Taapuon par picnic - 93 books and stories free download online pdf in Hindi

टापुओं पर पिकनिक - 93

ओह, ये तो सचमुच जादूगर है।
आर्यन रात को तो बिस्तर पर पड़ा- पड़ा बंटी को कोस रहा था कि ये न जाने किन गोरखधंधों में लगा रहता है, कभी दिखाई ही नहीं देता, पता नहीं कौन से साए- बधाए इसे व्यस्त रखते हैं... लेकिन सुबह- सुबह उसे बंटी का मैसेज मिला कि लड़की ने हां कर दी।
उसे बंटी पर प्यार आ गया। लड़का सचमुच इतना चलता- पुर्जा है कि इसे कोई भी काम बताओ, चुटकियों में पूरा कर ही छोड़ता है।
आर्यन की स्टारडम उसी के सहारे कायम थी।
बात दरअसल ये थी कि अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म परियोजना के लिए उसके प्रोड्यूसर साहब सर्बिया की एक लड़की को अप्रोच कर रहे थे जिसे वो कांस में मिले थे।
लड़की वहां न तो आमंत्रित थी और न ही ऑफिशियली किसी इवेंट में इन्वॉल्व थी। वो तो अवॉर्ड लेने आए एक मशहूर एक्टर के साथ बस उसे कंपनी देने आई थी।
प्रोड्यूसर साहब की मुलाक़ात उससे उसी होटल की लॉबी में हो गई जिसमें ये सभी लोग ठहरे हुए थे।
एक रात आर्यन के साथ शराबनोशी करते हुए प्रोड्यूसर ने आर्यन से कह दिया कि तू अगर उस लड़की को देख लेगा न, तो तू उसे तेरी हीरोइन बनाने के लिए मेरे सामने, और उसे तेरी बीवी बनाने के लिए तेरी मम्मी के सामने गिड़गिड़ाने लगेगा।
आर्यन ज़ोर से हंसा था।
उसने उस बेशकीमती शराब की कलात्मक बोतल को उठा कर घुमाते हुए देखा जिसे पीकर प्रोड्यूसर साहब बहक कर इस तरह डगमगाने लगे थे।
ये तो अच्छे ख़ासे पियक्कड़ हैं, फ़िर भी पीकर बे पर की हांकने लगे? आर्यन ने सोचा।
लेकिन नहीं! प्रोड्यूसर साहब नशे में ज़रूर थे पर बात संजीदा होकर ही कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि उन्होंने सब पता कर लिया है। लड़की वैसे तो उस सुपर एक्टर की "कीप" ही है पर फ़िल्मों में एक -आध छोटे- मोटे रोल भी कर चुकी है। तुम्हारे साथ उसकी जोड़ी जंचेगी।
आर्यन फ़िर हंसा था- जवाब नहीं आपका भी! उस बूढ़े खूसट की रखैल के लिए मैं गिड़गिड़ाने लगूंगा??
