Triyachi - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 17

भाग 17

त्रियाची- मगोरा हमने तुम्हें पृथ्वी पर ही रहने का आदेश दिया था, फिर तुम त्राचा पर क्या कर रहे हो? 

मगोरा- क्षमा करें राजे, परंतु एक विशेष सूचना लेकर आया हूं। 

त्रियाची- ऐसी क्या सूचना है कि तुम्हें यहां आना पड़ा ? 

मगोरा- राजे जब मैं दोबारा पृथ्वी पर गया और वहां जाकर आपके आदेश का पालन कर रहा था तब हमारा सामना कुछ मानवों से हुआ। उनके पास कुछ विशेष शक्तियां थी। 

त्रियाची- कैसी विशेष शक्तियां ?

मगोरा- राजे वो मानव जल, अग्नि और पृथ्वी की धूल, मिट्टी और पत्थरों को हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे थे। 

त्रियाची- इसमें कौन सी विचित्र बात है मगोरा हम तो जब हम पृथ्वी पर हुआ करते थे तब हम भी किया करते थे। यह तो कोई विशेष सूचना नहीं है। 

मगोरा- राजे वो मानव हाथों के इशारों से इन सभी को एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे थे। 

त्रियाची- क्या ? हाथों के इशारे से ? हमें विस्तार से बताओ आखिर क्या हुआ है। 

मगोरा- राजे मैं यहां से पुनः पृथ्वी पर गया तो देखा कि मैंने जितने भी मानवों को गुलाम बनाया था वे मेरे वश में नहीं थे और वे पूर्व की तरह अपने कार्य में लग गए थे। मैंने जब दोबारा उन्हें वश में करने का प्रयास किया तो एक मानव मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। अब दोनों के बीच युद्ध हुआ और फिर उसने मुझ पर अग्निवर्षा कर दी। फिर मैं वहां से दूर चला गया। इसी तरह सुबाहा और कमाटा को भी ऐसे ही मानवों का सामना करना पड़ा है। सुबाहा का जिस मानव से सामना हुआ था वो जल को हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा था और कमाटा का जिससे सामना हुआ वो तो एक लड़की थी और पृथ्वी की धूल, मिट्टी और पत्थरों को हाथों के इशारे से हथियार के रूप में प्रयोग कर रही थी। 

त्रियाची- यह कैसे संभव है मगोरा ? क्या मानवों ने कोई विशेष तकनीक विकसित कर ली है, जिसके प्रयोग से वो सब ऐसा कर पाने में संभव हो पा रहे हैं ? 

मगोरा- इस संबंध में अभी तो कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है। वैसे मैंने सुबाहा और कमाटा को उन मानवों के बारे में जानकारी जुटाने के कार्य पर लगा दिया है। ये जो मानव है वो अन्य मानवों से कुछ अलग है राजे। 

त्रियाची- किस प्रकार से अलग है ये मानव अन्य मानवों से? 

मगोरा- मैंने कई मानवों को देखा है राजे। परंतु कोई भी मानव इस प्रकार इशारे से जल, अग्नि और पत्थरों को उठा नहीं सकता है, परंतु इन मानवों ने ऐसा किया है। 

त्रियाची- इसका मतलब साफ है मगोरा कि इन मानवों के पास कुछ विशेष शक्तियां है, जिससे वो इस कार्य को अंजाम दे पा रहे हैं। तुम उन मानवों का जल्द से जल्द पता कर हमें सूचित करो। हम भी जल्द से जल्द पृथ्वी पर पहुंच जाएंगे। 

