The Dreamer Time-Line - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

The Dreamer Time-Line - 2

The Dreamer Time-Line

(भाग-२)

 

रात की परछाईयों को छुते हुए , पर खुदके अन्दर सिमटे उस डर को लिए जब कोई स्वपन आपको अन्दर तक झिन्जोड़ता हे तब आप एक अत्यंत डरावने पल से गुजरते है | आपकी खुली आँखे उस डर को सपना टूटने के बाद भी महसूस कर पाती है | पर कुछ स्वपन ऐसे भी होते हे जिनसे बाहर निकल पाना आसान नहीं है | वो आपको जकड़े एक खौफनाक मंजर से रूबरू कराती है |

 (भाग-२) अब आगे ..

 

Ritwik को खुदपर यकीन करना मुश्किल था लेकिन भला वो कवच पहने एक अंजान जगह कर भी क्या रहा था | उसके पाव से सर तक एक झुनझुनि सी दौड़ गई | वो अपनी बड़ी आँखों से कभी उस बड़ी सफ़ेद दाढ़ी को देखता, कभी खुदकी और | ऐसा कैसे हो सकता है , में तो अभी अपने कमरे में था |

सामने खड़ा व्यक्ति अपना हाथ बढाए, एक किताब लिए भूरी आँखों से उसे घूरे जा रहा था |

Ø अब किताब पढोगे या या बस इसी तरह खुदसे सवाल पूछते रहोगे..? इस किताब में तुम्हारे सभी प्रशनो के उत्तर है |

उसने संदेह जनक देखते हुए उसके हाथ से वह किताब ली | और धीरे से किताब को खोल दिया |

किताब के पहले पन्ने पर एक महान योद्धा का चित्र बना हुआ था , जो बिलकुल Ritwik की तरह दिखता था | Ritwik के तो मानो पाव-तले जमींन ही खिसक गयी | हैरानी में किताब आगे पढना शुरू की... 

 

ये कहानी एक महान योद्धा की हे जिसने पृथ्वी लोक को उन भयानक राक्षस से छुटकारा दिया था, जो जमीन को चिर उभरते लावा और अन्गारोंसे बाहर आये थे | उसके और उसके कुछ साथियों ने मिलकर उन राक्षशो को जाने के लिए मजबूर किया था | लेकिन वो योद्धा एक दिन एक भयानक बीमारी का शिकार हो गया | लोगों को कहना था उन राक्षशो ने जादू का इस्तमाल कर उसके शरीर पर कब्ज़ा कर लिया | अचानक वो योद्धा किसी बड़ी काली घुफा में चला गया और फिर गहरे नींद में सो गया उसके सोते ही वो बड़े राक्षक वापस आगये | और फिरसे चारो और आतंक मचाने लगे |

कई सालो तक ऐसे ही चलता रहा फिर एक दिन वो योद्धा नींद से जाग ऊठा, और जब उसकी आँख खुली तो उसने अपने आपको एक कोने पर बैठा पाया | वो वापस आगया था उन राक्षसों से मुकाबला करने |

 

Ritwik ने जब आगे पन्ने पलटे तो वो कोरे थे | उसने अपना सर उठाया और उस व्यक्ति के और देखा |

आगे...! आगे... की कहानी कहा है ..? वो व्यक्ति हसने लगा |

 

Ø हाहा.. आगे की कहानी तो मैं तब लिखूंगा जब तुम कुछ करोगे | मेरा तो काम ही हे लिखना |  

   

 पर मैं तो किसी और ज़माने में था जहा में एक मामूली इन्सान था, दुबला-पतला और सहेमा सा | भला में कैसे कोई योद्धा हो सकता हु |

 

Ø वो तुम्हारा एक सपना था | तुम्हारी दिमाग की एक कल्पना..! वैसा संसार तो है ही नहीं, संसार तो ये है जो वास्तविक है | तुम्हारा ये कवच , तुम्हारी भुजाए , तुम्हारी शक्ति और तुम्हारा अनुसरण व् पालन करने वाले कई सैनिक और योद्धा | अब समय आगया है तुम उन राक्षशो को खदेड़ भगाओ और फिरसे शांति पूर्व राज्य की स्थापना करो |

 

Ritwik बड़ी दुविधा में पड़ गया | उसके लिए यह निर्णय लेना और समजना कठिन होता जा रहा था की वो अब सपना देख रहा है या फिर जिसको वो अपनी असल जिंदगी मान रहा था वो एक सपना था | 

क्या वो सब कुछ, मेरा घर, पहाड़ों से घेरी वादियाँ और माँ | मेरी प्यारी माँ जिसने मुझे इतना प्यार दिया | मुझे हर मुसीबत से दूर रखा वो सब मेरा बस एक सपना था |

 

Ø तुम्हे कुटिया से तुरंत बाहर निकल सामने एक बड़ी चट्टान वाली घुफा में जाना होगा, समय कम है | कुछ ही देर में पूरा चाँद निकलने वाला है और उसके बाद उन राक्षशो की शक्ति दुगनी हो जाएगी | तुम्हे उससे पहले ही राक्षशो के राजा को मारना होगा |

 उस व्यक्ति ने वहा तंगी एक तलवार उतार ली और Ritwik की और बढ़ा दी...

