Risky Love - 42 books and stories free download online pdf in Hindi

रिस्की लव - 42



(42)

सागर खत्री सोफे पर पैर के ‌ऊपर पैर चढ़ाकर बैठा था। अंजन ‌उसके सामने खड़ा था। सागर खत्री ने उसे घूरकर देखा। फिर बोला,
"अंजन तुम मुझसे पूँछ रहे हो कि मैं तुम्हारा संपर्क उनसे करवाऊँगा कि नहीं जिनसे तुम मदद मांगना चाहते हो। पर तुम एक बार दिल में सोचकर देखो कि जिनसे तुम उम्मीद लगाकर बैठे हो क्या वह तुम्हारी मदद करेंगे ?"
अंजन ने पूरे विश्वास के साथ कहा,
"बिल्कुल करेंगे। मैंने उन्हें खुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।"
सागर खत्री के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह बोला,
"ठीक है....बताओ पहले ‌किससे संपर्क करूँ।"
अंजन ने सबसे पहले अपने क्षेत्र के विधायक से संपर्क करने को कहा। सागर खत्री ने नंबर मिलाया। फोन लाउड स्पीकर पर डालकर अंजन से बात करने को कहा। कुछ देर घंटी बजने के ‌बाद फोन ‌उठा। उधर से आवाज़ आई,
"आर डी कांबले बोल रहा हूँ। कहिए क्या काम है आपको ?"
"कांबले साहब नमस्कार। मैं अंजन बोल रहा हूँ।"
"कौन अंजन ?"
सागर खत्री की निगाहें अंजन के चेहरे पर टिकी थीं। यह सवाल सुनते ही उसके चेहरे पर परेशानी आ गई। सागर खत्री पर नज़र पड़ी तो वह खिसिया गया। बात बनाते हुए मुस्कुरा कर बोला,
"क्या कांबले साहब..…अंजन विश्वकर्मा हूँ। विश्वकर्मा कंस्ट्रक्शन्स का मालिक।"
"ओह.... अंजन। भाई तुम्हारे लिए तो यहाँ फिजा अच्छी नहीं है। जहाँ भी हो वहीं रहो।"
अंजन के कुछ कहने से पहले ‌ही कांबले ने अपने हाथ खड़े कर दिए। वह एक बार फिर खिसिया गया। उसने कहा,
"कांबले साहब कुछ करिए। भला कब तक यहाँ पड़ा रहूँगा। उस एसीपी सत्यपाल वागले पर दबाव डलवाइए कि ठीक से रहे। बहुत उछल रहा है।"
"ऐसा है अंजन एसीपी यूं ही नहीं उछल रहा है। तुम्हारे खिलाफ बहुत सारे सबूत हैं उसके पास। इसलिए चुप तुम बैठो।"
उसके बाद उधर से कॉल काट दी गई। अंजन को बहुत धक्का लगा। कांबले से उसे सबसे अधिक उम्मीद थी। वह चुपचाप खड़ा रहा। सागर खत्री ने कहा,
"कोई बात नहीं। तुम्हारे पास तो बहुत सारे लोग हैं। बताओ अब किससे बात करनी है।"
अंजन ने पुलिस विभाग में कुछ लोगों से बात करी। किसी ने भी उसकी मदद करने की बात नहीं कही। सागर खत्री व्यंग भरी मुस्कान के साथ उसे देख रहा था। अंजन के लिए वहाँ खड़ा रहना कठिन हो रहा था। वह वहाँ से चलने को हुआ तो सागर खत्री ने कहा,
"मुझसे बहुत ताव दिखा रहे थे। अब बताओ। किसने की तुम्हारी मदद। तुम बर्बाद हो चुके हो। जैसे रेस में लंगड़े घोड़े पर दांव नहीं लगाया जाता है वैसे ही कोई तुम्हारी मदद नहीं करना चाहता है। मैंने तुम्हारी मदद की पर तुमने मेरा गिरेबान पकड़ने की हिमाकत की। आज ऊँची आवाज़ में मुझसे बात की। अब मैं भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता हूँ। जितनी जल्दी हो सके यहाँ से दफा हो जाओ। ज्यादा से ज्यादा तरस खाकर मैं तुम्हें कुछ पैसे दे सकता हूँ।"
सागर खत्री की बात अंजन को चुभ रही थी। पर वह कुछ कह सकने की स्थिति में नहीं था। वह चुपचाप वहाँ से चला गया।

