Triyachi - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 15

भाग 15

सभी लोग एकत्र हो गए थे त्रियाची ने कहा- 

हम देख रहे हैं कि इस ग्रह पर हम भी पृथ्वी के मुकाबले अधिक सुखी है। तकनीक के बल पर हमने यहां मृत्यु को भी परास्त कर दिया है। यहां अब कभी कोई बूढ़ा नहीं होता है और ना ही कोई बीमार होता है। यहां भूख के लिए इधर-उधर भी भटकना नहीं पड़ता है। उसके बाद भी हम देख रहे हैं कि यहां समूह के मध्य से खुशियां गायब सी हो गई है इसका कारण क्या है हम जानना चाहते हैं ? समूह के कुछ लोगों ने राजा त्रियाची से कहा- राजे यह सच है कि पृथ्वी के मुकाबले हम यहां अधिक आराम से हैं और यहां बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु व भूख का कोई भय नहीं है। यहां रहते हुए हमें कई वर्ष भी बीत गए हैं। पूरा समूह एक साथ है यह भी बहुत अच्छी बात हैं। परंतु राजे यहां नया जीवन नहीं मिल पा रहा है। हम सभी चाहते हैं कि हम अपने जीवन को आगे बढ़ाए परंतु इस ग्रह पर नया जीवन संभव नहीं हो पा रहा है। समूह के लोगों की बात सुनने के बाद त्रियाची को जैसे एक झटका सा लगा था और वो चौंक सा गया था कि इस ग्रह पर नया जीवन नहीं है। उसने अपने कुछ खास लोगों से तत्काल इस संबंध में बात की तो उनका भी यही कहना था कि हां राजे यहां नया जीवन नहीं है। त्रियाची ने उन लोगों से कहा कि उन्होंने आज तक यह बात उसे क्यों नहीं बताई। उन्होंने त्रियाची से कहा कि वे इस संबंध में भी अपनी तकनीक को विकसित करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं परंतु वे सफल नहीं हो पा रहे हैं हर बार उनके हाथ सिर्फ असफलता ही लगी है। त्रियाची के लिए यह काफी चिंता का विषय था क्योंकि समूह कभी बढ़ नहीं सकता था। जितने लोग कुछ वर्ष पहले समूह थे आज भी उतने ही लोग थे और नया जीवन ना होने के कारण हमेशा उतने ही रहने वाले थे। 

सभी की बात सुनने के बाद त्रियाची अपने महल में चला जाता है। मुद्दा काफी गंभीर था, इस कारण त्रियाची भी चिंतित हो उठता है। रानी सुक्रा त्रियाची की चिंता को समझ जाती है। 

सुक्रा- राजे आप कुछ परेशान लग रहे हैं ? क्या आपकी परेशानी को दूर करने में हम आपकी कोई मदद कर सकते हैं ? 

त्रियाची- हमारी चिंता को कोई दूर नहीं कर सकता रानी सुक्रा। हमारी चिंता का कारण कोई सामान्य नहीं है। 

सुक्रा- अगर आप उचित समझे तो क्या हमें वह कारण बता सकते हैं ? 

त्रियाची- बिल्कुल बता सकते हैं रानी। हमारे राज्य के लोगों के पास सभी सुख सुविधाएं मौजूद हैं, परंतु वे खुश नहीं है। 

सुक्रा- क्या हमारे लोग खुश नहीं है, पर इसका कारण ? 

त्रियाची- एक ऐसा कारण जिस पर हमने भी गौर नहीं किया। 

सुक्रा- पर वो है क्या राजे ? 

त्रियाची- जीवन... नया जीवन रानी। 

सुक्रा- मैं कुछ समझी नहीं राजे ? 

