Ye ham aa gye Kahan!!! - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

ये हम आ गए कहां!!! - भाग 1

पूरे आठ साल बाद लौटा था वह, वापस अपने शहर, अपने देश में! फिर से उन्हीं हवाओं उन्हीं गलियों में जहां वापस ना आने की कसम खाई थी उसने। लेकिन जिंदगी हमारे हिसाब से कहां चलती है! मजबूरी में ही सही आखिर उसे लौटना ही पड़ा। एयरपोर्ट पर कदम रखते ही एक चीख रूद्र के कानों में पड़ी जो उसके अंतर्मन तक को कपा गई। शरण्या की वो दर्द भरी चीख आज भी उसके कान में गूंजती थी, उसके जेहन में आज भी ताजा थी और इस एयरपोर्ट पर अभी भी उसे महसूस हो रही थी। यही तो छोड़ कर गया था वह उसे, रोते बिलखते बेसहारा, उसका दिल तोड़ कर। एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा था उसने जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो। रूद्र ने अपनी सूनी आंखों से चारों ओर उस एयरपोर्ट को देखा मानो उसकी आंखें आज भी शरण्या को ही ढूंढ रही हो लेकिन वह जानता था कि अब उसकी शरण्या यहां हो ही नहीं सकती। ना तो वह उसका इंतजार कर रही होगी और ना ही अब उस पर उसका कोई हक होगा। उसकी शरण्या अब किसी और का हाथ थामे जिंदगी में बहुत आगे तक बढ़ चुकी थी, तभी तो यहां से जाने के बाद एक बार भी उसने रूद्र को कांटेक्ट करने की कोशिश नहीं की, यह सोचकर ही रूद्र की आंखों में आंसू आ गए।

उसकी आंखों में आंसू देख मौली ने उसका हाथ थामते हुए कहा, "क्या हुआ डैड? आप रो रहे हैं? किसी की याद आ रही है या कुछ छूट गया आपसे?" रूद्र ने उसके सवाल के जवाब में बस ना में गर्दन हिला दिया और अपना सामान लेकर एयरपोर्ट से बाहर निकल गया लेकिन आखिर क्या थी रूद्र और शरण्या की कहानी? क्या हुआ था आठ साल पहले और क्यों गया वो उसे छोड़कर? और कौन थी मौली?





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हेल्लो नमस्ते गुड मॉर्निंग आदाब सत् श्री अकाल वडक्कम्!!!! मैं हाजिर हु आपकी दोस्त आपकी होस्ट आपकी राजदार आरजे शायराना! जो करती है आपके प्रॉब्लम को सॉल्व, जो सुनती हैं आपके मन की भड़ास सुनती हैं आपकी परेशानियों को और किसी को नहीं बताती। तो आइए चलते हैं मेरे साथ आज के सफर पर और सुनते हैं आप सभी के मन की बातें जो आप किसी से चाह कर भी नहीं कह पाते। तो शुरू हो जाइए, अगर किसी की बॉस से है किटकीट, किसी की बीवी से है पंगा, किसी की सासु माँ करती है उसको परेशान तो हमें फोन कीजिए हम सुनेंगे आपकी शिकायतें, तब तक के लिए यह गाना आप सभी के लिए" कहते हुए शरण्या ने अपने असिस्टेंट को इशारा किया तो उसने एक प्यार भरा गाना प्ले कर दिया।



दिल्ली की सड़कों पर यूं तो हमेशा ही भीड़ भाड़ हुआ करती थी लेकिन सुबह का वक्त मॉर्निंग वॉक करने वालों के लिए हुआ करता था। ऐसे में सड़कें अक्सर खाली ही होती थी और गाड़ियां बहुत ही कम। उन खाली सड़कों पर एक गाड़ी फर्राटे से निकली जिसे देख सभी चौक गए। आखिर ऐसी कौन सी इमरजेंसी है जिस वजह से कोई इतनी तेज गाड़ी चला रहा है, या तो किसी को हॉस्पिटल जाना है या फिर कोई पुलिस से भाग रहा है। लेकिन पीछे से पुलिस की गाड़ी किसी को नजर नहीं आई। पिछले कुछ दिनों से यह हर रोज की बात हो गई थी। जो लोग नहीं जानते थे वह लोग जरूर सोच में पड़ जाते लेकिन अभी तक किसी को समझ नहीं आया कि सुबह-सुबह हर रोज कोई इतनी तेज गाड़ी चला कर जाता कहां है?

