Risky Love - 54 books and stories free download online pdf in Hindi

रिस्की लव - 54



(54)

मुंबई से भागकर प्रवेश गौतम कुछ दिनों तक पंजाब में छिपकर रहा। उसके पास अंजन के दिए हुए पैसे थे। वह उनके दम पर ही वहाँ दिन गुज़ार रहा था। लेकिन वह जानता था कि इस तरह से बहुत दिनों तक गुज़ारा नहीं किया जा सकता है। उसे कोई नया काम शुरू करना होगा।
वह ऐसे किसी काम के बारे में सोचने लगा जहाँ थोड़े में अधिक मुनाफा मिल सके। अपनी इसी तलाश में वह ड्रग्स का धंधा करने वाले एक गिरोह से मिला। उनके साथ मिलकर वह ड्रग पैडलर बन गया।
उसका काम बार्डर पार से आने वाले माल को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पहुँचाना था। इस काम से उसे अच्छा पैसा मिल रहा था। वह इस काम में सैटेल हो गया था। तभी उस पर एक और मुसीबत आ गई। एक बार नोएडा में ड्रग्स की डिलीवरी देने के बाद वह मौज मस्ती के इरादे से एक डिस्को में पहुँचा। वह नशे में चूर मस्ती में डांस कर रहा था। तभी उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी। वह लड़की भी उसकी तरह मस्ती में चूर नाच रही थी।
कुछ देर बाद वह लड़की डांस फ्लोर से हटकर लाउंज में जाकर बैठ गई। प्रवेश गौतम भी डांस छोड़कर उसके पास जाकर बैठ गया। उसने उस लड़की से बातचीत शुरू कर दी। उस लड़की का नाम नैंसी चावला था। उसने बताया कि वह एक मॉडल है। किसी शूट के सिलसिले में नोएडा आई थी। प्रवेश ने उसे बताया कि पंजाब में उसका अपना बिज़नेस है। वह बिज़नेस के सिलसिले में नोएडा आया था। काम हो जाने के बाद मौज मस्ती के इरादे से डिस्को में आ गया था।
बातचीत में नैंसी ने प्रवेश गौतम पर अपना जादू चला दिया था। उसने प्रवेश गौतम से कहा कि क्यों ना आज रात दोनों मौज मस्ती करते हुए गुज़ारें। प्रवेश गौतम उसका इशारा समझ गया। उसने नोएडा के एक होटल में रूम बुक करा रखा था। वह नैंसी के साथ अपने रूम में चला गया।
अभी उन्हें आए हुए कुछ ही समय हुआ था कि प्रवेश गौतम के कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई। प्रवेश को आश्चर्य हुआ कि इस समय कौन आ गया। उसने नैंसी से कहा कि वह बिस्तर में ही रहे बाहर ना निकले। जब प्रवेश गौतम ने दरवाज़ा खोला तो एक आदमी उसे धक्का देकर अंदर आ गया। नैंसी को गालियां देते हुए बोला कि उसे छोड़कर यहाँ इस आदमी के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है।‌ प्रवेश गौतम को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने उस आदमी का कॉलर पकड़ कर पूँछा कि वह इस तरह की हरकत क्यों कर रहा है। उसके कमरे से निकल जाए वरना अच्छा नहीं होगा।
उस आदमी ने बताया कि वह दो सालों से नैंसी के साथ रिश्ते में है। लेकिन वह पिछले कुछ समय से उसे इग्नोर कर रही है। वह डिस्को से उन लोगों के पीछे लगा था। कुछ देर तक तो वह होटल के बार में बैठकर पीता रहा। लेकिन फिर उससे रहा नहीं गया। वह उसके कमरे का पता करके यहाँ तक आ गया। उसने नैंसी से कहा कि वह चुपचाप उसके ‌साथ चले। नैंसी ने उसके साथ जाने से मना कर दिया। प्रवेश गौतम ने उससे कहा कि उसे इन सारी बातों से कोई मतलब नहीं है। नैंसी अपनी मर्ज़ी से उसके साथ आई थी। अब वह यहाँ से चला जाए।
इस बात से नाराज़ होकर उस आदमी ने प्रवेश गौतम को एक मुक्का मार दिया। उसके होठ से खून निकलने लगा। प्रवेश गौतम का सर भन्ना गया। उस ऐसा लगा कि नैंसी के सामने उसका अपमान हो गया है। गुस्से में ‌उसने उस आदमी को मुक्का मारा। वह लड़खड़ा कर गिर गया। लेकिन उठकर उसने प्रवेश गौतम को एक तमाचा मार दिया। अब प्रवेश गौतम के सर पर खून सवार हो गया। उसने कमरे में सजावट के लिए रखे हुए वाज़ को उठाकर उसके सर पर मार दिया। उस आदमी के सर से खून का फव्वारा फूट पड़ा।
प्रवेश गौतम का गुस्सा शांत हुआ तो उसे समझ आया कि उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है। उन दोनों के झगड़े की आवाज़ सुनकर होटल का मैनेजर भी कमरे में आ गया था। प्रवेश गौतम ने मैनेजर को समझाने का प्रयास किया पर उस आदमी की मौत हो चुकी थी। मैनेजर पुलिस को फोन करने जा रहा था। प्रवेश गौतम ने अपनी गन निकाल ली और उसके सहारे होटल से भाग निकला।
प्रवेश गौतम भागकर पंजाब तो पहुँच गया पर वह जानता था कि नोएडा में वह हत्या के गवाह छोड़कर आया है। अब उसके लिए यहाँ रहना खतरनाक है। एक ऐजेंट के साथ जुगाड़ करके वह सिंगापुर आ गया।

