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अधुरा प्यार

यह कहानी है उन लोगों की जिन्हें लगता है कि उन्हें प्यार हो गया है लेकिन सामने वाले को केवल दोस्ती ही अच्छी लगती है दोस्ती ही प्यार है या प्यार ही दोस्ती है यह तो पता नहीं लेकिन चलिए चलते हैं अपनी कहानी की ओर :-

रितु एक सामान्य लड़की है और 12 वी पास करने के बाद उसने गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन लिया अब जैसे कि कई गवर्नमेंट कॉलेज में होता है कि क्लासेज काफी लेट शुरू होती है तो इसलिए रितु भी इंतजार करने लगी कि कब रेगुलर क्लासेस स्टार्ट हो।

खैर वह दिन भी आता है जब से क्लास शुरू होंगी रितु को पता चलता है कि 21 जुलाई से रेगुलर क्लासेस स्टार्ट होंगी तो वह 21 जुलाई को कॉलेज में जाती है कॉलेज में जाकर उसने देखा कि अभी भी रेगुलर जैसा कोई सिस्टम नहीं है उसकी केवल एक ही क्लास हुई और बाकी क्लासेज नहीं हो पाई क्योंकि लेक्चरर एडमिशन प्रोसेस में बिजी थे।

लगभग 1 अगस्त से क्लासेज सही होने लगती हैं और रितु को कॉलेज में भी अच्छा लगने लगता है उसकी एक फ्रेंड भी बन जाती है उसका नाम था सौम्या ।

सौम्या उसने एक क्लास आगे थी यानी वह सेकंड ईयर में थी सौम्या रितु के ही मोहल्ले की थी इसलिए रितु और सौम्या दोनों एक साथ ही कॉलेज आते थे और सौम्या उसे कॉलेज के बारे में बताती रहती थी।

रितु की क्लास चल रही थी तभी एक साथ 15 / 20 लड़कों के हुजूम ने क्लास में प्रवेश किया और सर से कहा कि सर प्लीज 2 मिनट सर ने तिरछी नजरों से उन लड़कों को देखा जिससे उनके भाव हो कि नहीं आप यहां से चले जाओ लेकिन फीर शायद सर ने कुछ सोच कर कहा कि ओके।

एक लड़का सर की जगह पर आ गया और उसने कहना शुरू किया कि हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम विशाल शर्मा है और मैं फाइनल ईयर का छात्र हूं और इस वर्ष आपके कॉलेज से प्रेसिडेंट पद के लिए चुनाव लड़ना चाहता हूं।

इसलिए जिस किसी को भी किसी भी प्रकार की समस्या हो वह मुझे सीधे कांटेक्ट करें और मेरे कांटेक्ट नंबर हैं यह है उसने सर से मार्कर लिया और बोर्ड पर अपने मोबाइल नंबर लिख दिए कहा सभी इसे सेव कर ले जिस किसी को जब भी जरूरत हो मुझे जरूर फोन करें और जो मेरे साथ होना चाहते हैं वह मेरे साथ आ जाए।

मेरी कुछ सामान्य सी नीतियां हैं जैसे क्लास सभी रेगुलर टाइम पर होनी चाहिए , स्पोर्ट्स भी होना चाहिए और जो क्लासेज नहीं लग रही है उनके लिए बाहर से एक्स्ट्रा प्रोफेसर बुलवाएं जाए क्योंकि सरकारी कॉलेज होने के कारण कुछ पद खाली भी है इसके अलावा कॉलेज में शांति व्यवस्था बनी रहे बाकी और आप जो भी मुद्दे देंगे उन सभी का स्वागत है तो कृपया मेरे नंबर पर संपर्क जरूर करें।

विशाल के साथ कुछ लड़के भी उठकर क्लास से बाहर चले गए उसके जाने के बाद सर ने फिर से पढाना शुरू कर दिया।

जब रितु और सौम्या घर आ रही थी तो रितु ने सौम्या से पूछा कि यह विशाल कौन है क्या आप इसे जानते हो सौम्या ने कहा कि हां मैं जानती हूं यह मुझसे एक क्लास सीनियर है और बहुत ही अच्छा लड़का है फर्स्ट ईयर में हमारी कॉलेज का टॉपर था सेकंड ईयर में कुछ राजनीति की लत लग गई इसलिए वह थर्ड स्थान पर रहा और अब तो पता नहीं लेकिन हां मैंने फर्स्ट ईयर से उसके बारे में सुना है बहुत अच्छा था।

अगले दिन फिर से रितु की क्लास में कुछ लड़कों का हुजूम आया और ठीक वैसे ही जैसे कल विशाल ने कहना शुरू किया एक ने कहा कि मेरा नाम अविनाश चौधरी है और मैं इस कॉलेज से प्रेसिडेंट का चुनाव लडूंगा और मेरे साथी जो है उन सब का कहना है कि यह चुनाव में ही जीतूँगा मेरी कोई सामान्य नीतियां नहीं है अगर मैं प्रेसिडेंट बना तो आप सभी प्रेसिडेंट होंगे इसलिए जिसकी जैसे मन में मर्जी आए वह वैसे करें आपको कोई रोकने टोकने वाला नहीं होगा।

रितु अपने मन में सोचने लगी कि विशाल की कुछ नीतियां तो थी मुझे तो यह अविनाश बहुत ही घमंडी और बद दिमाग लड़का लग रहा है पता नहीं यह अगर प्रेसिडेंट बन गया तो क्या करेगा।

कॉलेज में अगले दिन विशाल और अविनाश के दोस्तों में आपस में लड़ाई हो गई और बाद में पता चला कि इसमें कुछ लड़के बाहर के भी थे जिससे कॉलेज प्रशासन ने नियम लगा दिया कि अब गेट में वही एंट्री करेगा जिसके पास कॉलेज का आई कार्ड होगा जबकि रितु का तो अभी तक आई कार्ड भी नहीं बना था जब उसने पता किया तो यह बताया गया कि फॉर्म में या डाक्यूमेंट्स में कुछ कमियां है इसलिए बाद में इशू होगा ।