"अरी ओ कमीनी!!! क्या कर रही है? इतनी स्लो गाड़ी अबे वह निकल जाएगी यार! तेरी बीवी मायके से नहीं आ रही और ना ही तू ससुराल जा रहा है जो इतनी स्लो गाड़ी चला रहा है। तेरी जिंदगी पटरी पर आए ना आए मेरी लाइफ की वाट जरुर लगा देगा तु। अब जल्दी चला, पहली बार गाड़ी चला रहा है क्या?" रूद्र झुंझलाते हुए बोला, जिससे उसका दोस्त विहान चिढ़ गया और बोला, "अभी इतनी ही इमरजेंसी है तो तू खुद गाड़ी क्यों नहीं चला लेता? खुद तो नंगा पुंगा बैठा हुआ है, अगर इतनी ही बेचैनी है उससे मिलने की तो खुद सुबह-सुबह क्यों नहीं उठ जाता? जल्दी उठेगा तो उससे मिल भी पाएगा जिस से मिलने के लिए खुद भी इतना परेशान है और मुझे भी परेशान कर रखा है।"

रूद्र पीछे की सीट से अपना शर्ट उठाते हुए बोला, "अबे तो तुझे किसने कहा था मुझे इतनी देर से उठाने को! थोड़ा जल्दी नहीं उठा सकता तू मुझे? सारी गलती तेरी है! अगर आज भी वह नहीं मिली तो तेरी खैर नहीं!"

"हां क्यों नहीं बेटा! मैं तो तेरी मां हूं ना जो रोज सुबह तुझे जगाऊंगी या फिर मैं तेरा अलार्म हूं? साले रात भर लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाए तु, सुबह किसी लड़की के आवाज के पीछे भागे तु और सारी गलती मेरी है!!! रात में अगर जल्दी सो जाए तो सुबह जल्दी उठ सकता है और उससे मिल सकता है जिससे तुझे मिलना है लेकिन नहीं!!! तू और तेरे लड़कियों के चक्कर! किसी दिन तु बुरी तरह से पिटेगा भाई तु देख लेना। किसी और की क्या ,अपने भाई को ही देख ले। तेरे भाई को आज तक किसी ने भी किसी लड़की के साथ नही देखा होगा। किसी लड़की के साथ कभी उसका नाम नहीं जुड़ा और एक तू है जो हर दूसरे दिन नई लड़की के साथ घूमता है। हर रात किसी और के साथ होता है। तुम दोनों सच में भाई हो ना या फिर अंकल ने तुझे कहीं से गोद लिया था? हॉस्पिटल में कहीं बदल तो नहीं गया था तू?"विहान ने ताना मारा।



"अब तू अपनी बकवास बंद करेगा? यह सारी बातें बोलनी जरूरी थी तुझे? तु जानता है मुझे यह सब बिल्कुल पसंद नहीं! अब मेरा भाई साधु है तो इसमें मेरी क्या गलती? उसके हिस्से का रोमांस भी मैं हीं कर लेता हूं। वह तो करता नहीं, तो उसके बदले जो भी बदमाशियां हैं वह मेरे हिस्से आ जाती हैं। अब किसी को तो बैलेंस करना ही पड़ेगा ना और तु इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और सीधा गाड़ी चला" ,रुद्र विहान को आर्डर देते हुए बोला।