अंजन को यह तो पता चल गया था कि वह सिंगापुर कैसे पहुँचा। लेकिन वह सोच रहा था कि इतने कम समय में प्रवेश गौतम के हाथ ऐसा क्या लग गया कि उसके पास इतने पैसे आ गए। उसने कहा,
"यहाँ ऐसी कौन सी जादू की छड़ी हाथ लग गई कि तुम मेरी मदद करने की स्थिति में पहुँच गए।"
उसका सवाल सुनकर प्रवेश गौतम हंसकर बोला,
"जादू की छड़ी ही समझो। मैं एक ऐसा धंधा करता हूँ कि जिसमें अच्छा पैसा है।"
"ऐसा कौन सा काम करने लगे हो तुम ?"
"जैसे ड्रग्स और शराब का नशा है वैसे ही यह भी एक नशा है। नशे का आदी अपनी लत के लिए पैसे देने को तैयार रहता है।"
अंजन प्रश्न भरी नज़रों से उसकी तरफ देखने लगा। प्रवेश गौतम ने आगे की कहानी सुनाई।

सिंगापुर आने के बाद वह एक नाइट क्लब में काम करने लगा। यहाँ शराब और ड्रग्स के नशे के साथ एक और नशे का कारोबार होता था। जिस्म का कारोबार। क्लाइंट्स को जवान और खूबसूरत लड़कियां सप्लाई की जाती थीं। क्लब में कुछ गुप्त कमरे थे जहाँ लड़कियां क्लाइंट्स का दिल बहलाती थीं। लेकिन इन गुप्त कमरों में गुप्त कैमरे भी होते थे। कैमरे जो रिकॉर्ड करते उन्हें एक फिल्म की तरह एडिट करके कुछ वेबसाइट्स पर बेच दिया जाता था। इसके अच्छे पैसे मिल जाते थे।
प्रवेश गौतम के दिमाग में आया कि क्यों ना वह भी यही काम करे। उसके पास जो पैसे थे उनके ज़रिए उसने कुछ उपकरण खरीदे। कुछ लड़के लड़कियों को पैसे का लालच देकर इस काम में शामिल कर लिया। वह फिल्में बनाता था और उन्हें कुछ खास लोगों को पैसों के बदले में एक वेबसाइट के ज़रिए बेचता था।