रितु ने सोचा कि अब मैं कॉलेज कैसे आऊंगी पता नहीं कब तक होगा उसने स्टाफ से एक दो बार बात करने की कोशिश की लेकिन रितु को कोई ढंग से जवाब ही नहीं देता था और कई स्टाफ तो अनसुना करके चले जाते थे रितु अब कहे भी तो किस से कहें सौम्या को कहा तो उसने कहा कि उसकी भी कोई खास जान पहचान नहीं है इसलिए वह भी कुछ नहीं कर सकती।

तभी अचानक रितु को ख्याल आया कि एक बार विशाल से बात करके देखती हूं वैसे भी उसने अपने नंबर बोर्ड पर लिखे थे तो मैंने सेव कर लिए घर आकर रितु ने अपने फोन से विशाल को फोन किया वह कुछ डरते हुए बोल रही थी हेलो कौन विशाल जी

सामने से आवाज आई हां बोल रहा हूं आप कौन हैं
मैं रितु हूं कॉलेज में न्यू एडमिशन है और आप तो जानते हैं कि कॉलेज में नियम लगा दिया गया कि जिसके पास आई कार्ड नहीं है वह नहीं आ सकता क्योंकि मेरा आई कार्ड इशू नहीं हुआ है क्या आप कुछ हेल्प करेंगे
विशाल ने कहा ठीक है कल आप 10:बजे मुझे कॉलेज में मिलना।

अगले दिन रितु को कॉलेज के गेट पर ही रोक लिया गया उसने कहा कि मैं इसी कॉलेज की हूं प्लीज मुझे अंदर जाने दे गेटकीपर ने साफ मना कर दिया अब रितु के पास और कोई उपाय नहीं था उसने गार्ड से कहा कि सर प्लीज आप एक बार विशाल जी से बात करिए गार्ड ने कहा कौन विशाल जी ? रितु ने बताया कि वही जो चुनाव लड़ रहे हैं गार्ड को उसकी बात पर हंसी आ गई उसने कहा मैं क्या उससे बात करूं तुम जानो ।

लगभग 5 मिनट गेट के पास खड़े रहने पर विशाल अपनी बाइक लेकर आया उसे देखते ही रितु तुरंत उसके पास पहुंचीं और कहा सर मैंने ही आपको कॉल किया था विशाल ने कहा वह ठीक है नाम क्या है तुम्हारा
जी रितु कौन सी क्लास में हो बीएससी फर्स्ट ईयर पापा का नाम हरिप्रसाद जी शर्मा विशाल ने यह तीनों चीजें अपने एक डायरी में लिखे और सीधा अंदर चला गया गार्ड ने विशाल से उसका आई कार्ड भी नहीं मांगा था जबकि रितु को उसने अंदर भी नहीं जाने दिया।

विशाल ने कहा कि इसे भी अंदर आने दो मैं पर्सनली जानता हूं विशाल के कहते ही रितु भी अंदर आ गई अब रितु के मन में विशाल के प्रति इज्जत बढ़ गई थी क्योंकि जब सभी लड़के और लड़कियां कॉलेज के अंदर जा रहे थे जबकि वह गेट पर ही खड़ी थी तो उसे कुछ बेज्जती फील हो रही थी लेकिन जैसे ही वह अंदर आई अब उसमें थोड़ा आत्मविश्वास आया और यह सब विशाल के कारण ही संभव हुआ था।

विशाल रितु को अपने साथ लेकर सीधा ऑफिस पहुंचा और वहां जाकर उसने कहा कि जल्दी से इसका आई कार्ड इशू करो और यह उसके डिटेल्स है उसने डायरी रखी क्लर्क ने विशाल के हाथ से डायरी ली और एक आई कार्ड लिया और उसमें रितु की डिटेल भरने लगा उसके बाद रितु से कहा कि इस पर अपना फोटो चिपका लेना अभी मैंने साइन कर दिया है अपनी फोटो चिपकाकर कल ले आना तब प्रिंसिपल सर से भी साइन करवा दूंगा ।

रितु की आई कार्ड की सबसे बड़ी टेंशन विशाल के केवल एक कदम से ठीक हो चुकी थी ऋतु के मन में अब विशाल के लिए और ज्यादा इज्जत बढ़ गई पहले रितु को कॉलेज के अंदर लाया और अब उसका 1 मिनट में आई कार्ड इशू करवा दिया वहीं कार्ड जिसके लिए पिछले 3 दिनों से रितु चक्कर लगा रही थी और उसे 2 दिनों से रात को ढंग से नींद भी नहीं आ रही थी कि कल कॉलेज में क्या होगा मुझे एंट्री देंगे या नहीं देंगे बाहर रहूंगी तो कैसा फील होगा यह सब सोचते सोचते रितु 2 दिनों से परेशान हो चुकी थी। रितु विशाल को थैंक यू कहना चाहती थी लेकिन तब तक विशाल वहां से जा चुका था।

जब सौम्या उसे कॉलेज में मिली तो बहुत खुश हुई और कहा कि क्या हुआ रितु तुम्हारा आई कार्ड बन गया रितू ने कहा हां यार विशाल ने मेरी हेल्प की जिस वजह से मेरा कार्ड इशू हो पाया।

कॉलेज में अब केवल चुनाव का प्रचार हो रहा था रेलिया निकाली जा रही थी और पूरा कॉलेज बैनरो से अ टी पड़ी थी कहीं अविनाश के बैनर लगे थे तो कहीं विशाल के कई विद्यार्थी आपस में चर्चा कर रहे थे तो कभी अविनाश जीतते हुए लग रहा था तो कभी ऐसा लग रहा था कि विशाल भी जीत सकता है।