 

Ø ये तलवार.. ये तुम्हारी प्रसिद्ध तलवार हे जिससे तुमने उनपर विजय पाई थी, उसको पकड़ते ही तुम्हे तुम्हारी शक्ति का आभास हो जायेगा |

 

Ritwik ने बड़े असमंजस से वो तलवार ले ली | उसने जैसेही वो तलवार अपने हाथ में पकड़ी, उसे एक अजीबसी उर्जा का एहसास हुआ | वो तलवार जो अभी जंग लगी थी और बिना किसी धार के थी अचानक चमकने लगी और अपने तेज से आस-पास एक रौशनी बिखेरने लगी |

 

Ø तुम जैसेही उस गुफा की दूसरी और निकलोगे तुम्हे तुम्हारी सेना और अन्य योद्धा तुम्हारा इंतजार करते मिलेंगे | याद रहे किसी भी कीमत पर वो राक्षस जितने ना पाए | अगर तुम्हे उसके लिए तुम्हारे प्राण भी देने पड़े तो भी बिना किसी भय के दे देना | तुम वीरगति को प्राप्त होगे | जाओ.. अब में यह किताब पूरी करूँगा |

 

Ritwik अब अपने सच को जान चूका था | वो एक महान योद्धा था जो बस एक गहरी नींद में चला गया था|

वो कुटियाँ से बाहर निकल तेजीसे उस चट्टान वाली गुफा की और बढ़ने लगा | चारो-और अंधकार ही अंधकार था ,जमीन पर खून की छीटे उसे साफ़ दिख रहे थे मानो कितने लोगो को वहा निर्भयता से मार दिया था | और वो प्यासी सुखी जमीं बस मरे हुए लोगो के खून को पीकर ही खुदको नमी में रख रही थी |

जब वो गुफा के बाहर पंहुचा तो वहाका नजारा देख उसका दिल दहेल गया | चट्टानों पे नजाने कितने सर पड़े थे उनकी आँखे थी ही नहीं मानो उन राक्ष्शों ने उनका सर धड से अलग कर उनका खून चूस लिया |

और आँखे निगल गए हो | लेकिन Ritwik को अब मालूम था की वो तो अब शुर योद्धा है और वो राक्षस तो बस उसके नाम से ही काप जाते है | वो गुफा के अन्दर चला गया ,अन्दर एक रस्ता था और वो उसपे बढ़ने लगा | अंदर का रास्ता पूरा मानो कंकालो से ढका था , वो उनपर धीरे-धीरे पाव रख आगे बढ़ने लगा |

गुफा में एक और से पानी की धारा बह रही थी , उसका रंग लाल था | डर अब उसके करीब से होकर गुजर रहा था , वो अपनी सांसे थामे आगे बढ़ता रहा | उसके शरीर में उस जगह के लिए खौफ अब और बढ़ने लगा था | जैसे ही वो गुफा से बाहर आया, वहाका नजारा देख वो हक्का-बक्का रह गया | वो डर के मारे बस जगह स्तब्ध खड़ा रहा |

सामने चारो और सिर्फ और सिर्फ तबाही मची थी, हर तरफ धुवा ही धुवा था | आग के लपटे हर तरफ थी |

बड़े विशालका्य राक्षस एक-एक कर लोगो को मारते जा रहे थे | वो राक्षस काले धुवे के बने थे ,उनकी लाल बड़ी आँखे थी जिससे अंगारे बरस रहे थे | वो जब मुह खोलते तब बड़े सफ़ेद दांत बाहर झाँकने लगते | वो लोगो को बड़े हातोंसे पकड़ते और फिर अपने बड़े दातोसे उनका सर धड से अलग कर देते | खुनसे जमीन भर चुकी थी , तभी एक और से एक योद्धा Ritwik के ओर आया |

 

Ø हमें ख़ुशी है की आप वापस आये | आपके आने से हमारी ताकत फिरसे लौट आयी है, अब हमारी जीत निश्चित है |

 

 वो राक्षशो का राजा सामने उस लकड़ी के पुल पर खड़ा है | Ritwik ने जब उस पुल की और देखा तो हैरान रह गया , पुल बहुत उचाईयों पर बना हुआ था | वो राक्षस अकेला वहा खड़ा उसी को देख रहा था मानो वह उसीका इंतजार कर रहा था |