त्रियाची- इस नए ग्रह पर रहते हुए हमें करीब 100 वर्ष से अधिक हो गए हैं रानी। परंतु इन 100 वर्षों में हम लोग जितने थे उतने ही है। इन 100 वर्षों में किसी के यहां भी नया जीवन नहीं हुआ है यानि कि कोई संतान नहीं हुई है। 

सुक्रा- अच्छा ! हमने भी इस बात पर कभी कोई गौर नहीं किया। 

त्रियाची- किसी और की क्या बात करें रानी हमारी भी तो कोई संतान नहीं है। हमारे बाद इस राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा ? 

सुक्रा- परंतु राजे आपके होते हुए उत्तराधिकारी की क्या आवश्यकता है। अब तो आपने मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर ली है। 

त्रियाची- हां रानी परंतु हम हमेशा ऐसे ही तो नहीं रह सकते। हमारी भी तो संतान होना चाहिए। हम हमेशा तो गद्दी पर नहीं बैठे रह सकते हें। 

सुक्रा- हां ये बात भी है राजे। परंतु नया जीवन न होने का कारण क्या है राजे ? 

त्रियाची- फिलहाल हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा है रानी। हम इतनी देर से यही सोच रहे थे कि नया जीवन न होने पाने का कारण क्या है ? 

सुक्रा- जब से इस ग्रह पर आए हैं तभी से ऐसा हो रहा है राजे ? 

त्रियाच- हां रानी। सभी लोगों का यही कहना है। 

सुक्रा- इसका मतलब साफ है इस ग्रह पर ही नए जीवन को लेकर कोई समस्या है। 

त्रियाची- लगता तो कुछ ऐसा ही है रानी। इसका समाधान क्या हो सकता है यह समझ नहीं आ रहा है। 

सुक्रा- तो क्या पृथ्वी पर कुछ ऐसा था जो जीवन देता था ? 

त्रियाची- पृथ्वी पर है या नहीं हमें यह तो ज्ञात नहीं है, परंतु हमें याद आ रहा है कि हमारे पिता ने हमें एक बार बताया कि जीवन शक्ति पूंज है। इस अंतरिक्ष में जिसके कारण ही जीवन संभव हो पाता है। हमें वह जीवन शक्ति पूंज तलाश करना होगा और हमारे इस ग्रह पर लाना होगा। 

सुक्रा- पर इमने बड़े अंतरिक्ष में आप उस जीवन शक्ति पूंज को कैसे तलाश करेंगे राजे ?

त्रियाची- अपनी प्रजा को खुश रखना है जो जीवन शक्ति पूंज की तलाश करना ही होगी रानी। 

सुक्रा- परंतु कैसे करेंगे राजे ? 

त्रियाची- हम कल ही अपने कुछ विशेष लोगों के एक दल का गठन करेंगे और उसके बाद उन्हें अलग-अलग ग्रहों पर भेजेंगे। वहां यदि शक्तिपूंज मिलता है तो हम स्वयं उस ग्रह पर जाकर शक्ति पूंज को यहां लेकर आएंगे। उसके बाद हमारे यहां भी नया जीवन प्रारंभ हो जाएगा और हमारी प्रजा भी खुश रहेगी। 

सुक्रा- ठीक है राजे यदि आपको यह उचित लगता है तो यही सही है। 

अगले दिन त्रियाची अपने कुछ विशेष लोगों का दल बनाता है और उन्हें अपने ग्रह के आसपास के ग्रहों पर शक्तिपूंज की तलाश में भेज देता है। उसके दल के लोगों को आसपास के ग्रहों पर शक्ति पूंज नहीं मिलता है। वहीं कुछ दूर के ग्रहों पर भी वे जाते हैं परंतु वहां से भी उन्हें निराश होना पड़ता है। कुछ ग्रहों पर वे शक्तिपूंज की तलाश में ग्रहों पर खुदाई भी करते हैं जिसके कारण कुछ ग्रह नष्ट भी हो जाते हैं। एक ओर जहां शक्तिपूंज के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो रही थी वहीं त्राचा ग्रह से खुशियां अब लगभग समाप्त हो गई थी। त्रियाची की प्रजा एक नीरस जिंदगी जिए जा रही थी। त्रियाची अपनी प्रजा को शक्ति पूंज को खोज लाने के लिए हर बार दिलासा तो देता था परंतु उसकी शक्तिपूंज की तलाश पूरी नहीं हो पा रही थी। वह एक बार फिर से चिंताओं में घिर गया था। 