- नेवर! भूल जाइए बॉस। आर्यन ने हिकारत से कहा।
पर सच में जब प्रोड्यूसर ने अपने टैबलेट से उस लड़की की कुछ पिक्स आर्यन को दिखाईं तो आर्यन प्रोड्यूसर साहब की आंखों में आंखें डाल कर देखने लगा। प्रोड्यूसर को महसूस हुआ कि आर्यन में करेंट दौड़ रहा है। छोरा फ़िर गया।
लड़की सर्बिया में रहती थी। उसका नंबर लेकर प्रोड्यूसर साहब ने ख़ुद उससे एक बार बात की और उसे शीशे में उतार लिया। लड़की से कहा गया कि उनके प्रोडक्शन हाउस का एक व्यक्ति वहां आ रहा है, वह प्रोजैक्ट - डिटेल्स लेकर उससे को- ऑपरेट करे।
आर्यन ने खेल- खेल में सारा माजरा बंटी को सुनाया।
और आज, अभी सुबह - सुबह बंटी का ये मैसेज आया कि लड़की ने हां कर दी।
अच्छे फिल्मकार इस रहस्य को जानते हैं कि अगर उनके साथ काम कर रहे लोग आपस में एक दूसरे से गर्म होते हों तो बहुत से काम आसान हो जाते हैं।
हर चीज़ का बिल नहीं बनता। सौदे दिल से भी होते हैं। आर्यन में तो ये मैटीरियल उफनता था।
आज आर्यन का शूट नहीं था पर एक बेचैनी उसे सुबह से ही लपेटे हुए थी।
आगोश की मूर्ति के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चला था जबकि अंधेरी पुलिस स्टेशन से उसे भरोसा दिलाया गया था कि इतनी बड़ी पत्थर की मूर्ति को उठा कर भाग जाना इतना आसान नहीं है, चोर हर सूरत में पकड़ा ही जाएगा। कोई आख़िर किस तरह ऐसी चीज़ को छिपा कर रख पाएगा?
यदि मूर्ति मिल जाती, या फ़िर केवल उसकी खबर ही मिल जाती तो आर्यन आज जयपुर जाकर आ जाता। जब से मूर्ति खोई उसकी इच्छा ही नहीं होती थी घर जाने की। वहां जाकर सबको भला क्या मुंह दिखाता।
उधर वहीद मियां उससे भी ज्यादा हल्कान हो रहे थे। इतने लंबे- चौड़े कुनबे को लेकर वो जिस तरह मुंबई जैसे महानगर में पड़े थे उसमें उनकी कमाई चाहे जितनी भी हो, उनकी कमाई हमेशा गर्म तवे पर पानी की बूंद की तरह छन्न से ही गिरती थी। बस गिरी और भस्म!
ऐसे में वहीद मियां एडवांस लेकर और मुसीबत में आ गए थे।
वो जानते थे कि आर्यन तो उनसे पैसे का तकाज़ा नहीं करेगा पर ख़ुद उन्हें तो अपने ज़मीर की हिफ़ाज़त करनी थी।
और वो ये भी जानते थे कि "आर्यन साहब" को पता भी नहीं चलेगा पर उनका शागिर्द, वो बंटी तो आते ही उनकी मुश्कें कस ही देगा। उसे कौन संभालेगा?
इसी उधेड़ - बुन में लदर- पदर होते वहीद मियां एक रात अपने तीसरे बेटे को लेकर आर्यन के बंगले पर पहुंच गए।
- सलाम साहब! उन्होंने नीचे आर्यन के ऑफिस में बैठे लड़के को भी पूरे आदर- सम्मान से सलाम ठोका। उम्रदराज वहीद मियां तजुर्बेकार थे। वो अच्छी तरह जानते थे कि इतने बड़े हीरो के पास काम करने वाले तमाम लोग ख़ुद भी नए- पुराने छिपे हीरे ही होते हैं।
चाहे ड्राइवर हो, चाहे माली, चाहे बावर्ची... इस शहर में एक न एक दिन किसी गांव- कस्बे से भाग कर हीरो बनने ही आया होता है।