 

Ø हम आपको पिछेसे सहायता देंगे, हम सब आपके आदेश अनुसार आगे बढ़ेंगे| वो योद्धा बड़ी सी सेना को देखते हुए बोला |

       

सेना के सभी लोग Ritwik को देख प्रसन्न थे | वो एक साथ मिलकर गूंज लगाते हुए Ritwik का स्वागत कर रहे थे | Ritwik ने अपनी तलवार उठाई और अपनी सेना के तरफ देखते हुए आगे बढ़ने का इशारा किया |

वो एक चट्टान पर बने सीडी के पुल के तरफ चलने लगा | हर तरफ मौत ही मौत थी पर नजाने क्यूँ पर अब उसे डर नहीं लग रहा था | वो अब एक योद्धा बन चला था, वो पूरी गति से चल बिचमे जो भी राक्षस आते उसे बस एक झटके में ही तलवार से सफाया कर देता | जैसे की अब उसमे एक अद्भुत उर्जा आगई थी | वो कभी एक चट्टान से दूसरी चट्टान जाता तो कभी एकदम से राक्षस को मारते हुए निचे की और कूद जाता |

आंखिर वो उस पुल पर पहुच गया जहा उसके और जीत के बिच बस वह राक्षस का राजा रह गया था | Ritwik ने पुरे ताकत से उसपर वार किया पर वह वही खड़ा रहा मानो उसपर कोई असर ही न हुआ | Ritwik ने हैरान हो कर उसपर कई बार जोरोसे वार किए लेकिन उसपर कोई असर हुए ही नहीं |

तब उस राक्षस ने लाल आँखों से घूरते हुए घुर्राना शुरू कर दिया, घुर्राते ही चारोऔर तेज आंधी आने लगी, अंधेरा और गहरा होने लगा, एक सफ़ेद धुवा वहा हर तरफ घेरने लगा | उस राक्षस ने अचानक से एक तलवार निकाली जो हरे रंग से चमक रही थी और उससे Ritwik पर वार किया |

उस तलवार के एकही वार से ritwik निचे जा गिरा, उसे लगा मानो किसीने बहुत तेजीसे उसपर वार किया हो , उसके आधे हाथ जल गए थे , शरीर में जगह जगह से खून बाहर निकलने लगा था | तबही उस राक्षस ने हवा से तेज आकर जोरसे धक्का मारा , ritwik सीधा सीढियों से गिर निचे आ गिरा | वो अब पूरी तरह थक चूका था , शरीर जवाब देने लगा था , उसकी आँखे भी अब धीरे-धीरे बंद होने लगी थी लेकिन अभी भी वो अपने सेनाकी हुंकार सुन सकता था जो उसे होसला दे रहे थे | वो राक्षस अब पुल से निचे की और उतरने लगा और अब बस किसी तरह ritwik का किस्सा ख़तम कर देना चाहता था | तभी सेना के हुंकार के बिच उसे उसके माँ की आवाज सुनाई देने लगी मानो उसकी माँ उसे पुकार रही हो |

 

Ø कबतक इसी तरह पड़ा रहेगा...उठ बेटा..उठ जा...!

 

माँ की आवाज सुनते ही मानो वो नींद से जाग उठा उसे आभास होगया की वो सपनो के दुनिया में ही फस गया हे पर वो करे तो क्या करे...?

तब उसे वो कुटिया और किताब याद आई | खुदपे हिम्मत रख , खुदको घसीटते हुए वापस उसने उसे गुफा के अन्दर कर लिया और चट्टान का सहारा लिए उस कुटियाँ की और बढ़ गया | खून से लत-पत वो किसी तरह चल पा रहा था , दर्द से पीड़ित आखिर कार वो वापस गुफा के इस और आगया | उसने हिम्मत जुटा सामने पड़ा एक भाला उठालिया | कुटियाँ के और प्रवेश किया पर वहा अन्दर कोई नहीं था | वहा सिर्फ अँधेरा था और सामने टेबल पर एक पुरानी धुल से भरी एक किताब पड़ी थी जिसके आस-पास मकड़ी के जाले लगे थे | ऐसा लगता था मानो कबसे वो जगह वीरान पड़ी हो |

पर मैं तो यह कुछ देर पहले ही यहाँ आया था और यहाँ तो कही सारी किताबे पड़ी थी और वो व्यक्ति भी था | उसने बिना समय गवाए वो किताब खोली , उसने जो पढ़ा उसने उसके रौंगटे खड़े कर दिए | उसका सांसे थम सी गयी ,उस किताब की कहानी कुछ यूँ थी |

ये कहानी एक बच्चे की है , जो एक छोटे पहाड़ी इलाके में रहता था जिसके पिता बचपन में ही चल बसे | उसका नाम Ritwik था | जो दुबला पतला दुनिया से हारा हुआ था , जब वो बड़ा हुआ तो उसे एक दिन लाइब्रेरी में रहस्यमय किताब मिली, जिसमे उसके जीवन का पूरा सार था | उसी रात उसने किताब पढ़ जब नींद ली तो वह सपनो की संसार में चला गया जहा वो एक योद्धा बन बैठा और सपनो के राक्षस से लड़ने लगा | पर राक्षस का राजा उसपर भारी पढ़ गया और उसे समाप्त....................

