Vashikaran - Ke Maya - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वशीकरण - एक माया - 1

Ch 1 - विषाक्त जल।

ये कहानी एक ऐसी छुपी हुई दुनिया की हैं जहाँ के लोगों के पास कुछ ऐसी शक्तियां है जो उनकी जिंदगी को बहुत आसान बना देती हैं वहा सभी लोग खुशी से रहते हैं। चारो ओर शान्ति और अच्छे लोग ही नज़र आते हैं।

लेकिन जहाँ देव है वहा दानव भी है। सुर है तो असुर भी है इसी तरह उस दुनिया मे भी कुछ ऐसे लोग है जो पूरी दुनिया को अपना गुलाम बनाना चाहते हैं। उनकी शक्तियों को अपने काबु मे करना चाहते है। जो अच्छाई से ज्यादा बुराई को चाहते हैं। वो इस शांति को बरकरार रहने देंगे? कैसे बचाएगा धैर्य इन अनिष्ट योद्धाओ से नाथ लोक को? और कैसे पूरी होगी उसकी प्रेम कहानी?

सर्व काल के इस बुरे उद्धेश्य को पुरा होने से रोकने के लिए गुरुनाथ ने और सर्वकाल ने इस दुनिया को दो भागो में बाट दिया है एक नाथलोक और दूसरा काललोक।

गुरुनाथ नाथलोक के गुरुकुल के प्रधान है नाथ लोक मै अच्छे और शांतिप्रिय लोग रहते हैं। गुरुनाथ नाथलोक में होने वाली सभी घटनाओ पर नज़र रखे हुए है। उनकी शक्तियाँ ही हैं जो अब तक नाथ लोक को काल लोक वालो से बचाये हुए हैं।

गुरुकुल में जो शिष्य बनकर आते हैं वे योद्धा बनकर आम लोगो की रक्षा हेतु चले जाते हैं। गुरुकुल में आम लोगो से अलग और कही शक्ति शाली जादू सिखाया जाता है। इन शिष्यों मे से कुछ श्रेष्ठ गुरु आगे आने वाले नये शिष्यों को जादू सिखाने के लिए रुक जाते हैं। और गुरुकुल को चला सके।

लक्ष्य एक साधारण परिवार में बड़ा हुआ है लेकिन उसके कई राज़ हैं। ऐसे राज़ जो वो खुद भी नही जनता। देखते हैं कि वो खुद को कैसे पहचानेगा।

"लक्ष्य!! तुमने अभी तक अपना काम पुरा नही किया?? तुम्हें एक ही बात कितनी बार समझानी होगी? अपने काम पर ध्यान क्यो नहीं देते?"

लक्ष्य के पापा एक सुथार है जो लकड़ी का काम करते हैं। जिन्होंने उसे बड़ा किया है। लक्ष उनकी काम मे मदद करता है।

लक्ष्य - बस पापा हो ही गया है। ( क्या यार कोई अपने बेटे से इतना काम करवाता है? पापा को सब कुछ हाथ से ही क्यों करना होता है? )

लक्ष्य बाहर अपने दोस्तो के साथ खेल रहा था वो दोड कर अंदर जाता हैं और सभी लकड़ियों को अपने जादू से एक ही माप का काट देता है। ( इतना आसान काम हैं। जो दो पल में हो जाए उसके लिए पुरा दिन क्यो बर्बाद करना। )

पापा - मैने तुमसे कितनी बार कहा है कि कुछ काम हाथ से भी कर लिया करो। ताकत हाथो से काम करने से मिलती हैं। जादू से नही।

लक्ष्य - जब कोई काम इतनी आसानी से हो रहा है तो मै उसके लिए इतनी मेहनत क्यो करू? आपका काम तो हो गया न?

