Triyachi - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 12

भाग 12

सप्तक- ये एक अंतिम पड़ाव है। इसके बाद तुम लोग मानव जाति और धरती को बचाने के लिए होने वाले युद्ध के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाओगे। 

अनिकेत- पर यह सब क्या है सप्तक जी ? 

सप्तक- ये पंच तत्व है। जैसा कि अब आप सभी को ज्ञान है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, जिसमें धरती, जल, वायु, अग्नि और नभ यानि की आकाश शामिल है। ये जो पांच चमकते गोले तुम्हें नजर आ रहे हैं ये उन्हीं पांच तत्वों के प्रतीक और शक्ति पूंज है। अब इन शक्तिपूंज को तुम लोगों को धारण करना है। हालांकि किस शक्ति पूंज को कौन धारण करेगा यह निर्णय मैं तुम लोगों पर छोड़ता हूं। अब आप लोग आगे बढ़ों और एक-एक शक्ति पूंज को धारण करो। इन शक्ति पूंज के बारे में मैं तुम्हें बता देता हूं कि जो भी व्यक्ति जिस भी शक्ति पूंज को धारण करेगा उसके पास उस शक्तिपूंज के मुख्य तत्व से किसी भी प्रकार की शक्ति को प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा। मतलब कि यदि कोई नभ यानि की आकाश के शक्ति पूंज को धारण करता है तो वह आकाश से किसी भी प्रकार की शक्ति का प्रयोग करने में समर्थ होगा। इसी प्रकार अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के संबंध में भी रहेगा। अब आप लोग आपस में तय कर लें कि कौन किस शक्ति पूंज को धारण करना चाहता है। यदि आप लोग तय नहीं कर पाएं या आपस में किसी शक्ति पूंज को लेकर आप लोगों में कुछ असमंजस की स्थिति बनती है तो आपकी क्षमता के अनुरूप मैं आप लोगों को शक्ति पूंज धारण करा दूंगा। 

प्रणिता- सप्तक जी आप हमारी क्षमताओं और हमसे अच्छी तरह से वाकिफ है तो हम चाहते हैं कि आप ही हमारी क्षमता के अनुरूप हमें शक्ति पूंज धारण कराएं। 

अनिकेत- हां प्रणिता सही कह रही है। 

सप्तक - ठीक है तो आइए शक्ति पूंज धारण करने की विधि शुरू करते हैं। सबसे प्रणिता आप आओ मैं आपको शक्ति पूंज धारण कराता हूं। 

प्रणिता और सप्तक आगे बढ़ते हैं और सप्तक कुछ मंत्रोच्चार के साथ शक्ति पूंज को धारण कराने की विधि शुरू करता है। इस दौरान प्रणिता हाथ जोड़े वहां खड़ी रहती है। मंत्रोच्चार करते हुए सप्तक पृथ्वी तत्व का शक्ति पूंज अपने हाथ में लेता है और फिर प्रणिता के हाथ पर रख देता है। कुछ ही देर में वह पूंज छोटा होता जाता है और फिर हवा में उठते हुए प्रणिता के मस्तक पर आकर उसके शरीर में समा जाता है। 

सप्तक- प्रणिता अब तुम इस शक्ति पूंज को धारण कर चुकी हो। अब पृथ्वी पर होने वाली किसी भी वस्तु को अब तुम एक हथियार के रूप में प्रयोग कर सकती हो। इसके साथ युद्ध के दौरान तुम धरती के फटने पर भी काबू कर सकती हो। इसके साथ धूल, पत्थर, वृक्ष, मिट्टी किसी को भी युद्ध के दौरान हथियार बना सकती हो। शक्ति पूंज धारण करने के बाद एक बात का विशेष ध्यान रहे कि इन पंच तत्वों की शक्तियों का उपयोग तुम लोग किसी भी गलत कार्य में नहीं करोगे यदि गलत कार्यों में इन शक्तियों का प्रयोग करोगे तो यह शक्तियां स्वतः ही तुम लोगों के पास से विलुप्त हो जाएगी। इसलिए इन शक्तियों का प्रयोग बहुत ही सावधानी और सूझबूझ के साथ करना अब तुम लोगों की जिम्मेदारी है। एक बात और कि किसी भी तरह के आवेश में इन शक्तियों का प्रयोग एक-दूसरे पर कतई ना करना, अन्यथा पंच तत्व नष्ट होकर तुम्हारा भी विनाश कर देंगे।

प्रणिता के बाद सप्तक रॉनी को अग्नि, अनिकेत को जल, यश को नभ यानि कि आकाश और तुषार को वायु का शक्ति पूंज धारण कराता है। इसके बाद उन्हें शक्तियों का दुरूपयोग ना करने की शपथ दिलाता है। शक्ति पूंज धारण करने की विधि पूर्ण होने के बाद सभी लोग वहां से निकलते हैं और फिर से उसी खंडहर तक की यात्रा शुरू कर देते हैं। 10 दिनों की यात्रा में बाद सभी फिर से उसी खंडहर में एकत्र हो जाते हैं। 

राधिका- सप्तक जी मुझे एक बात समझ नहीं आई है। युद्ध कला तो इनको युद्ध के काम आ जाएगी, परंतु कुंडली जागृत करने, धर्म आध्यात्म की दीक्षा देने से इन्हें क्या फायदा होगा ? 