सुक्रा- राजे अब तक आपका दल कई ग्रहों पर शक्तिपूंज को तलाश करने जा चुका है, परंतु उन्हें अब तक कहीं भी सफलता हाथ नहीं लगी है। मेरा विचार है एक बार आप अपने दल को पृथ्वी पर भेजकर देखिए। मुझे लगता है कि पृथ्वी पर जीवन है तो शक्तिपूंज भी वहीं होगा। हजार वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, पृथ्वी पर वो महामारी भी समाप्त हो गई होगी। 

त्रियाची- हम भी यही सोच रहे थे रानी। हमने सोचा है कि पृथ्वी पर हम मगोरा को भेजेंगे, यदि वो शक्तिपूंज पृथ्वी होने की पुष्टि कर देता है तो हम स्वयं पृथ्वी पर जाकर वो शक्तिपूंज यहां लेकर आएंगे। 

सुक्रा- हां राजे अब बहुत समय हो गया है आपको शक्तिपूंज लाना ही होगा। 

त्रियाची- हम अभी मगोरा को बुलाते हैं और उसे पृथ्वी पर शक्तिपूंज की तलाश के लिए रवाना कर देते हैं। 

त्रियाची के आदेश पर मगोरा को बुलाया जाता है। 

त्रियाची- मगोरा तुम हमारे सबसे अधिक खास व्यक्ति हो। हम तुम्हें एक विशेष कार्य सौंप रहे हैं और हम चाहते हैं कि इस कार्य को तुम सफलता पूर्वक पूर्ण करके ही हमारे सामने आओ। 

मगोरा- राजे का आदेश का पालन करना मेरा कर्तव्य है। आप कार्य बताएं। 

त्रियाची- मगोरा ये तो तुम जानते ही हो कि हम हजारों वर्षों से अंतरिक्ष में शक्तिपूंज की तलाश कर रहे हैं, परंतु वो हमें अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। अब हमें लगता है कि शक्तिपूंज पृथ्वी पर ही कहीं है। इसलिए हम चाहते हैं कि तुम तुरंत ही पृथ्वी के लिए रवाना हो जाओ और वहां शक्तिपूंज है अथवा नहीं यह पता करो। यदि है तो कहां है यह भी पता करना। उसे प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना होगा इसकी जानकारी भी तुम्हें लेना होगी। 

मगोरा- ठीक है राजे मैं अभी पृथ्वी के लिए रवाना हो जाता हूं। 

त्रियाची- मगोरा इसके साथ ही तुम अब वहां के मानवों के जीवन के बारे में भी पता करना। 

मगोरा- जी राजे। 

इतना कहने के बाद मगोरा पृथ्वी के लिए रवाना हो जाता है। उसे पृथ्वी पर पहुंचते ही पता चल जाता है कि शक्तिपूंज पृथ्वी पर ही है। वह शक्तिपूंज को प्राप्त करने के लिए मानवों की टोली भी तैयार करने लग जाता है। और फिर त्रियाची को इस बारे में सूचित कर देता है। अब त्रियाची खुद पृथ्वी पर आकर शक्तिपूंज को प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है। त्रियाची के पृथ्वी पर आने का जानकर ही पृथ्वी पर सप्तक परेशान था और उसने पृथ्वी और संपूर्ण मानव जाति की त्रियाची से रक्षा के लिए उन्हें विशेष शक्तियों के साथ तैयार किया था। सप्तक को ये आभास था कि यदि त्रियाची पृथ्वी पर आता है तो यहां भयंकर विनाश होगा और उस विनाश और विशेषकर त्रियाची को रोकने के लिए कुछ विशेष लोगों और शक्तियों की आवश्यकता होगी।