वैसे तो रूद्र का नाम हर दूसरे दिन किसी ना किसी लड़की के साथ जुड़ता ही था। उसके पापा और बाकी घर वाले उसके इस आदत से परेशान रहते थे। आए दिन किसी न किसी के साथ उसके अफेयर के चर्चे आम होते थे। रुद्र और उसका भाई रेहान दोनों ही जुड़वा थे लेकिन उन दोनों में ही जमीन आसमान का फर्क था। रेहान जितना शांत और सीधा, रुद्र उतना ही तेजतर्रार। रेहान ने कभी किसी लड़की को नजर उठा कर नहीं देखा होगा वही रूद्र के लिए किसी भी लड़की को डेट करना मामूली सी बात थी। दोनों भाइयों की पर्सनालिटी लगभग एक जैसी ही थी और वह दोनों दिखते भी एक जैसे ही थे। इतने कि घर वाले भी उन दोनों को पहचान नहीं पाते थे। पिछले कुछ दिनों से रूद्र को एक आवाज से लगाव हो गया था जिस से मिलने के लिए वह कुछ ज्यादा ही बेचैन था और वह थी आरजे शायराना!!! रूद्र को उसकी आवाज सुनकर ही उससे प्यार हो गया था जिसे सुनकर विहान की हंसी छूट गई।

"अबे साले! तू शक्ल देखकर लड़की को डेट करता है और अगले दिन उसे भूल जाता है। तुझे एक लड़की से प्यार हो गया वह भी बिना देखें, सिर्फ उसकी आवाज सुनकर! यह दुनिया का सबसे बड़ा मजाक है। अगर तू किसी लड़की से प्यार में पड़ा या अगर तुझे किसी से प्यार हो गया तो सारे सच्चे आशिक खुदकुशी कर लेंगे। कम से कम मेरे सामने तो झूठ मत बोला कर, तेरे रग रग से वाकिफ हूं मैं" , विहान अभी बोल ही रहा था कि तभी उसकी गाड़ी के सामने एक बाइक सवार आ गया जिसे बचाने के चक्कर में विहान में जल्दी से ब्रेक मारा लेकिन इसके बावजूद उसकी गाड़ी उस बाइक से जा टकराई।

रूद्र चीख पड़ा,'अबे यह क्या किया तूने? ढंग से गाड़ी नहीं चला सकता तू? किसी को ठोक दिया है तू ने यार! पता नहीं जिंदा है अभी या नहीं! अब तो तू गया! अच्छा हुआ जो मैं गाड़ी नहीं चल रहा था वरना मैं ही फसता और जेल जाता। फिर पापा मुझे घर से निकाल बाहर कर देते या फिर मुझे घर में बंद कर देते। अब तू जान और तेरी ये गाड़ी जाने।" रूद्र सारा इलज़ाम विहान पर लगाते हुए बोला। लेकिन रूद्र की किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी। जिस बाइक से उनका एक्सीडेंट हुआ था वह बाइक वाला उठा और रूद्र कि साइड का दरवाजा खोलकर रुद्र का कॉलर पकड़ते हुए उसे बाहर खींच कर निकाला और एक पंच उसके जबड़े पर दे मारा। रूद्र एक पल को ब्लैंक हो गया कि आखिर उसके साथ हुआ क्या? गाड़ी तो विहान चला रहा था फिर इस आदमी ने उस पर हाथ साफ क्यों किया? तभी उसकी नजर उस बाइक पर गई जिसे देखते ही वह पहचान गया और बोला, "हाय शाकाल!!! मारना ही है तो एक बार में मार डाल, इस तरह थोड़ा-थोड़ा करके क्यों मारता है यार? भगवान ने शक्ल अच्छी दी है, सूरत अच्छी दी है, कम से कम हरकतें तो लड़कियों वाली रखा कर। इस तरह सब पर दादागिरी क्यों करती है और खासकर मुझ पर धौंस क्यों जमाती है? और उससे भी बड़ी बात, जब भी मैं कोई काम करने जाता हूं तो तू काली बिल्ली की तरह मेरा रास्ता क्यों काट जाती है? जो गाड़ी चला रहा था उसे मार मुझे क्यों घसीट रही है मेरी क्या गलती?"