रितु और सौम्या जब घर आ रही थी तो रितु ने सौम्या से पूछा कि सौम्या तू किसे वोट देगी तो सौम्या ने कहा कि वह तो अविनाश को वोट देगी रितू ने पूछा क्यों यार सौम्या ने बताया कि अविनाश एक बहुत ही हैंडसम और पर्सनलटी वाला बंदा है उसकी हर स्टाइल मुझे अच्छी लगती है उसका बोलना , उसका चलना यू दादागिरी करते हुए रहना हर एक चीज उसमें कमाल लगती है यार इसलिए मैं अपना वोट अविनाश को दूंगी।

रितु - लेकिन मुझे तो यार विशाल अच्छा लगा उसकी कुछ नीतियां है जिसकी वजह से कॉलेज में रेगुलर क्लासेज हो सके बाहर से लेक्चरर्स को लाके अपनी क्लासेज लगवाना कॉलेज में शांति व्यवस्था बनाए रखना जबकि अविनाश की तो कुछ नीतियां ही नहीं है लगता है अविनाश जीत गया तो कॉलेज में क्लासेज होंगी ही नहीं।

सौम्या यार हार जीत की किसे पड़ी है बस मैं तो जब भी अविनाश को देखती हूं देखती ही रह जाती हूं जी करता है बस इससे देखती रहूं घर जाकर केवल अविनाश की ही तस्वीर याद रहती है क्या यार कभी ऐसा कोई दिन आएगा जब अविनाश को मैं अच्छी लगी तू बता यार मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे अविनाश मुझसे बात करें मेरी और देखें।

रितु -- तू यार आज ऐसी बातें कैसे कर रही है पहले तो तूने कभी नहीं की थी । सौम्या -- पहले में यार तुझ से डरती थी कहीं तू जाकर मेरी मम्मी को कुछ बता ना दे क्योंकि तुझे आए हुए 1 महीने से ऊपर हो गया लेकिन अभी तक तेरे मुंह से कभी किसी लड़के का नाम नहीं सुना था लेकिन जब आज तूने विशाल की बात की तो मेरे भी अरमान जग गए और मैं ने आज तेरे सामने अपनी सारी बात बता दी ।

हां यार मैं अविनाश से प्यार करने लगी हूं बहुत बहुत ज्यादा प्यार करने लगी हू वह हर पल मेरी आंखों के सामने रहता है मैं उसकी हर स्टाइल कॉपी करती हूं घर जाकर आईने के सामने कई घंटों तक उससे बातें करती रहती हूं ऐसा लगता है जैसे अविनाश मेरे सामने ही खड़ा हो मैं अविनाश से बहुत बहुत ज्यादा प्यार करती हूं।

कहीं यार ऐसा तो नहीं है कि मैं अविनाश से प्यार करने लगी और तू विशाल से अगर ऐसा है तो मैं अविनाश को वोट दूंगी और तू विशाल को वोट देना देखते हैं किस का प्यार जीतता है ??

रितु ने कहा कि यार तुझे कैसे पता मैं विशाल से प्यार करती हूं जबकि मेरे मन में उसके लिए इस प्रकार की कोई भावना नहीं है यह सिर्फ तेरा वहम है। और वैसे भी चल अपना घर आ गया है तो चुपचाप हो जा बाकी बातें कल करते हैं सौम्या ठीक है लेकिन मेरी बात को सोचना जरूर घर जाकर कि मैं कहीं सच तो नहीं कह रही कहीं सच में तो तुझे विशाल से प्यार नहीं हो गया है ??

घर आने के बाद रितु के मन में बार-बार सौम्या की बातें चल रही थी और कभी उसे लगता कि सौम्या सच कह रही हैं और कभी उसे लगता कि सौम्या झूठ बोल रही है मुझे विशाल से कोई प्यार व्यार नहीं हुआ है ।

अगले दिन रितु जब कॉलेज गई तो विशाल ने रितु को रुकने का इशारा किया और दौड़ता हुआ उसके पास आया और कहा कि तुम फर्स्ट ईयर में हो ना रितु ने कहा हां विशाल तो क्या तुम मेरा एक काम करोगी रितु ने कहा हां बोलिए विशाल जी विशाल ने कहा कि यह क्या विशाल जी बोल रहे हो यहां कॉलेज में सभी एक दूसरे के दोस्त होते हैं तो कॉल मी विशाल।

अच्छा तो तुम फर्स्ट ईयर की जो लड़कियां हैं उनको मेरा एक कार्ड जरूर दे देना और साथ ही यह स्लिप भी है जिसमें दूसरे नंबर पर मैं हूं उनको कहना कि विशाल को वोट देने के लिए सेकंड नंबर वाले पर निशान लगाएं और प्लीज प्लीज मेरा इतना काम जरूर कर देना मुझे अभी और भी बहुत से क्लासो को देखना है तो तुम मेरा इतना काम जरूर कर देना विशाल ने जिस प्रकार से प्लीज प्लीज की रिक्वेस्ट की उसे देख कर रितु को अपने आप पर प्राउड फील होने लगा।

3 दिन बाद चुनाव थे इसलिए कॉलेज में क्लासेज नहीं के बराबर हो रही थी रितु को पता था कि उसकी क्लास नहीं हो रही फिर भी पता नहीं वह क्यों कॉलेज आया करती थी और जब तक विशाल से ना मिले या विशाल को ना देखें उसे चैन नहीं मिलता था। सौम्या तो रितु से साफ कहती थी वह यहां कॉलेज केवल अविनाश के लिए आती है और उसको देखती ही रहती है जब तक कॉलेज टाइम पूरा ना हो जाए अब दोनों दोस्त रितु और सौम्या एक विशाल की टीम में थी तो दूसरी अविनाश की टीम में थी लेकिन उन दोनों दोस्तों के मध्य किसी प्रकार की कोई मनमुटाव नहीं था सौम्या रितु से दिन में कई बार कहती कि देखते हैं किसका प्यार जीत़ता है तेरा या फिर मेरा ?