प्रवेश गौतम ने अंजन से कहा,
"जिस मकान में मैं तुम्हें ले गया था वह मैंने इसी काम के लिए किराए पर ली थी। काम हो जाने के बाद सारा सामान हटवा दिया था। सब निपटा कर मैं अपनी कार की तरफ जा रहा था कि तुमसे टकरा गया।"
"ओह तो तुम्हारी बड़े लोगों से जान पहचान है।"
"बहुत ज्यादा नहीं। लेकिन जितने लोगों से भी जान पहचान है वो काम के हैं।"
प्रवेश गौतम यह कहकर उठकर खड़ा हो गया। उसने कहा,
"मैं अब चलता हूँ। वैसे तो यहाँ सुरक्षित हो पर संभल कर रहना।"
प्रवेश गौतम चला गया। अंजन जो कुछ भी उसने बताया था उसके बारे में सोचने लगा। उसे लग रहा था कि अगर प्रवेश गौतम सबकुछ खोकर भी इतना कुछ पा सकता है तो वह क्यों नहीं। यह सोचकर उसके मन में एक उम्मीद जागी।

हॉस्पिटल के बेड पर लेटी हुई मीरा बहुत दुखी थी। वह पूरी तरह से टूट गई थी। वह ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी पर उसके पास अपना कहने वाला कोई नहीं था। इस कठिन समय में वह एकदम अकेली थी। वह सोच रही थी कि काश इस समय उसके पास कोई होता। जो उसका सहारा बनता। अपनी तसल्ली भरी बातों से उसे लड़ने की ताकत देतीं।
अब वह बहुत पछताती थी। अपने अच्छे समय में उसने रिश्तों को अहमियत नहीं समझी। थोड़े से पैसों के लिए उसने रिश्तों को ठुकरा दिया। अंजन के साथ भी उसने ऐसा ही किया था। फिर भी उसने उसे माफ कर दिया था। लेकिन इस समय वह खुद मुसीबत में था। उसकी चाहकर भी कोई मदद नहीं कर सकता था।
उसके इलाज पर बहुत पैसा खर्च हो रहा था। उसके पास अब बहुत पैसे नहीं बचे थे। अपनी हालत के बारे ‌में सोचकर वह बहुत दुखी थी।

कीवियोंथैरेपी के बाद वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर उस एनजीओ में जा रही थी जो बीमारी से जूझ रहे लोगों की सहायता करते थे। वह तैयार होकर निकलने ही वाली थी कि एक शख्स उससे मिलने आया। उसने मीरा से कहा कि वह अंजन का दोस्त संजय मेहरा है। उससे मीरा की बीमारी के बारे ‌में सुना था। वह खुद उसकी मदद के लिए नहीं आ सकता है। इसलिए उसने उसे मदद के लिए भेजा है। वह उसके साथ चले।
यह सुनकर मीरा को बहुत खुशी हुई। वह सोच रही थी कि इतना होने के बाद भी अंजन उसे कितना चाहता है। अपनी मुसीबत में भी उसका खयाल रखा। मदद के लिए अपने दोस्त को भेज दिया।
वह संजय मेहरा के साथ चली गई।

निर्भय और मानवी ने अजय मोहते की मदद कर दी थी। अब दोनों इस बात की राह देख रहे थे कि अजय मोहते अपना वादा निभाए। उन दोनों की सहायता करे। पर अब तक अजय मोहते की तरफ से उनकी मदद की कोई कोशिश नहीं हुई थी। निर्भय को यह भी पता चला था कि अंजन पुलिस के हाथ आते आते बच गया था। निर्भय अब सारे झंझटों से मुक्ति पाने के लिए परेशान था।
निर्भय ने लोकेश कुमार का नंबर मिलाया। पर कई बार मिलाने पर भी फोन नहीं उठा। कुछ देर में वह स्विचऑफ हो गया।