मगोरा- जी राजे। 

इसके बाद मगोरा त्राचा से निकलकर सीधे पृथ्वी पर आ जाता है। वो फिर से दूसरे गांवों में जाकर वहां रहने वाले लोगों को अपने वश में कर उनको भी युद्ध के लिए तैयार करता है। धीरे-धीरे वो करीब 100 से अधिक गांव के लोगों को अपने वश में कर एक बड़ी फौज तैयार कर लेता है। वो मन ही मन सोच रहा था कि जब राजा त्रियाची पृथ्वी पर आएंगे तो इतनी बड़ी सेना देखकर खुश हो जाएंगे। वहीं जब विशेष शक्तियों वाले मानवों से उसका सामना होगा तो वो इन मानवों को उनसे लड़ाएगा। इस प्रकार मानव ही मानव से युद्ध करेगा और वो शक्तिपूंज हासिल कर फिर से त्राचा पर चले जाएंगे। करीब एक माह बीत चुका था तब एक दिन सुबाहा और कमाटा मगोरा से मिलने के लिए आते हैं। 

मगोरा- सुबाहा, कमाटा तुम दोनों अचानक यहां कैसे आ गए ? 

सुबाहा- मगोरा हमने उन विशेष शक्तियों वाले मानवों के बारे में पता लगाने का बहुत प्रयास किया परंतु उनके संबंध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। उस युद्ध के बाद तो जैसे कि वो लोग गायब ही हो गए हैं। 

कमाटा- हां मैंने भी उनकी जानकारी जुटाना चाही, परंतु इस तरह के मानवों और ऐसी शक्तियों के बारे में किसी अन्य मानव को कोई जानकारी नहीं थी। 

मगोरा- ऐसा कैसे संभव है वो मानव अचानक गायब हो गए क्या ?

सुबाहा- पता नहीं मगोरा पर वो दोबारा नजर नहीं आए। 

मगोरा- ठीक है मेरे पास एक उपाय है कि वो मानव फिर से हमारे सामने आएंगे, यदि वो इन मानवों को बचाने के लिए ही आए थे इन मानवों को फिर से प्रताड़ित करो, ताकि उन मानवों को हमारे सामने आना ही पड़े। 

कमाटा- परंतु क्या हम उनका सामना कर पाएंगे मगोरा ? 

मगोरा- क्यों नहीं कर पाएंगे। क्या तुम अग्नि वर्षा या जल की शक्ति से डर गए हो कमाटा ? 

कमाटा- डरा नहीं हूं मगोरा, परंतु हमें यह भी ज्ञात नहीं है कि इस प्रकार की विशेष शक्तियों वाले मानवों की संख्या कितनी है। 

मगोरा- कितनी भी संख्या क्यों न हो मगोरा अकेला ही उन सभी से युद्ध करने में सक्षम है। 

सुबाहा- तो फिर इन मानवों को कैसे प्रताड़ित किया जाए। 

मगोरा- इन अपने वश में करके आपस में लड़ाया जाए फिर वो मानव इन्हें बचाने के लिए आएंगे तो हम उन्हें खत्म कर देंगे। वैसे में राजे जल्दी ही पृथ्वी पर आने वाले हैं। वे शक्तिपूंज प्राप्त करेंगे और फिर हम सभी यहां से चले जाएंगे। 