इन 3 दिनों में रितु जहां विशाल के साथ उसकी टीम में रही तो वही सौम्या भी अविनाश के साथ उसकी टीम में थी इन दोनों को उनके साथ कभी खाना खाने का मौका मिला तो कभी चाय नाश्ते का धीरे धीरे उनकी नजदीकियां बढ़ती जा रही थी इसलिए रितु और विशाल में भी दोस्ती हो गई जबकि अविनाश और सौम्या तो पहले से ही दोस्त थे।

चुनाव वाले दिन कॉलेज प्रशासन और लगभग छात्र अविनाश चौधरी का सपोर्ट कर रहे थे क्योंकि एक तो अविनाश एमएलए का बेटा था और दूसरी बात वह अब काफी अमीर होने के कारण पॉपुलर भी बहुत था। शाम को जब रिजल्ट आया तो उसने भी इस बात को तय कर दिया कि अविनाश चौधरी ही जीता है।

अविनाश के जीत की घोषणा होते ही पूरी कॉलेज में गुलाल रंग उड़ने लगा और खूब पटाखे चलाए जाने लगे dj भी बजने लगे पूरी कॉलेज में काफी शोरगुल हो रहा था हालांकि पुलिस प्रशासन था लेकिन वह लड़कों को रोक नहीं रहा था और सभी लड़के अपनी खुशियां मना रहे थे।

अविनाश की जीत की खबर सुनते ही सौम्या नाचने लगी उसे ऐसा लगा जैसे उसका प्यार जीत गया हो वह काफी खुश थी वह चारों तरफ से सभी लोगों पर गुलाल उड़ाते हुए चल रही थी लेकिन रितु का चेहरा उदास था विशाल भी उदास था और चुपचाप अपनी गाड़ी लेकर अपने घर चला गया वही रितु भी चुपचाप जाने वाली थी लेकिन सौम्या ने उसे रोक लिया और उस पर गुलाल की बारिश करते हुए कहा कि देख सौम्या मेरा प्यार जीत गया है इसका मतलब मेरा प्यार सच्चा है।

रितु की आंखों से आंसू गिर रहे थे पता नहीं क्यों फिर भी यह सब समझ नहीं पा रही थी लेकिन पहली बार किसी के हारने से रितु को दुख हुआ था इसका उससे एहसास था रितु अपने मन में अब भी यही सोच रही थी कि क्या वाकई में मुझे विशाल से प्यार हो गया है जैसे सौम्या कह रही हैं या फिर यह सब मन का एक वहम मात्र है।

रितु अगले दो दिनों तक कॉलेज नहीं गई हालांकि सौम्या उससे हमेशा कहती कि चल लेकिन रितु कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल देती थी विशाल के हारने के बाद रितु की कॉलेज जाने की बिल्कुल इच्छा नहीं हो रही थी और उसके दिलो-दिमाग में हर बार सौम्या की एक ही बात गूंजती रहती थी कि रितु को विशाल से प्यार हो गया है इन 2 दिनों में रितु को विशाल की इतनी याद आने लगी कि वह अब सौम्या की बात पर विश्वास करने लगी थी हां सच में मुझे विशाल से प्यार हो गया है।

इन 2 दिनों में रितु काफी बेचैन रही उसे मन में लग रहा था कि उसे जल्दी से जल्दी विशाल को प्रपोज करना चाहिए कहीं ऐसा तो नहीं है कि कोई और लड़की उससे पहले बाजी मार ले जाए कभी उसके मन में यह ख्याल आता था कि विशाल तो यहां 2 साल से पढ़ रहा है क्या पता पहले से ही किसी लड़की के साथ उसका चक्कर हो लेकिन अभी तक उसने कॉलेज में ऐसा सुना नहीं था इसलिए वह इस बात से कभी कंफर्म हो जाती है कि उसका चक्कर नहीं है और कभी उसे लगता है कि यहां नहीं तो कहीं और होगा कुछ भी हो रितु अब जब तक जागती थी तब तक विशाल के बारे में ही सोचते रहती थी।

कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे रितू ने कॉलेज जाना शुरू कर दिया हालांकि विशाल अभी भी कॉलेज में नहीं आ रहा था क्योंकि वह हार की वजह से दुखी हो गया था और उसे कॉलेज जाने में बेज्जती फील होती थी।

उधर सौम्या अविनाश के साथ खूब हंसी मजाक करती रहती थी कैंटीन में कई बार साथ ही खाना खाते थे और शाम को रितु को कई बार अपने मोबाइल में अविनाश की और अपनी सेल्फी दिखाया करती थी और कहती थी कि देख यार मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि अविनाश भी मुझसे प्यार करने लगा है ।

रितु ने कहा क्या उसने तुम्हें प्रपोज किया है सौम्या -- नहीं यार उसके प्रपोज की जरूरत ही नहीं है क्योंकि मैं तो उससे प्यार करती हूं और अगर वह मुझसे प्यार नहीं करता तो मेरे साथ खाना क्यों खाता मेरे साथ सेल्फी क्यों खिंचवाता मेरे साथ मंदिर में क्यों जाता ईसका मतलब वह भी मुझसे प्यार करता है।

1 दिन रितु ने हिम्मत करके विशाल के व्हाट्सएप पर हाय लिखा विशाल ने भी जवाब देते हुए हाय लिख दिया रितु की धड़कने थोड़ी तेज होने लगी और उसकी सांसे जल्दी जल्दी चलने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या लिखूं जबकि लिखने से पहले रितु ने कम से कम 20 बार मन में सोचा था कि विशाल अगर यह लिखेगा तो मैं ऐसे लिखूंगी उसे यह पूछूंगी उसके बारे में यह कहूंगी लेकिन अब उसके पास जवाब देने जितने भी हिम्मत नहीं थी जो मन में दिमाग में सोचा था वह सारा एक झटके में गायब हो चुका।