पापा - गुरुकुल में ये आसन पहुँचने है। तुम जाओ और ध्यान रहे सीधा वही जाना कही रास्ते में फिर खेलने मत लग जाना। गुरुकुल जा कर कुछ गड़बड़ मत करना।

लक्ष्य - जी पिताजी। नही करूँगा।

लक्ष्य गुरुकुल के लिए निकलता है। गुरुकुल गाव से दूर जंगल मे था वहा का रास्ता जंगल से हो कर ही जाता हैं। लक्ष को वहा जाते समय रास्ते में प्यास लग जाती हैं। वो पास की नदी से पानी पीने जाता है। समान को वही छोड़ कर नदी के पास जाता हैं। जैसे ही वो पानी पीने के लिए हाथ मे भरता है किसी लड़की की आवाज़ आती हैं ...

" रुको!! तुम वो पानी नही पी सकते!! जहाँ जा रहे हो वहा पहुँच कर पी लेना अब जल्दी निकालो यहाँ से।"

लक्ष्य - क्यो? तुम हो कौन? ये नदी तुम्हारी है?? तुम मुझे पानी पीने से मना कैसे कर सकती हो? एक लड़की हो कर इतना भय दिखाती हो। कपड़ो से तो अच्छे घर की लगती हो। फिर ऐसे काम?

" नीति!! गुरुकुल से हुं। ये नदी तो मेरी नही लेकिन फिर भी तुम यहाँ से पानी नही पी सकते। अगर तुम्हे पानी पीना है तो तुम पास के कुए पर चले जाओ। हमारा गुरुकुल भी पास ही मे हैं।"

लक्ष्य - तो गुरुकुल वाले आम लोगो से ऐसे बात करते है। तुम कुछ भी कहो लेकिन मै तो यही से पानी पिऊंगा।

लक्ष्य पानी पीने ही वाला था कि नीति लक्ष्य को अपने जादू से रस्सी से बांध देती हैं। लक्ष्य बहुत कोशिश करता है खुद को आज़ाद करवाने की लेकिन वो कुछ नहीं कर पता।

नीति - तुम्हे अपनी जान प्यारी नही क्या? ये पानी पीने लायक नही है। इसमें ज़हर मिला है। सुबह से हमारे 4 योद्धा यहाँ से पानी पी कर अपनी जान गवा चुके है। और कई गाँव वाले भी। तुम मरना चाहते हो क्या?

लक्ष - ये बात तो तुम मुझे पहले भी बता सकती थी। मुझे बंदी बनाने की क्या जरूरत थी? गुरुकुल में हो तब भी तुम्हे नहीं पता की ये ज़हर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

निति - ज़हर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन.....

तभी एक तिर उड़ता हुआ लक्ष के पास आता हैं। निति उसे बचाने के लिए उस तिर को रोकती उससे पहले लक्ष उस तिर को अपने हाथों से पकड़ लेता है।

नीति - ये तुमने कैसे किया? तुम कौन हो? इस तरह से कोई इतना तेज़ तिर कैसे पकड़ सकता हैं? सच सच बताओ तुम कौन हो और तुमने ये कैसे किया?

लक्ष - क्या?? ये तिर?? ये लकड़ी से बना है। इसे पकड़ने के लिए योद्धा होना जरूरी नहीं। ये तो कोई भी कर सकता हैं।

नीति - अपनी बे फ़िजूल की बातें बंद करो और जाओ यहाँ से काललोक के कुछ अनिष्ट योद्धा यहाँ आये है। इस पानी को उन्होंने ही अपने जादू से विषाक्त किया है। इससे बचने का उपाय सिर्फ उन्ही के पास है। इससे पहले की वो यहाँ आ जाए चले जाओ यहाँ से। नीति लक्ष को आज़ाद कर देती हैं।

लक्ष्य - लेकिन तुम यहाँ क्यो रूक रही हो? वो तुम्हे भी तो नुक्सान पहुँचा सकते हैं। तुम भी चलो मेरे साथ।