 

आगे....आगे तो कुछ लिखा ही नहीं है |आगे पे पन्ने कोरे थे | उसने कुछ सोचते हुए कापते होथोसे सामने पड़े पंख और शाही से उन पन्नो पर आगे की कहानी लिख दी |

Ritwik नींद से जाग उठा और वो राक्षस सपनो के दुनिया में ही कैद हो गया | उसके लिखते ही मानो वहा भूचाल सा आगया चारोऔर भयानक आवाज का शोर , उसने अपने कान बंद कर दिए और अपनी आँख निचे कर वहा बैठ गया | कुछ ही देर में वो बेहोश हो गया |

 

जब उसने दुबारा आँख खोली तो उसके सामने उसकी माँ बैठी थी | वो अपने घर के कमरे में लेटा हुआ था | कई सारी सुइया उसके शरीर में लगी थी और दवाई की बोतले एक तरफ स्टैंड पर टंगी थी |

उसको जागते देख उसकी माँ ख़ुशी से रोने लगी , उसने उसे गले से लगा लिया |

Ritwik बंद हारा सबकुछ समझने की कोशिश कर रहा था फिर धीरे से उठ गया और माँ का हाथ थामे कहने लगा

माँ...में...जिंदा| वापस...मैं बच गया..|

हा बेटा..डॉक्टर्स का कहना था की तू अब कभी नहीं उठेगा|| तू कोमा में चला गया था| तुझे लगभग दो महीने हुए इसही बिस्तर पर लेटे हुए | बस इस drips के जरिये ही तू जिंदा था | इन सुइयों के जरिये ये liquid diet दे रहे थे |

Ritwik को सब याद तो था लेकिन उसके इस भयानक सपने पर यकीन भला कोन करता..!

कुछ दिनों बाद जब वो अपने पाओ पर वापस चलने लगा तो एक शाम उसने वो किताब अपने बैग से बाहर निकाली , उसपे बड़े गौर से देखते हुए वो किताब खोली आखरी पन्ने पर लिखा था |

ritwik नींद से जाग उठा, और राक्षस की सपनो के दुनिया से बाहर आगया |

वो किताब ले तुरंत घर से बाहर चला गया और पहाड़ के उपरसे उस किताब को बहते नदी में फेक दिया |

 

वो समझ गया था की वो सफ़ेद दाढ़ी वाला व्यक्ति , वो उस किताब के जरिये लोगो को सपने में लेजाके कैद कर लेता था और उनको भ्रमित कर देता था | उन्हें लगता था की सपनो की दुनिया ही उनकी असल दुनिया है और धीरे-धीरे वो उनकी प्राणशक्ति ले लेता था | लोग सपनो की दुनिया में ही रह जाते थे और अपने वास्तविक जिंदगी में कभी वापस नहीं आपाते थे |

Ritwik खुश किस्मत था ,लेकिन वो खुद के लिए लड़ना सिख गया था , वो समझ गया था की उसे ठीक उस सपने की तरह ही एक योद्धा की तरह इस जिंदगी में भी लड़ना होगा |

लगभग एक साल बाद, ritwik लाइब्रेरी में बैठा अपनी पसंद की किताब पढ़ रहा था की अचानक उसकी नजर एक विद्यार्थी के हाथ की और गयी वो कोई किताब लिए लाइब्रेरी से बाहर निकल रहा था

Aeeee.......ये तो वही किताब है , लेकिन इसे तो मैंने पानी में फेक दिया था | वो सोचते हुए लड़के की और दौड़ा लेकिन जब वो बाहर निकला तो वो नजर नहीं आया |

 

The END..

Special thanks To सहयोगी Sharma Ji.. जिन्होंने इस कहानी को भरीव-सकारात्मक शुद्ध हिंदी में लिखने में हमारी मदद की शुक्रिया ..!                       

Reader से एक पुन्ह विनती है की वह इस Time-bending स्टोरी के कितने Endings और start हो सकते है अभिप्राय/ Feedback comment में जरुर बताये |

Thanking You....!!!