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रिस्की लव - 52



(52)

पुलिस के हाथ निराशा लगी। इस बात से सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को अपने डिपार्टमेंट के आला अधिकारियों से खूब फटकार पड़ी। एसीपी सत्यपाल वागले को भी लग रहा था कि सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को कुछ और फुर्ती दिखानी चाहिए थी। उनके बार में पहुँचने और अंजन के भागने के बीच बहुत कम समय का फर्क था।
एसीपी सत्यपाल वागले ने अपने इन्फार्मर को भी फटकार लगाई थी कि उसे खुद अंजन के पीछे भागने की जगह उसे सूचना देनी चाहिए थी। यह अंजन को पकड़ने का बहुत अच्छा अवसर था जो उसके हाथ से निकल गया था। एसीपी सत्यपाल वागले को अपनी टीम के साथ सिंगापुर आए हुए वक्त हो गया था। मुंबई पुलिस की तरफ से उससे भी देरी के लिए स्प‌ष्टीकरण मांगा जा रहा था। उसके लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा था।
एसीपी सत्यपाल वागले अपनी टीम के साथ कमरे में मीटिंग कर रहा था। उसने अपनी टीम से कहा,
"हमको सिंगापुर पुलिस पर निर्भर नहीं रहना है। अपनी कोशिशों को तेज़ करना होगा। मुंबई में मीडिया में हमारे बारे में लिखा जा रहा है कि हम सैर सपाटे के लिए सिंगापुर आए हैं। हमारे डिपार्टमेंट के अधिकारी मुझसे सवाल कर रहे हैं। इसलिए अब हर हाल में अंजन को ढूंढ़ कर गिरफ्तार करना है। अभी तक जो भी कोशिशें कर रहे थे उन्हें दोगुना कर दो। हमारी इज्ज़त का सवाल है।"
इंस्पेक्टर नदीम अंसारी ने कहा,
"सर हमने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी। हमारे इन्फार्मर ने सटीक खबर दी थी। लेकिन सिंगापुर पुलिस सही से काम नहीं कर पाई। जब उस पूरे एरिया का घेराव किया गया था तो अंजन कहांँ गायब हो गया‌। ज़रूर लापरवाही बरती गई है।"
एसीपी सत्यपाल वागले ने तेज़ आवाज़ में कहा,
"उनकी लापरवाही का जवाब भी हमारे देश में हमसे मांगा जाएगा। इसलिए उनकी लापरवाही के बारे में बात करने की जगह अब अंजन को तलाशो।"
एसीपी सत्यपाल वागले ने अपनी टीम से कहा,
"यहाँ से निकलते ही अपने काम में लग जाओ। भूल जाओ कि आराम जैसा कोई शब्द है‌। बस अंजन को तलाशने के बारे में सोचो। एक दूसरे के संपर्क में रहना। छोटी से छोटी सूचना भी आपस में साझा करना। कुछ भी करके उस अंजन का पता लगाओ।"
उसकी टीम के चारों सदस्य उठकर खड़े हो गए। उसे इस बात का यकीन दिलाया कि वह सफल होकर ही चैन पाएंगे।
उनके जाने के बाद एसीपी सत्यपाल वागले अपना दिमाग दौड़ाने लगा।

पिछले दो घंटे से अजय मोहते का आदमी निर्भय के घर पर अंजन के लौट कर आने की राह देख रहा था। इतनी देर से वह लाइट बंद किए एकदम खामोशी से बैठा था। अब वह इस तरह इंतज़ार करते हुए ऊब गया था।
अजय मोहते से खबर मिलने पर वह अंजन का काम तमाम करने के लिए यहाँ आया था। यहाँ आने के बाद उसे सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि रमन सिंह कुछ समय पहले कार से निकल कर कहीं गया है। उस आदमी ने तुरंत अजय मोहते को फोन करके बताया कि रमन सिंह यानी अंजन घर पर नहीं है। अजय मोहते ने उससे कहा कि वह खुद अंदर जाकर देखें।
सिक्योरिटी गार्ड के रोकने पर उसने उसे मार दिया। उसकी लाश को गार्डन में छिपा दिया। वह खुद अंदर गया। पूरा घर छान मारा पर अंजन सचमुच नहीं था।‌ उसने एक बार फिर अजय मोहते को फोन करके बताया कि अंजन घर पर नहीं है। अजय मोहते ने उससे कहा कि वह वहीं रहकर उसकी राह देखे।
तबसे वह अंजन के आने का इंतज़ार कर रहा था। लेकिन अब उसके लिए चुपचाप बैठे हुए इंतज़ार करना कठिन हो रहा था। उसने एक बार फिर अजय मोहते को फोन करने के बारे में सोचा। तब तक अजय मोहते ने उसे फोन कर दिया। वह उस पर गुस्सा हो रहा था कि इतनी देर से शांत क्यों बैठा था। उसने अपना काम किया या नहीं। उसके आदमी ने सारी बात बताई। अजय मोहते ने उससे वहाँ कुछ और देर रुकने को कहा।

अजय मोहते फिक्र में था। अंजन के इतनी देर तक घर ना लौटने का मतलब हो सकता था कि वह पुलिस के हाथ लग गया है। यह बात अजय मोहते के लिए ठीक नहीं थी। उसने सोचा कि अंजन की इतनी सटीक जानकारी मिलने के बाद भी अगर वह पुलिस के हाथ चढ़ गया तो यह उसके लिए एक बड़ी नाकामी होगी। वह सच जानने के लिए परेशान हो गया।