नीति - मै यहाँ तुम जैसे राहगिरो की मदद करने के लिए हुं। ये मेरा काम है। एक सच्चा योद्धा हमेशा लोगो की रक्षा करता है अपनी जान दे कर भी। मै यहाँ से कही नही जा सकती। अब जाओ यहाँ से ।

लक्ष्य वहा से जाता उससे पहले एक अनिष्ट योद्धा वहा आ जाता है और नीति पर तिर चलता हैं। लक्ष्य लकड़ी का एक आसन उठा कर नीति की तरफ फेकता है।

तिर नीति को लगता उससे पहले ही वो आसान तिर से टकरा जाता हैं और तिर जमीन पर गिर जाता हैं। नीति उस अनिष्ट योद्धा को बंदी बना लेती हैं।

नीति - तुम करना क्या चाह रहे थे? अगर जरा सी भी गलती हो जाती तो उस तिर से पहले तुम्हारा ये भरी भरकम आसान मेरी जान ले लेता।

लक्ष्य - अजीब लड़की हो? मैने तुम्हारी जान बचाई धन्यवाद बोलने की जगह मुझसे बहस कर रही हो। यही सिखाते है क्या तुम्हारे गुरुकुल में?

नीति - मैने तुम्हारी जान बचाई तुमने मेरी जान बचाई हिसाब बराबर। अब तुम यहाँ से जा सकते हो।

लक्ष्य अपनी गाड़ी ले कर गुरुकुल की ओर जाता हैं। गुरुकुल पहुँच कर अपना काम पुरा करता है। वापस अपने घर के लिए निकालने से पहले वो किसी की आवाज़ सुनता है और उसी दिशा में बढ़ता है। गुरुकुल के कोई दो लोग आपस में बात कर रहे थे...

द्वित - गुरुदेव को मेरा नमन। गुरुदेव सभी लोगो की जान खतरे में है। उन्हें बचा लीजिए। गाँव में प्रवेश करने वाली नदी के पानी में विष मिला है। हमारे 4 योद्धा भी मारे गये है। इससे पहले और लोगो की जान जाए हमे कुछ करना होगा।

आयुध गुरु - गुरुनाथ ये सब जरूर जानते होंगे। वही इसका उपाय बता सकते हैं। गाँव वालो की क्या खबर है उनमे से तो किसी की जान नही गई?

द्वित - हाँ गुरुदेव मुझे खबर मिली है कि 7 गाँव वाले भी बेहोशी की हालत में मिले हैं। गुरुदेव हमें जल्द ही कुछ करना होगा वरना पानी की कमी के भोजन की भी कमी हो जायेगी। अकाल भी पढ़ सकता हैं।

आयुध गुरु - मैं गुरुनाथ से इसके बारे में बात करता हूँ। वे इसकी वजह और उपाय दोनों ही बतायेंगे।

द्वित और आयुध गुरुनाथ के पास जाते हैं। लक्ष्य भी पूरी बात जानने के लिए उनका पीछा करता है।

आयुध गुरु - गुरुनाथ क्या आप ये जानते हैं कि हमारे गुरुकुल के पास वाली नदी का जल विषाक्त हो गया है? उससे कई लोग भी मारे गए हैं हमारे कुछ योद्धा भी।

गुरुनाथ - हाँ जनता हुं। मैने हमारे कुछ बेहतरीन योद्धा वहा भेजे हैं। जो काल लोक से आये अनिष्ट योद्धा को हरा देंगे। और कुछ योद्धाओ को नदी के पास भेजा है। वो रहगिरो को वो जल पीने से रोकेंगे।

द्वित - लेकिन गुरुदेव जल में जो विष मिला है उसका क्या? उसका तोड़ क्या है? जब तक नदी विष मुक्त नही होगी लोग ऐसे ही मरते रहेंगे।

गुरुनाथ - काल लोक के विष को सिर्फ अनिष्ट देव और मेरे पास है। उसके लिए मुझे ही वहा जाना होगा।