अंजन अपने कमरे में आ गया। इस समय वह जिस मनःस्थिति में था उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे हर कोई उसका दुश्मन हो गया है। उसका मज़ाक उड़ा रहा है।
उसे उन लोगों पर गुस्सा आ रहा था जिन्हें वह हर तरह से खुश रखने की कोशिश करता था। ताकी आड़े समय में उनसे मदद मांग सके। आज वही बड़ी आसानी से ‌उससे किनारा कर गए। कांबले जिसे चुनाव में जीत दिलाने के लिए उसने पानी की तरह पैसा बहाया था उसने यह कहकर फोन काट दिया कि वह चुपचाप जहाँ है बैठा रहे। उसने मुंबई के अपने महंगे टावर में उसे एक लग्जरी फ्लैट दिया था। आज वह पूँछ रहा था कौन अंजन ? आज सबने ही उसे अंगूठा दिखा दिया।
उसे अपनी माँ कावेरी की याद आ रही थी। वह अक्सर उसे समझाती रहती थीं कि बुरे समय में साया भी साथ नहीं देता है। इसलिए किसी के भरोसे मत रहना। अपनी क्षमता पर यकीन रखना। उसी से नैया पार लगेगी। आज उसे अपनी माँ की बात समझ आ रही थी।‌ पहले ‌उसे लगता था कि उसने सबको अपने तरीके से तोहफे देकर दबा रखा है। ऐसे में वो मुश्किल समय में उसकी मदद ज़रूर करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।‌
उसका मन बहुत अशांत था। आज वह ‌एकदम अकेला था। उसकी आँखों में बेबसी के आंसू थे। उसे अपने आप से गुस्सा आ रहा था। वह जो अपने आप को बहुत काबिल समझता था। जिसे घमंड था कि वह परिस्थितियों को अपने अनुसार मोड़ सकता है। आज परिस्थितियों के आगे लाचार है। बिस्तर पर पड़ा आंसू बहा रहा है। सागर खत्री के एहसान के नीचे दबा है।‌
वह यह सब सोच रहा था तभी उसके मन ने उसे धिक्कारा। क्यों वह इस तरह घुटने टेक कर बैठा है। वह वही अंजन है जिसने मुंबई में अनाथ घूमते हुए लड़के से विश्वकर्मा कंस्ट्रक्शन्स के मालिक तक का सफर तय किया था। उसे अपनी माँ की सीख याद आई। मुश्किल समय में अपनी क्षमता पर यकीन रखना। वह सोचने लगा कि वह लाचार इसलिए है क्योंकी आज वह अपनी क्षमता को भूलकर दूसरों से उम्मीद लगाकर बैठा है। लेकिन अब वह अपने दम पर इस स्थिति से निकलने का प्रयास करेगा।
उसने सोच लिया कि बर्बाद होना ही है तो लड़कर होगा। सर पर कफ़न बांध लेगा और फिर रण में उतर जाएगा। फिर परिणाम जो भी हो। पर लाचारी में खुद को हालात के हवाले नहीं करेगा।
मन में यह विचार आते ही लाचारगी की भावना दूर हो गई। वह ऐसा महसूस कर रहा था जैसे कोई निडर योद्धा हो।

मीरा ‌ईश्वर से मना रही थी कि उसकी बात अलीशिया को समझ आ गई हो। वह अपने लिए उसे यहाँ से मुक्त कराने के लिए तैयार हो गई हो। वह बिस्तर पर लेटी यही सब सोच रही थी कि डोरबेल बजी। उसे लगा कि शायद अलीशिया होगी। उसने उठकर दरवाज़ा खोला तो सामने सागर खत्री खड़ा था। वह शराब के नशे में धुत था। उसकी लाल आँखों में वासना दिखाई पड़ रही थी।‌ उसका यह रूप देखकर मीरा डर गई।

अंजन के कमरे के दरवाज़े पर ज़ोर से दस्तक हुई। अलीशिया ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी,
"अंजन जल्दी दरवाज़ा खोलो।"
उसकी आवाज़ में घबराहट थी। अंजन फौरन उठा और दरवाज़ा खोल दिया। अलीशिया की हालत बहुत खराब थी। उसके चेहरे पर चोट के निशान थे। दरवाज़ा खुलते ही वह बोली,
"सागर ने मुझे बुरी तरह पीटा है। वह मीरा के पास गया है। उसे बचा लो।"