अजय मोहते से कुछ देर और इंतज़ार करने का आदेश मिलने पर उसका आदमी गुस्से से पागल हो गया। लेकिन इंतज़ार तो करना ही था। उसने सारे परदे बंद कर दिए। लाइट ऑन की। उसके बाद कम आवाज़ में टीवी खोलकर देखने लगा। चैनल बदलते हुए वह एक न्यूज़ चैनल पर आया। उस पर एक खबर चल रही थी। सिंगापुर पुलिस के एक सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज की नाकामी के बारे में बताया जा रहा था। उसने सारी खबर बहुत ध्यान से सुनी।

मुंबई में बैठा अजय मोहते परेशान हो रहा था। वह सोच रहा था कि किस तरह सच का पता लगाया जाए। तभी उसके आदमी का फोन आया। उसने जो कुछ बताया उसे सुनकर अजय मोहते को तसल्ली हुई। उसने अपने आदमी से कहा कि अगर पुलिस उसे पकड़ने में नाकामयाब रही है तो हो सकता है कि अंजन पुलिस से बचता हुआ देर रात घर लौटकर आए। इसलिए वह वहीं रहकर उसका इंतज़ार करे।

सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज इस समय बहुत गुस्से में था। उसके हाथ आते आते अंजन मछली की तरह फिसल गया था। उसे अपने सीनीयर्स की बातें सुननी पड़ी थीं। आज मीडिया में उसका नाम खूब उछल रहा था। सबसे बड़ी बात बाहर से आए एसीपी सत्यपाल वागले ने भी उसे अंजन के भाग जाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था।
उसकी अब तक की सर्विस में पहली बार ऐसा हुआ था कि उसकी नाकामी के चर्चे हो रहे थे। उसके लिए सब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था। अब सिर्फ एक ही रास्ता रह गया था। वह अंजन को गिरफ्तार करके उस पर उंगली उठाने वालों का मुंह बंद कर दे।
उसने आदेश दिया था कि बार के आसपास जितने भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जल्द से जल्द उनकी फुटेज उसके सामने पेश की जाए। उसने यह काम अपने जूनियर हान लिम को सौंपी थी। उसने उसे फोन करके डांट लगाई। हान लिम ने बताया कि बार के आसपास के एरिया में कुल बीस सीसीटीवी कैमरे मिले हैं। उनकी फुटेज लेने में समय लग रहा है। फिर भी वह जितनी जल्दी हो सकेगा उसके पास आने की कोशिश करेगा।
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज के लिए एक एक मिनट बहुत भारी हो रहा था। वह जानता था कि जितनी देर होगी अंजन को पुलिस से बचकर भाग जाने का उतना ही अधिक मौका मिलेगा।

अंजन एक मकान में बैठा था। वह टीवी पर सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज की नाकामी की खबर सुनकर खुश हो रहा था। उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा था कि सही समय पर वह चेत गया। अगर थोड़ी भी देर की होती तो मुसीबत में पड़ जाता।
लेकिन अपने से अधिक उसे अपनी किस्मत पर गर्व हो रहा था। जब उसे लग रहा था कि किसी भी पल पुलिस उसे दबोच लेगी उसकी मदद करने वाला उसके सामने आ गया। जब वह गली में भाग रहा था तब उसके दिमाग में आ रहा था कि वह पुलिस के हाथ में पड़ जाएगा। पुलिस उसे हथकड़ी लगाकर ले जाएगी। उसे जेल में रहना पड़ेगा। एसीपी सत्यपाल वागले उसे अपने साथ मुंबई ले जाएगा। जिस शहर में वह शेर की तरह घूमता था वहाँ लोग उसे अपराधी कहकर बुलाएंगे।
ये सब बातें दिमाग़ में सोचता हुआ वह भाग रहा था कि अचानक उसके सामने प्रवेश गौतम आ गया। दो सालों के बाद मिलने पर भी वह उसे फौरन पहचान गया था। प्रवेश उससे कुछ कहता उससे पहले ही अंजन ने उससे कहा कि वह पुलिस से बचकर भाग रहा है। इसलिए पहले उसे किसी सुरक्षित जगह पर ले चले।
उसकी मुसीबत समझ कर प्रवेश ने उसका हाथ पकड़ा। उसे लेकर उस गली से बाहर निकल गया। उसके बाद एक दूसरी गली में घुस गया। कुछ अंतर जाने के बाद प्रवेश ने एक घर की कॉलबेल बजाई। दरवाज़ा खुला। वह उसे सीढ़ियों से ऊपरी हिस्से में ले गया।
इस समय अंजन उसी जगह पर था। यह जगह सुरक्षित थी लेकिन वह जानता था कि सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज अपनी नाकामी पर चुप नहीं बैठेगा। इस समय वह उस शेर की तरह चिढ़ा हुआ होगा जिसके हाथ से शिकार निकल गया हो। वह उसे गिरफ्तार करने के लिए आसपास का एरिया खंगालेगा। उसने प्रवेश से उसे किसी दूसरी जगह ले जाने की बात कही थी।
प्रवेश उसी इंतज़ाम के लिए कहीं गया हुआ था। जाते समय अंजन को कह गया था कि अगर कोई खतरा महसूस हो तो छत के रास्ते बगल वाले मकान में छिप जाए। वह बहुत दिनों से बंद है। अंजन की देखभाल के लिए वह माइकल को उसके पास छोड़ गया था। माइकल भी मुंबई से उसके साथ यहाँ आया था। मुसीबत में अपनी रक्षा कर सके इसके लिए प्रवेश ने अंजन को एक गन भी दी थी।
प्रवेश को गए डेढ़ घंटे हो चुके थे। अभी तक उसने कोई खबर नहीं दी थी। अंजन को अब बेचैनी होने लगी थी। वह उठकर कमरे में टहलने लगा।