गुरुनाथ अनिष्ट देव के साथ वहा के लिए निकलते है और लक्ष्य सीधे घर के लिए निकलता है और घर पहुँचता है।

नीति - गुरुदेव आप यहाँ? प्रणाम गुरुदेव! मैं इस अनिष्ट योद्धा को ले कर गुरुकुल आने ही वाली थी।

आयुध - नदी के जल को विष मुक्त करने के लिए गुरुदेव यहाँ आये है। ये कौन है? अनिष्ट योद्धा? तुम्हें मज़ा आता है न मासूम लोगो की जान ले कर? खुशी मिलती हैं? जरा तुम भी तो पी कर देखो कैसा लगता हैं नाथ लोक का पानी।

आयुध गुरु उसे वो विषाक्त जल पिलाता है लेकिन वो उस पर कुछ असर नहीं करता। सभी देख कर चौक जाते है समझ नहीं आता की जल विष मुक्त हो गया है या ये विष काल लोक वालो पर असर नहीं करता।

नीति - गुरुदेव नदी का जल तो विष मुक्त ही है।

गुरुनाथ - ऐसा कैसे हो सकता हैं? क्या तुम्हें यकीन है कि वो लोग ये पानी पी कर ही मूर्छित हुए थे? कोई और कारण नही है?

नीति - जी गुरुदेव!! मैने खुद उन्हे अपनी आखों से देखा है। वे नदी का पानी पी कर ही मूर्छित हुए थे और देखते ही देखते उनकी मृत्यु हो गई।

गुरुनाथ - तो ऐसा कैसे हो सकता हैं? नदी अपने आप विष मुक्त कैसे हो सकती है? क्या अनिष्ट देव यहाँ आये थे?

नीति - नही गुरुदेव। यहाँ कोई नहीं आया। कुछ गाँव वाले आये थे जिन्हे मैने पानी पीने से रोक दिया।

आयुध गुरु - नदी का जल केवल गुरुनाथ या अनिष्ट देव ही विष मुक्त कर सकते हैं अगर इन्होंने नही किया तो ऐसा कैसे संभव है।

गुरुनाथ ( इसका अर्थ है वो अभी भी जीवित है। मुझे उसे ढूंढना ही होगा। इतनी बड़ी बात मुझसे कैसे छिप सकती हैं? और क्यों? अगर वो जीवित है तो अभी तक मैने उसे देखा कैसे नही? वो कहाँ है? )

आयुध गुरु - गुरु नाथ? क्या कोई बड़ी समस्या है? आप के अलावा भी नाथ लोक में ऐसा कोई है जो ऐसा कर सकता हैं?

गुरुनाथ - हाँ! मैं जनता हुं की ये किसका काम है। डरने की कोई बात नहीं अब सब सुरक्षित है। वो यहाँ हमारी मदद के लिए ही आया था। मेरे आने से पहले ही वो अपना काम कर के चला गया और किसी को खबर तक नहीं है।

आयुध गुरु - अब सभी गुरुकुल लौट सकते हैं। नीति धीर को ये संदेश दे देना और गुरुकुल पहुँच जाना।

नीति - गुरुदेव! हम सब गाँव जा रहे थे जब ये सब हुआ अब जब ठीक है और पहले की तरह नदी का पानी भी विष मुक्त हो गया है तो अगर आपकी आज्ञा हो तो क्या अब भी हम गाँव गुमने जा सकते हैं?

आयुध - गुरुकुल के नियम तुम जानती हो ना? शाम होने को है अभी तुम्हे गुरुकुल लौटना होगा। कल सुबह चले जाना। ( ऐसा कौन है जो गुरुनाथ जितना ही शक्ति शाली है? उसके बारे में खुद गुरुनाथ नही जानते हैं और ना ही हम जानते हैं। गुरुनाथ से बात करनी होगी। वो हमारा दोस्त है दुश्मन। )