सप्तक- तुमने बहुत अच्छा सवाल किया है राधिका। सबसे बड़ी बात यह है कि इन सब विधि के बिना ये लोग शक्ति पूंज को धारण नहीं कर सकते थे। कुंडली जागृत होने से इनके पास खुद की शक्तियां भी है। ये आपस में कहीं भी रहकर मानसिक रूप से यानि की टैलीपैथी के माध्यम से बात कर सकते हैं। इसके अलावा एक सामान्य मनुष्य से अधिक इनके पास गति होगी और शक्तियों को प्रयोग करने का सामर्थ्य भी होगा। वहीं शत्रु द्वारा किसी विशेष वार को या शक्ति को सहने का सामर्थ्य भी इनके पास होगा। यदि आम इंसान की भाषा में कहूं तो यह लोग अब एक सुपर हीरो हैं, जिनके पास अपनी अपनी एक विशेष शक्ति है। 

अनिकेत- सप्तक जी क्या अब आप हमें बता सकते हैं कि दूसरे ग्रह के लोग आखिर पृथ्वी आकर क्या करना चाहते हैं ? वे क्यों पृथ्वी को नष्ट करना चाह रहे है और मानव जाति पर किस प्रकार संकट आ गया है ? 

सप्तक- इस बात की जानकारी तुम्हें मैं नहीं दूंगा। यह जानकारी तुम्हें स्वयं जुटानी होगी। इसके लिए तुम्हें एक छोटा युद्ध करना होगा। इस युद्ध के माध्यम से तुम अपनी शक्तियों को परख भी सकते हो और अपनी क्षमताओं का भी तुम्हें ज्ञान हो जाएगा। 

रॉनी- छोटा युद्ध पर किससे ? 

सप्तक- उन लोगों से जो उस दिन दूसरे ग्रह से आए थे और अन्य गांवों में जाकर लोगों को अपने वश में कर रहे हैं। तुम्हें ना सिर्फ उन लोगों को पहचानना है, बल्कि उन्हें खत्म कर गांवों वालों को उनके वश से आजाद भी कराना है। अब तक जो भी शक्तियां मैंने तुम्हें प्रदान की है वे इसमें तुम्हारी सहायता करेगी। गांव वालों को बचाने के दौरान ही तुम्हें उन लोगों से युद्ध भी करना पड़ सकता है। 

तुषार - क्या इस युद्ध से गांव वालों को हानि नहीं होगी ? 

सप्तक- हो सकती है परंतु यह तुम्हें तय करना है कि युद्ध ऐसे हो कि गांव वालों को किसी भी प्रकार नुकसान न पहुंचे। एक बात और मैं उन लोगों की शक्तियों और बल से अंजान हूं इस कारण कह नहीं सकता हूं कि तुम लोगों का शत्रु क्या करता सकता है और कितना बलशाली है। इसलिए तुम लोगों को स्वयं ही युद्ध के दौरान शत्रु को समाप्त करने के लिए निर्णय लेने होंगे। 

सप्तक- अब तुम लोग उन गांवों में जाओ जहां तुम्हारा दुश्मन ग्रामीणों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। गांव के लोगों को बचाओ और साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास करो कि उन लोगों का धरती पर आने का उद्देश्य क्या है और वो मानवों से क्या चाहते हैं। 

सप्तक बात सुनने के बाद सभी लोग वहां से अलग-अलग दिशाओं की ओर रवाना हो जाते हैं। धरती पर जहां प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, तुषार और यश एक युद्ध के लिए तैयार हो चुके थे वहीं धरती से बहुत दूर एक त्राचा ग्रह पर भी कुछ हलचल हो रही थी। इस ग्रह पर भी जैसे एक युद्ध की तैयारी चल रही थी। हथियार जमा किए जा रहे थे, तकनीक को विकसित किया जा रहा था। यान तैयार हो रहे थे। सैनिक भी अपने हिसाब से तैयारियों में लगे थे। पृथ्वी से दूर इस ग्रह ने पृथ्वी पर होने वाले युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की थी, जिसके कारण उन सप्तक को उन पांचों को सुपर हीरो के तौर पर तैयार करना पड़ा था। आखिर क्या था इस संभावित युद्ध का कारण। यह राज छिपा था उस ग्रह के राजा और रानी की बातों में। त्राचा ग्रह के राजा का नाम था त्रियाची और रानी का था सुक्रा। एक और जहां उस ग्रह के लोग युद्ध की तैयारियों में व्यस्त थे, वहीं राजा त्रियाची और रानी सुक्रा के बीच उनके महल में बातचीत हो रही थी। 

