ?

मैं -कुछ नहीं ,बस अपनी सैंडल ठीक कर रही थी।

(तभी मैडम ने अन्नोउंस किया इस साल की गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट हैं मिस चाहत बाजवा ! सो चाहत आइये और अपना मैडल स्वीकार कीजिये। )

सब मेरे दोस्त मेरा नाम जोर से चिल्लाते हैं। पर मेरे पैर मेरा साथ नहीं दे रहे। पता है पैरों को भी सलिल ही मैडल देने वाला है। और ये सलिल अपनी हरकतों से बाज आने वालों में से नहीं है। अगर इसने कुछ किया तो ? तभी मैंने भैया -भाभी की तरफ देखा उनकी आँखों में ख़ुशी साफ़ दिख रही थी।

नेहा -यार चाहत जा अब।

मैं धीरे -धीरे स्टेज पर पहुँची तो सलिल सामने ही खड़ा था पर अब वो सीरियस लग रहा है। मैंने सोचा शायद सबके सामने कोई बात नहीं कर पायेगा। जल्दी से डिग्री और मैडल लेती हूँ।

सलिल -(हाथ आगे बढ़ाते हुए ) congratulation ! मिस चाहत।

मैं -(हाथ मिलाते हुए ) thanku सर !(मैडम गोल्ड मैडल सलिल को देती हैं। )

सलिल -(आगे बढ़ कर मेरे गले में मैडल डालते हुए धीरे से ) मैंने वरमाला पहना दी है तुम्हे। (इतना कहने पर वो थोड़ा सा पीछे हटा और डिग्री अपने हाथों में ली । )

मैं -(मैंने उसकी और देखा ,वह मुस्कुरा रहा है। )

सलिल -मिस चाहत ! आपकी डिग्री (मेरे हाथों में देते हुए ) आल the बेस्ट फॉर your फ्यूचर !

मैं जल्दी से निचे उतरने ही वाली थी की मैडम ने रोका -मिस चाहत ,एक अच्छी सी फोटो आप दोनों की हो जाये। हमे भी अपने ब्रिलियंट स्टूडेंटस की फोटो की जरूरत होती है। एक याद के रूप में। मैंने हलकी सी मुस्कराहट के साथ सलिल के साथ फोटो खिंचवाई। उसके बाद मैं जल्दी से स्टेज पर से उतर कर निचे आ गयी।