बाद में उसका नसीब उसके दिमाग़ में एक सपना रोप कर उससे ये सब काम कराता रहता है और मन में ताज़िन्दगी एक आस की जोत जलती रहती है कि शायद किसी दिन साहब के मुंह पर पड़ते कैमरे का फ्लैश उनके थोबड़े पर भी पड़ जाए और उनकी किस्मत संवर जाए।... बरसों- बरस बीत जाते हैं और फ़िर ये वाशिंदे या तो यहीं मुंबई में मर खप जाते हैं या फिर गांव लौट कर लोगों को इस मुगालते में रख कर जीते हैं कि वे मुंबई में फलां हीरो के पास काम करते थे।
क्या सोचने लगे वहीद मियां भी। उन पर तो बस एक एहसान हो जाए तो गला छूटे।
आर्यन से लिए दो लाख रुपए तो अब वो वापस लौटाने की सोच भी नहीं सकते थे, अपने इस एहतराम को साथ ले आए।
लड़के ने फ़ोन पर आर्यन से पूछा कि वहीद मूर्तिवाला आया है, उनसे मिलना चाहता है, और उसके कहने पर वहीद मियां को ऊपर आर्यन से मिलने भेज दिया।
वहीद मियां को देखते ही आर्यन को उम्मीद जगी कि शायद कोई खबर लाए हों।
लेकिन दुआ- सलाम के बाद वहीद मियां ने तो आगे बढ़ कर आर्यन के पांव ही पकड़ लिए।
ख़ुद तो दंडवत हुए सो हुए ही, अपने लड़के एहतराम की भी गर्दन हथेली में जकड़ कर आर्यन के पंजों पर रगड़ डाली।
- अरे अरे बस बस.. ठीक है! कहता आर्यन संयत हुआ।
वहीद मियां बोले- हुज़ूर आपकी रकम एकाएक तो नहीं लौटा सकूंगा।
आर्यन ने आश्चर्य से उन्हें देखा, पर ये सोच कर चुप ही रहा कि देखें, क्या कहना चाहते हैं वहीद मियां!
वे बोले- हुज़ूर मेरे पास मिल्कियत के नाम पर तो कुछ है नहीं, कमाते हैं, खाते हैं, कमाते हैं, खाते हैं। पर हुज़ूर की रकम खा जाऊं ऐसा पेट भी नहीं मेरा। मेरा ईमान मेरे साथ है।
- कुछ पता चला चोर का? आर्यन धीमी आवाज़ में बोला।
- पता चलता तो साले की मां नहीं.. वहीद मियां अकबका कर रुक गए। उन्हें सहसा याद आ गया कि वो इस वक्त अपने डेरे पर नहीं बल्कि एक नामचीन एक्टर के सामने उसके घर में हैं।
फ़िर से दूसरी सांस भर के बोले- हुज़ूर पता चल जाता तो उससे मूर्ति लेकर आपकी खिदमत में पेश करता और उसकी सरेआम धुनाई करता।
आर्यन ख़ामोश रहा।
वहीद मियां बोले- हम ग़रीबों को कर्ज लौटाने का ये एक ही रास्ता बताया है अल्लाह ने कि ... वहीद मियां का गला भर्रा गया। फ़िर सोलह साल के किशोर बेटे एहतराम की ओर देखते हुए बोले- साहब, आपका पैसा खा लिया तो मेरा बदन फाड़ के निकलेगा, मैं हुज़ूर की खिदमत में अपना ये बेटा छोड़ जा रहा हूं, आपकी सेवा करेगा, जब तलक आपका कर्ज़ा न चुका दूं आप इससे कोई भी काम लेना और इसे कुछ मत देना... बस दो जून रोटी और तन ढांपने को लत्ते। जैसे मेरा लौंडा, आज से आपका लौंडा! कह कर वहीद मियां सचमुच रोने लगे...
आर्यन ने उनका कंधा पकड़ कर सहलाया और बोला- अरे क्या गज़ब करते हैं मियां, मैं ज़रा से पैसे के लिए इस बेकसूर को बंधुआ मजदूर रखूंगा??... ले जाइए इसे! क्या नाम है बेटा तेरा?
- एहतराम! लड़का चुपचाप बैठा टुकुर - टुकुर ताक रहा था।
कुछ देर बाद वहीद मियां लड़के के कंधे पर हाथ रखे सीढ़ियां उतर गए।
आर्यन के दफ़्तर में बैठा लड़का जो पीछे- पीछे चुपचाप उनकी बातें सुनने चला आया था, बुदबुदाया... साला, अपने बेटे को नौकरी पर लगाने आया था और जाते - जाते कर्ज़ माफी करा ले गया!