अंत में उसने तय किया कि कुछ तो लिखो 1 मिनट बाद उसने लिखना शुरू किया कि
आप कॉलेज क्यों नहीं आ रहे
विशाल ने जवाब दिया कि अभी घर में कुछ काम है बिजी हूं कुछ दिनों बाद आऊंगा रितु ने लिखा कि अगर क्रिकेट में किसी दिन आप हार जाते हो तो क्या अगले दिन खेलने नहीं जाते वैसे ही यह कॉलेज का चुनाव भी तो एक खेल के जैसा ही है तो आप कॉलेज जाओ और वैसे भी मेरे प्रैक्टिकल शुरू होने वाले हैं मुझे तो कुछ पता भी नहीं है तो प्लीज आप आओ अब आप ही बताना मैंने सुना है पिछले साल आपने प्रैक्टिकल में बहुत मदद की थी।

विशाल ने लिखा ठीक है ना परसों से कॉलेज आ जाऊंगा और प्रैक्टिकल में ज्यादा मदद तो नहीं लेकिन हां थोड़ी बहुत में हेल्प कर दिया करता हूं क्योंकि मुझे इसमें इंटरेस्ट आता है रितू ने लिखा बाय और विशाल ने भी ओके बाय लिखा ।

इसके बाद रितु ने जल्दी से फोन बंद किया और फिर लंबी लंबी सांसे लेने लगी ऐसे लगा जैसे वह कोई बहुत बड़ा युद्ध जीत कर आई हो या बहुत दूर से दौड़कर आ रही हो अब रितु के चेहरे पर हल्की सी एक मुस्कान उभर गई थी वह मन में सोचने लगी कि आखिर आज मैंने विशाल से बात कर ही ली नंबर तो मेरे पास चुनाव के टाइम से थे लेकिन मैंने उनसे कभी बात नहीं की आज विशाल से बात करने पर रितु बहुत खुश थी और सबसे ज्यादा खुशी इस बात की थी कि विशाल ने रितु की बात को मान लिया और वह कॉलेज आने को तैयार हो गया।

अब रितु को पक्का यकीन होने लगा था कि वह विशाल से प्यार करने लगी है आज रितु की आंखों में नींद नहीं थी पूरे दिन और रात भर रह रह कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी क्योंकि आज उसने विशाल से बात की थी अपने भविष्य के सपने को बुनते हुए ख्वाबों में सोचते हुए धीरे-धीरे रितु को आखिर नींद आ ही गई।

अगले दिन सौम्या ने रितु को अपने व्हाट्सएप पर अविनाश के एक दो मैसेज दिखाएं जो डबल मीनिंग वाले जोक थे जिसे पढ़कर वह हंसने लगी थी और रितु से कह रही थी कि देख अविनाश मुझे ऐसे मैसेज भी करने लगा है इसका मतलब तू जानती है ना कि वह भी मुझसे प्यार करता है।

अगले दिन जब विशाल आया तो रितु पूरे दिन उसके लगभग आगे पीछे ही रही जिस भी क्लास में विशाल होता उसी क्लास में रितु चली जाती थी जब विशाल कैंटीन में गया तो रितु ने उससे रिक्वेस्ट करते हुए खाना खाने के लिए कहा विशाल मना नहीं कर पाया आज रितु और विशाल ने एक ही टेबल पर बैठकर खाना खाया था इस बात ने रितु को खुश कर दिया अब वह सारे जहां में अपने आप को सबसे खुशनसीब लड़की समझने लगी थी।

लगभग महीने भर बाद जब वैलेंटाइन डे आने वाला था तब दोनों ने सौम्या और रितु ने तय किया कि अभी तक हमें हमारे प्यार ने प्रपोज नहीं किया है तो हम ऐसा करते हैं कि हम दोनों खुद ही अपने अपने प्यार को प्रपोज करते हैं और इसमें कोई बुराई नहीं है कोई जरूरी नहीं है कि लड़की हमेशा चुप ही रहे और लड़के को ही प्रपोज करने का अधिकार है यह प्यार है इसमें कोई भी प्रपोज कर सकता है इस प्रकार से सौम्या की बातें सुनकर रितु ने भी मन बना लिया कि वह भी कल विशाल को प्रपोज करेगी।

अगले दिन दोनों साथ कॉलेज गई अविनाश को देखते ही सौम्या ने भागकर उसे गले लगा लिया और कहां हैप्पी वैलेंटाइन डे अविनाश ।
अविनाश ने भी उसकी पीठ पर थपकी देते हुए कहा सेम टू यू

उनको कुछ देखकर ऋतु के मन में हुआ कि काश वह भी ऐसे ही विशाल को जाकर के कहे और विशाल भी अपने ही प्यार से उसे सेम टू यू कहे लेकिन रितु में इतनी हिम्मत नहीं थी।

रितु की आंखें अब विशाल को ढूंढ रही थी और वह हर कमरे में जाकर देखने लगी किसी कमरे में उसे विशाल मिल जाए लेकिन उसे विशाल के बजाय कहीं कोई प्रेमी जोड़े मिल रहे थे तो कहीं एक दूसरे को प्रपोज कर रहे थे तो कहीं लड़कियां मना करने पर लड़के गुमसुम और उदास बैठे थे लेकिन उसे विशाल नहीं मिला।

अंत में थक हार कर जब उसे विशाल नहीं मिला तो रितु ने सोचा आज वह नहीं आया होगा तो रितु टॉयलेट करने के लिए गर्ल्स टॉयलेट की तरफ गई उसने देखा गली में विशाल अपनी एक घुटने को नीचे टीका कर बैठा है और उसके हाथ में एक गुलाब का फूल है सामने एक लड़की खड़ी है विशाल उस लड़की को प्रपोज कर रहा था ।