सागर खत्री की इस हरकत पर अंजन को बहुत गुस्सा आया। वह फौरन ऊपर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ भागा। अलीशिया ने उसे रोका,
"अंजन रुको....."
अंजन रुक गया। अलीशिया ने उसे एक गन देते हुए कहा,
"सागर की है। काम आएगी।"
उसके बाद उसने मीरा के सुइट की चाभी पकड़ा दी।

सागर खत्री मीरा को धक्का देकर अंदर आ गया। उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मीरा डरकर कांप रही थी। वह उसे घसीटते हुए बेडरूम में ले गया। वहशी दरिंदे की तरह वह मीरा पर टूट पड़ा। मीरा इस तरह से छटपटा रही थी जैसे शेर के पंजों में फंसी हिरनी छटपटाती है। वह चीख चिल्ला रही थी। खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।

अंजन लिफ्ट से ऊपर पहुँचा। वहाँ सिक्योरिटी का एक आदमी पहरे पर था। उसने अंजन को रोकने की कोशिश की। अंजन ने उस पर गोली चला दी। उसने जल्दी से दरवाज़ा खोला और अंदर चला गया। उसे बेडरूम से मीरा की आती चीखें सुनाई पड़ीं। वह बेडरूम में चला गया।
सागर खत्री के शिकंजे में मीरा छटपटा रही थी। अंजन के सर पर खून सवार हो गया। वह तेज़ी से आगे बढ़ा। फुर्ती से सागर खत्री को मीरा से अलग किया। उसके बाद उस पर घूसों की बौछार शुरू कर दी। नशे में चूर सागर खत्री संभल नहीं पाया। मीरा फौरन बिस्तर से उठकर एक कोने में खड़ी हो गई।
अंजन इतने गुस्से में था कि सागर खत्री को ताबड़तोड़ घूंसे मार रहा था। तभी सिक्योरिटी के और लोग वहाँ आ गए। उनके इंचार्ज ने अंजन पर गन तानकर कहा,
"लीव हिम....अदरवाइज़ आई विल शूट यू।"
सिक्योरिटी इंचार्ज की बात सुनकर अंजन शांत हुआ। लेकिन मौका देखते ही उसने सागर खत्री को अपनी गन के निशाने पर ले लिया। उसने गरज कर कहा,
"नाऊ यू मूव बैंक। लेट मी एंड मीरा गो।"
उसने मीरा की तरफ देखा। वह भागकर उसके बगल में आकर खड़ी हो गई। सागर खत्री अब कुछ संभल गया था। उसने कहा,
"कमीने.... अहसानफरामोश.... मैंने तेरी इतनी मदद की। तू मेरे साथ यह कर रहा है।"
अंजन ने गन उसकी कनपटी पर सटाते हुए कहा,
"तुमसे बड़ा अहसानफरामोश कौन होगा। याद है ना मैंने तुम्हारी जान बचाई थी। मैं मदद के लिए ना आया होता तो उस दिन तुम्हारा अंतिम दिन होता। लव चढ्ढा से सागर खत्री बनने में मदद की थी। नहीं तो तुम्हारे दुश्मन तुम्हें जीने ना देते। उस सबके बदले तुमने मीरा के बारे में इतनी गंदी बात कही थी। आज तुमने उस पर हाथ डालने की जुर्रत की।"
"तुम बेवकूफ हो। इस लड़की के लिए मेरी दुश्मनी मोल ले रहे हो जिसने तुम्हें धोखा दिया था। अभी भी इसका क्या भरोसा। ना जाने कब तुम्हें धोखा दे दे।"
"मैं मीरा को इसलिए नहीं बचा रहा हूँ कि मुझे उसके साथ रिश्ता कायम करना है। मैंने उसे प्यार किया था। उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता था। अब उसे तुम्हारे जैसे दरिंदे के हाथों लुटने नहीं दे सकता।"
सागर खत्री ने कहा,
"तुम्हें लगता है कि इसे यहाँ से ले जा पाओगे। नहीं कुछ ही देर में पकड़े जाओगे। फिर तुम्हारी आँखों के सामने ही इसकी इज़्ज़त तार तार कर दूँगा।"
"मैं भी तुम्हें बता रहा हूँ कि मेरे जीते जी तुम मीरा को छू भी नहीं पाओगे।"
मीरा बड़े ध्यान से अंजन की तरफ देख रही थी।