Wo Nigahen - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वो निगाहे.....!! - 1

नजर
को नजर मिली नजर को नजर लग गई......🍁

श्री को लड़के वाले आय थे देखने भगमदौड लगी हुई थी उसके घर में.... मेहमानो के खातिरदारी में सब जुटे हुये थे एक से एक पकवान बनाय गये थे श्री के सासरे वालो के लिये ...श्री कि मम्मी के पैर से पूरे घर इधर से उधर नाचती फिर रही थी पापा भी इधर उधर काम बटाते हुये नजरे बार बार गेट से होकर फिर काम पर लग जाती......!!
कहते एक लड़की को देखने वाले आते हैं तो उसके परिवार वाले कोई कसर नहीं छोडते उनके खातिर दारी मे ये रह तो नहीं वो रह तो नहीं गया हर एक के मम्मी पापा चाहते उनकी बिटिया कि शादी एक सुकुशल और सज्जन घर में हो....!! घर अगर कोपोषित मानसिकता वाले घर में गो गया तो जीवन नरक बन जावे....कुछ घरो को छोडकर अधिकतर घरो का ये नियम होवे बिटिया कि डोली मायके से उठकर अर्थी उसके ससुराल से उठे अंतिम सांस तक अपनी ससुराल कि होकर रहे चाहे घर परिवार कैसे भी हो वो कहते हैं ना कि मम्मी पापा की पसंद से शादी होवे कुछ उँचाई नीच होवे तो इतना तो शादी मे बर्रदाश्त करना पडे है.... अपनी मन से एक लड की शादी करे तो यदि उसके जीवन में उँचाई नीच होवे तो कहेगे कि अपने मन से कि थी तो अब भोगो.....ये हमारे समाज का कडवा सच्चाई है....!!
वैसे श्री मम्मी पापा ऐसे कतई नहीं उनका कहना है कि बेटी तुमाय जीवन में कुछो उँच नीच होवे हमाय घर के दरवाजे तुमाय लाने सदा खुले है....बेझिझक चली आना अपने माई बाप पास....!!
श्री ने आज हल्के गुलाबी पीले कोम्बिनेशन के चिकन वाला सूट पहना है वैसे उसे चिकन और बनारसी सूट बेहद पसन्द है .... छोटी छोटी से कानो मे बालिया और हल्का मेलअप किया है अपनी माताश्री के वास्ते वैसे श्री को मेकअप के नाम पर चिढ मचती है पर उसकी माताश्री के आगे इत्तु से भी न चले .....वैसे भी मम्मियो के आगे क्या हि चली भी है किसी कि.....!!
श्री ओ श्री तैयार हो गई आप कि नहीं लडके वाले बस किसी वक़्त आते हि होंगे श्री कि मम्मी कहती हुई कमरे दाखिल हुई....... श्री कि मम्मी श्री को देखते हुये उनकी आँखॆ भीग गई कितनी प्यारी लग रही है आप कही हमारी हि नजर ना लग जाय आपको काला टीका कान के पीछे लगाते हुये कहती
श्री.... श्री कि भी आन्खे भीग गई मम्मी को देखकर मम्मी...... अरे पगली रोती काहे हो अभी थोड़े ना ससुराल भेज रही हूँ जादे मत आन्सु बहाओ भई मेक अप खराब हो जायगा अरे मम्मी आप भी आपसे से तो नहीं खूबसूरत हो सकते मै..... वैसे भी मम्मी असली खूबसूरती तो हमारे किरदार से होनी चाहिए ना कि सूरत से खैर आजकल क्या हि पडी किसी को उन्हे तो खूबसूरती उनकी सूरत से लगाते हैं ना कि हमारे किरदार से.....!!
मम्मी..... हा भई आपकी बाते बिल्कुल आपकी तरह खूबसूरत हैं वैसे ई समझदारी वाली बाते थोड़ी देर के लिये अपने पास रखो मेहमान आ हि गये चलो जल्दी.....