मगोरा की योजना के अनुसार सुबाहा और कमाटा गांव के लोगों को वश में कर आपस में लड़ाते हैं। इसकी बात की जानकारी जब सप्तक को प्राप्त होती है तो वो सभी प्रणिता, अनिकेत, यश, रॉनी और तुषार से संपर्क करता है और उन्हें इन गांव वालों को बचाने के लिए कहता है। पांचों एक साथ ही वहां पर पहुंच जाते हैं। मगोरा की योजना सफल होती नजर आ रही थी। इन पांचों का सुबाहा, कमाटा और मगोरा से भयंकर युद्ध होता है। प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, यश और तुषार अपनी-अपनी शक्तियों का प्रयोग कर इन तीनों और त्राचा ग्रह की अन्य सेना को पीछे हटने को मजबूर कर देते हैं और गांव के लोगों को उनके वश से बाहर निकाल लाते हैं। एक बार फिर उन सभी के बीच युद्ध होता है और प्रणिता जहां कमाटा को मार देती है वहीं रॉनी सुबाहा को मार देता है। कमाटा और सुबाहा के युद्ध में मारे जाने के बाद मगोरा भी वहां से भाग खड़ा होता है। इस युद्ध को जीत लेने के बाद वे पांचों समझने लगते हैं कि उन्होंने एक बड़ा युद्ध जीत लिया है, जबकि अभी उन्हें इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं था यह युद्ध एक महायुद्ध का आगाज है। हालांकि इस युद्ध को जीत लेने के बाद उन सभी के अंदर एक अहंकार जाग उठता है। वे सभी खुद को इस युद्ध का विजेता मान रहे थे। दूसरी ओर कमाटा और सुबाहा के प्रणिता, रॉनी, यश, तुषार और अनिकेत के हाथों मारे जाने और युद्ध में पराजय हो जाने के बाद मगोरा काफी डर गया था। वो अब इस बात की जानकारी भी त्रियाची को देना चाहता था। इसलिए वो एक बार फिर से त्राचा के लिए रवाना हो गया था। दूसरी ओर प्रणिता, रॉनी, यश, तुषार और अनिकेत में पनपी अहंकार की भावना ने सप्तक को चिंता में डाल दिया था। क्योंकि वो इस बात को जानता था कि यह अहंकार उन पांचों की शक्तियों को कम कर देगा। वह यह भी जानता था कि त्रियाची जब भी पृथ्वी पर आएगा तो इन पांचों को उसका सामना करना ही होगा और धरती को बचाने के लिए त्रियाची को युद्ध में हराना ही होगा। इसलिए वो उन सभी वो फिर से उसी खड़हर में आने के लिए कहता है, जहां उसने उन सभी को शक्तियां प्रदान की थी। 

कुछ ही समय में पांचों उस खंडहर में पहुंच जाते हैं। सप्तक वहां उन सभी का इतंजार कर रहा होता है। राधिका भी सप्तक के साथ थी। प्रणिता जैसे ही वहां राधिका को देखती है वो उसे गले लगा लेती है। दोनों एक-दूसरे को देखकर काफी खुश होती है। इसी बीच सप्तक सभी को गौर से देखता है, उसके चेहरे पर चिंता के भाव नजर आ रहे थे। इसके बाद सभी सप्तक के पास पहुंच जाते हैं। सप्तक जो अब तक सीढ़ियों पर खड़ा था वह उतरकर नीचे आ जाता है। 

रॉनी- तो आपने जिस युद्ध के लिए हमसे कहा था वह युद्ध हमने जीत लिया है। दो को हमने मार दिया है और एक हमसे बचकर भाग गया है। 

तुषार - इतने से के लिए आपने हमें कितना परेशान किया। 

यश- क्या क्या नहीं करवाया हमसे, कितना भागे हैं हम लोग। 

प्रणिता- ये काम तो कोई भी कर देता। आप तो कह रहे थे कि एक खास काम के लिए बहुत लोगों में से आपने हमें चुना है। बस इतना ही था आपका यह खास काम। 

अनिकेत- मुझे लगता है नहीं। मेरे हिसाब से काम अभी बाकि है। 

सप्तक- हां तुम सही कह रहे हो अनिकेत। अभी बहुत काम बाकि है। 

रॉनी- तो वो भी हम निपटा देंगे। ऐसे छोटे छोटे काम तो अब हमारे लिए बाएं हाथ का काम है। 

यश- ऐसे काम को करने के लिए आपने हमें इतना तैयार किया था। मुझे तो लगता है कि ये काम आप खुद भी कर सकते थे। 

अनिकेत- एक मिनट तुम लोग कुछ देर के लिए शांत रहोगे वे कुछ कहना चाहते हैं पहले हम उनकी बात सुन ले। सप्तक जी आप काम के लिए कह रहे थे। 

सप्तक- हां कह तो रहा था। परंतु मुझे तुम लोगों को देखकर लगता है कि अब मेरा काम पूरा नहीं हो सकता।