रितु ने जैसे ही यह दृश्य देखा उसके सीने की धड़कन तेज होने लगी उसकी सांसे बहुत जल्दी जल्दी चलने लगी और उसे ऐसा लगा जैसे यह धरती घूम रही है उसे ऐसा लगा जैसे उसके प्राण उसके शरीर से निकल गए हो रितु ऐसा सोच भी नहीं सकती थी कि विशाल किसी और को प्रपोज करेगा क्योंकि रितु को लगता था कि विशाल भी मुझसे प्यार करता है लेकिन यहां तो यह किसी और को प्रपोज कर रहा था रितु ने छिपकर उन दोनों की बातें सुनने की कोशिश की तो उसे पता चला कि यह राधिका है जो विशाल की ही क्लास में थी और 3 साल से दोनों साथ ही पढ़ रहे थे।

रितू ने देखा कि राधिका ने हंसकर गुलाब को उसके हाथ से ले लिया विशाल ने अपनी जेब से एक छोटी डिब्बी निकाली और उसमें एक अंगूठी थी अंगूठी देखने में सोने की लग रही थी विशाल ने उस अंगूठी को राधिका के आगे किया राधिका ने अपना हाथ बढ़ाया विशाल राधिका को अंगूठी पहनाने लगा जैसे जैसे अंगूठी राधिका की अंगुली में जा रही थी वैसे वैसे ही रितु की आंखों से आंसू गिर रहे थे। ।

इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे को बाहों में भर लिया रितु से इससे ज्यादा नहीं देखा गया और वह वहीं से घूम गई और रोती हुई जल्दी जल्दी चलने लगी उसने देखा कि कहीं कोई और ने देख ले इसलिए जल्दी से अपने आंसू पोछें और सीधी अपने घर आ गई।

रितु की मम्मी बाजार गई हुई थी भैया स्कूल और पापा ऑफिस गए हुए थे घर पर कोई नहीं था तो रितु भगवान के आगे खड़ी हो गई और कहने लगी हे भगवान यह आपने क्या किया जिस बात का मुझे डर था वही हुआ आखिर मेरे प्यार में क्या कमी रह गई थी जो विशाल ने राधिका को प्रपोज किया मैं भी तो उससे बहुत प्यार करती थी आखिर मेरा प्यार अधूरा रह गया ।

लेकिन भगवान में भी चुप नहीं बैठूंगी मुझे पता है अपना प्यार कैसे प्राप्त करना है इसलिए मैं राधिका को जिंदा ही नहीं छोडूंगी उसे जान से मार दूंगी जब राधिका ही नहीं रहेगी तो विशाल जरूर मेरे पास आएगा। यही सोचकर रितु जल्दी से किचन में गई और उसने सबसे तेज धार वाले चाकू को अपने कॉलेज बैग में डाल दिया पूरी रात यही सोचती रही कि कैसे राधिका को मारना है मुझे कहां वार करना चाहिए जिससे वह बिल्कुल मर जाए उसके गले पर वार करूं या उसके हाथ की नसें काट दूं या उसके पेट में वार करु बार-बार इसी प्रकार के प्लान बनाते बनाते उसकी आंखों से नींद दूर हो रही थी।

अगली सुबह रितु सौम्या को बिना बताए ही कॉलेज के लिए निकल गई उसके बैग में चाकू था और चेहरे पर भाव इस प्रकार के थे कि वह आज कुछ भी कर सकती है क्योंकि उसे अपने अधूरे प्यार को पूरा करना था।

रितु के मन में एक बार इस प्रकार का भी ख्याल आया कि कॉलेज में यहां कितने सारे लोग हैं अगर मैं राधिका को सबके सामने मारती हू तो मुझे पकड़ लिया जाएगा और मुझे जेल हो जाएगी जब मैं जेल में रहूंगी तो फिर विशाल फिर से किसी और लड़की के साथ चला जाएगा मैं क्या करूं रितु कुछ समझ नहीं पा रही थी और कई बार उसके मन में ख्याल आता कि जाते ही राधिका को मार दूंगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा फिर तो विशाल मेरा ही होकर रहेगा।

रितु को पता था कि केवल गर्ल्स टॉयलेट ही वह जगह है जहां वह राधिका को आसानी से मार सकती है इसलिए कॉलेज में जाने के बाद उसने राधिका पर नजर रखना शुरू किया कि जैसे ही राधिका गर्ल्स टॉयलेट की तरफ जाएगी मैं भी उसके साथ ही चली जाऊंगी और गेट बंद करने के बाद उसे आराम से मार दूंगी।

रितु आज कॉलेज में बहुत पहले ही आ गई थी और अन्य सभी धीरे-धीरे आने लगे थे आज विशाल और राधिका एक साथ ही आए थे राधिका बहुत खुश लग रही थी और उसकी खुशी को देखकर रितु को जलन हो रही थी रितु मन में सोच रही थी कि अभी देख कमीनी कितनी खुश हो रही है जी करता है अभी इसे मार डालू फिर देखूंगी कुत्तिया कैसे खुश होती हैं।

अभी तक 3 घंटे हो चुके थे और राधिका अभी तक गर्ल्स टॉयलेट की तरफ नहीं आई थी वह कभी विशाल के साथ तो कभी क्लास में तो कभी कैंटीन में थी रितु केवल एक मौके की तलाश में थी कि जब भी राधिका अकेली हो मैं उसका काम तमाम कर सकूं।

राधिका और विशाल साथ साथ चल रहे थे और रितु उनके पीछे-पीछे जैसे ही सिढियों के पास पहुंचे राधिका ने विशाल को रुकने का इशारा किया और कहा 5 मिनट में आती हूं और गर्ल्स टॉयलेट की तरफ बढ़ने लगी रितु को मौका मिल गया वह भी जल्दी से सीधी भागती हुई राधिका के ठीक साथ गर्ल्स टॉयलेट में गई और मेन गेट मेन गेट बंद कर लिया। इस गर्ल्स टॉयलेट में 4 टॉयलेट अलग-अलग बने हुए थे और एक मेन दरवाजा था जैसे ही रितु ने झटके से दरवाजा बंद किया राधिका चौक गई उसने देखा तो ऋतु के चेहरे पर काफी गुस्सा था उसका चेहरा एकदम से लाल हो चुका था।