त्रियाची- अब आपको अधिक चिंता करनी की आवश्यकता नहीं है रानी सुक्रा। हम जल्द ही आपकी हर इच्छा का पूर्ण कर देंगे। जहां आपने इतने समय का इंतजार किया है वहां कुछ समय और आप इंतजार कर लें। 

सुक्रा- यह बात कहते हुए भी आपको कितने ही वर्ष बीत गए हैं, पर आज तक हमारी इच्छा को आप पूर्ण नहीं कर पाए हैं। 

त्रियाची- हम जानते हैं रानी सुक्रा। इतने वर्षों से हम शक्तिपूंज की खोज में ही तो लगे हैं। ना जाने कितने ही ग्रह इस कारण अब तक नष्ट हो चुके हैं परंतु हमें शक्ति पूंज नहीं मिला है। अब हमें लगता है कि वो शक्ति पूंज पृथ्वी पर ही है। अगर पृथ्वी से वो शक्तिपूंज यहां ले आते हैं तो आपकी हर इच्छा पूर्ण हो जाएगी। 

सुक्रा- पर राजे अगर... ? 

त्रियाची- हम जानते हैं कि आपको उस बात का भय होगा, कुछ हद तक वहीं भय हमें भी है। परंतु हजारों वर्ष बीत गए हैं, इसलिए हमें एक बार उस भय से बाहर निकलकर एक बार जोखिम उठाना ही होगा। वैसे भी आज हम इतने सक्षम है कि यदि हमारा भय सही साबित होता है तो हम शक्तिपूंज को फिर से किसी और ग्रह पर छोड़कर आ सकते हैं और फिर से पूर्व की स्थिति यानि कि आज जैसी स्थिति में आ सकते हैं। 

सुक्रा- पर राजे शक्तिपूंज के अलावा कोई और रास्ता नहीं है क्या ? 

त्रियाची- अब तक तो कोई और मार्ग नजर नहीं आ रहा है रानी। इसलिए ही हम शक्तिपूंज की तलाश में हैं। हमने पृथ्वी पर मगोरा को भेजा हुआ है वो जल्द हमें यह पता करके बता देगा कि पृथ्वी पर शक्तिपूंज है अथवा नहीं। यदि पृथ्वी पर शक्तिपूंज है तो हमारी सेना पूरी तरह से तैयार है और चंद ही दिनों में पृथ्वी पर आक्रमण कर हम उस शक्तिपूंज को यहां लेकर आ जाएंगे। वैसे हमें यकीन है कि शक्तिपूंज पृथ्वी पर ही है। 

सुक्रा- पर राजे क्या पृथ्वी पर इस तरह से आक्रमण करना उचित रहेगा ? 

त्रियाची- उचित और अनुचित का अभी हमें भान नहीं है। हजारों सालों से हम एक दर्द के साथ जी रहे हैं हम बस उस दर्द को दूर करना चाहते हैं। 

सुक्रा- राजे पृथ्वी पर आक्रमण का मतलब है समूची मानव जाति का विनाश। 

त्रियाची- हां होगा तो विनाश ही, जिस तरह से अन्य ग्रह नष्ट हो गए हैं उसी तरह से पृथ्वी भी नष्ट हो जाएगी। 

सुक्रा- पर राजे क्या यह गलत नहीं होगा हम अपने दर्द के लिए पूरी मानव जाति को ही खत्म कर देंगे। पृथ्वी जहां जीवन है वो भी नष्ट हो जाएगी। अन्य ग्रहों पर जीवन नहीं था शायद इसलिए ही आपको वहां शक्तिपूंज प्राप्त नहीं हुआ। पृथ्वी पर जीवन है, इसलिए वहां शक्तिपूंज के प्राप्त होने की संभावना सबसे अधिक है। पर शक्तिपूंज के कारण पूरी पृथ्वी ही नष्ट हो जाएगी। 

त्रियाची- हम तो बस इतना जानते हैं कि हमें भी जीने का अधिकार है। हम अपना अधिकार हासिल कर रहे हैं। पृथ्वी वासी चाहे तो हमें युद्ध में हराकर हमें रोक ले अन्यथा उनका विनाश तो सुनिश्चित है। 

सुक्रा- राजे क्या ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे पृथ्वी भी नष्ट ना हो और हमें शक्तिपूंज भी प्राप्त हो जाए। 

त्रियाची- यह तो तभी पता चलेगा कि पृथ्वी पर शक्तिपूंज है अथवा नहीं और यदि है तो वो कहां है। यदि पृथ्वी वासी हमें शांति से शक्तिपूंज हासिल करने देते हैं तो हम आपसे वादा करते हैं कि हम मानवों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, परंतु यदि उन्होंने हमें रोकने का प्रयास किया तो फिर उनका विनाश तय है। 

सुक्रा- तो शक्तिपूंज का पता कैसे चलेगा राजे ? 

त्रियाची- मगोरा हमें आज अथवा कल तक इसकी सूचना दे देगा। उसके बाद हम आगे की योजना तैयार करेंगे। 

सुक्रा- ठीक है राजे तो आपको उचित लगे वहीं करें।