श्री..... अरे रुको मम्मी चलती हूँ घडी पहन लु श्री को घडियो और parfumes का बड़ा शौक है....
श्री को उसकी मम्मी लाती है सब लोग बैठ कर बात करने लगे जब श्री को कानो मे लडके कि आवाज सुनी.... श्री अपनी नजरे उठा कर देखा तो वो चौक गई.... जल्दी जल्दी पलके अपनी झपकाने लगी फिर अपनी नजरे नीची कर ली..... और खो गई फिर उस आवाज कि यादो में.....
उस रोज श्री और उसकी दोस्त धानी काम पर वापस आ रही थी.....बीच रास्ते में ढाबा पडा ढाबे पर नजर पड़ते हि धानी को भूख लगने लगी वो एक नम्बर कि भुक्कड़ इन्सान श्री से कहने लगी चलो खाते है... श्री जाने मे आनाकानी करने लगी तो धानी उसको घसीटते हुये ढाबे मे ले गई खाने के चरपाई पर बिठा दिया..... चुप चाप बैठी रहना इधर मै खाना ओदर करके आती हूँ समझ ला...एक मिनट एक मिनट वैसे तुम्हारे लिए क्या लाऊ श्री मोहतरमा..... श्री उसको आन्खे दिखाती हुई चुपचाप जा ना तुझे जो पसंद आय वो ले आय..... मै राजमा चावल लाउगी तू खा लेगी ना..... हा मेरी माँ मै खा लुगी अब तू जा ना देर भी हो रही है..... धानी सामने कि ओर बढ़ गई..... श्री वही बैठी रही उसके कानो मे किसी कि आवाज आई वो उस तरफ़ देखने लगी उसकी निगाह वही ठहर गई.........!!


वो बड़ी हि मासूमियत लिये किसे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था.... चेहरे पर थोडा खाना लग जाता तो उसको साफ़ कर देता जिनको वो खिला रहा था वो भी उस लड़के कि मासूमियत पर हारी जा रही थी.... उन आखे इस दृश्य को डबडबा गई... और सोचने लगी जिन बच्चों को ज़िन्दगी भर सवारने सहजने में लगा दिया उन्हें ने कभी प्यार से ये भी ना पूछा आपने खाना खा लिया या नहीं और ये एक अजनबी होकर भी बडे आत्मियता से उन्हे भोजन करा रहा था वो ये सब सोचती जा रही थी और अपनी आन्खे भी पोछती जा रही थी........जब उस लडके नजर उन स्त्री पर अरे अरे आप रो क्यों रही है क्या खाना तीखा बना या खाने मे नमक है या आपको पसंद नहीं आया क्या हुआ बताईयेना आप क्यों रो रहे हो जब वो बोल रहा था कितना बैचेनी थी जैसे नहीं बताया गया वो क्यों रो रही है वो भी लगता रोने लगता बार बार बैचेनी भरी आवाज में उनसे पूछ्ता (कुछ लोगों को लगा गेगा इसमे कौन सी रोने वाले बात है वो लड़का हो कर भी ऐसे लडकियो कि तरह रो रहा है ...अरे भई क्या लडकियो ने रोने के ठेका ले रखा वो क्यों नहीं रो सकता उसको भी अपनी भावनाय व्यक्त करने का पूर्ण अधिकार है रोने का भी अधिकार जरुरी तो नहीं हर वक़्त मजबूत बना रहे वो भी टूटकर बिखरने का अधिकार है वो भी किसी के कंधे पर रो सकता है नहीं है किसी का कन्धा तो फिर भी रो सकता है जी भर कर रो सकता रोने से कोई वो कमजोर तो नहीं हो जायगा पता नहीं लोग रोने को लेकर कमजोरी अहसास दिला देते हैं चाहे पुरुष हो या हो क्यों न स्त्री सभी को पूर्ण हक है पूरा रोने का फिर से उठ कर खडे हो कर अपनी ज़िम्मेदारियो का निभाने का) खैर आगे बधते है.......


अरे अरे तुम इतना बैचैन क्यो हुये जा रहे हो मुझे मेरे बच्चो कि कुछ बाते याद आ गई थी बस जिस तरह से तुम हमारा ख्याल रख रहे हो उन्हेने तो कभी झूठा भी नहीं पूछा होगा..... वो लड़का उनकी बात सुनकर कोई बात नहीं मै आज से आपके बेटे कि तरह हूँ ना आज के बाद अपनी इन खूबसूरत आख मे ये आसुओ कि टन्की ना बहाईयेगी समझी आप आज से आप मेरे वृद्घाआश्रम में रहेगी वहा आपकी तरह कई माये और बच्चिया है.......वो सब मेरी बहुत अजीज आज से आप भी........!!

श्री ये सब सुनती उसे विश्वास ना होता आज के जमाने भी इतने उचे ख्यालात के लोग है कितनी मासूमियत और सच्चाई झलक रही उसकी आँखो मे श्री तो अपनी निगाह उधर से ना उठा पाई और एक टक देखती रही फिर उन लोगों मे क्या बाते हुई ये भी उसे सुनाई ना दिया..... एक टक वो देख हि रही उसी वक़्त धानी आ टपकी आते हि धानी किसको ताड रही है मै उधर स्व तुझे हि देख रही थी बोल ना किसे ताडे जा रही है एक टक.........!!


जारी.........!!
स्वस्थ रहिये खुश रहिये.....!!
छोटी सी कोशिश पढियेगा... 🙏