राधिका ने डरते हुए पूछा कि क्या हुआ रितु इतनी जोर से कैसे दरवाजा बंद किया और बैग को टॉयलेट में साथ क्यों लेकर आई हो रितु ने बैग में अपने चाकू को निकालते हुए कहा कि साली तुझे बहुत प्यार है ना विशाल से आज देखती हूं तू कैसे जिंदा बचती है और चाकू लेकर सीधा राधिका पर झपट पड़ी चाकू राधिका के बाएं कंधे से टच होते हुए पीछे निकल गया लेकिन चाकू लगने से खून की हल्की सी धारा बह उठी राधिका जोर से चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ रितु प्लीज मुझे छोड़ दो।

तभी विशाल को आवाज सुनी और वह भागते हुए आया और दरवाजे को पीटने लगा और कहा दरवाजा खोलो क्या हुआ ? राधिका तुम ठीक तो हो ना ? राधिका क्या हुआ ? राधिका की आवाज आई विशाल मुझे प्लीज बचा लो रितु मुझे मारना चाहती है।

राधिका और विशाल की चीख सुनकर आसपास के कई सारे लड़के लड़कियां गर्ल्स टॉयलेट के आगे ईकट्ठा हो चुके थे और सभी आवाज लगा रहे थे कि दरवाजा खोलो दरवाजा खोलो विशाल ने कहा कि यार प्लीज चुप हो जाओ मुझे अंदर की कुछ आवाज तो सुनने दो हो सकता है राधिका या रितु कुछ कह रही हो विशाल और अन्य सभी चुप हो गए ।

अंदर से रितु की आवाज आ रही थी कि राधिका मैं तुझे नहीं छोडूंगी क्योंकि मैं विशाल से प्यार करती थी आज भी करती हूं लेकिन विशाल तुझसे प्यार करता है जब तू ही रास्ते में नहीं रहेगी तो विशाल मेरे पास जरूर आएगा और एक बार फिर से राधिका पर झपट पड़ी इस बार राधिका बिल्कुल नीचे बैठ गई और चाकू सीधा दीवार में जा लगा दीवार से टकराने के कारण अब चाकू टेढ़ा हो गया।

तभी कॉलेज का पूरा स्टाफ दौड़ते हुए आया और वह भी टॉयलेट के आगे जमा हो गया प्रिंसिपल सर ने विशाल से कहा कि विशाल उस टॉयलेट के काफी ऊपर एक खिड़की है और वह खिड़की काँच से बनी हुई है अगर किसी में हिम्मत है तो उस खिड़की से अंदर जा सकता है और राधिका की जान बचाई जा सकती है वैसे मैंने पुलिस को फोन कर दिया है।

विशाल ने जैसे ही सर की बात सुनी तुरंत उस दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन खिड़की काफी ऊंचाई पर होने के कारण उसके हाथ नहीं आ रही थी तभी दौड़ते हुए पीयोन आया और उसके हाथ में एक सीढी थी विशाल ने जल्दी से उस सीढी को लिया और उस पर चढ़ने लगा खिड़की तक पहुंचने के बाद विशाल ने अपने एक हाथ से उसे तोड़ दिया और खिड़की से सीधा नीचे कूद गया।

विशाल ने देखा कि राधिका बिल्कुल कोने में दुबकी हुई है और रितु के हाथ में अभी भी टेढ़ा मुड़ा हुआ चाकू है। विशाल को देखते ही रितु को और जोश आ गया उसने कहा कि विशाल मैं तुमसे प्यार करती थी और तुम इस लड़की के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर इतनी ऊंचाई से नीचे कूद गये तुम्हारा हाथ पैर कुछ भी टूट सकता था लेकिन विशाल तुम सिर्फ मेरे हो मैं तुम्हें किसी और का नहीं होने दूंगी मैं अपने प्यार को अधुरा नहीं होने दूंगी और एक बार फिर से एक जोर का वार राधिका पर किया इस बार राधिका अपनी जगह से तुरंत घूम गई और इसलिए चाकू सीधा राधिका के कंधे को टच करते हुए निकल गया।

विशाल ने उठने की कोशिश की लेकिन उसे पता चला कि उसके पैर की एक हड्डी टूट गई है और अब वह खड़ा नहीं हो पाएगा तभी बाहर से अंकित सर की आवाज आई रितु बेटा प्लीज आप 2 मिनट के लिए मेरी बात सुन लो ।

रितु नहीं अब मैं किसी की नहीं सुनने वाली हूं अब तो इस कुत्तिया को मार कर ही बात सुनूंगी अंकित सर फिर से कहने लगे देखो बेटा ऐसा मत करो चलो ठीक है मैं तुमसे सिर्फ दो सवाल कहता हूं क्या तुम उसका जवाब देने के लिए तैयार हो रितु की कोई आवाज नहीं आई और राधिका की एक बार फिर से चीखने की आवाज आई।

तभी विशाल ने रोते हुए कहा कि रितु प्लीज यार अगर तुमने मुझसे सच्चा प्यार किया है अगर कभी भी मुझसे एक पल के लिए भी सच्चा प्यार किया है तो प्लीज राधिका को मत मार इस बार रितु का हाथ वहीं रुक गया।

तब तक लड़कों ने मिलकर बाथरूम का गेट भी तोड़ दिया था और सभी एक साथ अंदर आए रितु अब चुपचाप खड़ी थी अंकित सर ने आते ही रितु से पूछा क्या बेटा आप सच में विशाल से प्यार करते हो रितु ने कहा हां सर

तो क्या आप चाहते हो कि विशाल भी आपसे प्यार करें रितु -- मुझ में क्या कमी है मैं राधिका से अच्छी दिखती हूं इससे ज्यादा परसेंटेज लाई हूं फिर मुझ में ऐसी क्या कमी है कि विशाल मुझसे प्यार नहीं करता बल्कि राधिका से करता है।

अच्छा तो इसका मतलब आप यह मानती हो कि अगर आप किसी से प्यार करो तो अगला भी आपको प्यार करेगा रितु ने कहा हां सर इसमें बुराई क्या है अगर मैं विशाल से प्यार करती हूं तो विशाल को भी मुझसे प्यार करना चाहिए ।

अंकित सर -- तो क्या प्यार एक व्यापार है जिसमें हम एक चीज लेने के बदले दूसरी चीज देते हैं ?
रितु -- हां सर प्यार एक व्यापार ही तो है जब मैं विशाल से प्यार करती हूं तो विशाल को भी मुझसे प्यार करना चाहिए।

तभी अंकित सर ने एक लड़के को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा क्या तुम इस लड़के को जानती हो रितु नहीं सर मैं नहीं जानती क्यों नहीं जानती तुम्हें ईस से प्यार करना चाहिए।

रितु क्यों सर जब मैं इसे जानती ही नहीं है तो इसे क्यों प्यार करूं अंकित सर -- आप इसे नहीं जानते तो क्या फर्क पड़ता है यह लड़का तो पिछले 8 महीने से तुमसे प्यार करता है जब से उसने तुम्हें कॉलेज मे देखा तब से यह तुमसे प्यार करता है अब बताओ तुम्हें भी इस से प्यार करना चाहिए।

रितु ने कहा नहीं सर मैं इससे प्यार नहीं कर सकती क्योंकि मेरे मन में उसके प्रति कोई फीलिंग ही नहीं है अच्छा तो तुम यह चाहती हो कि विशाल तुमसे प्यार करें जबकि विशाल के मन में भी तुम्हारे प्रति कोई फीलिंग नहीं है जैसे तुम्हारे मन में इस लड़के के लिए एक सामान्य फील होता है वैसे ही विशाल भी तुम्हारे लिए एक सामान्य सा फील करता है तो क्या इस बात के लिए तुम उसे जान से मार दोगी।

मेरे बेटे पहले प्यार का अर्थ समझो प्यार पाने का नहीं देने का नाम है अगर आप किसी से प्यार करते हो तो आप हर पल उस दूसरे की खुशी चाहते हो प्यार आपको यह नहीं सिखाता कि आप केवल उसे पाओ अगर पाने का नाम प्यार होता तो फिर राधा-कृष्ण का नाम ना होता।

मेरे बेटे यह प्यार है जो ना धन से ना दौलत से ना जमीन से ना जायदाद से ना शक्ल से ना सूरत से होता है यह तो बस हो जाता है कब होता है कैसे होता है किस से होता है आज तक कोई नहीं बता पाया लेकिन जिसे प्यार हो जाता है वही इसे समझ सकता है।

इसलिए प्यार कभी भी व्यापार नहीं होता कि आप जिससे प्यार करते हो वह भी आपको बदले में प्यार करें इसलिए मेरे बेटे प्यार कभी अधूरा नहीं होता प्यार इस नॉट ए हाफ लव यह तो बस प्यार है रितु के हाथों से अब चाकू छूटकर गिर चुका था और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे ।

उसने राधिका और विशाल की तरफ हाथ जोड़ते हुए कहा कि मुझे माफ कर दो मैं सच में प्यार का अर्थ ही नहीं समझ पाई थी आज सर ने मुझे प्यार का सही अर्थ बताया है प्यार पाने का नहीं देने का नाम है और मैंने तो अपने प्यार को दुखी कर दिया मेरी वजह से आज विशाल की एक टांग टूट गई हालांकि वह ठीक हो जाएगा लेकिन जिंदगी भर मुझे यह दुख रहेगा कि मैंने अपने ही प्यार का नुकसान किया इसलिए मैं आज से तुम दोनों को कभी भी तंग नहीं करूंगी और इस शहर से बहुत दूर चली जाऊंगी ।

तभी पुलिस का सायरन गुंजा और पुलिस आई रितु ने आगे बढ़कर कहा कि इंस्पेक्टर साहब मुझे ले चलीये मैंने ही राधिका पर जानलेवा हमला किया था उसके आंखों से अभी भी आंसू बहते जा रहे थे तभी राधिका ने कहा कि नहीं सर रितु ने मुझ पर कोई हमला नहीं किया था वह तो लैब में मुझे चोट लग गई थी और सर ने समझा कि हमारी लड़ाई हो गई है इसलिए आपको कॉल कर दिया रितु की मासूमियत और उसके गिरते आंसुओं को देखकर बाकी लड़को लड़कियों ने भी कुछ नहीं कहा विशाल ने कहा कि सर ऐसा कुछ नहीं हुआ है । इंस्पेक्टर ने कहा कि अगली बार जब कुछ हो तभी मुझे बुलाना ऐसे सामान्य से झगड़े पर मुझे मत बुलाना और वहां से चले गए रितु एक बार फिर से विशाल और राधिका को देखने लगी और अपने दोनों हाथ उन दोनों के सामने जोड़ लिए।

और कहा कि मुझे माफ कर देना विशाल और राधिका आप दोनों हमेशा खुश रहो मैं आप दोनों की जिंदगी से बहुत दूर जा रही हूं राधिका ने कहा कि क्यों रितु क्यों जाना है हमारी जिंदगी से दूर क्या तुम हमारी एक अच्छी दोस्त बनकर नहीं रह सकती क्या प्यार के बदले में प्यार हो तभी हम दोस्त होते हैं क्या ऐसे दोस्त नहीं हो सकते तुम पहले भी विशाल की दोस्त थी और आज भी हो तुम्हें कहीं जाने की कोई आवश्यकता नहीं है राधिका का बड़प्पन और विशाल हृदय देखकर विशाल को अपनी पसंद पर गर्व हो रहा था।

कहानी को पूरा पढ़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद
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