यह और कोई नहीं बल्कि हमारी शरण्या ही थी, जिसकी बाइक से रूद्र की गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ था। शरण्या उसका गर्दन पीछे से पकड़ गाड़ी के बोनट पर उसका सिर पटकते हुए बोली, "मेरी मर्जी!! मैं जिस को चाहे मारूं तुझे उससे क्या? अबे समझ में नहीं आता, आजकल तुम दोनों जय वीरू जहां क्या करने आते हो? उल्लू की छठी औलादों! रात भर जागने के बाद इतनी सुबह उठ कैसे जाते हो तुम लोग और खास करके तू रजिया! यहाँ गुंडों मे फस गयी तो बचाने कोई नही आयेगा! तो आइंदा मुझे तुम लोग यहां आस-पास नजर नहीं आना चाहिए वरना मैं तेरे साथ क्या करूंगी यह तू भी नहीं जानती।" फिर वह विहान की तरफ पलटते हुए बोली, "और तू मेरे भाई!!! तू तो ना गाड़ी चढ़ा ही दे मेरे ऊपर! इतनी तेज गाड़ी चला रहा है, क्या भाभी की डिलीवरी होने वाली है? बिना शादी के बाप बनने जा रहा है क्या जो इस तरह भागा रहा है? तेरी शिकायत तो मैं अंकल से करूंगी तू रुक जा!"

"अरे ना बहना ना!!! ऐसा गजब मत करना वरना मेरे पापा मेरी चमड़ी उधेड़ देंगे! तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा, तू अगर झूठ भी बोलेगी तब भी उन्हें सच ही लगेगा। हम तो बस यहाँ किसी काम से आए थे। वह किसी को ढूंढ रहे थे, इसलिए पिछले कुछ दिनों से यहां आस-पास चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है यह सब इस रुद्र की गलती है। यही बोल रहा था और तेज और तेज और यह सब हो गया" , विहान शरण्या को समझाते हुए बोला लेकिन शरण्या उल्टा उसी पर बिगड़ते हुए बोली, "इस नालायक के साथ रहेगा तो तू भी नालायक ही बनेगा! खुद तो किसी काम का है नहीं, तुझे भी बिगाड़ के रखा है। इससे दोस्ती रखने से बेहतर है किसी सूखे कुएं में कूद जा। बार-बार कहती हूं मैं, छोड़ दे इसका चक्कर लेकिन नहीं!!! ना जाने कौन सी घुट्टी पिला रखी है इसने तुझे! आइंदा तुम लोग मुझे यहां नजर नहीं आना चाहिए वरना सोच लेना!" कहते हुए शरण्या ने रूद्र को जोर से गाड़ी के पास धक्का दिया और अपने बाइक उठाकर वहां से निकल गई।

विहान बोला चले, "भाई! रेडियो स्टेशन अभी यहां से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर है, इससे पहले कि वह निकल जाए हमें वहां पहुंच जाना चाहिए।"

"क्या फायदा वहां जाकर! अब तक तो वह चली भी गई होगी। उसका शो खत्म हो चुका है और वैसे भी यह जंगली बिल्ली जब भी रास्ता काट जाती है तब तब कोई काम नहीं बनता मेरा। देख लेना वहां जाने का कोई फायदा नहीं होगा। जब भी यहाँ आता हूं मुझे इसी की शक्ल क्यों देखनी पड़ती है और जब इसकी शक्ल देख लेता हूं मुझे उसकी शक्ल देखने को ही नहीं मिलती जिसे देखने में यहां आता हूं। अब तू ही बता, तेरी बहन मेरे लिए पनौती है या नहीं?" रुद्र झुंझलाते हुए बोला और गाड़ी में बैठा। विहान ने गाड़ी स्टार्ट की और रेडियो स्टेशन की ओर निकल पड़ा।









क्रमश: